चीफ की दावत कहानी में क्या संदेश है? - cheeph kee daavat kahaanee mein kya sandesh hai?

विषयसूची

  • 1 चीफ की दावत का प्रतिपाद्य क्या है?
  • 2 चीफ की दावत कहानी का सामाजिक संदेश क्या है?
  • 3 शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी चीफ की दावत के लिए कैसे तैयारी कर रहे थे उल्लेख कीजिए?
  • 4 चीफ के आने से पहले शामनाथ की सबसे बड़ी समस्या क्या थी?
  • 5 चीफ के आने से पहले श्याम नाथ की सबसे बड़ी समस्या क्या थी?
  • 6 फुलवारी से शामनाथ के व्यवहार में क्या अंतर आया?

चीफ की दावत का प्रतिपाद्य क्या है?

इसे सुनेंरोकें’चीफ की दावत’ कहानी द्वारा वह मध्यवर्गीय व्यक्ति की अवसरवादिता, उसकी महत्वाकांक्षा, स्वार्थपरता, हृदयहीनता, कटु-व्यवहार तथा पारिवारिक विघटन को उजागर करते हैं। उनकी यह कहानी नए मध्यवर्ग के आर्थिक व सांस्कृतिक अन्तर्द्वंद को चित्रित करने वाली कहानी है।

चीफ की दावत कहानी का सामाजिक संदेश क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभीष्म साहनी ने ‘ चीफ की दावत ‘ में युवा पीढ़ी के संवेदनशील व्यवहार को चित्रित किया है। वे सामाजिक यथार्थ से जुड़े हुए कथाकार थे। जिन्होने शामनाथ के माध्यम से शिक्षित वर्ग के अशिक्षित आचरण को दर्शाया है तथा स्वार्थी बेटे की स्वार्थी भावनाओं को कहानी के माध्यम से उजागर किया है।

चीफ की दावत कहानी का नायक कौन है?

इसे सुनेंरोकेंभीष्म साहनी लिखित चीफ की दावत कहानी, मौजूदा पीढ़ी में दिन-ब-दिन हो रहे नैतिक क्षरण एवं मूल्यों में हो रहे निरंतर गिरावट को शिद्दत के साथ उजागर करता है. इस कहानी के मुख्य पात्र मिस्टर शामनाथ, उनकी पत्नी एवं विधवा बूढ़ी मां है. मिस्टर शामनाथ नाम से ही नहीं वरन कर्म से भी दिन के उजाले का प्रतिनिधित्व नहीं करता.

प्रश्न 2 चीफ की दावत कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है समझिये दो नम्बर?

इसे सुनेंरोकें1. अमीर एवं बड़े लोग जो ग्रामीण पृष्ठभूमि से ऊपर आते हैं, बड़े होने पर वे ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि वे खानदानी रईस हैं। 2. ऐसे दिखावटी लोग अपने बूढ़े एवं अनपढ़ माँ-बाप को एक तरह से अपनी समस्या समझते हैं तथा उन्हें दूसरों के सामने प्रस्तुत करना नहीं चाहते हैं।

शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी चीफ की दावत के लिए कैसे तैयारी कर रहे थे उल्लेख कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंशामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे हुए बालों का जूड़ा बनाए मुँह पर फैली हुई सुर्खी और पाउडर को मले और मिस्टर शामनाथ सिगरेट पर सिगरेट फूँकते हुए चीज़ों की फेहरिस्त हाथ में थामे, एक कमरे से दूसरे कमरे में आ-जा रहे थे। आखिर पाँच बजते-बजते तैयारी मुकम्मल होने लगी।

चीफ के आने से पहले शामनाथ की सबसे बड़ी समस्या क्या थी?

इसे सुनेंरोकेंनाटक की कहानी मिस्टर शामनाथ की है, जो पदोन्नति के लालच में अंग्रेज चीफ को दावत पर बुलाते हैं, लेकिन इसमें बड़ी समस्या है अनपढ मां। शामनाथ मां को सामने नहीं लाना चाहता और घर के किसी कोने में उसे छिपाने के बारे में सोचता है।

श्यामनाथ ने अपने प्रमोशन के लिए कौन कौन से कार्य करवाएं?

इसे सुनेंरोकें➲ अंत में मां तथा शामनाथ के व्यवहार में यह अंतर आया कि शामनाथ अपनी माँ के साथ अच्छा व्यवहार करने लगा। उससे पहले वह अपनी माँ को झिड़क देता था, लेकिन उसकी माँ द्वारा चीफ के लिए फुलकारी बनाने के कारण ही उसको प्रमोशन मिलता था, इसलिये वो माँ के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करने लगा।

चीफ की दावत कहानी का सारांश क्या है?

