भारत एक लोकतांत्रिक राज्य है। इसे विशालतम लोकतंत्र इस कारण कहा जाता है कि इस देश की सरकार के चयन में विश्वभर में सबसे अधिक लोग भाग लेते हैं। जनवादी चीन में साम्यवादी एक दलीय सरकार का गठन होता है। भारत में मतदाता न केवल केंद्र की सरकार के चयन में भाग लेते हैं अपितु वे राज्य व स्थानीय सरकारों के चुनाव में भी भाग लेते हैं। अतः स्पष्ट है कि भारत में सार्वभौम वयस्क मताधिकार लागू किया है। Show सार्वभौम वयस्क मताधिकार उस.मताधिकार को कहा जाता है जहाँ एक निश्चित न्यूनतम आयु प्राप्त कर सबको, बिना किसी भेदभाव के, मताधिकार प्राप्त होता है। इसके अंतर्गत “एक व्यक्ति एक मत” के सिद्धांत को स्वीकार जाता है। भारतीय व्यवस्था में प्रत्येक ऐसे व्यक्ति को जिसकी आयु 18 वर्ष हो, मत देने का अधिकार दिया गया है। यह और बात है कि मतदान करने सभी मतदाता नहीं आते। यह भी और बात है कि न्यायालय कुछेक गंभीर अपराधियों को मतदान से वंचित कर देते हैं। लोकतंत्र लोगों द्वारा बनायी गयी व्यवस्था है। अतः लोकतांत्रिक सरकार लोकमत पर आधारित सरकार होती है। सार्वजनिक मामलों पर बना मत जो लोकहित की साधना करता हो, उसे लोकमत कहा जाता है। जागरुक लोकमत शासन को कुशासन नहीं बनने देता; जागरुक जनमत प्रत्येक प्रकार की सरकार का सम्मान करता है तथा शासन संचालन में उससे प्रेरित रहता है। जो सरकार लोकमत के अनुरूप नहीं चलती, वह अलोकप्रिय तो हो ही जाती है, वह सरकार अधिक समय तक टिकती भी नहीं। लोकमत/जनमत के निर्माण में अनेक साधन कार्य करते हैं-प्रिंट मिडिया के अंतर्गत समाचार-पत्र, पत्र व पत्रिकाएँ आदि को सम्मिलित किया जाता है। यह जनमत बनाते भी हैं तथा जनमत की अभिव्यक्ति में भी सहायक भूमिका निभाते हैं। इलैक्ट्रानिक मीडिया के अंतर्गत रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा आदि को सम्मिलित किया जा सकता है। जनमत के निर्माण व अभिव्यक्ति में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होता है। राजनीतिक दल, सार्वजनिक सभाएँ, शिक्षा सम्बन्धी समस्याएँ भी जनमत के साधन कहे जा सकते हैं। लोकतांत्रिक सरकारें प्रतनिधिमूलक सरकारें होती हैं। अतः ऐसी व्यवस्थाओं में निर्वाचन व्यवस्था का होना अनिवार्य होता है। स्वतंत्र व निरपेक्ष चुनावों के लिए स्वच्छ निर्वाचन प्रणाली का होना नितांत आवश्यक है। इस संदर्भ में चुनाव आयोग की विशेष भूमिका होती है। चुनाव आयोग स्वतंत्र व पक्षपात चुनाव करने में सहयोग दे सकता है। मतदाता सूची, निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण, उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न प्रदान करना, राजनीतिक दलों को चुनावी मान्यता देना, चुनाव अभियानों का निरीक्षण करना, चुनावी समस्याओं का समाधान करना, चुनाव सम्बन्धी घोषणाएँ करना आदि ऐसे कार्य हैं जो चुनाव आयोग करता है। चुनाव प्रायः एक निश्चित अवधि के बाद होते हैं। सरकार के पतन पर मध्यावधि चुनावों की व्यवस्था की जाती है। किसी प्रतिनिधि की मृत्यु के कारण उपचुनावों का प्रयोजन भी किया जाता है चुनाव प्रक्रिया स्वंय में एक जटिल प्रक्रिया प्रतिनिधिमूलक सरकार के निर्माण में चुनाव तथा चुनावों के लिए राजनीतिक दलों का होना अनिवार्य होता है। राजनीतिक दल सार्वजनिक मामलों पर एक जैसे विचार रखने वाले लोगों का वह संगठन होता है जो संयुक्त व साँझे प्रयासों व चुनावी तरीकों से सत्ता प्राप्त करे के पश्चात् अपनी नीतियों को कार्यरूप देते हैं। राजनीतिक दल प्रणाली एकदलीय, द्विदलीय, बहुदलीय, एकदलीय प्रधान अथवा राज्य-क्षेत्रीय संयुक्त प्रणाली भी हो सकती है। We are providing free PDF download of UP Board Solutions for Class 9 Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीति. The UP Board Solutions for Class 9 Science help you to score more marks in Class 9 Science Exams, The whole chapter was solved an easy manner to Revising in a minutes during exam days. UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 चुनावी राजनीतिपाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर चुनावी राजनीति प्रश्न उत्तर प्रश्न 1. चुनावी राजनीति पाठ के प्रश्न-उत्तर प्रश्न 2. अध्याय 3 चुनावी राजनीति के प्रश्न उत्तर प्रश्न 3. उत्तर: चुनावी राजनीति Class 9 Questions And Answers प्रश्न 4.
