बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
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बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?

खण्ड ‘क’

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर  लिखिए। 

आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था में ही शौक हानिकारक है दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उन में अश्लीलता,  अन आस्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। छोटे बालक मानसिक रुप से परिपक्व नहीं होते। इसमें भेजो भी देखते हैं उनका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वैसी ही अपना लेते हैं  समाज शास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज के चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है । बिना समय की पाबंदी के घटकों दूरदर्शनबिल्कुल गलत है।  कैसे मान सकता विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है। 

(क)  आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?

(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव केंद्र अधिक पड़ता है और क्यों?

(ग)  दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव है?

(घ) ‘ बाल्यावस्था’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए। 

(ड) उपन्यास के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 

उत्तर: (क) आजकल दूरदर्शनओं के धारावाहिकों का स्तर का घटता जा रहा है उसमें दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन लता नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। 

(ख)  दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वह मानसिक रूप से परिपक्व होता है।  वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है। 

(ग)  दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव है जैसे इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है।  इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है। नजर कमजोर पड़ती है घंटो दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी कट जाती है। 

(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि विच्छेद बाल +अवस्था है

(ड़) उपयुक्त का शीर्षक दूरदर्शन के प्रभाव।

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प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और  पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

कोलाहल हो, 

या सन्नाटा, कविता सदा सृजन करती है, 

जब भी आँसू 

हुआ पराजित, कविता सदा जंग लड़ती है। 

जब भी कर्ता हुआ अकर्ता, 

कविता ने जीना सिखलाया 

यात्राएँ जब मौन हो गईं 

कविता ने चलना सिखलाया 

जब भी तम का 

जुल्म चढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है, 

जब गीतों की फसलें लुटती 

शीलहरण होता कलियों का, 

शब्दहीन जब हुई चेतना 

तब-तब चैन लुटा गलियों का 

जब कुर्सी का 

कंस गरजता, कविता स्वयं कृष्ण बनती है। 

अपने भी हो गए पराए

यूँ झूठे अनुबंध हो गए 

घर में ही वनवास हो रहा 

यूँ गूंगे संबंध हो गए।

(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सूजन करती है? स्पष्ट कीजिए। 

(ख) भाव समझाइए जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है।’ 

(ग) गलियों का चैन कब लुटता है?

(घ) “परस्पर संबंधों में दरियाँ बढ़ने लर्गी-यह भाव किस पंक्ति में आया है? 

(ङ) कविता जीना कब सिखाती है? 

अथवा 

जो बीत गई सो बात गई 

जीवन में एक सितारा था, 

माना, वह बेहद प्यारा था, 

वह डूब गया तो डूब गया। 

अंबर के आनन को देखो, 

कितने इसके तारे टूटे 

कितने इसके प्यारे छूटे, 

जो छूट गए फिर कहाँ मिले; 

पर बोलो टूटे तारों पर, 

कब अंबर शोक मनाता है? 

जो बीत गई सो बात गई। 

जीवन में वह था एक कुसुम, 

थे उस पर नित्य निछावर तुम, 

वह सूख गया तो सूख गया; 

मधुबन की छाती को देखो, 

सूखी कितनी इसकी कलियाँ, 

मुरझाई कितनी बल्लरियाँ, 

जो मुरझाई फिर कहाँ खिल, 

पर बोलो सूखे फूलों पर, 

कब मधुबन शोर मचाता है? 

जो बीत गई तो बात गई। 

(क) जो बीत गई सो बात गई से क्या तात्पर्य है। स्पष्ट कीजिए। 

(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए, और क्यों? 

(ग) “सूखे फूल’ और ‘मधुबन के प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए। 

(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है? 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा किसे माना होगा? 

उत्तर: (क) कविता हमेशा ही कठिन परिस्थितियों को हमारे अनुकूल कर नए पथ का सृजन करती है। जब आँसू पराजित हो जाते हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों से जंग लड़ती है। जब कर्ता हताश हो जाता है तो उसमें नई उमंग भरती है। कविता एक ऐसे नए सूरज को निर्माण करती है जो नया सवेरा लाता है। 

(ख) “जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है-को भाव यह है कि जब-जब अंधेरा अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियाँ अपने चरम पर होती हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा इन प्रतिकूल अंधकारमय परिस्थितियों को अपने पथ प्रदर्शक शब्दों द्वारा नया सूर्य दिखाकर उन्हें प्रतिकूल बनाती है। 

(ग) गलियों का चैन शब्दहीन निर्दय चेतना द्वारा लुटता है। 

(घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगी :- यह भाव अपने भी हो गए पराए में आया है। 

(ङ) जब कर्ता अकर्ता हो जाता है अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियों के समक्ष हार जाता है तो कविता उसे जीना सिखाती है। 

अथवा 

उत्तर: (क) जो बीत गई सो बात गई से तात्पर्य है कि जो बीत गया वो हमारा कल था और वह दोबारा नहीं आएगा। अतीत के दुःखों को याद कर रोने से कोई लाभ नहीं। 

(ख) अंबर की ओर रात्रि में देखना चाहिए, जब उसमें अनगिनत तारे होते हैं क्योंकि तारे प्रतिदिन टूटते हैं पर अंबर हमेशा ही वैसा का वैसा रहता है। चाहे नए तारे आए या पुराने टूटे। 

(ग) मधुबन का अर्थ बगीचा एवं सूखे फूल मधुबन में मुरझाए फूल।। 

(घ) टूटे तारों का शोक अंबर नहीं मनाता है। 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसके इर्द-गिर्द हमारी दुनियाँ घुमती है। 

खण्ड ‘ख 

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प्रश्न 3. निर्देशानुसार किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए- 

(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) 

(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए) 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत याद है। रेखांकित उपवाक्य का भेद बदलिए) 

(घ) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। मिश्र वाक्य में बदलिए) 

उत्तर: (क) संयुक्त वाक्य मैंने उस व्यक्ति को देखा पर वह पीड़ा से कराह रहा था। 

(ख) सरल वाक्य-परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है। 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है’-प्रधान उपवाक्य 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है-प्रधान उपवाक्य 

(घ) जहाँ कश्मीरी गेटका निकाल्सन कब्रगाह तथा वहाँ उनका ताबूत उतारा गया। 

अथवा 

(घ) उनका ताबूत उतारा गया जहाँ कश्मीरी गेट का निकत्सन कब्रगाह था। 

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प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-

(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका।। (भाववाच्य में बदलिए) 

(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही चोषित कर दिया गया था। (कर्तवाच्य में बदलिए) 

(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ङ) घायत हंस उड़ न पाया। भाववाच्य में बदलिए। 

उत्तर. (क) कर्मवाच्य- बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थी। 

(ख) भाव वाच्य- बीमारी के कारण वह यहाँ नहीं आ सकता। 

(ग) कर्तृवाच्य-माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था। 

(घ) अवनि के द्वारा चाय बनायी गयी। 

(ङ) भाववाच्य घायल हंस उड़न सका। 

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प्रश्न5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए 

(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं। 

(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था। 

(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।

(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय में पूरा कर लेती है। 

(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता है। 

उत्तर: (क) पढ़ती है- एकवचन, क्रिया, स्त्रीलिंग 

(ख) यहाँ- सर्वनाम, स्थानवाचक क्रिया विशेषण 

(ग) वे- बहुवचन, सर्वनाम (पुरुषवाचक), कर्ता कारक। 

(घ) परिश्रमी- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, विशेषता विशेषता स्पष्ट करता है। 

(ङ) रवि- व्यक्ति वाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक। 

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प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

(क) करुण रस का एक उदाहरण लिखिए। 

(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए 

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप, 

साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप। 

घंटा भर आलाप राग में मारा गोता.

धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता। 

(क) उत्साह किस रस का स्थायी भाव है? 

(ख) वात्सल्य रस का स्थायी क्या है? 

(ग) शृंगार रस के कौनसे दो भेद हैं। 

उत्तरः करुण रस का उदाहरण उभरी नसों वाले हाथ घिसे नाखूनों वाले हाथ पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ जूही की डाल से खुशबूदार हाथ गंदे कटे-पिटे हाथ जख्म से फटे हुए हाथ खुशबू रचते हैं 

(क) हाथा 

(ख) हास्यरस 

(ग) उत्साह वीर रस का स्थायी भाव है। 

(घ) वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सल है। 

(ङ) श्रृंगार रस के दो भेद संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार 

खण्ड ‘ग’ 

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प्रश्न 7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, बाबा। आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं। खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है. लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता?” 

(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों? 

(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता 

उत्तर: (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है, फिर भी आप यह फटी हुई तहमद (लुंगी) क्यों पहनते हो? उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था। 

(ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार थे। 

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प्रश्न 8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि क्यों कहा है?

(ख) मन्नू भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।

(ग) ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?

(घ) बालगोबिन भगत सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?

(ङ) लखनवी अंदाज’ पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा।

उत्तर:(क) जिस प्रकार यज्ञ की पवित्र अग्नि अपने चारों ओर के वातावरण को शुद्ध पवित्र करके महका देती है और लम्बे समय तक वह पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है, ठीक उसी प्रकार फादर बुल्के भी अपने स्नेह और ममता की छाँव से सबको सराबोर कर देते थे। 

(ख) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि वह घर में होने वाले राजनीतिक पार्टियों के लोगों के विचार सुने जाने और समझे कि देश में क्या कुछ हो रहा है, यही पिताजी के द्वारा दी गयी आजादी की सीमा थी, लेकिन मन्नू की आजादी की सीमा चारदीवारी से बाहर निकल कर आजादी के आंदोलन में भाग लेना था। इसी कारण अपने पिता के साथ मन्नू की। वैचारिक टकराहट थी। क्योंकि दोनों के विचारों में विपरीत सोच थी।

(ग) बच्चों द्वारा नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाया जाना यह उम्मीद जगाता है कि हमारी भावी पीढ़ी में देशभक्ति की भावना प्रबल है। इस देश के नवनिर्माण में न केवल युवा बल्कि बच्चा-बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर है। बड़े व्यक्तियों से कहीं अधिक बड़े देशभक्त हमारे नौनिहाल हैं हमारा देश सुरक्षित हाथों में है।

(घ) बालगोबिन भगत का मानना था कि ऐसे व्यक्तियों को अधिक प्यार और स्नेह की आवश्यकता होती है। जो लोग मानसिक रूप से सुस्त और बोदा होते हैं माता पिता के उनके प्रति कर्तव्य और भी बढ़ जाते हैं। वे प्रेम और ममता के अधिकारी सामान्य लोगों से ज्यादा होते हैं। यदि ऐसे बच्चों को तिरस्कार उपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

(ङ) लेखक नयी कहानी की रचना करना चाहते थे, उन्होंने सोचा कि मुफ्फलिस की ट्रेन में सेकण्ड क्लास का डिब्बा बिल्कुल खाली होगा जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकान्त में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे। जिस कारण उन्होंने एकांत की दृष्टि से सेकण्ड क्लास का टिकट खरीदा।

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प्रश्न 9. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वकपढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

यश है या न वैभव है, मान है न सरमायाः 

जितनी ही दौड़ातू उतना ही भरमाया। 

प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, 

हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। 

जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन 

छाया मत छूना मन, 

होगा दुख दूना। 

(क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है ? 

(ख) कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? 

(ग) मृगतृष्णा का प्रतीकात्मक अर्थ लिखिए। 

उत्तर (क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति में कवि यह तथ्य अवगत कराना चाहते हैं कि मनुष्य को इस यथार्थको स्वीकार कर लेना चाहिए कि जीवन में सुख-दुख का चोली दामन का साथ होता है। जीवन में केवल सुख रूपी चाँदनी रातें ही नहीं 

अपितु दुख रूपी अमावस्या भी आती है। 

(ख) कवि ने यथार्थ पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की वास्तविकता है, इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। भविष्य को सुंदर बनाने के लिए वर्तमान में परिश्रम करना पड़ता है। 

(ग) मृगतृष्णा का शाब्दिक अर्थ है-धोखा या भ्रम रेगिस्तान में रेत के टीलों पर चिलचिलाती धूप को पानी समझकर हिरण प्यास बुझाने दौड़ता है। इसी को मृगतृष्णा कहते हैं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ भ्रमक चीजों से है जो सुख का भ्रम पैदा करती है। जो न होकर भी होने का आभास कराती है वही मृगतृष्णा है। 

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प्रश्न 10.  निम्नलिखित में से किन्हीं चीर प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है? वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है?

(ख) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर बसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए।

(ग) परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?

(घ) आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? तर्क दीजिए।

(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को ‘दंतुरित मुस्कान’ क्यों कहा है? कवि के मन पर उस मुस्कान का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर:(क) संगतकार की मनुष्यता यह है कि वह हमेशा स्वयं को मुख्य गायक के पीछे ही रखता है वह अपनी मनुष्यता बनाए रखने के लिए कभी भी मुख्य गायक को अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता। वह हमेशा मुख्य गायक को ऊँचाई पर रखता है। जब मुख्य गायक का स्वर कभी अनहद में भटक जाता है तो संगतकार उन सुरों को सँभालने का कार्य करता है और मुख्य गायक को हताश नहीं होने देता। इस प्रकारे वह अपनी मनुष्यता को बनाकर रखता है। 

(ख) कवि निराला फागुन और बसंत की शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चारों ओर प्रकृति में अद्भुत सौंदर्य बिखरा हुआ है। बसंत का मादक सौंदर्य आँखों में समा नहीं पा रहा है। पेड़ों पर नए पल्लव दल लाल और हरे रंग के आ गए हैं। प्रकृति के गले में रंग बिरंगे पुष्पों की माला सजी हुई है। चारों ओर खुशहाल वातावरण है। बसंत की शोभा मंत्रमुग्ध करने वाली है। जिसको आँखें स्वीकार नहीं कर पा रही हैं।

(ग) परशुराम बोले हे लक्ष्मण सहस्रबाहु की हजार भुजाओं को काटने वाली मेरी इस कुल्हाड़ी की ओर देखो। यह गर्भ के शिशुओं को भी नहीं छोड़ती। यह बड़ी क्रूर है पल भर में मैं तुम्हें काल का निवाला बना दूंगा। मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ, मैंने अपनी भुजाओं के बल से धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था और अनेक बार इस धरती को जीतकर ब्राह्मणों को दान में दे दिया था।

(घ) हमारी दृष्टि में कन्या के साथ दाने की बात करना उचित नहीं है। दान तो किसी वस्तु का किया जाता है। कन्या कोई दान की वस्तु नहीं है लेकिन दान से तात्पर्य है कि अपनी कोई प्रिय वस्तु किसी दूसरे के हाथों में सौंप देना। ठीक उसी प्रकार माँ भी अपनी पुत्री को विवाह के समय सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देती है जो उसकी अमूल्य पूँजी होती है। अतः कन्या के विवाह को दान का नाम दिया गया है।

(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान कहा है अर्थात् शिशु के नए दांतों की मुस्कान। शिशु की दंतुरित मुस्कान कवि के लिए मृतक में भी जान डाल देने वाली है कवि के मन पर शिशु की मुस्कान का यह प्रभाव पड़ता है कि उसे लगता है कि कमल का फूल तालाब को छोड़कर स्वयं उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया है। कवि अत्यंत प्रफुल्लित और आश्चर्यचकित है। 

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प्रश्न 11. जार्ज पंचम की नाक पाठके माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है? 

अथवा 

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प्रश्न 11. सिक्किम की युवती के कथन मैं इंडियन हूँ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से। अधिक महत्वपूर्ण राष्ट है। आप किस प्रकार राष्ट्र के उत्तरप्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए। 

उत्तर: (क) जार्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर लेखक ने समाज एवं देश की बदहाल स्थितियों पर करारा व्यंग्य किया गया है। इस पाठ में दर्शाया गया है कि अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोगों की औपनिवेशक दौर की मानसिकता के शिकार हैं। नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जबकि कटी हुई नाक अपमान का प्रतीक है। जार्ज पंचम की नाक अर्थात् सम्मान एक साधारण भारतीय की नाक से भी छोटी (कम) है, फिर भी सरकारी अधिकारी उनकी नाक बचाने के लिए जी जान से लगे रहे। अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जार्ज पंचम की नाक लगा दी गई। केवल दिखावे के लिए या दूसरों को खुश करने के लिए अपनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया भारतीय जनता के आत्मसम्मान पर प्रहार दर्शाती है। इसमें सत्ता से जुड़े लोगों की मानसिकता पर व्यंग्य है। 

अथवा 

उत्तर: जिस प्रकार सिक्किम की युवती के कथन में मैं इंडियन हूँ से स्पष्ट होता है कि वे जाति, धर्म, संप्रदाय से कहीं अधिक राष्ट्र होता है। उसी प्रकार हम भी अपने राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करेंगे। हम आजकल कई पर्यटन स्थलों में लोग आधुनिकता के रंग में रंगी हुई, प्रकृति को जाने-अनजाने नष्ट कर रहे हैं। वहाँ के सौंदर्य को नष्ट कर रहे हैं। इसे रोकना होगा नहीं तो हम प्रकृति के सौंदर्य से वंचित रहेंगे। हमें एक जागरूक नागरिक होने के नाते जन-जन में स्वच्छता का संदेश देना होगा। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने, पेड़ों को न काटने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों एव उपकरणों के कम से कम प्रयोग आदि के प्रति जागरूक करने का प्रयास करेंगे। 

खण्ड ‘घ’ 

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प्रश्न 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए 

(क) कमरतोड़ महँगाई 

  • महँगाई के कारण 
  • समाज पर प्रभाव 
  • व्यावहारिक समाधान 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

  • विकास में स्वच्छता का योगदान 
  • अस्वच्छता से हानिया 
  • रोकने के उपाय 

(ग) बदलती जीवन शैल 

  • जीवन शैली का आशय 
  • बदलाव कैसा 
  • परिणाम 

उत्तर: निबंध 

कमरतोड़ महँगाई महँगाई का अर्थ होता है वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। इस महँगाई पर ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है। मॅहगाई मनुष्य के जीवन शैली को प्रभावित करती है। आप समाज की यह प्रमुख समस्या है जिसने उच्च, मध्यम व निम्न सभी वर्गों की कमर तोड़ रखी 

महँगाई की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की गंभीर समस्या बन गई है। इस समस्या के कारण बहुत से देशों का आर्थिक स्तर घटता है। हमारा देश, भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश है। पर उस तरह की पैदावार नहीं हो पा रही है जिससे आए दिन सामानों के दाम बढ़ते हैं। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही हैं भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। ये तीनों सगी बहनें हैं। ये एक साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता है तो धनवान और धनी होते जाते हैं और गरीब बिल्कुल लगोंटी यारी हो जाते हैं। काले धन के कारण कालाबाजारी बढ़ती है। उससे मँहगाई बढ़ती है। 

हमारे देश के अमीर लोग इस मॅहगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल के शुरू-शुरू में वस्तुओं की कीमत कम रखने की परंपरा चली लेकिन व्यापरी अपनी मनमानी करते हैं, सामान्य जनता पर महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उसके पास सीमित पूँजी होती है और उसकी खरीदने की शक्ति कमजोर हो जाती है। अफसरशाही नेता, व्यापारी ये सभी मँहगाई को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। 

यदि सरकार मुद्रास्फीति पर रोक लगाए तो शायद महँगाई पर कुछ तो लगाम लग सकेगी। सरकार को अधिक पैमाने पर गांवों का विकास कर उन्हें जागरूक करना चाहिए जिससे वे आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करे और पैदावार बढ़ाए। 

हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जाएगा मॅहगाई वश में नहीं आयेगी। महँगाई को वश में करने के लिए उचित राष्ट्र नीति जरूरी है। मॅहगाई को रोकने के लिए लोगों को अपनी जमाखोरी की प्रवृत्ति छोड़नी होगी। उपभोक्ता को भी उतनी ही वस्तुएं खरीदनी चाहिए जितनी कि उसे आवश्यकता हो । दोबारा जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता को तभी सामान लेना चाहिए। इस तरह से महँगाई पर काबू रखा जा सकता है। 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

एक कदम स्वच्छता की ओर स्वच्छता आज केवल घर या मुहल्ले तक नहीं बल्कि इसका दायरा काफी बड़ा बन गया है। देश और राष्ट्र की स्वच्छता से ही वास्तविक विकास हो सकता है। जिस देश का नागरिक स्वच्छता के प्रति सजग होगा उस देश का विकास अबाध गति से होगा। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश की स्वच्छता में अपना सहयोग दें। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसमें यह प्रण लिया गया है कि प्रत्येक गली, मुहल्ला, सड़कों से लेकर शौचालय का निर्माण कराना और बुनियादी ढांचे को बदलना एवं स्वच्छता का संदेश फैलाना। 