इसे सुनेंरोकेंचीफ की दावत’ कहानी भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई एक ऐसी कहानी है, जो मां के त्याग और बेटे की उपेक्षा का ताना-बाना बुनती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने एक माँ का दर्द उकेरा है, जो अपने बेटे बहू के लिए बोझ के समान है। माँ ने अपने बेटे को पाल पोस कर बड़ा किया लेकिन वही बेटा उसे बुढ़ापे में बोझ समझता है।

चीफ के आने से पहले श्याम नाथ की सबसे बड़ी समस्या क्या थी?

इसे सुनेंरोकें➲ श्यामनाथ और उसकी पत्नी के सामने सबसे बड़ी समस्या ये थी कि शामनाथ की बूढ़ी माँ को वह अपने चीफ के सामने नहीं लाना चाहते थे और बूढ़ी माँ को छुपा कर रखना उनके लिए सबसे बड़ी समस्या थी।

फुलवारी से शामनाथ के व्यवहार में क्या अंतर आया?

इसे सुनेंरोकें✎… फुलकारी के शामनाथ के व्यवहार में यह परिवर्तन आया कि अब वह झूठ-मूठ ही सही अपने माँ का सम्मान करने लगा था। शामनाथ पहले अपनी बूढ़ी अनपढ़ माँ के साथ दुर्व्यवहार करता था और उन पर सदैव अपनी बंदिशें लगाए रखता था, जिससे उसकी माँ सहमी-सहमी रहती थी।

शामनाथ माँ को क्या हिदायत देने लगे?

इसे सुनेंरोकेंशामनाथ माँ को क्या हिदायतें देने लगे? ➲ शामनाथ अपनी माँ को यह हिदायत देने लगे कि वो साफ-सुथरे कपड़े पहन कर बैठी रहें और अफसर के सामने नहीं आयें तथा चुपचाप शांत बैठी रहें।

शामनाथ क्या करता है?

इसे सुनेंरोकेंशामनाथ चीफ को अपने घर दावत पर आमन्त्रित करता है। शामनाथ के घर उसकी पत्नी तथा बूढ़ी मां है। परन्तु वह अपनी माँ की अनावश्यक समान की तरह उपेक्षा करता है। वह अपनी निरक्षर व बूढ़ी माँ को कहीं छुपाना चाहता है।

चीफ की दावत कहानी में क्या संदेश है? - cheeph kee daavat kahaanee mein kya sandesh hai?

  • Home
    • Welcome to IMJ
    • Policy
    About Us
    • For Conference and Seminars Organizers
    • For Universities and Societies
    • Post Your Journal with Us
    • Plagiarism Check Services
    • DOI
    Services
  • Journals List
  • Indexing/Impact Factor
    • Author Guidelines
    • Review Process
    • Reviewer Guidelines
    • Service Charges
    Guidelines
    • Register as Editor
    • Register as Author
    • Register as Reviewer
    Register With Us
  • Contact Us

Published in Journal

Year: Feb, 2019
Volume: 16 / Issue: 2
Pages: 486 - 489 (4)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/89147
Published On: Feb, 2019

Article Details

‘चीफ की दावत’ कहानी की आधुनिक युग के सन्दर्भ में समीक्षा | Original Article


चीफ की दावत का संदेश क्या है?

चीफ की दावत कहानी में कौन सा संदेश दिया गया है? इसे सुनेंरोकेंइस कहानी के माध्यम से कहीं ना कहीं उन्होंने युवा पीढ़ी को एक संदेश भी दिया है कि माता-पिता के आशीर्वाद बिना आपकी उन्नति संभव नहीं इसलिए अपने बुजुर्गों के प्रति संवेदनशील बनिए। उनकी भावनाओं का सम्मान कीजिए।

चीफ की दावत कहानी का सारांश क्या है?

चीफ की दावत' कहानी भीष्म साहनी द्वारा लिखी गई एक ऐसी कहानी है, जो मां के त्याग और बेटे की उपेक्षा का ताना-बाना बुनती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने एक माँ का दर्द उकेरा है, जो अपने बेटे बहू के लिए बोझ के समान है। माँ ने अपने बेटे को पाल पोस कर बड़ा किया लेकिन वही बेटा उसे बुढ़ापे में बोझ समझता है।

शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी चीफ की दावत के लिए कैसे तैयारी कर रहे थे उल्लेख कीजिए?

शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे हुए बालों का जूड़ा बनाए मुँह पर फैली हुई सुर्खी और पाउडर को मले और मिस्टर शामनाथ सिगरेट पर सिगरेट फूँकते हुए चीज़ों की फेहरिस्त हाथ में थामे, एक कमरे से दूसरे कमरे में आ-जा रहे थे। आखिर पाँच बजते-बजते तैयारी मुकम्मल होने लगी।