Chunavi Rajniti Class 9 In Hindi Question Answer प्रश्न 5.
(ख) मतदान के दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनावी गड़बड़ी, मतदान केन्द्रों पर कब्जा न हो। (ग)। वोटों की गिनती का दिन : इस दिन सुरेखा को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी उम्मीदवारों के एजेन्ट वोटों की सुचारु रूप से गणना सुनिश्चित करने के लिए वहाँ मौजूद हैं। पाठ 4 चुनावी राजनीति प्रश्न 6. उत्तर: उपर्युक्त तालिका के आधार पर हिस्पैनिक समुदाय के लिए आरक्षण एक अच्छा विचार है। हिस्पैनिक समुदाय की जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए ऐसा करना आवश्यक है। Class 9 Loktantrik Rajniti Chapter 4 प्रश्न 7. (ख) यह सत्य है। चुनावों में लोगों की भागीदारी प्रायः मतदान करने वाले लोगों के आँकड़ों से मानी जाती है। मतदान (ग) यह सत्य नहीं है। सत्ताधारी भी चुनाव में पराजित हुए हैं। कई बार ऐसे प्रत्याशी जो चुनावों में अधिक धन खर्च करते हैं, चुनाव हार जाते हैं। (घ) यह सत्य है। चुनाव सुधार के द्वारा धन बल और अपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को राजनीति से दूर करने की आवश्यकता है। क्योंकि कई बार धन-बल और अपराधिक छवि वाले लोग राजनीतिक दलों से टिकट चुनावी राजनीति के प्रश्न उत्तर प्रश्न 8. चुनावी राजनीति कक्षा 9 प्रश्न 9. (ख)फिजी में चुनाव से ठीक पहले एक परचा बाँटा गया जिसमें धमकी दी गयी थी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री महेंद्र चौधरी के पक्ष में वोट दिया गया तो खून-खराबा हो जाएगा। यह धमकी भारतीय मूल के मतदाताओं को दी गई थी। (ग) अमेरिका के हर प्रान्त में मतदान, मतगणना और चुनाव संचालन की अपनी-अपनी प्रणालियाँ हैं। सन् 2000 ई. के चुनाव में फ्लोरिडा प्रान्त के अधिकारियों ने जॉर्ज (UPBoardSolutions.com) बुश के पक्ष में अनेक विवादास्पद फैसले लिए पर उनके फैसले को कोई भी नहीं बदल सका। (ख) चुनाव से पूर्व किसी प्रत्याशी के विरोध हेतु धमकी भरा परचा निकालना और एक समुदाय को भयभीत करना निश्चित रूप से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। इस परचे को जारी करने वाले व्यक्ति अथवा राजनीतिक दल का पता लगा करके उसे दण्डित किया जाना चाहिए। क्योंकि चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए धमकी देना लोकतांत्रिक सिद्धान्तों के विरुद्ध है। (ग) चूँकि, संयुक्त-राज्य अमेरिका के प्रत्येक राज्य को अपने चुनाव-संबंधी कानून बनाने का अधिकार है, फ्लोरिडा राज्य द्वारा लिया गया निर्णय उस राज्य के चुनाव के कानूनों के अनुकूल होगा। यदि ऐसा है तो किसी को भी ऐसे निर्णय को चुनौती देने का अधिकार नहीं होता। भारत में चूंकि (UPBoardSolutions.com) राज्यों को अपने अलग चुनाव-सम्बन्धी कानून बनाने का अधिकार नहीं है, यहाँ पर ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो सकती। चुनावी राजनीति Class 9 Extra Questions And Answers प्रश्न 10. (ख) सभी राजनैतिक दलों को रेडियो तथा दूरदर्शन अपने विचार प्रस्तुत करने की स्वतन्त्रता एवं समय दिया जाना चाहिए। भारत में सभी राजनैतिक दलों को निर्वाचन आयोग द्वारा समय दिया जाता है। विपक्षी दल के बयानों । एवं चुनाव अभियान को दूरदर्शन तथा आकाशवाणी पर उचित स्थान न देकर सरकार ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया है। इसके प्रत्युत्तर में विपक्ष को राष्ट्रीय मीडिया में पर्याप्त समय मिलना चाहिए। (ग) फर्जी मतदाताओं की मौजूदगी का अर्थ है कि मतदाता सूची तैयार करने वाले अधिकारियों ने चुनावी गड़बड़ी की तैयारी की थी। चुनाव आयोग को मतदाता सूची की तैयारी की देखभाल करनी चाहिए। (घ) गुण्डों