जान में जान ी इस मुहावरे का अर्थ क्या है? - jaan mein jaan ee is muhaavare ka arth kya hai?

जानपरखेलनामुहावरेकाअर्थ jaan par khelna muhavare ka arthजीवनसंकटमेडालना यासाहसिककार्य

दोस्तो जब कोई अपनी जान की परवाह न कर कर किसी की मदद करता हो या फिर किसी कार्य को करता हो । वह उस कार्य को करते समय यह नही सोचता हो की हमे कुछ हो जाएगा बल्की वह उसे ही करना चाहता हो और ‌‌‌है की चाहे इस कार्य मे मेरे प्राण ही क्यो न चले जाए मुझे इस कार्य को करना ही है । तो इस तरह से अपनी जान की परवाह न कर कर किसी कार्य को ‌‌‌करने को जान पर खलना कहा जाता है ।

जान में जान ी इस मुहावरे का अर्थ क्या है? - jaan mein jaan ee is muhaavare ka arth kya hai?

जानपरखेलना ‌‌‌का वाक्य मे प्रयोग Use in sentence

  • मोत के कुवे मे लोग अपनी जान पर खेल कर खेल दिखते है ।
  • अगर हर कोई अपनी जान पर खेल पता तो आज यहां मेरी जरुरत नही होती ।
  • राजेश ने अपनी जान पर खेल कर तुम्हे बचाया है और तुम उससे इस तरह से बात कर ‌‌‌रहे हो ।
  • रहने दो साहब हमने आपको पैसो के लिए जान पर खेल कर नही बचाया ।
  • ‌‌‌बॉडर पर ‌‌‌फौजी अपनी जान पर खेल कर लोगो को की हिफाजत करता है ।
  • ‌‌‌फौजी भाई ने जान पर खेल कर लोगो को बचाया ।
  • एक फायरमैन जान पर खेल कर लोगो को बचाता है ।

जानपरखेलना ‌‌‌मुहावरे पर कहानी Idiom story

एक समय की बात है किसी ‌‌‌गाव बलवन्त नाम का एक आदमी रहता था । बलवन्त के घर मे कोई भी नही था उसके माता पिता भी नही थे । जिस गाव मे बलवन्त रहता था उस गाव मे हर वर्ष मे दो बार मेला लगता था और बलवन्त ही उस ‌‌‌मैले को लगाता था । एक वर्ष मे दो बार लगने के कारण भी उसे बहुत लाभ होता था ‌‌‌।

क्योकी वहां पर जो भी लोग खेल ‌‌‌दिखाने के लिए आते थे वे सब बलवन्त के पास ही आते थे । और वही उनसे रुपय लेकर उन्हे खेल दिखाने ‌‌‌देता था । साथ ही जो लोग वहां पर खेल देखते थे उन्हे भी पैसे देने पडते थे । जिनमे से आधे पैसे बलवन्त के होते थे और आधे जो खेल दिखता है उसके होते थे । गाव के लोग बलवंत को बहुत मानते थे।

एक समय की बात है ‌‌‌जब बलवन्त ने पहली बार उस गाव मे मेला लगया था तो वहां पर कोई भी नही आया था पर बलवन्त अकेला ही उस मेले मे खेल दिखने लगा था । तब उस गाव के ही लोग उस मेले मे खेल देखने के लिए आए थे ।

जब उन्होने मेले मे मोत का कूवा देखा तो वे ‌‌‌खेल देखने के लिए बहुत ही उत्तेजित होने लगे । क्योकी उस गाव के आस ‌‌‌पास कभी भी मेला नही लगा था और लगा तो वहां पर मोत का कूवा नही था । इस कारण से गाव के लोग उस खेल को देखने के लिए तैयार खडे थे । कुछ समय के बाद मे गाव के लोगो ने देखा की एक बाईक लेकर कोई उस कुवे मे गया है व फिर उस कूवे मे उस बाईक को चला रहा था ।

‌‌‌यह देखकर लोग हेरान हो गए क्योकी कूवे की गहराई 20 से 25 फिट ‌‌‌और वह आदमी जो बाईक चला रहा था वह आसानी से उस बाईक को चला रहा था । जब खेल पूरा हो गया तो गाव के लोग उस आदमी से मिलने लगे की कोन इस ‌‌‌कूवे मे बाईक चला रहा ‌‌‌था ।

तब उस आदमी ने कहा की अगले वर्ष आपको मै अपना चेहरा दिखाउगा । ‌‌‌इतना कह कर वह आदमी वहां से चला गया था । वह बलवंत ही था पर लोगो को इस बारे मे पता नही था । धिरे धिरे आस पास के गाव के लोगो ‌‌‌के पास खबर पहुंच गई थी की मेले मे मोत का कूवा है । ‌‌‌जिसे देखने के लिए अगले वर्ष बहुत लोग इखट्ठे हो गए थे । उस वर्ष आस पास के बाईक चलाने वाले भी आ गए थे जो कह रहे थे की हम उसमे बाईक चला लेगे ।