अस्वच्छता से विभिन्न प्रकार की हनियाँ हैं। स्वच्छ वातावरण से पर्यावरण का विकास संभव है। हम सभी जानते हैं कि हमारा वातावरण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है पर इससे कुछ अंशों में युक्त। का एकमात्र साधन स्वच्छता है। जिस तरह का स्वच्छ परिवेश से वातावरण में कोई रोग-बीमारी का खतरा नहीं होगा। पहले गांवों में लोग खुले में शौच जाते थे पर इस अभियान द्वारा जनता जागरूक हो गई एवं उन्हें शौचालय का महत्व समझ में आया है। सड़कों, गलियों को स्वच्छ रखना जिससे वहाँ रहने वाले लोग स्वस्थ रहेंगे। 

हमारे पूज्यनीय गांधी जी स्वच्छता के प्रति अत्यंत जागरूक थे उन्हीं के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को इस आंदोलन से जोड़ने की मुहिम चलाई है। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमारे अभिनेता-अभिनेत्री सब स्कूल, कॉलेजों वे सरकारी कार्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। अब वह समय दूर नहीं जब हम गांधी जी के सपने को साकार कर पाएंगे। 

इसलिए हमें ‘स्वच्छ भारत अभियान में बढ़चद कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारी गली को साफ करना चाहिए। शिक्षा के प्रसार प्रचार को बढ़ावा देकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान में आप भी भागीदार बने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाएं। 

(ग) बदलती जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवन शैली को हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती बल्कि कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं दृढ़ संकल्प की कमी और अन्य कारणों द्वारा इसका पालन नहीं कर पाते स्वस्थ रहने के लिए किस प्रकार की शैली अपनाना है यह जानना ज्यादा जरूरी हैं। 

आजकल की पीढ़ी कम्यूटर मोबाइल, बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है-मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है। और इन सभी आवश्यकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो रहे हैं। इन दिनों लोग अपने दैनिक जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे भूल गए हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के क्या मायने हैं। हम स्वस्थकर आदतें अपनाकर अपनी जीवन शैली में सुधारा जा सकता है यदि हम प्रातः भ्रमण, योगा व मेडिटेशन का जीवन में समावेश करें तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो पाएगा। शरीर में अनेक शक्तियाँ निहित हैं, यदि हम उन शक्तियों को पहचान लेंगे तो हम निरोग रहेंगे। 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 13.  गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं। इससे आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। 

अथवा

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 13. आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।

उत्तर:

परीक्षा भवन,

क, ख, ग

नई दिल्ली। 1100XX

सेवा में,

          थानाध्यक्ष,

          च, छ, ज

          नई दिल्ली।

विषय- बढ़ते अपराधों की शिकायत हेतु थानाध्यक्ष को पत्र।

महोदय,

  सविनय नम्र निवेदन इस प्रकार है कि हमारे क्षेत्र में कुछ दिनों से अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। आए दिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, छेड़छाड़ और चेन झपटमारी की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। लड़कियों का घर से बाहर निकलना दूभर हो रहा है। चोरी डकैती की घटनाएँ भी दिन प्रतिदिन बढ़ने के कारण हमारे क्षेत्र के निवासी अत्यंत परेशान हैं। 

अतः आपसे आग्रह है कि हमारे क्षेत्र में पुलिस गश्त बढ़ा दी जाए और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ उचित कदम उठाएँ जिससे कि सभी क्षेत्र के निवासी सुरक्षित जीवन जी सकें। यदि आपने हमारी समस्या की ओर ध्यान दिया तो हम सभी क्षेत्र के निवासी आपके अत्यंत आभारी रहेंगे।

सधन्यवाद! 

भवदीय,

प, फ, ब.

दिनांक-22.03.20XX

अथवा

उत्तर:

परीक्षा भवन,

क, ख, ग

नई दिल्ली।

1100XX

दिनांक 22.03.20XX

प्रिय मित्र,

मधुर स्मृति। मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ तथा तुम्हारी कुशलता की कामनाएँ ईश्वर से करता हूँ। पत्र लिखने का कारण यह है कि मैं तुम्हारे प्रति अपनी असीम कृतज्ञता व्यक्त करना चाहता हूँ। मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि तुमने मुझे शिमला आने का आमंत्रण दिया और मैं वहां पहुँच भी गया। जिस प्रकार तुमने मुझे शिमला की सैर कराई और मैंने प्राकृतिक सौंदर्य क आनंद लिया उस आनंद को मैं कभी भूल नहीं सकता। पर्वतीय सौंदर्य में एक अजीब सी शांति और सुख है। काश मैं भी तुम्हारे साथ हमेशा उस स्वर्गिक सौंदर्य का आनंद ले पाता।

मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ कि तुमने मुझे शिमला के दर्शनीय स्थलों की सैर कराई तथा पहाड़ों की खूबसूरती के नजारे दिखाए। अगले वर्ष ग्रीष्मावकाश में मैं फिर से पर्वतीय सौंदर्य का आनंद लेना चाहूँगा। घर में अपने माता पिताजी को मेरा प्रणाम देना और छोटी बहन को स्नेह।

 तुम्हारा अभिन्न मित्र।

 त थ द

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 14. अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

अथवा 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 14. बॉल पेनों की एक कंपनी सफल’ नाम से बाजार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

उत्तर: दान एक पुण्य 

आइए पुण्य कमाइए 

रोटरी क्लब की ओर से केरल के बाढ़पीड़ितों के लिए सहायता आपकी सहायता किसी की जिंदगी को सुरक्षित कर सकती है। तो देर किस बात की गाँधी मैदान में आकर अपना सहयोग दें. 

(सहयोग राशि कुछ भी हो सकती है) शिविर 7,8,9 अप्रैल 2019 तक ही। 

अन्य जानकारी हेतु संपर्क करें 8979645321, 011-254639 

रोटरी क्लब ऑफिस गाँधी मैदान, 

जनकपुरी नई दिल्ली। 

अथवा

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
हिन्दी
बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?

खण्ड ‘क’

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर  लिखिए। 

आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था में ही शौक हानिकारक है दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उन में अश्लीलता,  अन आस्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। छोटे बालक मानसिक रुप से परिपक्व नहीं होते। इसमें भेजो भी देखते हैं उनका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वैसी ही अपना लेते हैं  समाज शास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज के चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है । बिना समय की पाबंदी के घटकों दूरदर्शनबिल्कुल गलत है।  कैसे मान सकता विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है। 

(क)  आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?

(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव केंद्र अधिक पड़ता है और क्यों?

(ग)  दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव है?

(घ) ‘ बाल्यावस्था’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए। 

(ड) उपन्यास के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए। 

उत्तर: (क) आजकल दूरदर्शनओं के धारावाहिकों का स्तर का घटता जा रहा है उसमें दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन लता नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। 

(ख)  दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वह मानसिक रूप से परिपक्व होता है।  वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है। 

(ग)  दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव है जैसे इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है।  इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है। नजर कमजोर पड़ती है घंटो दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी कट जाती है। 

(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि विच्छेद बाल +अवस्था है

(ड़) उपयुक्त का शीर्षक दूरदर्शन के प्रभाव।

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प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और  पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

कोलाहल हो, 

या सन्नाटा, कविता सदा सृजन करती है, 

जब भी आँसू 

हुआ पराजित, कविता सदा जंग लड़ती है। 

जब भी कर्ता हुआ अकर्ता, 

कविता ने जीना सिखलाया 

यात्राएँ जब मौन हो गईं 

कविता ने चलना सिखलाया 

जब भी तम का 

जुल्म चढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है, 

जब गीतों की फसलें लुटती 

शीलहरण होता कलियों का, 

शब्दहीन जब हुई चेतना 

तब-तब चैन लुटा गलियों का 

जब कुर्सी का 

कंस गरजता, कविता स्वयं कृष्ण बनती है। 

अपने भी हो गए पराए

यूँ झूठे अनुबंध हो गए 

घर में ही वनवास हो रहा 

यूँ गूंगे संबंध हो गए।

(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सूजन करती है? स्पष्ट कीजिए। 

(ख) भाव समझाइए जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है।’ 

(ग) गलियों का चैन कब लुटता है?

(घ) “परस्पर संबंधों में दरियाँ बढ़ने लर्गी-यह भाव किस पंक्ति में आया है? 

(ङ) कविता जीना कब सिखाती है? 

अथवा 

जो बीत गई सो बात गई 

जीवन में एक सितारा था, 

माना, वह बेहद प्यारा था, 

वह डूब गया तो डूब गया। 

अंबर के आनन को देखो, 

कितने इसके तारे टूटे 

कितने इसके प्यारे छूटे, 

जो छूट गए फिर कहाँ मिले; 

पर बोलो टूटे तारों पर, 

कब अंबर शोक मनाता है? 

जो बीत गई सो बात गई। 

जीवन में वह था एक कुसुम, 

थे उस पर नित्य निछावर तुम, 

वह सूख गया तो सूख गया; 

मधुबन की छाती को देखो, 

सूखी कितनी इसकी कलियाँ, 

मुरझाई कितनी बल्लरियाँ, 

जो मुरझाई फिर कहाँ खिल, 

पर बोलो सूखे फूलों पर, 

कब मधुबन शोर मचाता है? 

जो बीत गई तो बात गई। 

(क) जो बीत गई सो बात गई से क्या तात्पर्य है। स्पष्ट कीजिए। 

(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए, और क्यों? 

(ग) “सूखे फूल’ और ‘मधुबन के प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए। 

(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है? 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा किसे माना होगा? 

उत्तर: (क) कविता हमेशा ही कठिन परिस्थितियों को हमारे अनुकूल कर नए पथ का सृजन करती है। जब आँसू पराजित हो जाते हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों से जंग लड़ती है। जब कर्ता हताश हो जाता है तो उसमें नई उमंग भरती है। कविता एक ऐसे नए सूरज को निर्माण करती है जो नया सवेरा लाता है। 

(ख) “जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है-को भाव यह है कि जब-जब अंधेरा अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियाँ अपने चरम पर होती हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा इन प्रतिकूल अंधकारमय परिस्थितियों को अपने पथ प्रदर्शक शब्दों द्वारा नया सूर्य दिखाकर उन्हें प्रतिकूल बनाती है। 

(ग) गलियों का चैन शब्दहीन निर्दय चेतना द्वारा लुटता है। 

(घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगी :- यह भाव अपने भी हो गए पराए में आया है। 

(ङ) जब कर्ता अकर्ता हो जाता है अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियों के समक्ष हार जाता है तो कविता उसे जीना सिखाती है। 

अथवा 

(क) जो बीत गई सो बात गई से तात्पर्य है कि जो बीत गया वो हमारा कल था और वह दोबारा नहीं आएगा। अतीत के दुःखों को याद कर रोने से कोई लाभ नहीं। 

(ख) अंबर की ओर रात्रि में देखना चाहिए, जब उसमें अनगिनत तारे होते हैं क्योंकि तारे प्रतिदिन टूटते हैं पर अंबर हमेशा ही वैसा का वैसा रहता है। चाहे नए तारे आए या पुराने टूटे। 

(ग) मधुबन का अर्थ बगीचा एवं सूखे फूल मधुबन में मुरझाए फूल।। 

(घ) टूटे तारों का शोक अंबर नहीं मनाता है। 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसके इर्द-गिर्द हमारी दुनियाँ घुमती है। 

खण्ड ‘ख 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 3. निर्देशानुसार किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए- 

(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) 

(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए) 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत याद है। रेखांकित उपवाक्य का भेद बदलिए) 

(घ) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। मिश्र वाक्य में बदलिए) 

उत्तर: (क) संयुक्त वाक्य मैंने उस व्यक्ति को देखा पर वह पीड़ा से कराह रहा था। 

(ख) सरल वाक्य-परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है। 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है’-प्रधान उपवाक्य 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है-प्रधान उपवाक्य 

(घ) जहाँ कश्मीरी गेटका निकाल्सन कब्रगाह तथा वहाँ उनका ताबूत उतारा गया। 

अथवा 

(घ) उनका ताबूत उतारा गया जहाँ कश्मीरी गेट का निकत्सन कब्रगाह था। 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 3.निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-

(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका।। (भाववाच्य में बदलिए) 

(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही चोषित कर दिया गया था। (कर्तवाच्य में बदलिए) 

(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ङ) घायत हंस उड़ न पाया। भाववाच्य में बदलिए। 

उत्तर. (क) कर्मवाच्य- बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थी। 

(ख) भाव वाच्य- बीमारी के कारण वह यहाँ नहीं आ सकता। 

(ग) कर्तृवाच्य-माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था। 

(घ) अवनि के द्वारा चाय बनायी गयी। 

(ङ) भाववाच्य घायल हंस उड़न सका। 

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प्रश्न5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए 

(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं। 

(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था। 

(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।

(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय में पूरा कर लेती है। 

(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता है। 

उत्तर: (क) पढ़ती है- एकवचन, क्रिया, स्त्रीलिंग 

(ख) यहाँ- सर्वनाम, स्थानवाचक क्रिया विशेषण 

(ग) वे- बहुवचन, सर्वनाम (पुरुषवाचक), कर्ता कारक। 

(घ) परिश्रमी- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, विशेषता विशेषता स्पष्ट करता है। 

(ङ) रवि- व्यक्ति वाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक। 

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प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

(क) करुण रस का एक उदाहरण लिखिए। 

(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए 

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप, 

साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप। 

घंटा भर आलाप राग में मारा गोता.

धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता। 

(क) उत्साह किस रस का स्थायी भाव है? 

(ख) वात्सल्य रस का स्थायी क्या है? 

(ग) शृंगार रस के कौनसे दो भेद हैं। 

उत्तरः करुण रस का उदाहरण उभरी नसों वाले हाथ घिसे नाखूनों वाले हाथ पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ जूही की डाल से खुशबूदार हाथ गंदे कटे-पिटे हाथ जख्म से फटे हुए हाथ खुशबू रचते हैं 

(क) हाथा 

(ख) हास्यरस 

(ग) उत्साह वीर रस का स्थायी भाव है। 

(घ) वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सल है। 

(ङ) श्रृंगार रस के दो भेद संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार 

खण्ड ‘ग’

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, बाबा। आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं। खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है. लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता?” 

(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों? 

(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता 

उत्तर: (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है, फिर भी आप यह फटी हुई तहमद (लुंगी) क्यों पहनते हो? उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था। 

(ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार थे। 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) दो उदाहरण दीजिए जिनसे आपको लग हो कि बालगोबिन भगत सामाजिक रूढ़ियों से न बँध कर प्रगतिशील विचारों का परिचय देते हैं।

(ख) नवाब साहब ने खीरा खाने की पूरी तैयारी की और उसके बाद उसे बिना खाए फेंक दिया। इस नवाबी व्यवहार पर टिप्पणी कीजिए।

(ग) फादर कामिल बुल्के के हिन्दी के प्रति लगाव के दो उदाहरण पाठ के आधार पर दीजिए।

(घ) मन्नू भण्डारी के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का प्रभाव किस रूप में पड़ा?

(ङ) कैसे कह सकते हैं कि “काशी संस्कृति की प्रयोगशाला” है? ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर:(क) जब बालगोबिन भगत के बेटे की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी पतोहू को दूसरा विवाह करने के लिए कहा। उनके विचार से पति की मृत्यु के बाद एक स्त्री के लिए अकेले जीवन बिताना बहुत ही दुखपूर्ण और चुनौती भरा कार्य है। उनका यह व्यवहार सामाजिक रूढ़ियों से न बंधकर ऊपर उठाता है। 

भगत गृहस्थ होकर भी एक साधु की परिभाषा पर खरे उतरते थे खेतीबाड़ी करते थे और जो भी खेत में अन्न उपजता उसको सबसे पहले कबीर के मठ में ले जाते और जो भी प्रसाद रूप में मिलता उसी से गुजर बसर करते।

(ख) नवाब साहब अपनी नवाबी का दिखावा कर रहे थे। उन्होंने खीरे को पहले धोया, सुखाया, छीला और फिर फॉकों में काटकर सँघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया इससे उनके दिखावटी पूर्ण जीवन का पता चलता है। कि वे खीरे को अपदार्थ और तुच्छ समझते हैं।

(ग) फादर कामिल बुल्के हिंदी वालों के द्वारा हिन्दी भाषा की उपेक्षा से बहुत दुखी होते थे। हर मंच से वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने की बात करते और हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कार्य करते। 

(घ)मन्नू भंडारी पर उनके पिता और हिन्दी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का प्रभाव पड़ा। पिता की तरह वह भी देशभक्त और आजादी के आंदोलन में भागीदारी देने वाली देशभक्त थीं। पिता की तरह ही शक्की स्वभाव और तमाम गुण मन्नू में समाहित थे।

शीला अग्रवाल ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ने को कार्य किया। मन्नू को चुनिंदा उच्च साहित्यकारों की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही घर की चारदीवारी से बाहर निकालकर उनको आंदोलन के लिए प्रेरित किया।

(ङ) काशी संस्कृति की पाठशाला है क्योंकि काशी में संगीत की एक अद्भुत परंपरा रही है। बड़े-बड़े रसिक कण्ठे महाराज ने भी यहीं सबको संस्कृति का पाठ पढ़ाया। काशी में बाबा विश्वनाथ हैं, संकटमोचक हनुमान का मंदिर है। काशी में गंगा जमुनी संस्कृति है। इसको शास्त्रों में आनंद कानन के नाम से भी जाना जाता है। 

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प्रश्न 9. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वकपढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

यश है या न वैभव है, मान है न सरमायाः 

जितनी ही दौड़ातू उतना ही भरमाया। 

प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, 

हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। 

जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन 

छाया मत छूना मन, 

होगा दुख दूना। 

(क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है ? 

(ख) कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? 

(ग) मृगतृष्णा का प्रतीकात्मक अर्थ लिखिए। 

उत्तर (क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति में कवि यह तथ्य अवगत कराना चाहते हैं कि मनुष्य को इस यथार्थको स्वीकार कर लेना चाहिए कि जीवन में सुख-दुख का चोली दामन का साथ होता है। जीवन में केवल सुख रूपी चाँदनी रातें ही नहीं अपितु दुख रूपी अमावस्या भी आती है। 

(ख) कवि ने यथार्थ पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की वास्तविकता है, इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। भविष्य को सुंदर बनाने के लिए वर्तमान में परिश्रम करना पड़ता है। 

(ग) मृगतृष्णा का शाब्दिक अर्थ है-धोखा या भ्रम रेगिस्तान में रेत के टीलों पर चिलचिलाती धूप को पानी समझकर हिरण प्यास बुझाने दौड़ता है। इसी को मृगतृष्णा कहते हैं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ भ्रमक चीजों से है जो सुख का भ्रम पैदा करती है। जो न होकर भी होने का आभास कराती है वही मृगतृष्णा है। 

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प्रश्न 10.  निम्नलिखित में से किन्हीं चीर प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए : 

(क) ‘उत्साह’ कविता में कवि बादल से क्या अनुरोध करता है?

(ख) भाव स्पष्ट कीजिए :“छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल?”

(ग) “छाया मत छूना मन’ में ‘छाया’ किसका प्रतीक है? उसे छूने को मना क्यों किया गया है?

(घ) ‘कन्यादान’ कविता का संदेश संक्षेप में लिखिए।

(ङ) मॅजे हुए प्रतिष्ठित संगीतकार को भी अच्छे संगतकार की आवश्यकता क्यों होती है?

उत्तर: (क) उत्साह कविता में कवि बादल से अनुरोध करता है। कि हे बादलो तुम गगन को चारों ओर से घेर लो, घोर अंधकार कर लो और क्रांति करो। अनंत दिशा से आकर घरघोर गर्जना करके बरसों और तपती हुई धरा को शीतल कर दो। क्रांति के द्वारा परिवर्तन ले आओ। 

(ख) कवि अपने शिशु की दंतुरित मुस्कान को देखकर कहता है कि तुम्हारे नए दाँतों के मुस्कान में एक आकर्षण है। जैसे ही मैंने तुम्हें छुआ ऐसे लगा कि शेफालिका के सफेद फूल झड़ रहे हैं। तुम्हारी मुस्कान देखकर बांस और बबूल में भी शेफालिका के जैसे फूल खिलने लगेंगे।

(ग) छाया मत छूना अतीत की स्मृतियों की प्रतीक है। कवि अतीत को याद करने से मना करता है क्योंकि अतीत को याद करके वर्तमान का दुःख दुगुना हो जाता है। हम आज के सुख को भी खो देते हैं। अतः हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और वर्तमान में जीना चाहिए और आने वाले समय को सुखी बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।

(घ) कन्यादान कविता का सन्देश यह है कि हमारे समाज में स्त्रियों के लिए कुछ प्रतिमान स्थापित कर दिए जाते हैं। समाज उनको कमजोर समझता है और अत्याचार करता है। अपने संचित अनुभव के आधार पर माँ कन्यादान के समय अपनी बेटी को शिक्षित कर रही है। ताकि समाज में वह एक उच्च सुखी जीवन जी सके और समाज की मानसिकता से वह परिचित हो सके। विवाह पश्चात् लड़की परिवार की केन्द्र बिन्दु होती है। अतः लड़की को उसके कर्तव्यों से परिचित करा रहा।

(ङ) जब कभी मँजा हुआ संगीतकार अपने सुरों के जंगल में भटक जाता है अनहद में चला जाता है तब संगतकार ही उसके सुरों को सँभालने का कार्य करता है। संगीतकार ही मुख्य संगीतकार या गायक का अस्तित्व बचाता है और स्वयं हमेशा मुख्य गायक के पीछे रहता।

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प्रश्न 11.  ‘माता का अंचल’ पाठ की दो बातों का उल्लेख कीजिए जो आपको अच्छी लगी हों। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली? 