एवं आपराधिक तत्त्वों का प्रयोग करके राजनैतिक दलों द्वारा अपने प्रतिद्वन्द्वियों द्वारा धमकाना और भयभीत करना राजनैतिक दुराचार है। बन्दूक तथा अन्य घातक हथियारों के साथ चुनाव के दौरान लोगों का घूमना फिरना बन्द किया जाना चाहिए। जिनके पास लाइसेंसी हथियार हैं (UPBoardSolutions.com) उनके हथियार चुनावी प्रक्रिया शुरू होते ही जमा करा लिए जाने चाहिए तथा अवैध हथियार लेकर घूमने वालों को दण्डित किया जाना चाहिए। सभी उम्मीदवारों को सरकार की ओर से सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इस बात के पुख्ता इंतजाम किए जाने चाहिए कि असामाजिक तत्त्व चुनाव के दौरान गड़बड़ी न कर सकें। चुनावी राजनीति पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न 11. (ख) यह सत्य है कि दलगत राजनीति समाज में तनाव उत्पन्न करती है किन्तु इसके लिए कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। वर्तमान में राज्यों की जनसंख्या करोड़ों में है और इतने लोगों से किसी सहमति पर पहुँचना बहुत कठिन होगा। (ग) केवल स्नातकों को चुनाव लड़ने का अधिकार देना अलोकतांत्रिक होगा। इसका आशय यह होगा कि उन लोगों को चुनाव न लड़ने दिया जाए जो स्नातक नहीं हैं। प्रत्याशियों का शिक्षित होना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए सरकार को दायित्व है कि वह लोगों को शिक्षित करने का प्रयास करे। अतिलघु उत्तरीय प्रश्न चुनावी राजनीति कक्षा 9 प्रश्न उत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5.
प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20.
प्रश्न 21. प्रश्न 22. लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1.
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प्रश्न 3. प्रश्न 4.
प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. प्रश्न 8.
प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11.
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1.
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प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. (i) चुनाव में बाहुबल और हिंसा- भारतीय चुनाव में एक और गम्भीर त्रुटि और समस्या है चुनाव में बाहुबल का प्रयोग। चुनने में हिंसा बढ़ती जा रही है। चुनाव में बाहुबल और हिंसा का प्रयोग विशेषकर हरियाणा, पश्चिमी बंगाल, जम्मू-कश्मीर तथा बिहार आदि राज्यों में हो रहा है। विधानसभा और लोकसभा के चुनावों में बम विस्फोट, छुरेबाजी औं गोली का प्रयोग होता है। मतदाताओं को डराया-धमकाया जाता है और उन्हें एक विशेष दल के पक्ष में वोट डालने के लिए कहा जाता है। मतदान केंद्रों पर कब्जा किया जाता है। चुनाव के दिनों में आम आदमी सुरक्षित महसूस नहीं करता। मतदान केन्द्रों पर कब्जा बड़े नियोजित ढंग से किया जाता है। (ii) चुनाव याचिका के निपटारे में देरी– साधारणतः यह देखा गया है कि चुनाव याचिका के निपटारे में बहुत अधिक समय लग जाता है। कई बार तो उम्मीदवार का कार्यकाल समाप्त होने को आता है और चुनाव याचिका का निर्णय ही नहीं होता। (iii) सरकारी तंत्र का दुरुपयोग- भारतीय चुनाव व्यवस्था की एक और गम्भीर त्रुटि सामने आयी है। मंत्रियों द्वारा (iv) मतदाताओं की अनुपस्थिति- चुनावों में बहुत से मतदाता भाग लेते ही नहीं। मतदाता चुनावों में रुचि लेते ही नहीं। (v) राजनीति का अपराधीकरण- पिछले कुछ वर्षों में भारतीय चुनाव-प्रणाली में एक और दोषपूर्ण मोड़ आया है। (vi) चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका- भारतीय चुनाव-प्रणाली का सबसे बड़ा दोष चुनावों में धन की बढ़ती हुई भूमिका है। भारतीय चुनावों में धन का अंधाधुंध प्रयोग और