इस कारण से बलवन्त ने उन लोगो से पहले ही कह दिया था की अगर बाईक चलाते समय कुछ हो जाएगा तो हमारी जिमेदारी नही है। फिर भी वे नही माने और मेदान मे उतर गए । ‌‌‌उस समय उन लोगो से बाईक नही चली थी । पर कुछ लोग ऐसे भी वहां पर आए थे जो पहले मोत के कूवे मे बाईक चला चुके है ।

इस कारण से बलवन्त ने उन लोगो के साथ बाईक चलाई । इस बार बलवन्त ने अपना चहरा नही ‌‌‌छुपा रखा था । जब लोगो ने देखाकी यह बलवन्त ही है तो लोग और उत्तेजित होने लगे और खेल का आनन्द लेने लगे थे ।

तब ‌‌‌लोग आपस मे बात करने लगे की बलवन्त तो अपनी जान पर खेल कर हमारे लिये खेल दिखाता है । इस तरह से फिर समय के साथ साथ आस पास के गाव के लोग और ज्यादा आने लगे थे ।

जान में जान ी इस मुहावरे का अर्थ क्या है? - jaan mein jaan ee is muhaavare ka arth kya hai?

क्योकी वे लोग जान गए थे की बलवन्त अपनी जान पर खेल कर मनोरंजन करेगा जो हर किसी से नही होगा । इस तरह से लोग बलवन्त को अपना हिरो मानने ‌‌‌लगे थे क्योकी इस तरह से खेल दिखाना हर किसी के बस की बात नही है । और जो लोग उस खेल को नही जानते थे उनके खेल दिखाने से उनके हाथ पांव टूट गए ।

‌‌‌एक बलवंत ही ऐसा था जो उस कूवे मे लम्बे समय तक बाईक चला सकता था । इस कारण से लोग उसे और अधिक मानने लगे थे । इस तरह से बलवंत लोगो को मनोरंजन देकर पैसे कमाता था । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस कहानी का अर्थ क्या है ।

जान पर खेलना मुहावरे पर निबंध Essay on idiom

साथियो इस संसार मे ऐसे लोग ज्यादा नही मिलते जो अपने प्राणो पर खेल कर लोगो को बचाते हो या मनोरजंन करते हो । क्योकी आज के समय मे सभी को अपने प्राण प्रिय होते है । इस कारण ‌‌‌से वे उसे ‌‌‌बचाने की कोशिश करते है ।

पर जो लोग अपनी जान की परवाह न कर कर किसी काम को करते है तो उन लोगो के लिए ही इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है । और कहा जाता है की यह तो अपनी जान पर खेल कर हमे बचाता है या मनोरजंन देता है ।

हाथ पाँव मारना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

आसमान पर थूकना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

मिट्टी का माधो मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

भैंस के आगे बीन बजाना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

कलेजे पर पत्थर रखना मुहावरे का अर्थ और वाक्य मे प्रयोग

इस तरह के लोग आपको मिल तो जाते है पर कठिनाई ‌‌‌से मिलते है । इस ‌‌‌तरह के लोग वे सभी हो सकत है जो अपनी जान की परवाह न कर कर कोई काम करते है जैसे एक फोजी या फिर एक सर्कस मे खेल दिखाने वाला और फायरमेन भी हो सकता है ।

क्योकी वह भी आग मे अपने प्राण डालकर लोगो को बचाता है । तो इस तरह के लोगो को जान पर खेलने वाले कहा जाता है । इस तरह से आप समझ गए होगे की इस मुहावरे ‌‌‌का अर्थ क्या है ।

Mohammad Javed Khan

‌‌‌मेरा नाम ‌‌‌ मोहम्मद जावेद खान है । और मैं हिंदी का अध्यापक हूं । मुझे हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत अधिक पसंद है। यह ब्लॉग मैंने बनाया है। जिसके उपर मैं हिंदी मुहावरे की जानकारी को शैयर करता हूं।

जान में जान आना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

मुसीबत से निकलने पर निश्चिंत होना।

जान खफा ना मुहावरे का अर्थ क्या होता है?

‌‌‌असल मे खाक छानना मुहावरे का अर्थ होता है भटकना । जब हम किसी भी कार्य को लेकर भटकते फिरते हैं तो यही खाक छानना कहलाता है। भटकाव किसी भी कार्य के लिए हो सकता है।

जान पर खेलना मुहावरे का अर्थ क्या है?

अपना जीवन संकट में डालना।

मौत के मुंह में जाना मुहावरे का अर्थ क्या है?

मुहावरा : मौत के मुँह में जानाअर्थ : अपनी जान जोखिम डालना, स्वयं को खतरे में डालना।