अथवा

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प्रश्न 11. ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:‘माता का अंचल’ पाठ ग्रामीण संस्कृति के बच्चों के बचपन की एक जीवंत झलक है। इस पाठ में बच्चों के स्वच्छंद बचपन का वर्णन है कि किस प्रकार वे अपने हमजोलियों के बीच मिट्टी में ही बिना खेल खिलौनों के अपना जीवन बिताते हैं। पिताजी का भोलेनाथ के हर खेल में शामिल होना हर खेल पर अपनी बच्चों सी टिप्पणी देना बहुत अच्छा लगा। जब चूहे के बिल में से सांप निकल आया और दशहत में आकर संकट के समय भोलेनाथ का माँ के आँचल में जाकर छुप जाना बहुत अच्छा लगा। इस पाठ में गुदगुदाने वाले प्रसंग भी अनेक हैं। पिता का इस प्रकार बच्चा बन जाना बहुत सुखद अनुभव है जो सभी पाठकों को गुदगुदा देता है।

अथवा

उत्तर:‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ एक सटीक व्यंग्य है हमारे शाही तंत्र की गुलामी की मानसिकता पर जब रानी एलिजाबेथ द्वितीय भारत दौरे पर आ रही थी तो बड़े-बड़े हुक्कामों ने दिल्ली का काया पलट कर दिया। वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी के देश ने ही उन्हें कभी गुलाम बनाया था। इस निबंध में सरकारी कार्यप्रणाली पर भी व्यंग्य है। नाजनीनों की तरह दिल्ली को सजाया संवारा गया । जॉर्ज पंचम की मूर्ति से गायब नाक के लिए मूर्तिकार को नाक लगाने का आदेश दे दिया गया। मूर्तिकार हिंदुस्तान के कोने कोने में गया किन्तु मूर्ति की नाप की नाक ढूँढने में असफल रहा। 

अंत में जिंदा नाक लगाकर कार्य पूरा किया गया। यह एक जीता जागता उदाहरण है हमारे शाही तंत्र की मानसिकता पर कि किस प्रकार अपनी नाक बचाने के लिए जनता की नाक तक काट देते हैं।

खण्ड ‘घ’ 

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प्रश्न 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए 

(क) कमरतोड़ महँगाई 

  • महँगाई के कारण 
  • समाज पर प्रभाव 
  • व्यावहारिक समाधान 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

  • विकास में स्वच्छता का योगदान 
  • अस्वच्छता से हानिया 
  • रोकने के उपाय 

(ग) बदलती जीवन शैल 

  • जीवन शैली का आशय 
  • बदलाव कैसा 
  • परिणाम 

उत्तर: निबंध 

कमरतोड़ महँगाई महँगाई का अर्थ होता है वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। इस महँगाई पर ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है। मॅहगाई मनुष्य के जीवन शैली को प्रभावित करती है। आप समाज की यह प्रमुख समस्या है जिसने उच्च, मध्यम व निम्न सभी वर्गों की कमर तोड़ रखी 

महँगाई की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की गंभीर समस्या बन गई है। इस समस्या के कारण बहुत से देशों का आर्थिक स्तर घटता है। हमारा देश, भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश है। पर उस तरह की पैदावार नहीं हो पा रही है जिससे आए दिन सामानों के दाम बढ़ते हैं। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही हैं भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। ये तीनों सगी बहनें हैं। ये एक साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता है तो धनवान और धनी होते जाते हैं और गरीब बिल्कुल लगोंटी यारी हो जाते हैं। काले धन के कारण कालाबाजारी बढ़ती है। उससे मँहगाई बढ़ती है। 

हमारे देश के अमीर लोग इस मॅहगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल के शुरू-शुरू में वस्तुओं की कीमत कम रखने की परंपरा चली लेकिन व्यापरी अपनी मनमानी करते हैं, सामान्य जनता पर महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उसके पास सीमित पूँजी होती है और उसकी खरीदने की शक्ति कमजोर हो जाती है। अफसरशाही नेता, व्यापारी ये सभी मँहगाई को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। 

यदि सरकार मुद्रास्फीति पर रोक लगाए तो शायद महँगाई पर कुछ तो लगाम लग सकेगी। सरकार को अधिक पैमाने पर गांवों का विकास कर उन्हें जागरूक करना चाहिए जिससे वे आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करे और पैदावार बढ़ाए। 

हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जाएगा मॅहगाई वश में नहीं आयेगी। महँगाई को वश में करने के लिए उचित राष्ट्र नीति जरूरी है। मॅहगाई को रोकने के लिए लोगों को अपनी जमाखोरी की प्रवृत्ति छोड़नी होगी। उपभोक्ता को भी उतनी ही वस्तुएं खरीदनी चाहिए जितनी कि उसे आवश्यकता हो । दोबारा जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता को तभी सामान लेना चाहिए। इस तरह से महँगाई पर काबू रखा जा सकता है। 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

एक कदम स्वच्छता की ओर स्वच्छता आज केवल घर या मुहल्ले तक नहीं बल्कि इसका दायरा काफी बड़ा बन गया है। देश और राष्ट्र की स्वच्छता से ही वास्तविक विकास हो सकता है। जिस देश का नागरिक स्वच्छता के प्रति सजग होगा उस देश का विकास अबाध गति से होगा। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश की स्वच्छता में अपना सहयोग दें। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसमें यह प्रण लिया गया है कि प्रत्येक गली, मुहल्ला, सड़कों से लेकर शौचालय का निर्माण कराना और बुनियादी ढांचे को बदलना एवं स्वच्छता का संदेश फैलाना। 

अस्वच्छता से विभिन्न प्रकार की हनियाँ हैं। स्वच्छ वातावरण से पर्यावरण का विकास संभव है। हम सभी जानते हैं कि हमारा वातावरण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है पर इससे कुछ अंशों में युक्त। का एकमात्र साधन स्वच्छता है। जिस तरह का स्वच्छ परिवेश से वातावरण में कोई रोग-बीमारी का खतरा नहीं होगा। पहले गांवों में लोग खुले में शौच जाते थे पर इस अभियान द्वारा जनता जागरूक हो गई एवं उन्हें शौचालय का महत्व समझ में आया है। सड़कों, गलियों को स्वच्छ रखना जिससे वहाँ रहने वाले लोग स्वस्थ रहेंगे। 

हमारे पूज्यनीय गांधी जी स्वच्छता के प्रति अत्यंत जागरूक थे उन्हीं के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को इस आंदोलन से जोड़ने की मुहिम चलाई है। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमारे अभिनेता-अभिनेत्री सब स्कूल, कॉलेजों वे सरकारी कार्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। अब वह समय दूर नहीं जब हम गांधी जी के सपने को साकार कर पाएंगे। 

इसलिए हमें ‘स्वच्छ भारत अभियान में बढ़चद कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारी गली को साफ करना चाहिए। शिक्षा के प्रसार प्रचार को बढ़ावा देकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान में आप भी भागीदार बने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाएं। 

(ग) बदलती जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवन शैली को हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती बल्कि कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं दृढ़ संकल्प की कमी और अन्य कारणों द्वारा इसका पालन नहीं कर पाते स्वस्थ रहने के लिए किस प्रकार की शैली अपनाना है यह जानना ज्यादा जरूरी हैं। 

आजकल की पीढ़ी कम्यूटर मोबाइल, बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है-मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है। और इन सभी आवश्यकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो रहे हैं। इन दिनों लोग अपने दैनिक जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे भूल गए हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के क्या मायने हैं। हम स्वस्थकर आदतें अपनाकर अपनी जीवन शैली में सुधारा जा सकता है यदि हम प्रातः भ्रमण, योगा व मेडिटेशन का जीवन में समावेश करें तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो पाएगा। शरीर में अनेक शक्तियाँ निहित हैं, यदि हम उन शक्तियों को पहचान लेंगे तो हम निरोग रहेंगे। 

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प्रश्न 13. ‘पड़ोस में आग लगने की दुर्घटना की खबर तुरंत दिए जाने पर भी दमकल अधिकारी और पुलिस देर से पहुँचे जिससे आग ने भीषण रूप ले लिया। इसके बारे में विवरण सहित एक शिकायती पत्र अपने जिला अधिकारी को लिखिए। 

अथवा

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प्रश्न 13. पढ़ाई छोड़कर घर बैठे छोटे भाई को समझाते हुए पत्र लिखिए कि पढ़ना क्यों आवश्यक है। पत्र ऐसा हो कि उसमें नई उमंग का संचार हो सके।

उत्तर:

परीक्षा भवन,

क, ख, ग, आगरा।

दिनांक 25 मार्च 20XX

सेवा में,

          जिलाधिकारी,

          अ, ब, स

         आगरा  ।

विषय – दमकल अधिकारी और पुलिस की लापरवाही की शिकायत हेतु पत्र।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं च. छ. ज. क्षेत्र का निवासी इस पत्र के माध्यम से आपको दमकल विभाग और पुलिस की लापरवाही की शिकायत करना चाहता हूँ। कल मेरे पड़ोसी के यहाँ अचानक आग लग गयी, जिस कारण पड़ौसियों का घर पूरी तरह से जल कर स्वाहा हो गया।

आग लगने की घटना की जानकारी तुरंत दमकल विभाग को दी गयी परन्तु कई घण्टे तक भी दमकल की कोई गाड़ी नहीं आयी और न ही पुलिस ने आकर घटना की जानकारी ली। इतनी देर में आग की लपटें दूसरे पड़ौसियों के घर तक आकर भी फैल गयी।

दमकल विभाग के कर्मचारी समय पर आते तो इतने बड़े नुकसान को बचाया जा सकता था। आपसे अनुरोध है कि दमकल विभाग और पुलिसकर्मियों के प्रति सख्त कार्यवाही करें जो सूचना देने के बाद भी घटनास्थल पर नहीं आए।

सधन्यवाद।

भवदीय

प. फ. ब.

अथवा

उत्तर:

परीक्षा भवन

क, ख, ग

आगरा

दिनांक 22.20.20XX

प्रिय अनुज,

शुभाशीष। इस पत्र के द्वारा मैं तुम्हें पढ़ाई का महत्व समझाना चाहता हूँ मुझे मालूम हुआ है कि तुम पढ़ाई छोड़कर घर पर बैठे हो और विद्यालय भी नहीं जा रहे हो। यदि तुम विद्यालय नहीं जाओगे तो घर पर बैठकर तुम्हारा अर्जित ज्ञान भी धूमिल हो जाएगा और खाली दिमाग शैतान का घर होता है। बिना पढ़ाई के जीवन व्यर्थ है तुम अपना भविष्य बिना पढ़ाई के कैसे बना सकते हो। यदि तुम पढ़ोगे तो आगे चलकर अपने पैरों पर खड़े हो सकते हो और आत्मसम्मान आत्मविश्वास प्राप्त करोगे और जो चाहो जीवन में हासिल कर पाओगे।

आशा है कि तुम मेरी बात समझ गए होंगे और कल से नियमित रूप से विद्यालय जाओगे तथा परिश्रम करोगे। घर में माता पिताजी को मेरा दंडवत् प्रणाम देना और छोटी बहन को प्यार। 

तुम्हारा अग्रज, 

च.छ.ज.

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प्रश्न 14. अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

अथवा 

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प्रश्न 14. बॉल पेनों की एक कंपनी सफल’ नाम से बाजार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

उत्तर: दान एक पुण्य 

आइए पुण्य कमाइए 

रोटरी क्लब की ओर से केरल के बाढ़पीड़ितों के लिए सहायता आपकी सहायता किसी की जिंदगी को सुरक्षित कर सकती है। तो देर किस बात की गाँधी मैदान में आकर अपना सहयोग दें. 

(सहयोग राशि कुछ भी हो सकती है) शिविर 7,8,9 अप्रैल 2019 तक ही। 

अन्य जानकारी हेतु संपर्क करें 8979645321, 011-254639 

रोटरी क्लब ऑफिस गाँधी मैदान, 

जनकपुरी नई दिल्ली। 

अथवा

उत्तर:

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हिन्दी
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खण्ड ‘क’

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प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों का उत्तर  लिखिए। 

आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था में ही शौक हानिकारक है दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के होते हैं। उन में अश्लीलता,  अन आस्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। छोटे बालक मानसिक रुप से परिपक्व नहीं होते। इसमें भेजो भी देखते हैं उनका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है। बुरी आदतों को वैसी ही अपना लेते हैं  समाज शास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज के चारों ओर फैली बुराइयों का एक बड़ा कारण है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है । बिना समय की पाबंदी के घटकों दूरदर्शनबिल्कुल गलत है।  कैसे मान सकता विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो सकती है और तनाव बढ़ सकता है। 

(क)  आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है?

(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव केंद्र अधिक पड़ता है और क्यों?

(ग)  दूरदर्शन के क्या-क्या दुष्प्रभाव है?

(घ) ‘ बाल्यावस्था’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए। 

(ड) उपन्यास के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

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प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और  पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

कोलाहल हो, 

या सन्नाटा, कविता सदा सृजन करती है, 

जब भी आँसू 

हुआ पराजित, कविता सदा जंग लड़ती है। 

जब भी कर्ता हुआ अकर्ता, 

कविता ने जीना सिखलाया 

यात्राएँ जब मौन हो गईं 

कविता ने चलना सिखलाया 

जब भी तम का 

जुल्म चढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है, 

जब गीतों की फसलें लुटती 

शीलहरण होता कलियों का, 

शब्दहीन जब हुई चेतना 

तब-तब चैन लुटा गलियों का 

जब कुर्सी का 

कंस गरजता, कविता स्वयं कृष्ण बनती है। 

अपने भी हो गए पराए

यूँ झूठे अनुबंध हो गए 

घर में ही वनवास हो रहा 

यूँ गूंगे संबंध हो गए।

(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सूजन करती है? स्पष्ट कीजिए। 

(ख) भाव समझाइए जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है।’ 

(ग) गलियों का चैन कब लुटता है?

(घ) “परस्पर संबंधों में दरियाँ बढ़ने लर्गी-यह भाव किस पंक्ति में आया है? 

(ङ) कविता जीना कब सिखाती है? 

अथवा 

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प्रश्न 2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और  पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

जो बीत गई सो बात गई 

जीवन में एक सितारा था, 

माना, वह बेहद प्यारा था, 

वह डूब गया तो डूब गया। 

अंबर के आनन को देखो, 

कितने इसके तारे टूटे 

कितने इसके प्यारे छूटे, 

जो छूट गए फिर कहाँ मिले; 

पर बोलो टूटे तारों पर, 

कब अंबर शोक मनाता है? 

जो बीत गई सो बात गई। 

जीवन में वह था एक कुसुम, 

थे उस पर नित्य निछावर तुम, 

वह सूख गया तो सूख गया; 

मधुबन की छाती को देखो, 

सूखी कितनी इसकी कलियाँ, 

मुरझाई कितनी बल्लरियाँ, 

जो मुरझाई फिर कहाँ खिल, 

पर बोलो सूखे फूलों पर, 

कब मधुबन शोर मचाता है? 

जो बीत गई तो बात गई। 

(क) जो बीत गई सो बात गई से क्या तात्पर्य है। स्पष्ट कीजिए। 

(ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए, और क्यों? 

(ग) “सूखे फूल’ और ‘मधुबन के प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए। 

(घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है? 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा किसे माना होगा? 

खण्ड ‘ख’ 

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प्रश्न 3. निर्देशानुसार किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए- 

(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) 

(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए) 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत याद है। रेखांकित उपवाक्य का भेद बदलिए) 

(घ) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। मिश्र वाक्य में बदलिए) 

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प्रश्न 4.निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए-

(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका।। (भाववाच्य में बदलिए) 

(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही चोषित कर दिया गया था। (कर्तवाच्य में बदलिए) 

(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए) 

(ङ) घायत हंस उड़ न पाया। भाववाच्य में बदलिए। 

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प्रश्न5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए 

(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं। 

(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था। 

(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।

(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय में पूरा कर लेती है। 

(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता है। 

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प्रश्न 6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

(क) करुण रस का एक उदाहरण लिखिए। 

(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए 

तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप, 

साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप। 

घंटा भर आलाप राग में मारा गोता.

धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता। 

(क) उत्साह किस रस का स्थायी भाव है? 

(ख) वात्सल्य रस का स्थायी क्या है? 

(ग) शृंगार रस के कौनसे दो भेद हैं। 

खण्ड ‘ग’ 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, बाबा। आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं। खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है. लुंगिया पे नाहीं तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज हो पाता?” 

(क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों? 

(ख) खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता 

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प्रश्न 8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए 

(क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि क्यों कहा है? 

(ख) मन्नू भंडारी का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए। 

(ग) नेताजी का चश्मा’ पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?

(घ) बालगोबिन भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों ? 

(ङ) लखनवी अंदाज पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा? 

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प्रश्न 9. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वकपढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

यश है या न वैभव है, मान है न सरमायाः 

जितनी ही दौड़ातू उतना ही भरमाया। 

प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, 

हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है। 

जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन 

छाया मत छूना मन, 

होगा दुख दूना। 

(क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है ? 

(ख) कवि ने यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है? 

(ग) मृगतृष्णा का प्रतीकात्मक अर्थ लिखिए। 

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प्रश्न 10. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप लिखिए 

(क) संगतकार की मनुष्यता किसे कहा गया है। वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है? 

(ख) अट नहीं रही है कविता के आधार पर वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए। 

(ग) परशुराम ने अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया? 

(घ) आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? तर्क दीजिए। 

(ङ) कविने शिशु की मुस्कान को दंतरित मुस्कान क्यों कहा है? कवि के मन पर उस मुस्कान का क्या प्रभाव पड़ा? 

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प्रश्न 11. जार्ज पंचम की नाक पाठके माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है? 