दुरुपयोग ने भारत की राजनीति को काफी भ्रष्ट किया है। भारत में काले धन का बड़ा बोलबाला है और उसका चुनावों में दिल खोलकर प्रयोग किया जाता है। मतदाताओं के लिए शराब के दौर चलाए जाते हैं, मत खरीदे जाते हैं, उम्मीदवारों (UPBoardSolutions.com) को धनी लोगों द्वारा खड़ा किया जाता है। और पैसे के बल पर बिठाया जाता है तथा मतदाताओं को लाने व ले जाने के लिए गाड़ियों का प्रयोग किया जाता है। आज का चुनाव पैसे के बल पर ही जीता जा सकता है और इस धन ने मतदाताओं, राजनीतिक दलों तथा प्रतिनिधियों सबको भ्रष्ट बना दिया है। (vii) जाति और धर्म के नाम पर वोट- भारत में सांप्रदायिकता का बड़ा प्रभाव है और इसने हमारी प्रगति में सदैव बाधा उत्पन्न की है। जाति और धर्म के नाम पर खुले रूप से मत माँगे और डाले जाते हैं। राजनीतिक दल भी अपने उम्मीदवार खड़े करते समय इस बात को ध्यान में रखते हैं और उसी जाति और धर्म का उम्मीदवार खड़ा करने का प्रयत्न करते हैं, जिस जाति का उस निर्वाचन-क्षेत्र में बहुमत हो। भारत में अब तक जो चुनाव हुए हैं, उनके आँकड़े भी इस बात का समर्थन करते हैं। (viii) मतदाता सूचियों के बनाने में लापरवाही- यह भी देखा गया है कि भारत में मतदाता सूचियों के बनाने में बड़ी लापरवाही से काम लिया जाता है और कई बार जान-बूझकर तथा कई बार अनजाने में पूरे-के-पूरे मोहल्ले सूचियों से गायब हो जाते हैं। मतदाता सूचियाँ अधिकतर राज्य सरकार के (UPBoardSolutions.com) कर्मचारियों द्वारा बनायी जाती हैं और वे इसे फिजूल का काम समझते हैं। पटवारी तथा स्कूल के अध्यापकों से ये काम करवाया जाता है। एक मतदाता का नाम अनेकों बार तथा जाली मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़ दिए जाते हैं। चुनाव प्रणाली के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों के सुधार हेतु निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं
Hope given UP Board Solutions for Class 9 Social Science Civics Chapter 4 are helpful to complete your homework. If you have any doubts, please comment below. UP Board Solutions try to provide online tutoring for you. चुनाव क्यों होते हैं उत्तर बताइए?चुनाव या निर्वाचन, लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा जनता (लोग) अपने प्रतिनिधियों को चुनती है। चुनाव के द्वारा ही आधुनिक लोकतंत्रों के लोग विधायिका (और कभी-कभी न्यायपालिका एवं कार्यपालिका) के विभिन्न पदों पर आसीन होने के लिये व्यक्तियों को चुनते हैं।
चुनाव प्रणाली से आप क्या समझते हैं?इसमें मतदाता को चुनाव क्षेत्र में जितनी जगहें होती हैं उतने वोट दे दिये जाते हैं और उसे इसकी स्वतंत्रता होती है कि वह चाहे तो अपने सारे वोटों को किसी एक उम्मीदवार के पक्ष में डाल दे अथवा अपनी इच्छानुसार अन्य उम्मीदवारों को बाँट दे। इस प्रणाली में मतदाताओं को अधिक महत्त्व प्राप्त हो जाता है।
क्या भारत का एक नागरिक मतदाता बन सकता है?4 क्या भारत का कोई गैर-नागरिक भारत की निर्वाचक नामावली में मतदाता बन सकता है? उ. नहीं ! वह व्यक्ति, जो भारत का नागरिक नहीं है, भारत में निर्वाचक नामावली में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने के लिए पात्र नहीं है।
राजनीतिक सुधारों के लिए कौन से कदम उठाए जाने चाहिए?चुनाव सुधार. मत-पत्र के प्रयोग के बजाय एलेक्ट्रानिक मतदान मशीन द्वारा मतदान. स्वैच्छिक मतदान के बजाय अनिवार्य मतदान. नकारात्मक मत का विकल्प. 'किसी को मत नहीं' (नोटा) का विकल्प. चुने हुए प्रतिनिधियों को हटाने या बुलाने की व्यवस्था. मत-गणना की सही विधि का विकास. स्त्रियों एवं निर्बल समूहों के लिए सीटों का आरक्षण. |