बादलों का वर्णन करते हुए कवि नागार्जुन का कालिदास की याद क्यों आती है? - baadalon ka varnan karate hue kavi naagaarjun ka kaalidaas kee yaad kyon aatee hai?

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Question

बादलों का वर्णन करते हुए कवि को कालिदास की याद क्यों आती है?

Solution

कालिदास ऐसे कवि हैं, जिन्होंने अपनी रचना 'मेघदूत' में बादल को दूत के रूप में चित्रित किया था। एक यक्ष को धनपति कुबेर ने अपने यहाँ से निर्वासित कर दिया था। निर्वासित यक्ष मेघ को दूत बनाकर अपनी प्रेमिका को संदेश भेजा करता था। कवि ने बहुत प्रयास किया कि वे उन स्थानों को खोज निकाले जिनका उल्लेख कालिदास ने किया था। उसे वे स्थान बहुत खोजने पर भी नहीं मिले। अतः बादलों का वर्णन करते हुए कवि को कालिदास की याद हो आई। (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});

बादलों का वर्णन करते हुए कवि नागार्जुन की कालिदास की याद क्यों आती है?

बादलों का वर्णन करते हुए कवि को कालिदास की याद इसलिए आती है क्योंकि कालिदास द्वारा रचित खंडकाव्य 'मेघदूत' में यक्ष ने बादलों को अपना संदेश देकर दूत के रूप में अपनी पत्नी के पास भेजा था। अपने संदेश का उत्तर पाने की आशा में वह बड़ी अधीरता से बादलों की ओर देखता रहता था।

कवि नागार्जुन ने महामेघ को झंझानिल से गरज गरज भिड़ते देखा है क्यों कहा है?

प्रायः पर्वतों में बादल समूह तेज़ हवाओं से टकरा जाते हैं। जिनके कारण आकाश में भयंकर गर्जना होने लगती है। उन्हें देखकर आभास होता है कि वे लड़ रहे हैं। इसी कारण कवि ने कहा है कि महामेघ को झंझानिल से गरज-गरज भिड़ते देखा है।

3 कस्तूरी मृग के अपने पर ही चिढ़ने के क्या कारण हैं?

Question 3: कस्तूरी मृग के अपने पर ही चिढ़ने के क्या कारण हैं? Answer: कस्तूरी मृग पूरा जीवन कस्तूरी गंध के पीछे भागता रहता है। उसे इस सत्य का भान ही नहीं होता है कि वह गंध तो उसकी नाभि में व्याप्त कस्तूरी से आती है। जब वह ढूँढ़-ढूँढ़कर थक जाता है, तो उसे अपने पर ही चिढ़ हो जाती है।