अथवा 

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प्रश्न 11. सिक्किम की युवती के कथन मैं इंडियन हूँ से स्पष्ट होता है कि अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से। अधिक महत्वपूर्ण राष्ट है। आप किस प्रकार राष्ट्र के उत्तरप्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए। 

खण्ड ‘घ’ 

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प्रश्न 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए 

(क) कमरतोड़ महँगाई 

  • महँगाई के कारण 
  • समाज पर प्रभाव 
  • व्यावहारिक समाधान 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

  • विकास में स्वच्छता का योगदान 
  • अस्वच्छता से हानिया 
  • रोकने के उपाय 

(ग) बदलती जीवन शैल 

  • जीवन शैली का आशय 
  • बदलाव कैसा 
  • परिणाम 

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प्रश्न 13. गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं। जिससे आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। 

अथवा 

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प्रश्न 13.आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य को खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।  

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प्रश्न 14. अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

अथवा 

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प्रश्न 14.बॉल पेनों की एक कंपनी सफल’ नाम से बाजार में आई है। उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। 

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Answer
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खण्ड ‘क’

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प्रश्न 1.उत्तर: (क) आजकल दूरदर्शनओं के धारावाहिकों का स्तर का घटता जा रहा है उसमें दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन लता नैतिक बुराइयां ही अधिक देखने को मिलती है। 

(ख)  दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वह मानसिक रूप से परिपक्व होता है।  वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन पर अधिक पड़ता है। 

(ग)  दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव है जैसे इससे समाज में फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है।  इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन आदि दोष बढ़े है। नजर कमजोर पड़ती है घंटो दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी कट जाती है। 

(घ) ‘बाल्यावस्था’ का संधि विच्छेद बाल +अवस्था है।

(ड़) उपयुक्त का शीर्षक दूरदर्शन के प्रभाव।

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प्रश्न 2.उत्तर: (क) कविता हमेशा ही कठिन परिस्थितियों को हमारे अनुकूल कर नए पथ का सृजन करती है। जब आँसू पराजित हो जाते हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों से जंग लड़ती है। जब कर्ता हताश हो जाता है तो उसमें नई उमंग भरती है। कविता एक ऐसे नए सूरज को निर्माण करती है जो नया सवेरा लाता है। 

(ख) “जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है-को भाव यह है कि जब-जब अंधेरा अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियाँ अपने चरम पर होती हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा इन प्रतिकूल अंधकारमय परिस्थितियों को अपने पथ प्रदर्शक शब्दों द्वारा नया सूर्य दिखाकर उन्हें प्रतिकूल बनाती है। 

(ग) गलियों का चैन शब्दहीन निर्दय चेतना द्वारा लुटता है। 

(घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगी :- यह भाव अपने भी हो गए पराए में आया है। 

(ङ) जब कर्ता अकर्ता हो जाता है अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियों के समक्ष हार जाता है तो कविता उसे जीना सिखाती है। 

अथवा 

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प्रश्न 2.उत्तर: (क) जो बीत गई सो बात गई से तात्पर्य है कि जो बीत गया वो हमारा कल था और वह दोबारा नहीं आएगा। अतीत के दुःखों को याद कर रोने से कोई लाभ नहीं। 

(ख) अंबर की ओर रात्रि में देखना चाहिए, जब उसमें अनगिनत तारे होते हैं क्योंकि तारे प्रतिदिन टूटते हैं पर अंबर हमेशा ही वैसा का वैसा रहता है। चाहे नए तारे आए या पुराने टूटे। 

(ग) मधुबन का अर्थ बगीचा एवं सूखे फूल मधुबन में मुरझाए फूल।। 

(घ) टूटे तारों का शोक अंबर नहीं मनाता है। 

(ङ) आपके विचार से जीवन में एक सितारा हमारे जीवन का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जिसके इर्द-गिर्द हमारी दुनियाँ घुमती है।

खण्ड ‘ख’

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प्रश्न 3.उत्तर: (क) संयुक्त वाक्य मैंने उस व्यक्ति को देखा पर वह पीड़ा से कराह रहा था। 

(ख) सरल वाक्य-परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है। 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है’-प्रधान उपवाक्य 

(ग) वह कौन-सी पुस्तक है-प्रधान उपवाक्य 

(घ) जहाँ कश्मीरी गेटका निकाल्सन कब्रगाह तथा वहाँ उनका ताबूत उतारा गया। 

अथवा 

(घ) उनका ताबूत उतारा गया जहाँ कश्मीरी गेट का निकत्सन कब्रगाह था।

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प्रश्न 4.उत्तर. (क) कर्मवाच्य- बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थी। 

(ख) भाव वाच्य- बीमारी के कारण वह यहाँ नहीं आ सकता। 

(ग) कर्तृवाच्य-माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था। 

(घ) अवनि के द्वारा चाय बनायी गयी। 

(ङ) भाववाच्य घायल हंस उड़न सका। 

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प्रश्न 5.उत्तर: (क) पढ़ती है- एकवचन, क्रिया, स्त्रीलिंग 

(ख) यहाँ- सर्वनाम, स्थानवाचक क्रिया विशेषण 

(ग) वे- बहुवचन, सर्वनाम (पुरुषवाचक), कर्ता कारक। 

(घ) परिश्रमी- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, विशेषता विशेषता स्पष्ट करता है। 

(ङ) रवि- व्यक्ति वाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक। 

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प्रश्न 6.उत्तरः करुण रस का उदाहरण उभरी नसों वाले हाथ घिसे नाखूनों वाले हाथ पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ जूही की डाल से खुशबूदार हाथ गंदे कटे-पिटे हाथ जख्म से फटे हुए हाथ खुशबू रचते हैं 

(क) हाथा 

(ख) हास्यरस 

(ग) उत्साह वीर रस का स्थायी भाव है। 

(घ) वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सल है। 

(ङ) श्रृंगार रस के दो भेद संयोग श्रृंगार और वियोग श्रृंगार 

खण्ड ‘ग’

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प्रश्न 7.उत्तर: (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है, फिर भी आप यह फटी हुई तहमद (लुंगी) क्यों पहनते हो? उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था। 

(ख) खाँ साहब ने नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे भारतरत्न’ शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर। मैंने बनाव सिंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान दिया है। 

(ग) इससे खाँ साहब के स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों में सच्चे कलाकार थे। 

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प्रश्न 8.उत्तर: (क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व देशवासियों के प्रति समर्पित था। जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि पवित्र होती है तथा उसके ताप में उष्णता होती है उसी प्रकार फादर बुल्के को याद करना शरीर और मन में ऊष्मा, उत्साह तथा पवित्र भावे भर देता है। अतः फादर की स्मृति किसी यज्ञ की पवित्र आगे और उसकी लौ की तरह आजीवन बनी रहेगी। 

(ख) मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच वैचारिक रूप से काफी मतभेद थे। उनके पिता अहंकारी, क्रोधी, शक्की तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहने वाले व्यक्ति थे। यद्यपि वे आधुनिकता के समर्थक थे, वे स्त्रियों की प्रतिभा एवं क्षमता को समझते तथा । उनका सम्मान भी करते थे पर उनकी यह सारी भावना उनके दकियानूसी विचारों के तले दब जाती थी। लेखिका उनकी इन खामियों पर झल्लाती थी। वे लेखिका को घर-गृहस्थी के कार्यों से दूर रखकर जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे, घर में राजनैतिक जमाबड़ो में भाग लेने की सीख देते थे पर घर के बाहर सक्रिय भागीदारी के विरूद्ध थे। इसके कारण वे पिता की दी हुई सीमित आजादी के दायरे में बँधना नहीं चाहती थी, वे आजाद ख्यालों की थी जिस कारण पिता-पुत्री में मतभेद होना स्वाभाविक था। इतना ही नहीं पिता पुत्री के विचारों को मतभेद विवाह के विषय में भी था। लेखिका राजेन्द्र के साथ विवाह करना चाहती थी परंतु पिता इसका विरोध करते थे। इन्हीं कारणों से लेखिका की अपने पिता के साथ वैचारिक टकराहट थी। 

(ग) नेताजी का चश्मा पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि हमारी आने वाली भावी पीड़ी में भी देशभक्ति की भावना है। इस देश के नव निर्माण में न केवल युवा बल्कि बच्चा बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर हैं। देशभक्त कैप्टन मरकर भी इस कस्बे के बच्चों में जिंदा हैं। 

(घ) बालगोबिन भगत का अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ अत्यंत आत्मीय व्यवहार था। वे जानते थे कि इसे अधिक प्रेम की आवश्यकता है। क्योंकि ऐसे बच्चों को विशेष सेह व देखभाल की जरूरत होती है। यदि ऐसे बच्चों को तिरस्कार व अपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा 

(ङ) लेखक ने सेकंड क्लास का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक का अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली होगा, जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकांत में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे। 

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प्रश्न 9.उत्तर (क) हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है- इस पंक्ति में कवि यह तथ्य अवगत कराना चाहते हैं कि मनुष्य को इस यथार्थको स्वीकार कर लेना चाहिए कि जीवन में सुख-दुख का चोली दामन का साथ होता है। जीवन में केवल सुख रूपी चाँदनी रातें ही नहीं अपितु दुख रूपी अमावस्या भी आती है। 

(ख) कवि ने यथार्थ पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की वास्तविकता है, इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। भविष्य को सुंदर बनाने के लिए वर्तमान में परिश्रम करना पड़ता है। 

(ग) मृगतृष्णा का शाब्दिक अर्थ है-धोखा या भ्रम रेगिस्तान में रेत के टीलों पर चिलचिलाती धूप को पानी समझकर हिरण प्यास बुझाने दौड़ता है। इसी को मृगतृष्णा कहते हैं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ भ्रमक चीजों से है जो सुख का भ्रम पैदा करती है। जो न होकर भी होने का आभास कराती है वही मृगतृष्णा है। 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 10.उत्तर: (क) संगतकार की मनुष्यता अपने स्वर को अधिक न उठाने की कोशिश करना ही मनुष्यता है। अपने स्वर को अधिक ऊँचा न उठाना उसकी इंसानियत है। वह अपनी मनुष्यता बनाए रखने के लिए कभी भी मुख्य गायक को अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता। वह अपने राग के माध्यम से मुख्य गायकको यह भी बता देता है कि पहले गाया गया राग फिर से भीगाया जा सकता है। वह गाते समय यह कोशिश करता है कि उसका स्वर मुख्य गायक के स्वर से किसी भी हालत में ऊँचा न उठ जाय। 

(ख) वसंत ऋतु ऋतुओं का राजा है। इस ऋतु में प्रकृति ही निराला सौन्दर्य है। इस ऋतु में उद्यान में रंग-बिरंगे पुष्प दिखाई देते हैं। इस समय खेतों में गेहूँ, सरसों की फसलें कटने को तैयार हो जाती है। पीली सरसों की शोभा देखते ही बनती है, इस ऋतु को होली का । संदेशवाहक भी कहा जाता है क्योंकि बसंत ऋतु में ही रंगों का त्योहार होली मनायी जाती है। राग और रंग इसके प्रमुख अंग हैं। यह त्योहार वसंत पंचमी को आरम्भ हो जाता है। चारों ओर सौन्दर्य राशि बिखरी हई प्रतीत होती है। 

(ग) परशुराम ने लक्ष्मण को डराते हुए सभा में बताया कि मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ और अत्यंत क्रोधी स्वभाव का हूँ। मैं क्षत्रियों के कुल का संहारक हूँ। यह बात इस विश्व में सभी जानते थे कि मैंने अनेक बार सम्पूर्ण पृथ्वी को राजाओं से विहीन कर दिया है तथा पृथ्वी ब्राह्मणों को दान में दे दी है। मेरा फरसो बहुत भयानक है। इसी से मैंने सहस्रबाह की भुजाओं को काटकर शरीर से अलग कर दिया था। इस फरसे की भयंकरता को देखकर गर्भवती स्त्रियों के बच्चे गर्भ में ही मर जाते हैं। 

(घ) जब कोई वस्तु दान कर दी जाती है, तो वह अपनी नहीं रहती। इस सन्दर्भ में वस्तुएँ दान की जाती हैं। और कन्या कोई वस्तु नहीं है। परन्तु यदि उसका दान कर भी दिया जाता है, तो उससे सम्बन्धविच्छेद नहीं होता वह फिर भी अपने माता-पिता की लाड़ली रहती है तथा समय-समय पर अपने मायके आती जाती रहती है। आज समाज में लड़का व लड़की को समान अधिकार प्राप्त है। इस प्रकार हमारी दृष्टि में कन्या के साथ दान शब्द का कोई औचित्य नहीं है। हर माता-पिता कन्या के सुंदर भविष्य की कामना करते हैं, इसलिए वे इसे इस काबिल बना देते हैं कि उसका अपना अस्तित्व हो। 

(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान इसलिए कहा है क्योंकि छोटे बच्चे के नए-नए दाँतों से झलकती लुभावनी मुस्कान मन मोह लेती है। बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे की मोहक मुस्कान कवि के हृदय को प्रसन्नता से भर देती है। उसे लगता है कि जैसे कमल तालाब को छोड़कर उसकी झोंपड़ी में आकर खिल गया हो। कवि का हृदय बच्चे की मुस्कान को देखकर आह्लादित हो जाता है। 

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प्रश्न 11.उत्तर: (क) जार्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर लेखक ने समाज एवं देश की बदहाल स्थितियों पर करारा व्यंग्य किया गया है। इस पाठ में दर्शाया गया है कि अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोगों की औपनिवेशक दौर की मानसिकता के शिकार हैं। नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जबकि कटी हुई नाक अपमान का प्रतीक है। जार्ज पंचम की नाक अर्थात् सम्मान एक साधारण भारतीय की नाक से भी छोटी (कम) है, फिर भी सरकारी अधिकारी उनकी नाक बचाने के लिए जी जान से लगे रहे। अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जार्ज पंचम की नाक लगा दी गई। केवल दिखावे के लिए या दूसरों को खुश करने के लिए अपनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया भारतीय जनता के आत्मसम्मान पर प्रहार दर्शाती है। इसमें सत्ता से जुड़े लोगों की मानसिकता पर व्यंग्य है। 

अथवा 

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प्रश्न 11.उत्तर:जिस प्रकार सिक्किम की युवती के कथन में मैं इंडियन हूँ से स्पष्ट होता है कि वे जाति, धर्म, संप्रदाय से कहीं अधिक राष्ट्र होता है। उसी प्रकार हम भी अपने राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करेंगे। हम आजकल कई पर्यटन स्थलों में लोग आधुनिकता के रंग में रंगी हुई, प्रकृति को जाने-अनजाने नष्ट कर रहे हैं। वहाँ के सौंदर्य को नष्ट कर रहे हैं। इसे रोकना होगा नहीं तो हम प्रकृति के सौंदर्य से वंचित रहेंगे। हमें एक जागरूक नागरिक होने के नाते जन-जन में स्वच्छता का संदेश देना होगा। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने, पेड़ों को न काटने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों एव उपकरणों के कम से कम प्रयोग आदि के प्रति जागरूक करने का प्रयास करेंगे।

खण्ड ‘घ’

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प्रश्न 12.उत्तर: निबंध 

कमरतोड़ महँगाई महँगाई का अर्थ होता है वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। इस महँगाई पर ही पूरे देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है। मॅहगाई मनुष्य के जीवन शैली को प्रभावित करती है। आप समाज की यह प्रमुख समस्या है जिसने उच्च, मध्यम व निम्न सभी वर्गों की कमर तोड़ रखी 

महँगाई की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की गंभीर समस्या बन गई है। इस समस्या के कारण बहुत से देशों का आर्थिक स्तर घटता है। हमारा देश, भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश है। पर उस तरह की पैदावार नहीं हो पा रही है जिससे आए दिन सामानों के दाम बढ़ते हैं। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही हैं भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। ये तीनों सगी बहनें हैं। ये एक साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार बढ़ता है तो धनवान और धनी होते जाते हैं और गरीब बिल्कुल लगोंटी यारी हो जाते हैं। काले धन के कारण कालाबाजारी बढ़ती है। उससे मँहगाई बढ़ती है। 

हमारे देश के अमीर लोग इस मॅहगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल के शुरू-शुरू में वस्तुओं की कीमत कम रखने की परंपरा चली लेकिन व्यापरी अपनी मनमानी करते हैं, सामान्य जनता पर महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। उसके पास सीमित पूँजी होती है और उसकी खरीदने की शक्ति कमजोर हो जाती है। अफसरशाही नेता, व्यापारी ये सभी मँहगाई को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं। इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। 

यदि सरकार मुद्रास्फीति पर रोक लगाए तो शायद महँगाई पर कुछ तो लगाम लग सकेगी। सरकार को अधिक पैमाने पर गांवों का विकास कर उन्हें जागरूक करना चाहिए जिससे वे आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करे और पैदावार बढ़ाए। 

हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में नहीं किया जाएगा मॅहगाई वश में नहीं आयेगी। महँगाई को वश में करने के लिए उचित राष्ट्र नीति जरूरी है। मॅहगाई को रोकने के लिए लोगों को अपनी जमाखोरी की प्रवृत्ति छोड़नी होगी। उपभोक्ता को भी उतनी ही वस्तुएं खरीदनी चाहिए जितनी कि उसे आवश्यकता हो । दोबारा जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता को तभी सामान लेना चाहिए। इस तरह से महँगाई पर काबू रखा जा सकता है। 

(ख) स्वच्छ भारत अभियान 

एक कदम स्वच्छता की ओर स्वच्छता आज केवल घर या मुहल्ले तक नहीं बल्कि इसका दायरा काफी बड़ा बन गया है। देश और राष्ट्र की स्वच्छता से ही वास्तविक विकास हो सकता है। जिस देश का नागरिक स्वच्छता के प्रति सजग होगा उस देश का विकास अबाध गति से होगा। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपने देश की स्वच्छता में अपना सहयोग दें। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसमें यह प्रण लिया गया है कि प्रत्येक गली, मुहल्ला, सड़कों से लेकर शौचालय का निर्माण कराना और बुनियादी ढांचे को बदलना एवं स्वच्छता का संदेश फैलाना। 

अस्वच्छता से विभिन्न प्रकार की हनियाँ हैं। स्वच्छ वातावरण से पर्यावरण का विकास संभव है। हम सभी जानते हैं कि हमारा वातावरण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है पर इससे कुछ अंशों में युक्त। का एकमात्र साधन स्वच्छता है। जिस तरह का स्वच्छ परिवेश से वातावरण में कोई रोग-बीमारी का खतरा नहीं होगा। पहले गांवों में लोग खुले में शौच जाते थे पर इस अभियान द्वारा जनता जागरूक हो गई एवं उन्हें शौचालय का महत्व समझ में आया है। सड़कों, गलियों को स्वच्छ रखना जिससे वहाँ रहने वाले लोग स्वस्थ रहेंगे। 

हमारे पूज्यनीय गांधी जी स्वच्छता के प्रति अत्यंत जागरूक थे उन्हीं के सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर 2014 को इस आंदोलन से जोड़ने की मुहिम चलाई है। इस आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए हमारे अभिनेता-अभिनेत्री सब स्कूल, कॉलेजों वे सरकारी कार्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। अब वह समय दूर नहीं जब हम गांधी जी के सपने को साकार कर पाएंगे। 

इसलिए हमें ‘स्वच्छ भारत अभियान में बढ़चद कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारी गली को साफ करना चाहिए। शिक्षा के प्रसार प्रचार को बढ़ावा देकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान में आप भी भागीदार बने लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाएं। 

(ग) बदलती जीवन शैली स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवन शैली को हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती बल्कि कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं दृढ़ संकल्प की कमी और अन्य कारणों द्वारा इसका पालन नहीं कर पाते स्वस्थ रहने के लिए किस प्रकार की शैली अपनाना है यह जानना ज्यादा जरूरी हैं। 

आजकल की पीढ़ी कम्यूटर मोबाइल, बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है-मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है। और इन सभी आवश्यकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो रहे हैं। इन दिनों लोग अपने दैनिक जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे भूल गए हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के क्या मायने हैं। हम स्वस्थकर आदतें अपनाकर अपनी जीवन शैली में सुधारा जा सकता है यदि हम प्रातः भ्रमण, योगा व मेडिटेशन का जीवन में समावेश करें तो हमारा स्वास्थ्य अच्छा हो पाएगा। शरीर में अनेक शक्तियाँ निहित हैं, यदि हम उन शक्तियों को पहचान लेंगे तो हम निरोग रहेंगे। 

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प्रश्न 13.उत्तर: पत्र

सेवा में, 

            थानाध्यक्ष महोदय, 

            तिलक नगर थाना, 

            नई दिल्ली-110018 

दिनांक-23 मार्च 20xx 

विषय-अपराधों की रोकथाम के संदर्भ में। 

माननीय महोदय, 

मैं दिल्ली के तिलक नगर का रहने वाला हूँ। मुझे अत्यंत दु:ख के साथ आपको सूचित करना पड़ रहा है कि हमारी कॉलोनी में दिन प्रतिदिन अपराध बढ़ रहे हैं। पहले यह कॉलोनी शांतिप्रिय थी पर अब यहाँ हम भय में जीवन जी रहे हैं। महिलाएँ तो घर से निकलने में कतराती हैं। कुछ सप्ताह पहले दो महिलाओं का किसी राह चलते लूटेरे ने पर्स छीन लिया और कल तो हद ही हो गई घर के सामने किसी काम से मेरी माता जी खड़ी थीं वहाँ राह चलते किसी ने उनकी चेन खींचकर ही भाग गया। घर के सदस्य उसके पीछे भागे परंतु वह तेजी से नौ दो ग्यारह हो गया। पुरे क्षेत्र में चोरी व छीनने की घटनाओं के कारण भय का माहौल हैं। लोग घर से निकलने में भी कतराते हैं। 

अत: आप से विनम्र निवेदन है कि हमारी उचित सुरक्षा का प्रबंध करे व प्रतिदिन पुलिस की गश्त लगाते रहे। इससे हमें सुरक्षा का भाव मिले। 

धन्यवाद, 

भवदीय, 

अ.ब.स 

अथवा 

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प्रश्न 13.उत्तर:

परीक्षा भवन, 

नई दिल्ली 

दिनांक 23 मार्च 20xx 

प्रिय मित्र नीरज, 

सस्नेह अभिवादन, मैं कुशलतापूर्वक दिल्ली पहुँच गया हूँ। आशा है तुम भी ठीक होंगे। बहुत बहुत धन्यवाद मित्र। इस ग्रीष्मकाल के अवकाश को तुमने यादगार बना दिया। मैंने स्वपन में भी इस तरह का नजारा नहीं देखा जो तुमने मुझे शिमला में दिखाया। तुम्हारे व तुम्हारे परिवार के सहयोग द्वारा ही हमारी यह मात्रा यादगार बनी। सच में तुम तो प्रकृति की गोद में ही रहते हो। इतना सुंदर दृश्य तुमने हमें पहाड़ियों से दिखाया जैसे स्वर्ग हो। मैं अपने शब्दों द्वारा भी उस प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन नहीं कर सकता। यहाँ आकर के मुझे दोबारा तुम्हारे साथ बिताए गए समय का स्मरण हो रहा है। मेरे माता-पिता जी भी तुम्हारे व तुम्हारे परिवार वालों को याद कर रहे हैं। मेरी माता तो तुम्हारी माता जी की मित्र ही बन गई थी। सच में दो परिवारों के साथ मिलकर की गई यात्रा यादगार ही बन जाती है। आशा है तुम भी परिवार सहित दिल्ली आओ तो हम सभी साथ मिलकर मथुरा-वृंदावन घूमने चलेंगे। चाचा जी व चाची जी को मेरा प्रणाम कहना एवं बहन को स्नेह देना। तुमसे पुनः मिलने की आशा में।

तुम्हारा मित्र ऋषि

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प्रश्न 14.उत्तर: दान एक पुण्य 

आइए पुण्य कमाइए 

रोटरी क्लब की ओर से केरल के बाढ़पीड़ितों के लिए सहायता आपकी सहायता किसी की जिंदगी को सुरक्षित कर सकती है। तो देर किस बात की गाँधी मैदान में आकर अपना सहयोग दें. 

(सहयोग राशि कुछ भी हो सकती है) शिविर 7,8,9 अप्रैल 2019 तक ही। 

अन्य जानकारी हेतु संपर्क करें 8979645321, 011-254639 

रोटरी क्लब ऑफिस गाँधी मैदान, 

जनकपुरी नई दिल्ली। 

अथवा

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हिन्दी
बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?

खण्ड ‘क’  

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांश पढ़िए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए। [5] निस्संदेह यह फैशन विद्यार्थियों के लिए महँगा सौदा है। वे घरवालों के लिए समस्या बन जाते हैं। अध्यापक उन्हें सिर दर्द समझते हैं। समाज जो उन्हें भावी भारत समझता है उसकी आशाएँ निराधार हो जाती हैं, क्योंकि बचपन की चंचलता के कारण सस्ती भावना में भटककर वे अपने बहुमूल्य उद्देश्य विद्या को भूल जाते हैं। हमारी वेशभूषा का अच्छा या बुरा प्रभाव दूसरों की अपेक्षा हम पर अधिक पड़ता है। उसका प्रभाव हमारी भौतिक उन्नति पर ही नहीं, चरित्र पर भी पड़ता है। अंग्रेजी के प्रसिद्ध विचारक और लेखक एमर्सन का कहना है कि सौम्य वेश से जो आत्मशांति मिलती है, वह धर्म से भी नहीं मिलती। सौम्य वेशधारी छात्र अपने मार्ग से भटकता नहीं है। उसका ध्यान केवल और केवल लक्ष्य पर केन्द्रित रहता है और ऐसे ही लोगों की आज जरूरत है, ताकि हमारा देश उन्नति की ओर निरन्तर अग्रसर रहे। 

(i) आत्मशान्ति मिलती है: 

    (क) धर्म से 

    (ख) सेवा से 

   (ग) सौम्य वेश से 

   (घ) फैशन से 

(ii) विद्यार्थी का बहुमूल्य उद्देश्य है: 

   (क) धन कमाना। 

   (ख) विद्या प्राप्ति

   (ग) फैशन करना 

   (घ) महंगा सौदा 

(ii) उसका प्रभाव हमारे चरित्र पर पड़ता है : 

   (क) हमारी चंचलता का 

   (ख) भावना का 

    (ग) स्वभाव का

   (घ) वेशभूषा का 

(iv) ‘बुरा प्रभाव में बुरा किस प्रकार का विशेषण हैं? 

   (क) परिमाणवाचक 

   (ख) सार्वनामिक 

   (ग) गुणवाचक

   (घ) गणनावाचक 

(v) “भौतिक शब्द में मूलशब्द तथा प्रत्यय है :

   (क) भूत + इक 

   (ख) भौत + इक 

   (ग) भू+तिक 

   (घ) भूति+क 

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प्रश्न 2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए। 

जब व्यक्ति स्वावलंबी होगा, उसमें आत्मनिर्भरता होगी, तो ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे वह न कर सके। स्वावलंबी मनुष्य के सामने कोई भी कार्य आ जाए, तो वह अपने दृढ़ विश्वास से अपने आत्मबल से उसे अवश्य ही संपूर्ण कर लेगा। स्वावलंबी मनुष्य जीवन में कभी भी असफलता का मुँह नहीं देखता। वह जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर कामयाब होता जाता है। सफलता तो स्वावलंबी मनुष्य की दासी बनकर रहती है। जिस व्यक्ति का स्वयं अपने आप पर ही विश्वास नहीं वह भला क्या कर पाएगा? 

परंतु इसके विपरीत जिस व्यक्ति में आत्मनिर्भरता होगी, वह कभी किसी के सामने नहीं झुकेगा। वह जो करेगा सोच-समझ कर धैर्य से करेगा। मनुष्य में सबसे बड़ी कमी स्वावलंबन का न होना है। सबसे बड़ा गुण भी मनुष्य की आत्मनिर्भरता ही है। 

(i) गद्यांश के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा गुण माना गया 

    (क) आत्मनिर्भरता 

    (ख) मधुर भाषण 

    (ग) स्पष्टवादिता 

    (घ) सत्यवादिता 

(ii) स्वावलंबी व्यक्ति द्वारा किसी काम को कर डालने का मूल आधार होता है उसका 

    (क) दृढ़ विश्वास और विवेक। 

    (ख) स्पष्टवादिता और विवेक 

    (ग) आत्मबल और दृढ़ विश्वास। 

    (घ) सत्यवादिता और आत्मबल। 

(iii) स्वावलंबी व्यक्ति की दासी होती है 

    (क) असफलता 

    (ख) याचकता 

    (ग) दरिद्रता 

    (घ) सफलता 

(iv) आत्मनिर्भर व्यक्ति को सहज गुण है कि वह 

    (क) धैर्यपूर्वक काम करता है। 

    (ख) प्रेमपूर्वक रहता है।

    (ग) सोच-समझकर धैर्य से काम करता है। 

    (घ) अपने विवेक से सुखी रहता है। 

(v) “कामयाब” शब्द है 

    (क) तत्सम 

    (ख) तद्रव 

    (ग) देशज 

    (घ) आगत  

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प्रश्न 3. निम्नलिखित पद्यांश पढ़े तथा नीचे दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखें : 

यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना, जब असम्भव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना, तू इसे अच्छा समझ, यात्रा सरल इससे बनेगी, सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना, हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है, तू इसी पर आज अपने चित्त का अपधान कर ले, पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दें हृदय में, देखते सब हैं इन्हें उसकी उमर अपने समय में, और तू कर यत्न भी तो मिल नहीं सकती सफलता, ये उदय होते लिए कुछ ध्येय नयनों के लिये, किन्तु जग के पथ पर यदि स्वप्न दो तो सत्य दो सौ, स्वप्न पर ही मुग्धा हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले, पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। 

(i) हर सफल व्यक्ति किस ध्येय को अपनाकर सफल हुआ 

    (क) दृढ़ निश्चय 

    (ख) निरन्तर परिश्रम 

    (ग) आशावादिता

    (घ) विश्वास 

(ii) स्वप्न पर ही मुग्धा मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले, पंक्ति का आशय बताइए 

    (क) हमें अच्छे-अच्छे स्वप्न देखने चाहिए 

    (ख) स्वप्नों से मोहित न होकर वास्तविकता का ज्ञान करना चाहिए 

    (ग) हमें स्वप्न भी देखने चाहिए तथा सत्य का ज्ञान भी करना चाहिए। 

    (घ) इनमें से कोई नहीं 

(iii) बटोही और बाट से यहाँ क्या तात्पर्य है 

    (क) रास्ता और राहगीर 

    (ख) लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील मनुष्य और उसका लक्ष्य मार्ग 

    (ग) मार्ग पर चलने वाला पथिक

    (घ) पथिक और रास्ता 

(iv) “कौन कहता है कि स्वप्नों को पंक्ति में अलंकार निर्देश कीजिए 

    (क) अनुप्रास 

    (ख) श्लेष 

    (ग) उपमा 

    (घ) रूपक 

(v) उपर्युक्त का उचित शीर्षक दीजिए। 

    (क) बटोही 

    (ख) बाट 

    (ग) स्वप्न और सत्य

    (घ) सफलता 

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प्रश्न 4. निम्नलिखित पद्यांश पढ़े तथा नीचे दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखें 

आओ मिलें सब देश बांधव हार बनकर देश के 

साधक बने सब प्रेम से सुख शांतिमय उद्देश्य के 

क्या सांप्रदायिक भेद से है ऐक्य मिट सकता अहो? 

बनती नहीं क्या एक माला विविधा सुमनों की कहो। 

रखो परस्पर मेल, मनसे छोड़कर अविवेकता, 

मन का मिलन ही है, होती उसी से एकता। 

सब बैर और विरोध का बल बोध से वरण करो।

है भिन्नता में खिन्नता ही, एकता धारण करो। 

है कार्य ऐसा कौन सा साधो न जिसको एकता, 

देती नहीं अद्भुत अलौकिक शक्ति किसको एकता। 

दो एक एकादश हुए किसने नहीं देखे सुने, 

हाँ, शून्य के भी योग से हैं अंक होते दश गुने। 

(i) कवि किस प्रकार देशवासियों से मिलने की बात कर रहा 

    (क) विविध पुष्पों के हार के रूप में 

    (ख) सुख-शांति प्राप्त करने के लिए 

    (ग) संगठित हो जाने के लिए 

    (घ) फूलों का हार भेंट करके 

(ii) देशवासियों के लिए एकता ही वरेण्य है, क्योंकि

    (क) एकता से अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है। 

    (ख) एकता से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। 

    (ग) देश में एकता स्थायी नहीं रह सकती 

    (घ) (क) व (ख) दोनों ही 

(iii) साम्प्रदायिक विविधता की तुलना की है 

    (क) देश में अनेक संप्रदाय फैले हैं। 

    (ख) अनेक प्रकार के फूलों से बनी माला से 

    (ग) धर्म संप्रदाय सुन्दर फूलों जैसे हैं। 

    (घ) उपयुक्त में से कोई नहीं 

(iv) ‘दो एक एकादश हुए पंक्ति मुहावरे का काव्यात्मक प्रयोग है, वह मुहावरा है 

    (क) दो और दो चार है। 

    (ख) एक और एक ग्यारह हैं। 

    (ग) दो और एक एकादश होते हैं। 

    (घ) संगठन से ताकत आती है। 

(v) उपयुक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक विकल्पों से छाँटिए।’ 

    (क) फूलों का हार 

    (ख) अनेकता में एकता 

    (ग) देश-बांधव

    (घ) सांप्रदायिक सद्भाव 

खण्ड ‘ख’

(व्यावहारिक व्याकरण) 

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प्रश्न 5. निम्नलिखित वाक्यों के रचना के आधार पर भेद लिखिए-

(क) सरला अपने घर में बैठकर ही पढ़ती रहती है। 

(ख) ज्यों ही घंटी बजी त्यों ही सभी छात्र घरों की ओर चल पड़े। 

(ग) कठिन परिश्रम करो और पास होकर दिखाओ 

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प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्यों में निर्देशानुसार वाच्य-परिवर्तन कीजिए। 

(क) रामचन्द्र रोज रामायण पढ़ता है। (कर्मवाच्य में) 

(ख) सुरेन्द्र द्वारा फुटबाल खेला जाता है। (कर्तृवाच्य में) 

(ग) जगदीश तो रो भी नहीं सका।। (भाववाच्य में)

(घ) श्यामसुंदर के घर कल कौन गीता पढ़ रहा था? (कर्मवाच्य में) 

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प्रश्न 7. निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए।

(क) भूषण वीर रस के कवि थे। 

(ख) वह अपनी कक्षा का मॉनीटर है। 

(ग) धीरे-धीरे जाओ औरबाजार से पेन ले आओ। 

(घ) हमेशा तेज चला करो। 

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प्रश्र 8. निम्न प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए : 

(क) रौद्र रस का आलम्बन विभाव लिखिए। 

(ख) श्रृंगार रस का उद्दीपन विभाव लिखिए। 

(ग) राम को रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परिछाही में रस बताइये। 

(घ) रीझहिं राजकुंवरि छवि देखी, इनहिं बरहि हरि जानि विशेखी में रस का उल्लेख कीजिए। 

खण्ड ‘ग’  

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प्रश्न 9. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। 

जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अन्त में इस निष्कर्ष पर पहुँचे चल कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है वरना तो देशभक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है। दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजरे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अन्तरे दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। पहले मोटे फ्रेमवाला चौकोर चश्मा था. अब तार के फ्रेमवाला गोल चश्मा है। हालदार साहब का कौतुक और बढ़ा। वाह भई! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है। 

(क) हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और उन्हें इसमें उनके किस भाव की अनुभूति हुई? 

(ख) दूसरी बार उधर से जाने पर हालदार साहब को मूर्ति में क्या अंतर दिखाई दिया और इससे उन्हें कैसा लगा? 

(ग) गद्यांश के पाठ का तथा लेखक का नाम लिखिए। 

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प्रश्न 10. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए 

(क) बालगोबिन भगत बेटे की मृत्यु पर रोती हुई पतोहू से उत्सव मनाने को क्यों कह रहे थे? इस संदर्भ में उनका दर्शन किससे प्रभावित था? 

(ख) नवाब के थककर लेट जाने का कारण लेखक ने क्या बताया? 

(ग) लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक क्यों कहा है? 

(घ) मूर्ति के असली चश्मे के विषय में हालदार साहब की जिज्ञासा का पान वाले ने क्या कहकर समाधान किया? उस समाधान से चश्मा बदलने वाले के प्रति हालदार साहब की कैसी विचारधारा बनी और उन्होंने आज के लोगों तथा कौम के प्रति क्या चिंता प्रकट की? 

(ङ) बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद पतोहू के साथ कैसा व्यवहार किया? उनके इस व्यवहार को आप कहाँ तक उचित मानते हैं?

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प्रश्न 11. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए फसल क्या है? 

और तो कुछ नहीं है 

वह नदियों के पानी का जादू है वह, 

हाथों के स्पर्श की महिमा है 

भूरी-काली-संदली मिट्टी का गुण-धर्म है 

रूपांतर है सूरज की किरणों का

सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का। 

(क) फसल नदियों के पानी का जादू किस तरह है? स्पष्ट कीजिए। 

(ख) फसल किसको गुण-धर्म होता है और किस तरह? 

(ग) हवा फसल को ऑक्सीजन देकर उसे बढ़ने में सहयोग देती है। 

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प्रश्न 12. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए। 

(क) “मदन महीप जूको बालक बसंत ताहि’ में प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए तथा पंक्ति का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

(ख) कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है?

(ग) कवि को बच्चे की मुस्कान किस वशता में और अधिक शोभाशाली लग उठती है? “यह दंतुरित मुसकान पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

(घ) “कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो” पंक्ति में किसकी विशिष्टता व्यंजित हुई है? बताइए कि वह उसकी कौन-सी खूबी है जिससे घर-घर भर जाता है? अट नहीं रही है कविता के आधार पर उत्तर दीजिए। 

(ङ) सूरदास की काव्य-भाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए?

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प्रश्न 13. “छाती पर चढ़कर बाप की पूँछे उखाड़ता हुआ छोटा बच्चा बुरा क्यों नहीं लगता।” “माता का आँचल पाठ के आधार पर इस तथ्य का विश्लेषण करते हुए बताइए कि पिता बच्चों का लालन-पालन कैसे करते हैं।

खण्ड ‘घ’  

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प्रश्र 14 दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए। 

मेरा भारत, 

• भूमिका 

• भारत की परंपराएं 

• ज्ञानी तथा जगत्गुरु 

• विश्व का आकर्षण 

• विविधता में एकता, 

• आजादी 

• कल्पनाएं 

• उपसंहार 

अथवा 

विद्यार्थी जीवन के लक्ष्य 

• भूमिका . विद्यार्थी जीवन की आवश्यकताएँ 

• व्यसनों से दूरी 

• विद्यार्थी की लक्ष्य केंद्रिकता 

• उपसंहार 

अथवा 

प्रकृति से छेड़खानी 

• भूमिका 

• छेड़खानी के स्वरूप 

• बढ़ता प्रदूषण 

• सुरक्षा और संरक्षण के उपाय 

• उपसंहार  

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प्रश्न 15. अपनी योग्यता तथा खेलों में रुचि का परिचय देते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय को विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर आयोजित खेलों में भाग लेने की अनुमति के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।  

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प्रश्न 16. निम्नांकित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और लगभग एक तिहाई शब्दों में उसका सार लिखिए। 

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Answer
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खण्ड ‘क’

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Q.1 उत्तरः (i) (ग) सौम्य वेश से 

(ii) (ख) विद्या प्राप्ति 

(iii) (घ) वेशभूषा का 

(iv) (ग) गुणवाचक 

(v) (ख) भौत + इक 

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Q.2 उत्तर: (i) (क) आत्मनिर्भरता 

(ii) (ग) आत्मबल और दृढ़ विश्वास 

(iii) (घ) सफलता 

(iv) (ग) सोच-समझकर धैर्य से काम करता है। 

(v) (घ) आगत

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Q3. उत्तर: (i) (क) विश्वास 

(ii) (ख) स्वप्नों से मोहित न होकर वास्तविकता का ज्ञान करना चाहिए। 

(iii) (घ) पथिक और रास्ता

(iv) (क) अनुप्रास अलंकार 

(v) (ग) स्वप्न और सत्य 

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Q4. उत्तर: (i) (क) विविध पुष्पों के हार के रूप में 

(ii) (क) और (ख) दोनों ही 

(iii) (ख) अनेक प्रकार के फूलों से बनी माला से ।

(iv) (ख) एक और एक ग्यारह है। 

(v) (ख) अनेकता में एकता 

खण्ड ‘ख’

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Q.5 उत्तर: (क) सरल वाक्य 

(ख) मिश्र वाक्य 

(ग) संयुक्त वाक्य

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Q.6 उत्तरः (क) कर्मवाच्य- रामचंद्र द्वारा रोज रामायण पढ़ी जाती है। 

(ख) कर्मवाच्य- सुरेन्द्र फुटबाल खेलता है। 

(ग) भाववाच्य- जगदीश से तो रोया भी नहीं जा सका। 

(घ) कर्मवाच्य- श्यामसुन्दर के घर कल किसके द्वारा गीता पढ़ी गई थी। 

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Q.7 उत्तर: पद परिचय: भूषण- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिग, कर्ताकारक कवि थे क्रिया का कर्ता। 

वह-सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिग कर्ताकारक है क्रिया का कर्ता और समानाधिकरण समुच्चयबोधक, दो शब्दों को जोड़ता है। 

तेज विशेषण-क्रिया विशेषण, ‘चला करो विशेषण का विशेष्य है।

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Q.8 उत्तर: (क) क्रोध दिलाने का कारण 

(ख) आलम्बन का सौन्दर्य, उसकी चेष्टाएँ, प्रकृति, उपवन, स्थल तथा अन्य सानुकूल चेष्टाएँ 

(ग) संयोग श्रृंगार 

(घ) वात्सल्य रस 

खण्ड ‘ग’

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Q.9 उत्तरः (क) हालदार साहब को कस्बे के लोगों का मूर्ति लगाने का काम सराहनीय लगा। उसमें उन्हें उनकी देशभक्ति की भावना की अनुभूति हुई। 

(ख) दूसरी बार उधर से जाने पर हालदार साहब को मूर्ति का चश्मा बदला हुआ दिखा और उन्हें यह आइडिया अच्छा लगा। 

(ग) नेताजी का चश्मा’ पाठ का नाम व लेखक-स्वयं प्रकाश 

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Q.10 उत्तरः (क) भगत अपनी रोती हुई पतोहू को उत्सव मनाने के लिए आज इसलिए कह रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि आज आत्मा परमात्मा से जा मिली है। इस संबंध में उनका दर्शन कबीर से प्रभावित था। 

(ख) नवाब के थककर लेट जाने का कारण-नवाब साहब का खीरे को धोना, काटना, सूंघना व पेट भर गया, इस नाटक का कारण बताया। 

(ग) लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा क्योंकि फादर मानवीय स्वभाव से युक्त सन्यासी जैसी छवि वाले थे, सन्यासी की भाँति स्नेह, अपनत्व का भाव रखते थे। मानव कल्याण में जीवन समर्पण करते हुए भी वह सामान्य मनुष्यों की तरह संबंधों का निर्माण और निर्वाह करते थे। 

(घ) मूर्ति के असली चश्मे के विषय में हालदार साहब की जिज्ञासा का पानवाले ने यह कहकर समाधान किया कि मास्टर मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल गया था। उस समाः शान से हालदार साहब की विचारधारा बनी कि देशभक्ति की सच्ची भावना आज भी जीवित है. परन्तु उन्हें यही चिन्ता थी कि वर्तमान पीढ़ी की घटती देशभक्ति और बढ़ते स्वार्थ के प्रति देश के भविष्य का क्या होगा? 

(ङ) भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद पतोहू के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने उसे उसके भाई को सौंप दिया व पुनः उसका विवाह करने का आदेश दिया व उसके मना करने पर घर छोड़कर जाने की दलील दे डाली। उनके इस व्यवहार को हम पूर्ण रूप से उचित मानते हैं क्योंकि पति की मृत्यु के बाद पुनः विवाह न करना व वैसी ही जिन्दगी जीते रहना उचित नहीं है। 

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Q.11 उत्तर:(क) फसल नदियों के पानी का जादू है क्योंकि इसी से सिंचित होकर फसल के रूप में परिणत होकर हमारे सामने आती है।

(ख) फसल मिट्टी का गुण-धर्म होता है क्योंकि जैसी मिट्टी होती है, फसल भी वैसी ही होती है।

(ग) हवा फसल को ऑक्सीजन देकर उसे बढ़ने में सहयोग देती है।

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Q.12 उत्तर: (ग) कवि को बच्चे की मुस्कान उसके दाँत निकलने के बाद अधिक शोभाशाली लग उठती है क्योंकि जब वह हँसता हुआ उसकी झोंपड़ी में घूमता है, एक टक निहारता है, तो कवि उस पर मंत्रमुग्ध हो जाता है। 

(घ) इस पंक्ति में फूलों की विशिष्टता व्यंजित हुई है। जब फागुन मास में चारों ओर फूल खिले होते हैं, उनकी सुगंध से घर-घर भर जाता है। 

(ङ) सूरदास की काव्य भाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ ये हैं 

(i) ब्रज भाषा में गोपियों का प्रेम संबंध, कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति। 

(ii) अलंकारों, व्यंग्यों के माध्यम से पदों में रोचकता 

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Q.13 उत्तरः बच्चों के लालन-पालन में जितना हाथ माता का होता है, उतना पिता का हाथ भी होता है। इस पाठ में पिता, भोलानाथ को शिक्षा देते हैं। उसके साथ खेलते हैं क्योंकि यह संबंध पुत्र के व्यक्तित्व के विकास में सहायक है। प्रस्तुत वाक्य में जहाँ भोलानाथ पिता की छाती पर बैठकर पूँछे उखाड़ता है, वहीं पिता उसे चूमकर या रोने का बहाना बनाकर हटाने की कोशिश करते हैं, परन्तु पिता का वात्सल्य उसे गुस्सा नहीं होने देता। इसलिए पिता और पुत्र के बीच का लगाव सकारात्मक गुणों को विकसित करता है। 

खण्ड ‘घ’

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Q. 14 उत्तर: मेरा भारत भारत की सभ्यता और संस्कृति संसार की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। मानव-संस्कृति के आदिम ग्रंथ ऋग्वेद की रचना इसी देश में हुई थी। भारत संसार के देशों का सिरमौर है। महान उर्दू कवि इकबाल ने ठीक ही कहा है: 

युनानो मिस्र रूम सब मिट गए जहाँ से, बाकी अभी तलक है नामो-निशां हमारा। कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा।” 

इकबाल की ये पंक्तियाँ भारत की परंपराएँ, संस्कृति एवं सभ्यता की भव्यता के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं। हमारे देश में अनेक मंत्रद्रष्टा, ज्ञानी, जगतगुरु, ऋषि-महात्माओं एवं विद्वानों ने जन्म लिया। राम, कृष्ण, बुद्ध, नानक, महावीर आदि देवतुल्य युगपुरुषों ने इसी धरा पर जन्म लेकर इसका मान बढ़ाया। अनेकों वीर, सत्यवादी, धनुर्धर तथा कवियों ने यहां जन्म लिया। इस पावन पुण्य-भूमि पर आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, जगदीश चंद्र बसु आदि वैज्ञानिकों ने भारत की इस पावन धरा पर जन्म लिया। 

भारत विश्व का आकर्षण और सभ्यता का जनक है। संसार के अन्य देश जब अशिक्षित तथा नग्नावस्था में थे. तब भी यह भारत देश उन्नति के चरमोत्कर्ष पर था। भारत ने ही मानव को सभ्यता का पहला पाठ पढ़ाया। इसी धरी ने अध्यात्म, ज्ञान, भक्ति तथा कर्म की त्रिवेणी विश्व में प्रवाहित की। 

मेरा भारत देश विविधता में एकता के लिए जाना जाता है। यह देश विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का संगम स्थल है। हमारा देश अनेक धर्मों, मतों, संप्रदायों, वादों तथा विभिन्न संस्कृतियों को समान रूप से फलने-फूलने तथा पल्लवित होने का अवसर प्रदान करता है। भारतीय कला और कारीगरी को विश्व में हाथों-हाथ लिया जाता है। इसी समृद्धि के कारण हमारा देश सोने की। चिड़िया कहलाता है। 

लोकतंत्रीय देश होने के कारण, यहाँ पर हरेक को अपनी बात कहने की आजादी है। इसलिए यहाँ पर सरकार/शासक का गठन भारत के नागरिक के मतों के अनुसार होता है। जनता अपना प्रतिनिधि चुनकर संसद/ विधानसभा में भेजती है। ‘सर्वधर्म समभाव एवं ‘सबका साथ सबका विकास यहाँ का मूलमंत्र है। भौतिकवादी जगत को तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः का आदर्श भारत ने ही दिया। सर्वे 

भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया का पावन मार्ग भारत ने ही दिखाया। बहुजन हिताय बहुजन सुखाय’ वाली सभ्यता यह केवल इसी देश की देन है। हमारा भारत कई राज्यों की कला एवं संस्कृति को समेटे हुए है। सचमुच हमारा भारत देश बहुत सुंदर है। यहाँ सबमें वर्ण, लिंग, रंग, सम्प्रदाय तथा भाषाओं का भेद होने के बावजूद सभी सच्चे मन से पूरी तरह से भारतीय हैं। आज भारत की गिनती विश्व के प्रमुख देशों में की जाती है। मुझे भारतीय होने पर गर्व की अनुभूति होती है क्योंकि मुझे ऐसी महान एवं पुण्य-भूमि पर जन्म लेने का सौभाग्य मिला। मैं बार-बार भारत की इस पावन भूमि पर जन्म लेना चाहूँगा। 

अथवा 

विद्यार्थी जीवन के लक्ष्य 

विद्यार्थी का अर्थ है विद्या पाने वाला, सीखने की इच्छा रखने वाला, ज्ञानार्जन का इच्छुक । विद्यार्थी का सबसे पहला गुण जिज्ञासा, नित नये विषयों की जानकारी प्राप्त करना। विद्यार्थी जीवन का अर्थ है अनुशासित जीवन रखकर ज्ञानार्जन करना। अर्थात् अपने जीवन को कड़े परिश्रम तथा बाधाओं को पार कर एक बड़ा मुकाम हासिल करना। अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम पाठशाला है विद्यार्थी जीवन। 

वैसे विद्यार्थी जीवन स्वयं में लक्ष्य केंद्रित होता है। विषयों के चुनाव के आधार पर सभी विद्यार्थी अपना लक्ष्य तय करते हैं तथा उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी की नींव मजबूत होनी चाहिए जो उसे एक अनुशासित विद्यालयों से मिलती है। परिणामतः विद्यार्थी, जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं। विषयों के आधार पर विद्यार्थी अभियांत्रिकी, चिकित्सा, प्रशासनिक, कलाकार, सेना इत्यादि को अपने जीवन का लक्ष्य बनाते हैं। तद्नुसार शुरुआत से ही उसकी तैयारी करते हैं। ताकि सफलता हासिल हो सके। जीवन मधुर तथा सुविधापूर्ण बने। सच्ची लगन ही सफलता का पर्याय है। 

कुकुरमुत्तों की तरह खुले बहुतांश विद्यालयों में अनुशासनहीनता चरम पर है। जिस कारण विद्यार्थी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। व्यसनों के आदी हो जाते हैं। बुरी संगत उन्हें अपने जीवन के बहुमूल्य समय को नष्ट करा देती है। ऐसे समय, जबकि उन्हें अपनी पढ़ाई और लक्ष्य को केंद्रित करना चाहिए, परन्तु वे आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालकर अपने जीवन के लिए मुसीबत इकट्ठी कर लेते हैं। 

बड़े-बड़े विद्वान, ज्ञानी महापुरुषों की अगर जीवनी का अवलोकन करें तो उन्होंने विद्यार्थी जीवन बहुत कम साधनों और आवश्यकताओं में गुजारा उनके घर की माली हालत अच्छी न होते हुए भी अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम के सहारे जीवन में मुकाम हासिल किया। व्यसनों व बुरी संगत से हमेशा दूर रहे। अनुशासित जीवन को अपना लक्ष्य रखा। अर्जुन के निशाने की तरह अपने विद्यार्थी-जीवन काल से ही लक्ष्य केंद्रिकता बनाये रखी और उसे हासिल भी किया। विद्यार्थी इन महापुरुषों का अनुसरण करें, उनको अपना आदर्श मानें। राष्ट्र की उन्नति के लिए अच्छे व्यक्ति का निर्माण आवश्यक है। इसकी नींव विद्यार्थी-जीवन ही है। विद्यार्थी विषयवार एवं अपनी रुचि के अनुसार इच्छाशक्ति के साथ अपने लक्ष्य को अगर केंद्रित करे तो वह जीवन के सुख भोगने का हकदार होगा तथा उसका राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान रहेगा। 

अथवा 

प्रकृति से छेड़खानी 

प्रकृति स्वभाव से प्राणियों की सहचरी रही है। प्रकृति-सौंदर्य ईश्वरीय सृष्टि की अलौकिक, अद्भुत, अनंत, असीम तथा विलक्षण कला है। पर्वतों की सुरम्य घाटियाँ, उनके हिम मंडित शिखर, कल-कल बहती नदियाँ, झर-झर झरते झरने, फल-फूलों से लदे वृक्ष, भाँति भाँति के सुमन, विस्तृत हरियाली, आसमान में उड़ते भाँति-भाँति के पक्षी, सूर्योदय के समय आकाश में बिखरे स्वर्णिम जावक, सूर्यास्त के समय ढलते सूर्य की लाली, रात्रि में चमकते नक्षत्रगण, चाँदनी रात-भला किसका मन नहीं मोह लेते। 

“उषा सुनहरे तीर बरसती, जय लक्ष्मी सी उदित हुई।” परंतु दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति से छेड़छाड़ प्रारंभ कर दी है, उसका दोहन प्रारंभ कर दिया। उसका नतीजा यह रहा कि वातावरण, जल, वायु तथा ध्वनि से प्रदूषित हो गया। धीरे-धीरे मनुष्य प्राकृतिक सुखों से वंचित होता गया। वनों को नष्ट कर लकड़ी का उपयोग करना, पहाड़ों को काटकर रास्ते व रेल-लाईन बिछाना, अत्यधिक औद्योगिकीकरण कर वायु तथा जल प्रदूषण करना। अत्यधिक शहरीकरण कर संसाधनों को प्राप्त करने हेतु प्रकृति की बलि चढ़ाना। ऐसे विभिन्न तरह के प्रकृति से छेड़खानी के स्वरूप का असर मानव पर पड़ चुका है। रोगों में वृद्धि होती जा रही है। प्रकृति का क्षरण होने के कारण मनुष्य को सॉस लेने में तकलीफ हो रही है। शुद्ध वायु का अभाव होता जा रहा है। बे-मौसमी बरसात तथा पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक असंतुलन का दौर चल रहा है। कारण एक ही मनुष्य द्वारा प्रकृति से की गई छेड़छाड़। ग्लोबल वार्मिंग इसी का परिणाम है। 

आज आवश्यकता है प्रकृति को वापस अपनी पूर्व अवस्था में लाने हेतु उसकी सुरक्षा और संरक्षण के उपाय लागू किये जायें। अन्यथा पृथ्वी पर प्राणी का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। प्रकृति को अपना सहचरी समझकर उसका सम्मान करें। उसके साथ सामंजस्य __ स्थापित करे। विश्व भर में प्रदूषण से बचने तथा पर्यावरण की रक्षा का प्रयास किया जा रहा है। 5 जून को पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस’ मनाया जाता है। यह इस बात का प्रमाण है कि अब मनुष्य ने प्रकृति के महत्व को स्वीकार कर लिया है तथा उसकी सुरक्षा और संरक्षण के हर संभव प्रयास की ओर गंभीरता से विचार करने पर विवश हुआ है। विश्व को समझ में आ गया है। कि जिस प्रकृति से छेड़छाड़ तथा दोहन करने की नीति अपना रखी थी, वह वाकई में भूल थी। इसलिए समय रहते इस भूल को सुधारकर प्रकृति को सहेजने का कार्य किया जाए। जो कि आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा।

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Q.15 उत्तर: प्रार्थना-पत्र

परीक्षा भवन, 

गाजियाबाद। 

सेवा में, 

श्रीमती प्रधानाचार्या जी, 

दयानन्द बाल मन्दिर, 

गाज़ियाबाद, 

दि.27 मार्च, 20xx 

विषय-वार्षिकोत्सव में आयोजित खेलकूद में भाग लेने के लिए पत्र। 

महोदया, 

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं की छात्रा हूँ। आज ही कक्षाध्यापिका से वार्षिकोत्सव में खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन के विषय में सुना। जैसा आपको विदित है कि इस बार राष्ट्रीय व स्कूली स्तर पर आयोजित कई प्रतियोगिताओं में मैंने भाग लिया है व पुरस्कार भी जीते हैं। मेरा आपसे यही निवेदन है कि मुझे आप विद्यालय की इन प्रतियोगिताओं में खेलने की अनुमति प्रदान करें। आपकी अति कृपा होगी। 

सधन्यवाद! 

आपकी आज्ञाकारी शिष्या, 

क,ख,ग, 

कक्षा-दसवीं (अ)

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Q.16 उत्तर: आज भी न केवल हिंदी ही नहीं बल्कि दुनिया की अन्य भाषाओं के बाल साहित्य पर पंचतंत्र का असर देखा जा सकता है। मौलिक एवं बदलते समय की ज़रूरतों के आधार पर बालसाहित्य की रचना का कार्य हिंदी में अर्से तक नहीं हो सका। कारण साफ है। अशिक्षित तथा असमान आर्थिक वितरण वाले समाजों में जहाँ शीर्षस्थ वर्ग संसाधनों पर कुंडली मारे बैठा भोग और लिप्साओं में आकंठ डूबा हो, वहाँ समाज का बहुलांश घोर अभावग्रस्तता का जीवन जीने को विवश होता है जिससे वहाँ कला एवं साहित्य की धाराएँ पर्याप्त रूप में विकसित नहीं हो पातीं। ना ही उनके सरोकार पूरी तरह स्पष्ट हो पाते हैं। भारत का समाज करीब-करीब ऐसी ही स्थितियों का शिकार था। तार्किक सोच के अभाव का फायदा यथास्थिति की पक्ष रि शक्तियों ने खुलकर उठाया और वे मौलिक साहित्य के विकास में अवरोधक का कार्य करती रही हैं।

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हिन्दी
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(पाठ्यक्रम अ)

(Course A) 

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सामान्य निर्देश :

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ। 

(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। 

(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए। 

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खंड ‘क’ 

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Q. 1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

देश की आज़ादी के उनहत्तर वर्ष हो चुके हैं और आज ज़रूरत है अपने भीतर के तर्कप्रिय भारतीयों को जगाने की, पहले नागरिक और फिर उपभोक्ता बनने की। हमारा लोकतंत्र इसलिए बचा है कि हम सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन वह बेहतर इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि एक नागरिक के रूप में हम अपनी ज़िम्मेदारियों से भागते रहे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली की सफलता जनता की जागरूकता पर ही निर्भर करती है। एक बहुत बड़े संविधान विशेषज्ञ के अनुसार किसी मंत्री का सबसे प्राथमिक, सबसे पहला जो गुण होना चाहिए वह यह कि वह ईमानदार हो और उसे भ्रष्ट नहीं बनाया जा सके। इतना ही जरूरी नहीं, बल्कि लोग देखें और समझें भी कि यह आदमी ईमानदार है। उन्हें उसकी ईमानदारी में विश्वास भी होना चाहिए। इसलिए कुल मिलाकर हमारे लोकतंत्र की समस्या मूलत: नैतिक समस्या है। संविधान, शासन प्रणाली, दल, निर्वाचन ये सब लोकतंत्र के अनिवार्य अंग हैं। पर जब तक लोगों में नैतिकता की भावना न रहेगी, लोगों का आचार-विचार ठीक न रहेगा तब तक अच्छे से अच्छे संविधान और उत्तम राजनीतिक प्रणाली के बावजूद लोकतंत्र ठीक से काम नहीं कर सकता। स्पष्ट है कि लोकतंत्र की भावना को जगाने व संवर्द्धित करने के लिए आधार प्रस्तुत करने की ज़िम्मेदारी राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक है। 

आज़ादी और लोकतंत्र के साथ जुड़े सपनों को साकार करना है, तो सबसे पहले जनता को स्वयं जाग्रत होना होगा। जब तक स्वयं जनता का नेतृत्व पैदा नहीं होता, तब तक कोई भी लोकतंत्र सफलतापूर्वक नहीं चल सकता। सारी दुनिया में एक भी देश का उदाहरण ऐसा नहीं मिलेगा जिसका उत्थान केवल राज्य की शक्ति द्वारा हुआ हो। कोई भी राज्य बिना लोगों की शक्ति के आगे नहीं बढ़ सकता। 

(क) लगभग 70 वर्ष की आज़ादी के बाद नागरिकों से लेखक की अपेक्षाएँ हैं कि वे : 

     (i) समझदार हों 

     (ii) प्रश्न करने वाले हों 

     (iii) जगी हुई युवा पीढ़ी के हों 

     (iv) मजबूत सरकार चाहने वाले हों 

(ख) हमारे लोकतांत्रिक देश में अभाव है : 

     (i) सौहार्द का 

     (ii) सद्भावना का 

     (iii) जिम्मेदार नागरिकों का 

     (iv) एकमत पार्टी का 

(ग) किसी मंत्री की विशेषता होनी चाहिए : 

     (i) देश की बागडोर सँभालनेवाला 

     (ii) मिलनसार और समझदार 

     (ii) सुशिक्षित और धनवान 

     (iv) ईमानदार और विश्वसनीय 

(घ) किसी भी लोकतंत्र की सफलता निर्भर करती है : 

    (i) लोगों में स्वयं ही नेतृत्व भावना हो 

     (ii) सत्ता पर पूरा विश्वास हो 

     (iii) देश और देशवासियों से प्यार हो 

     (iv) समाज-सुधारकों पर भरोसा हो 

(ङ) लोकतंत्र की भावना को जगाना-बढ़ाना दायित्व है : 

    (i) राजनीतिक 

    (ii) प्रशासनिक 

    (iii) सामाजिक 

    (iv) संवैधानिक 

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Q. 2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

गीता के इस उपदेश की लोग प्राय: चर्चा करते हैं कि कर्म करें, फल की इच्छा न करें। यह कहना तो सरल है पर पालन उतना सरल नहीं। कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अंतिम फल तक न भी पहुंचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनंद में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूल प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला-लाकर रोगी को देता जाता है तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है, प्रत्येक नए उपचार के साथ जो आनंद का उन्मेष होता रहता है- यह उसे कदापि न प्राप्त होता, यदि वह रोता हुआ बैठा रहता। प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुख में कटता। इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्म-ग्लानि के उस कठोर दुख से बचा रहेगा जो उसे जीवन भर यह सोच-सोच कर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया। 

कर्म में आनंद अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनंद भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फल-स्वरूप लगते हैं। अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती है वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है। 

(क) कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा नहीं होता क्योंकि : 

     (i) अंतिम फल पहुँच से दूर होता है 

     (ii) प्रयत्न न करने का भी पश्चाताप नहीं होता 

     (iii) वह आनन्दपूर्वक काम करता रहता है 

     (iv) उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है 

(ख) घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया गया है? 

    (i) पारिवारिक कष्ट बताने के लिए। 

    (ii) नया उपचार बताने के लिए 

    (iii) शोक और दुख की अवस्था के लिए 

   (iv) सेवा के संतोष के लिए 

(ग) ‘कर्मण्य’ किसे कहा गया है? 

    (i) जो काम करता है 

    (ii) जो दूसरों से काम करवाता है 

    (iii) जो काम करने में आनंद पाता है 

    (iv) जो उच्च और पवित्र कर्म करता है 

(घ) कर्मवीर का सुख किसे माना गया है : 

    (i) अत्याचार का दमन 

    (ii) कर्म करते रहना 

    (iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष 

    (iv) फल के प्रति तिरस्कार भावना 

(ङ) गीता के किस उपदेश की ओर संकेत है : 

    (i) कर्म करें तो फल मिलेगा 

    (ii) कर्म की बात करना सरल है 

    (iii) कर्म करने से संतोष होता है 

    (iv) कर्म करें फल की चिंता नहीं 

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Q. 3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

सूख रहा है समय इसके हिस्से की रेत उड़ रही है आसमान में सूख रहा है 

आँगन में रखा पानी का गिलास पँखुरी की साँस सूख रही है जो सुंदर चोंच मीठे गीत सुनाती थी उससे अब हाँफने की आवाज आती है हर पौधा सूख रहा है हर नदी इतिहास हो रही है 

हर तालाब का सिमट रहा है कोना यही एक मनुष्य का कंठ सूख रहा है वह जेब से निकालता है पैसे और खरीद रहा है बोतल बंद पानी बाकी जीव क्या करेंगे अब न उनके पास जेब है न बोतल बंद पानी। 

(क) ‘सूख रहा है समय’ कथन का आशय है : 

    (i) गर्मी बढ़ रही है 

    (ii) जीवनमूल्य समाप्त हो रहे हैं 

    (iii) फूल मुरझाने लगे हैं 

    (iv) नदियाँ सूखने लगी हैं 

(ख) हर नदी के इतिहास होने का तात्पर्य है-V 

    (i) नदियों के नाम इतिहास में लिखे जा रहे हैं 

    (ii) नदियों का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है 

    (iii) नदियों का इतिहास रोचक है 

    (iv) लोगों को नदियों की जानकारी नहीं है 

(ग) “पँखुरी की साँस सूख रही है जो सुंदर चोंच मीठे गीत सुनाती थी’ ऐसी परिस्थिति किस कारण उत्पन्न हुई?

    (i) मौसम बदल रहे हैं 

    (ii) अब पक्षी के पास सुंदर चोंच नहीं रही 

    (iii) पतझड़ के कारण पत्तियाँ सूख रही थीं

    (iv) अब प्रकृति की ओर कोई ध्यान नहीं देता 

(घ) कवि के दर्द का कारण है : 

    (i) पँखुरी की साँस सूख रही है 

    (ii) पक्षी हाँफ रहा है 

    (iii) मानव का कंठ सूख रहा है 

    (iv) प्रकृति पर संकट मँडरा रहा है 

(ङ) ‘बाकी जीव क्या करेंगे अब’ कथन में व्यंग्य है : 

    (i) जीव मनुष्य की सहायता नहीं कर सकते 

    (ii) जीवों के पास अपने बचाव के कृत्रिम उपाय नहीं हैं 

    (iii) जीव निराश और हताश बैठे हैं 

    (iv) जीवों के बचने की कोई उम्मीद नहीं रही, | 

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Q. 4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए 

नदी में नदी का अपना कुछ भी नहीं जो कुछ है सब पानी का है। जैसे पोथियों में उनका अपना कुछ नहीं होता कुछ अक्षरों का होता है कुछ ध्वनियों और शब्दों का कुछ पेड़ों का कुछ धागों का कुछ कवियों का जैसे चूल्हे में चूल्हे का अपना 

कुछ भी नहीं होता न जलावन, न आँच, न राख जैसे दीये में दीये का न रुई, न उसकी बाती न तेल न आग न दियली वैसे ही नदी में नदी का अपना कुछ नहीं होता। नदी न कहीं आती है न जाती है वह तो पृथ्वी के साथ सतत पानी-पानी गाती है। नदी और कुछ नहीं पानी की कहानी है जो बूंदों से सुन कर बादलों को सुनानी है। 

(क) कवि ने ऐसा क्यों कहा कि नदी का अपना कुछ भी नहीं सब पानी का है। 

    (i) नदी का अस्तित्व ही पानी से है 

    (ii) पानी का महत्व नदी से ज्यादा है 

    (iii) ये नदी का बड़प्पन है 

    (iv) नदी की सोच व्यापक है 

(ख) पुस्तक-निर्माण के संदर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है 

    (i) ध्वनियों और शब्दों का महत्व है 

    (ii) पेड़ों और धागों का योगदान होता है 

    (iii) कवियों की कलम उसे नाम देती है 

    (iv) पुस्तकालय उसे सुरक्षा प्रदान करता है 

(ग) कवि, पोथी, चूल्हे आदि उदाहरण क्यों दिए गए हैं? 

    (i) इन सभी के बहुत से मददगार हैं 

    (ii) हमारा अपना कुछ नहीं 

    (iii) उन्होंने उदारता से अपनी बात कही है 

    (iv) नदी की कमजोरी को दर्शाया है 

(घ) नदी की स्थिरता की बात कौन-सी पंक्ति में कही गई है? 

    (i) नदी में नदी का अपना कुछ भी नहीं 

    (ii) वह तो पृथ्वी के साथ सतत पानी-पानी गाती है 

    (iii) नदी न कहीं आती है न जाती है 

    (iv) जो कुछ है सब पानी का है 

(ङ) बूंदें बादलों से क्या कहना चाहती होंगी? 

    (i) सूखी नदी और प्यासी धरती की पुकार 

    (ii) भूखे-प्यासे बच्चों की कहानी 

    (ii) पानी की कहानी 

    (iv) नदी की खुशियों की कहानी 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
खंड ‘ख’

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Q. 5. निर्देशानुसार उत्तर दीजिए 

(क) जीवन की कुछ चीजें हैं जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए) 

(ख) मोहनदास और गोकुलदास सामान निकालकर बाहर रखते जाते थे। (संयुक्त वाक्य में बदलिए) 

(ग) हमें स्वयं करना पड़ा और पसीने छूट गए। (मिश्रवाक्य में बदलिए) 

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Q. 6. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए 

(क) कूजन कुंज में आसपास के पक्षी संगीत का अभ्यास करते हैं। (कर्मवाच्य में) 

(ख) श्यामा द्वारा सुबह-दोपहर के राग बखूबी गाए जाते हैं। (कर्तृवाच्य में) 

(ग) दर्द के कारण वह चल नहीं सकती। (भाववाच्य में) 

(घ) श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से की जाती है। (कर्तृवाच्य में) 

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Q. 7. रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए 

सुभाष पालेकर ने प्राकृतिक खेती की जानकारी अपनी पुस्तकों में दी है। 

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Q. 8. (क) काव्यांश पढ़कर रस पहचानकर लिखिए 

साक्षी रहे संसार करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं, पूरा करूँगा कार्य सब कथनानुसार यथार्थ मैं। जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैं अभी, वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी। 

साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए, बायें से वे मलते हुए पेट को चलते, 

और दाहिना दया दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए। 

(ख) (i) निम्नलिखित काव्यांश में कौन-सा स्थायी भाव है? 

                  मेरे लाल को आउ निंदरिया, काहै न आनि सुवावै 

                 तू काहै नहिं बेगहीं आवै, तोको कान्ह बुलावै 

       (ii) शृंगार रस के स्थायी भाव का नाम लिखिए। 

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खंड ‘ग’ 

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Q. 9. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

भवभूति और कालिदास आदि के नाटक जिस ज़माने के हैं उस ज़माने में शिक्षितों का समस्त समुदाय संस्कृत ही बोलता था, इसका प्रमाण पहले कोई दे ले तब प्राकृत बोलने वाली स्त्रियों को अपढ़ बताने का साहस करे। इसका क्या सबूत कि उस ज़माने में बोलचाल की भाषा प्राकृत न थी? सबूत तो प्राकृत के चलने के ही मिलते हैं। प्राकृत यदि उस समय की प्रचलित भाषा न होती तो बौद्धों तथा जैनों के हज़ारों ग्रंथ उसमें क्यों लिखे जाते, और भगवान शाक्य मुनि तथा उनके चेले प्राकृत ही में क्यों धर्मोपदेश देते? बौद्धों के त्रिपिटक ग्रंथ की रचना प्राकृत में किए जाने का एकमात्र कारण यही है कि उस ज़माने में प्राकृत ही सर्वसाधारण की भाषा थी। अतएव प्राकृत बोलना और लिखना अपढ़ और अशिक्षित होने का चिह्न नहीं। 

(क) नाटककारों के समय में प्राकृत ही प्रचलित भाषा थी-लेखक ने इस संबंध में क्या तर्क दिए हैं? दो का उल्लेख कीजिए। 

(ख) प्राकृत बोलने वाले को अपढ़ बताना अनुचित क्यों है? 

(ग) भवभूति-कालिदास कौन थे? 

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Q. 10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए 

(क) मन्नू भंडारी ने अपने पिताजी के बारे में इंदौर के दिनों की क्या जानकारी दी है? 

(ख) मन्नू भंडारी की माँ धैर्य और सहनशक्ति में धरती से कुछ ज्यादा ही थीं-ऐसा क्यों कहा गया? 

(ग) उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ को बालाजी के मंदिर का कौन-सा रास्ता प्रिय था और क्यों? 

(घ) संस्कृति कब असंस्कृति हो जाती है और असंस्कृति से कैसे बचा जा सकता है? 

(ङ) कैसा आदमी निठल्ला नहीं बैठ सकता? संस्कृति’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। 

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Q. 11. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए 

वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से गायक जब अंतरे की जटिल तानों के जंगल में खो चुका होता है . या अपनी ही सरगम को लाँघकर चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में तब संगतकार ही स्थायी को सँभाले रहता है जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान जैसे उसे याद दिलाता हो उसका बचपन जब वह नौसिखिया था। 

(क) ‘वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से’ का भाव स्पष्ट कीजिए। 

(ख) मुख्य गायक के अंतरे की जटिल-तान में खो जाने पर संगतकार क्या करता है? 

(ग) संगतकार, मुख्य गायक को क्या याद दिलाता है? 

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Q. 12. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए 

(क) ‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ यह आचरण अब बदलने लगा है- इस पर अपने विचार लिखिए। 

(ख) बेटी को अंतिम पूँजी’ क्यों कहा गया है? 

(ग) ‘दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं’ कथन में किस यथार्थ का चित्रण है? 

(घ) ‘बहु धनुही तोरी लरिकाई’- यह किसने कहा और क्यों? 

(ङ) लक्ष्मण ने शूरवीरों के क्या गुण बताए हैं। 

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Q. 13. ‘जल-संरक्षण’ से आप क्या समझते हैं? हमें जल-संरक्षण को गंभीरता से लेना चाहिए, क्यों और किस प्रकार? जीवनमूल्यों की दृष्टि से जल-संरक्षण पर चर्चा कीजिए। 

खंड ‘घ’ 

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Q. 14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 250 शब्दों में निबंध लिखिए 

(क) एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम 

  • सजावट और उत्साह . कार्यक्रम का सुखद आनंद प्रेरणा 

(ख) वन और पर्यावरण 

  • वन अमूल्य वरदान 
  • मानव से संबंध 
  • पर्यावरण के समाधान 

(ग) मीडिया की भूमिका 

  • मीडिया का प्रभाव सकारात्मकता और नकारात्मकता अपेक्षाएँ 

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Q. 15. पी.वी. सिंधु को पत्र लिखकर रियो ओलंपिक में उसके शानदार खेल के लिए बधाई दीजिए और उनके खेल के बारे में अपनी राय लिखिए। 

अथवा 

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Q. 15अपने क्षेत्र में जल-भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखिए। 

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Q. 16. निम्नलिखित गद्यांश का शीर्षक लिखकर एक-तिहाई शब्दों में सार लिखिए : 

संतोष करना वर्तमान काल की सामयिक आवश्यक प्रासंगिकता है। संतोष का शाब्दिक अर्थ है ‘मन की वह वृत्ति या अवस्था जिसमें अपनी वर्तमान दशा में ही मनुष्य पूर्ण सुख अनुभव करता है।’ भारतीय मनीषा ने जिस प्रकार संतोष करने के लिए हमें सीख दी है उसी तरह असंतोष करने के लिए भी कहा है। चाणक्य के अनुसार हमें इन तीन उपक्रमों में संतोष नहीं करना चाहिए। जैसे विद्यार्जन में कभी संतोष नहीं करना चाहिए कि बस, बहुत ज्ञान अर्जित कर लिया। इसी तरह जप और दान करने में भी संतोष नहीं करना चाहिए। वैसे संतोष करने के लिए तो कहा गया है- ‘जब आवे संतोष धन, सब धन धूरि समान।’ ‘हमें जो प्राप्त हो उसमें ही संतोष करना चाहिए।’ ‘साधु इतना दीजिए, जामे कुटुंब समाय, मैं भी भूखा न रहूँ, साधु न भूखा जाए।’ संतोष सबसे बड़ा धन है। जीवन में संतोष रहा, शुद्ध-सात्विक आचरण और शुचिता का भाव रहा तो हमारे मन के सभी विकार दूर हो जाएंगे और हमारे अंदर सत्य, निष्ठा, प्रेम, उदारता, दया और आत्मीयता की गंगा बहने लगेगी। आज के मनुष्य की सांसारिकता में बढ़ती लिप्तता, वैश्विक बाजारवाद और भौतिकता की चकाचौंध के कारण संत्रास, कुंठा और असंतोष दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। इसी असंतोष को दूर करने के लिए संतोषी बनना आवश्यक हो गया है। सुखी और शांतिपूर्ण जीवन के लिए संतोष सफल औषधि है। 

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Answer sheet
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खण्ड-‘क’ 

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उत्तर 1.

(क) कर्तव्यपालन 

(ख) वहाँ के निवासियों पर 

(ग) वाहन चालको को सुधारा है 

(घ) गाँव से जुड़ी समस्याओं के निदान में ग्रामीणों की भूमिका की नकारना 

(ड़) ज़िम्मेदारी के प्रति सचेत करना 

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उत्तर 2.

(क) राखीगढ़ी 

(ख) शहर नियोजित था। 

(ग) नष्ट हो जाने का खतरा है। 

(घ) काफ़ी प्राचीन और बड़ी सभ्यता हो सकती है |

(ड़)  राखीगढी : एक सभ्यता की संभावना 

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उत्तर 3.

(क) निराशा और जड़ता छोड़ी।

(ख) दुखी लोग और ईश्वर

(ग) उच्च आदर्श और आशा के महत्व को बनाए रखेंगे

(घ) इस भूमि पर बुद्ध और बापू जैसे लोग जन्म लेते रहे।

(ड़) भारतीयों में योगी, संत और शहीद अवतार लेते रहे 

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उत्तर 4.

(क) मुर्ख है 

(ख) प्रगति के पथ पर एक कदम भी नही बढ़ा 

(ग) सबसे बलशाली है 

(घ) जब हम हवाओं के बल पर झूमते है 

(ड़) सबने अपने अहंकार में उसे भुला दिया 

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खण्ड – ‘ख’ 

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उत्तर 5.

(क) डलिया में दूसरे फलों के साथ आम रखे है 

(ख) दीपक शर्मीला है इसलिए पेड़ के पलों में छुपकर बोलता है।

(ग) मिश्र वाक्य

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उत्तर 6.

(क) कुछ छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच संभाल लिया जाता है 

(ख) बुलबुल रात्रि-विश्राम अमरुद की डाल पर करती है 

(ग) तुमसे दिनभर कैसे बैठा जाएगा? 

(घ) सात सुरो को उसके द्वारा गजब की विविधता के साथ प्रस्ताव किया जाता है। 

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उत्तर 7. मानव को 

भेद – संज्ञा 

उपभेद – जातिवाचक संज्ञा 

लिंग -पुल्लिंग 

वचन – एकवचन 

कारक – संप्रदान कारक 

कठिन 

भेद – विशेषण 

उपभेद – गुणवाचक 

लिंग -पुल्लिंग 

वचन – एकवचन 

विशेष्य – कार्य 

कार्य 

भेद – संज्ञा 

उपमेद – जातिवाचक 

लिंग – पुल्लिंग 

वचन – एकवच्न 

लेकिन 

भेद- समुच्चयबोधक 

उपभेद – समानाधिकरण 

पदों को जोड़ रहा है- ‘मानव को इंसान बनाना अत्यंत कठिन कार्य है’ 

लेकिन असंभव नहीं।’ को जोड़ रहा है। 

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उत्तर 8.

(क) रौद्र रस 

(ख) करुण रस

(ग) संतात प्रेम स्थायी भाव है।

(घ) हास्य रस का स्थायों भाव हैं हास

खण्ड-‘ग’

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उत्तर 9. (क) पुराणों में नियमबद्ध शिक्षा प्रणाली न मिलने पर लेखक आश्चर्य नहीं मानता क्योंकि पुराने जमाने में स्त्रियों के लिए कोई विश्वविध्यालय नहीं  था तो नियमबद्ध प्रणाली कहीं से मिलती । यदि कोई कोई उल्लेख रहा भी हो परंतु नष्ट हो गया हो तो उसका पुराणादि में न मिलना आश्चर्यजनक नहीं है। 

(ख) लेखक ने यह बताया है कि पुराणादि में जहाज बनाने के कोई ग्रंथ  होने के बाद भी हम उनका अस्तित्व बड़े गर्व से स्वीकार कर लेते हैं उसी प्रकार हमें यदि पुराणों में स्त्री शिक्षा की नियमबध प्रणाली न मिले तो इसका अर्थ यह नहीं समझना चाहिए कि पुराने जमाने की सभी स्त्रिया अनपढ़ थी या उन्हें पढ़ाने की परंपरा न थी क्योंकि पुराने ग्रंथो में अनेक विद्वान पण्डिताओ का उल्लेख मिलता है। 

(ग) शिक्षा की नियमावली का न मिलना , स्त्रियों के अनपढ़ होने का सबूत नही है क्योंकि पुराने ग्रंथों में अनेक प्रगल्भ पंडिताओं का नामोल्लेख मिलता है। 

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उत्तर 10. (क) मन्नू भंडारी जे अपनी माँ के बारे में बताते हुए कहा है कि उनकी माँ में धरती से कुछ आधिक ही सहनशीलता व धैर्य है। उन्होंने जीवन में अपने लिए कुछ नहीं चाहा केवल दिया ही दिया है। वह हमेशा  पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर उचित-अनुचित इच्छा को अपना फर्ज समझकर निभाती थी। लोखिका कहती है उनका और उनके भाई-बहनो का सारा लगाव माँ के प्रति था। साथ ही लेखिका ने यह भी कहा है कि उनकी माँ का निहायत मजबूरी में लिपटा त्याग कभी उनका आदर्श नही बन सका। 

(ख) लेखिका ने अपने पिता के शक्की स्वभाव का कारण अपनों के हाथों विश्वासघात होने का दिया है। वह विचार करती है कि कितनी गहरी चोटे होगी वे अपनों के द्वारा विश्वासघात की जिन्होंने आँख मूंदकर सबका विश्वास करने वाले पिता जी को इतना शक्की बना दिया। लेखिका ने यह भी बताया कि गिरती आर्थिक व्यवस्था के कारण भी पिताजी का स्वभाव बात के दिनों में शक्की हो गया था कि तब परिवार के बाकी लोग भी इसकी चपेट में आते रहते थे। 

(ग) बिस्मिल्ला खाँ अस्सी वर्ष से खुदा से सच्चे सुर की मांग कर रहे थे। उन्हें विश्वास था कि एक दिन खुदा उन पर ही मेहरबान होगा और  उनकी झोली से सुर का फल उछाल कर उनकी ओर फेंकेगा और कहेगा ‘जा अमाेरुब्दीन । ले जा इसे और करले अपनी मुराद पूरी। अर्थात एक दिन सुर को बरतने की तमीज उन्हें अवश्य आएगी। 

(घ) काशी से मलाई बर्फ, कचौड़ी, अदब और आदर की संस्कृति के जाने के बाद भी अभी कुछ शेष है जो केवल काशी में है। काशी आज भी संगीत के स्वर पर जगती है और इसी की थाप पर सोती है। काशी में बिमिल्ला खाँ के रूप में संगीत और सुर की तमीज सिखाने वाला हिरा रहा है। 

(ड़) कोसल्यायन जी के अनुसार संस्कृति ही सभ्यता की जननी है। हमारे खान-पान के तरीके, हमारे रहन-सहन के तरीके, हमारे गमना गमन के साधन, परस्पर कट- मरने के तरीके, ये सब हमारी सभ्यता है।

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उत्तर 11. (क) इस पक्ति आशय है कि जब मुख्य गायक नारसप्तक में गाता है और उसमें गाते हुए उसकी आवाज में प्रवाह कम होने लगता और वह अपने सुर से भटक जाता है और उसका सुर बुझा-बुझा सा  प्रतीत होने लगता है। 

(ख) मुख्य गायक, को ढाढ़स बँधाता है संगतकार । जब तारसप्तक में  गाते हुए मुख्य गायक का गला बैठने लगता है, उसका उसका उत्साह कम होने लगता है तब संगतकार उसके स्वर में अपना स्वर मिलाकर उसे ढाढ़स बँधाता है। 

(ग) ऊँचे स्वर में गानो तारसप्तक कहलाता है। 

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उत्तर 12. (क) कन्यादान कविता में मां ने बेटी की अपने चेहरे न रीझने  की सलाह इसलिए दी, क्योंकि प्रशंसा के वे शब्द उसे आदर्श रूपी बंधन में बांध देंगे और समाज के सामने उसकी यही कोमलता उसकी कमजोरी बन जागी । 

(ख) माँ को बेटी को दान में देने का दुख प्रामाणिक था । उसकी बेटी से अंतिम पूंजी के समान लग रही थी क्योंकि उसने उसे इतने प्रेम से पाला  था और जीवन भर उसे संभाल कर रखा था अब वह उसे किसी और को दे रही है अब उसकी बेटी उसके लिए पराई हो जाएगी। इसी कारण माँ का दुख इतना प्रामाणिक था।

(ग) कवि इस पक्ति में कहते हैं के जो तुम्हें नहीं मिला उसे सोचकर मत दुखी हो और उसे भूलकर भविष्य के बारे में सोचो, उसे सुन्दर बनाने के बारे में सोचो । कवि अपनी बुद्धि का प्रयोग कर बीती बातो की भूलने को कहते है क्योंकि बीती बाते याद करके केवल दुख की प्राप्ति होगी और आने वाले भविष्य मे हमें सुखी बनाने का प्रयास करने को कहते हैं ताकि भविष्य में सुख से रह सके। इस प्रकार इस कथन में कवि की वेदना और चेतना व्यक्त हो रही है।

(घ) राम ने यह पक्ति तब कही थी जब परशुराम क्रोधित होकर सभा में आए और पूछने लगे कि शिवजी का धनुष किसने तोड़ा। श्री राम का उत्तर उनके विनम्र स्वभाव को दर्शाता है। वह स्थिर बुद्धि के थे। उनमें सहजता और सरलता के गुठ विद्यमान थे। उनके वचनों मे’ जल के समान शीतलता थी। 

(ड़) परशुराम स्वभाव से क्रोधी थे, और अपनी साहस व बल पर अभिमान करते थे। 

जब उन्हें शिव जी के धनुष के टूटने का पता चलता है तो वे क्रोधित होकर सभा में आते है और धनुष तोड़ने वाले को समाज से अलग होने का आह्वान देते है अन्यथा सारे राजाओं को मारने की बात करते है। 

परशुराम अपने साहस और बल का बखान करते हुए कहते है। कि उन्होंने अपनी भुजाओं के बल से अनेक बार पृथ्वी को राजाओं से रहित  करके ब्राह्मणों को दान में दिया है और उनका फरसा तो आवाज से गर्भो के बच्चों का नाश करने वाला है। 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
उत्तर 13. यह कथन पाठ साना-साना हाथ जोडी में एक फौजी कहा था जब लेखिका ने उनसे पूछा था कि इतनी ठंड में वे वहाँ कैसे रहते थे। 

इस कथन से हमें पता चलता है कि फौजी अपने देश और देशवासियों के भविष्य के लिए निस्वार्थ भाव से अपना आज को ठुकरा  देते है। फौजी जवान ऐसे स्थानों पर दिन – रात पहरा देते है जो आम-जनता के लिए अत्यंत विषत है। ऊँचे-ऊँचे बर्फीले पहाड़ो पर जहा  पेट्रोल के सिवाय सब कुछ जम जाता है, यह जवान वह तैनात रहते हैं रेगिस्तान के गर्मी के दिनों में तपा देने वाली धूप में भी यह तैनात रहते है और हॉफ हाफकर अनेक विषमताओं का सामना करते है । इन्हें लगातार दुश्मनों का सामना करना पड़ता है। ये अपना कार्य अपने परिवारों से दूर रहकर करते हैं। ये जवान हमारे देश का गौरव और प्रतिष्ठा करने वाले महारथी है अत: हमारा यह फर्ज बनता है कि हम उन्हें मान दें, सम्मान दे। इनके परिवारों के प्रति आत्मीय संबंध बनाए रखें। फौजी जवान सीमाओं पर तैनात है- इस तथ्य को जानते हुए देश के लोग चैन की नींद सो पाते है इसलिए हम इतना तो कर ही सकते है कि जवानों के गर्म कपड़े भिजवाए , दवाइया भिजवाय हैं इन्हे  सम्मानित करे। 

खण्ड – घ 

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उत्तर 14. आतंकवाद 

बढ़ता आतंकवाद :- आतंकवाद आज का सबसे बहुप्रचालित शब्द है। यह शब्द सुनते ही हमारे दिमाग मे बम विस्फोट, पिस्तौल धारी लोगों की छवियों मस्तिष्क में कौधती हैं। समाज में आतंकवाद आज इतना बढ़ गया है कि इस बात का भी भरोसा जा रह गया है घर से निकलने के बाद हम घर पहुंच भी पाएंगे या नहीं। आतंकवाद केवल बम विस्फोट करना ही नहीं बल्कि जाति, धर्म आदि के जान पर होने वाले झगड़े भी आतंकवाद के अंतर्गत आते है।मनुष्यता के खिलाफ़ आतंकवाद 

भारत में आतंकवाद- आज भारत में भी आतंकवाद की बढ़ोत्तरी हुई है। आए दिन समाचार पत्रों और दूरदर्शन पर किसी न किसी आतंकवादी के पकड़े जाने की खबरें आती रहती है और सीमाओ में घुसपैठ की सीमाओं पर धुसपैठ रोकने में हमारे देश के फोजियो का योगदान रहता पर अनेको सैनिक मारे भी जाते है जिससे हमारा मन आक्रांत रहता है बंबई के ताज होटल मैं बम विस्फोट, दिल्ली में संसद सदन पर आतंकवादी हमला हमें याद दिलाते हैं कि आतंकवाद हमारे देश को  कितनी चोट पहुंचाई हैं। हमने कितने अपनों को खोया है आतंकवाद की हानि में हमारे प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ़ जो मुहिम छेड़ी है, आशा है इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएँगी परंतु तब तक हमें एक साथ मिलकर एक दूसरे की सहायता करके रहना होगा। 

विश्व स्तर पर आतंकवाद :- केवल भारत में ही नहीं विश्व स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ आवाज दृढ़ हुई है । फ्रांस, अमरीका, इराक, सीरिया हर देश में आतंकवादी गतिविधियों ने जोर पकड़ रखा है। सभी देशों ने आतंकवाद के खिलाफ एक होने का आहवान दिया है। 

आतंकवादियों के लिए कोई किसी देश का नही है उनका कार्य तो केवल आतंक फैलाना मनुष्यता का विनाश करना है। पाकिस्तान के स्कूली बच्चों को मारकर आतंकवादियों ने यह सिद्ध कर दिया कि के किसी धर्म के नही । आतंकवाद से लड़ने का केवल एक उपाय है और वह हैं विश्व के देशो में आपसी सौहार्द जब तक सब लोग एक साथ है हमारी शक्ति उतनी ही अधिक है और आतंकवाद को इस अविभाज्य मानव संस्कृति को विभाजित करने के सभी उपाय बेकार हो जाएँगे। 

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उत्तर 15. परीक्षा भवन 

अ.ब. स नगर 

दिनांक : 10 मार्च 20xx 

पूजनीय माना जी 

सादर चरण स्पर्श 

आपका पत्र मिला। पत्रोत्तर में विलम्ब के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हुं पिछले एक माह से हम विद्यालय में होने वाले संगीत समारोह की तयारियो में व्यस्त थे इसलिए आपके पत्र का उत्तर नहीं दे पाया।

गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी हमारे विद्यालय मे संगीत समारोह आयोजित किया गया और हमारे विद्यालय को दुल्हन की तरह सजाया गया। विशिष्ट आतथियों में प्रसिद्ध शहनाई वादक एवं अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। 

समारोह का आरंभ सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद अनेक प्रकार के कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई थी हमारे संगीत के शिक्षक के साथ कुछ विद्यार्थियों ने बहुत बेहतरीन गायक व वादन पेश करके  माहौल को संगीतमय बना दिया सभी कार्यक्रमों का आधार था हमारे देश के प्रसिद्ध शहनाईवायक उस्ताद बिम्मल्ला खा को श्रद्धांजलि देना । तत्पश्चात प्रधानाचार्य ने सभी विद्यार्थियों के कार्य के और मेहनत को सराहा ओर उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ को श्रद्धांजलि देने के बाद इस संगीतमय रात्रि का समापन हो गया। पिता जी की मेरा प्रणाम और रोहन को प्यार । 

आपकी पुत्री 

क.छ.ग 

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उत्तर 16. शीर्षक – मनुष्य और पशुत्व 

सार – नाखूनों का बढ़ना मनुष्य में इसी प्रकार पशुत्व का द्योतक है जिस  प्रकार अस्त्र-शस्त्रो का बढ़ना है जीवन में। मनुष्य की घृणा पशुत्व को जन्म देती है जबकि दूसरों का आदर करना व अपने को संयत रखना मनुष्यता को। जिस दिन मनुष्य द्वारा मारणास्त्रों का प्रयोग बंद हो जाएगा उस दिन उसका पशुत्व का अंत हो जाएगा।

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हिन्दी 
बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?

HINDI (पाठ्यक्रम अ) 

(Course A) 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
सामान्य निर्देश : 

(i) इस प्रश्न-पत्र में चार खंड हैं – क, ख, ग और घ । 

(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है। 

(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमशः दीजिए। 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
खंड ‘क’ 

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Q. 1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

महात्मा गांधी ने कोई 12 साल पहले कहा था – 

मैं बुराई करने वालों को सजा देने का उपाय ढ़ूँढ़ने लगूं तो मेरा काम होगा उनसे प्यार करना और धैर्य तथा नम्रता के साथ उन्हें समझाकर सही रास्ते पर ले आना । इसलिए असहयोग या सत्याग्रह घृणा का गीत नहीं है । असहयोग का मतलब बुराई करने वाले से नहीं, बल्कि बुराई से असहयोग करना है । 

आपके असहयोग का उद्देश्य बुराई को बढ़ावा देना नहीं है । अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई अपने लिए आवश्यक पोषण के अभाव में अपने-आप मर जाए । अगर हम यह देखने की कोशिश करें कि आज समाज में जो बुराई है, उसके लिए खुद हम कितने ज़िम्मेदार हैं तो हम देखेंगे कि समाज से बुराई कितनी जल्दी दूर हो जाती है । लेकिन हम प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर इसे सहन करते हैं । मैं उस प्रेम की बात नहीं करता, जिसे पिता अपने गलत रास्ते पर चल रहे पुत्र पर मोहांध होकर बरसाता चला जाता है, उसकी पीठ थपथपाता है ; और न मैं उस पुत्र की बात कर रहा हूँ जो झूठी पितृ भक्ति के कारण अपने पिता के दोषों को सहन करता है । मैं उस प्रेम की चर्चा नहीं कर रहा हूँ। मैं तो उस प्रेम की बात कर रहा हूँ, जो विवेकयुक्त है और जो बुद्धियुक्त है और जो एक भी गलती की ओर से आँख बंद नहीं करता । यह सुधारने वाला प्रेम है । 

(क) गांधीजी बुराई करने वालों को किस प्रकार सुधारना चाहते हैं ? 

(ख) बुराई को कैसे समाप्त किया जा सकता है ? 

(ग) ‘प्रेम’ के बारे में गाँधीजी के विचार स्पष्ट कीजिए। 

(घ) असहयोग से क्या तात्पर्य है ? 

(ङ) उपयुक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए। 

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Q. 2. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

तुम्हारी निश्चल आँखें 

तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में 

प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता है 

ज़रूर दिखाई देती होंगी नसीहतें 

नुकीले पत्थरों-सी 

दुनिया भर के पिताओं की लंबी कतार में 

पता नहीं कौन-सा कितना करोड़वाँ नंबर है मेरा 

पर बच्चों के फूलोंवाले बगीचे की दुनिया में 

तुम अव्वल हो पहली कतार में मेरे लिए 

मुझे माफ़ करना मैं अपनी मूर्खता और प्रेम में समझता था | 

मेरी छाया के तले ही सुरक्षित रंग-बिरंगी दुनिया होगी तुम्हारी 

अब जब तुम सचमुच की दुनिया में निकल गई हो 

मैं खुश हूँ सोचकर कि मेरी भाषा के अहाते से परे है तुम्हारी परछाई ।

(क) बच्चे माता-पिता की उदासी में उजाला भर देते हैं – यह भाव किन पंक्तियों में आया है ? 

(ख) प्राय: बच्चों को पिता की सीख कैसी लगती है ? 

(ग) माता-पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ क्यों होता है ? 

(घ) कवि ने किस बात को अपनी मूर्खता माना है और क्यों ? 

(ङ) भाव स्पष्ट कीजिए : ‘प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता।’ 

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खंड ‘ख’ 

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Q. 3. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए । 

(क) बालगोबिन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए) 

(ख) मॉरीशस की स्वच्छता देखकर मन प्रसन्न हो गया । (मिश्र वाक्य में बदलिए) 

(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। (सरल वाक्य में बदलिए) 

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Q. 4. निर्देशानुसार वाक्य बदलिए। 

(क) मई महीने में शीला अग्रवाल को कॉलेज वालों ने नोटिस थमा दिया। (कर्मवाच्य में) 

(ख) देशभक्तों की शहादत को आज भी याद किया जाता है। (कर्तृवाच्य में) 

(ग) खबर सुनकर वह चल भी नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में) 

(घ) जिस आदमी ने पहले-पहल आग का आविष्कार किया होगा, वह कितना बड़ा आविष्कर्ता होगा। (कर्तृवाच्य में) 

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Q. 5. गहरे पदों का पद-परिचय लिखिए । 

अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया। 

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Q. 6. (क) ‘रति’ किस रस का स्थायी भाव है ? 

               (ख) ‘करुण’ रस का स्थायी भाव क्या है ? 

               (ग) ‘हास्य’ रस का एक उदाहरण लिखिए । 

               (घ) निम्नलिखित पंक्तियों में रस पहचान कर लिखिए : 

मैं सत्य कहता हूँ सखे ! सुकुमार मत जानो मुझे, 

यमराज से भी युद्ध को प्रस्तुत सदा मानो मुझे। 

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खंड ‘ग’ 

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Q. 7. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे, और अंत में इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए । महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है; वरना तो देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है। 

दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुज़रे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया । ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। 

(क) हालदार साहब को कस्बे के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और क्यों ? 

(ख) ‘देशभक्ति भी आजकल मज़ाक की चीज़ होती जा रही है।’ – इस पंक्ति में देश और लोगों की किन स्थितियों की ओर संकेत किया गया है ? 

(ग) दूसरी बार मूर्ति देखने पर हालदार साहब को उसमें क्या परिवर्तन दिखाई दिया ? 

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Q. 8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

(क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में किन सामाजिक रूढ़ियों पर प्रहार किया गया है ? 

(ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी शिक्षा प्रणाली में संशोधन की बात क्यों करते हैं ? 

(ग) ‘काशी में बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्लाखाँ एक-दूसरे के पूरक हैं’ – कथन का क्या आशय 

(घ) वर्तमान समाज को संस्कृत’ कहा जा सकता है या ‘सभ्य’ ? तर्क सहित उत्तर दीजिए। 

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Q. 9. निम्नलिखित पद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

हमारे हरि हारिल की लकरी। 

मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी । 

जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री। 

सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी । 

सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी । 

यह तौ ‘सूर’ तिनहिं लै सौंपौ, जिनके मन चकरी । 

(क) ‘हारिल की लकरी’ किसे कहा गया है और क्यों ? 

(ख) ‘तिनहिं ले सौंपौ’ में किसकी ओर क्या संकेत किया गया है ? 

(ग) गोपियों को योग कैसा लगता है ? क्यों ? 

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Q. 10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए : 

(क) जयशंकर प्रसाद के जीवन के कौन से अनुभव उन्हें आत्मकथा लिखने से रोकते हैं ? 

(ख) बादलों की गर्जना का आह्वान कवि क्यों करना चाहता है ? ‘उत्साह’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

(ग) ‘कन्यादान’ कविता में व्यक्त किन्हीं दो सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए। 

(घ) संगतकार की हिचकती आवाज उसकी विफलता क्यों नहीं है ? 

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Q. 11. “आज आपकी रिपोर्ट छाप दूं तो कल ही अखबार बंद हो जाए” – स्वतंत्रता संग्राम के दौर में समाचार पत्रों के इस रवैये पर ‘एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा’ के आधार पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग 150 शब्दों में चर्चा कीजिए। 

अथवा 

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Q. 11.’मैं क्यों लिखता हूँ’, पाठ के आधार पर बताइए कि विज्ञान के दुरुपयोग से किन मानवीय मूल्यों की क्षति होती है ? इसके लिए हम क्या कर सकते हैं ? 

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खंड ‘घ’ 

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Q. 12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए : 

(क) महानगरीय जीवन 

  • विकास की अंधी दौड़ 
  • संबंधों का ह्रास 
  • दिखावा 

(ख) पर्वो का बदलता स्वरूप 

  • तात्पर्य 
  • परंपरागत तरीके 
  • बाजार का बढ़ता प्रभाव 

(ग) बीता समय फिर लौटता नहीं 

  • समय का महत्त्व 
  • समय नियोजन 
  • समय गँवाने की हानियाँ 

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Q. 13. आपके क्षेत्र के पार्क को कूड़ेदान बना दिया गया था । अब पुलिस की पहल और मदद से पुन: बच्चों के लिए खेल का मैदान बन गया है । अत: आप पुलिस आयुक्त को धन्यवाद पत्र लिखिए । 

अथवा 

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Q. 13.पटाखों से होने वाले प्रदूषण के प्रति ध्यान आकर्षित करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए । 

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Q. 14. पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। 

अथवा 

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Q. 14.विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा निर्मित हस्तकला की वस्तुओं की प्रदर्शनी के प्रचार हेतु लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन लिखिए । 


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Answer Sheet
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खंड- ‘क’ 

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उत्तर 1. वाद्यांश 

(क) गाँधीजी बुराई करने वालों को प्यार करना चाहते थे तथा धैर्य और नम्रता के साथ समझाकर उन्हें सही रास्ते पर लाना चाहते थे। 

(ख) अगर दुनिया बुराई को बढ़ावा देना बंद कर दे तो बुराई के लिए आवश्यक पोषण अभाव में अपने – आप मर जायगे और बुराई समाप्त हो जाएगी।

(ग) गाँधीजी कहते है कि प्रेम की एक झूठी भावना में पड़कर हम बुराई सहन करते हैं। वह उस प्रेम की बात नहीं कर रहे जिसे पिता गलत रास्ते पर चल रहे अपने पुत्र की पीठ थपथपाता है। वह उस प्रेम की बात कर रहे हैं जो विवेकयुक्त हैं, बुद्धियुक्त है और एक गलती की ओर से भी आँख बंद नहीं करता। यह सुधारने वाला प्रेम है। 

(घ) असहयोग का मतलब बुराई करने वालों से नहीं, बल्कि बुराई का असहयोग करना है। 

(ड) उपर्युक्त साधांश का शीर्षक होना चाहिए ‘गाँधीजी के विचार’। 

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उत्तर 2. पधांश 

(क) बच्चे का माता-पिता को उदासी में उजाला भर देने का भाव निम्नलिखित पंक्ति में आया है: तुम्हारी निश्चल आँखें 

तारों-सी चमकती है. मेरे अकेलेपन को रात के आकाश में। 

(ख) बच्चों को माता-पिता को सीख नुकीले पत्थरों  जैसा लगता है। 

(ग) माता-पिता के लिए अपना बच्चा सर्वश्रेष्ठ इसलिए होता है क्योंकि वह दुनियाभर में पिताओं की लंबी कतार और उन्हें अपना संतान करोड़ों नंबर के बाद मिलती है और बच्चों की दुनिया में अपने बच्चे का स्थान सर्वश्रेष्ठ होता है। 

(घ) कवि को ऐसा प्रतीत होता था कि उसके सानिध्य तथा उसका छत्रछाया में हो उसके बच्चे का जीवन और उसकी रंग-बिरंगी दुनिया सुरक्षित है इस बात को कवि ने अपनी सूखेता बताया है। 

(ड) इस पंक्ति का यह अर्थ है कि पिता अपने बच्चे के गमले के लिए कभी – कभी उसको नसीहतें न देते हैं या डॉट भी देते परंतु बच्चों को पिता की इस डाँट में उनका प्रेम नहीं दिखाई देता है। 

खंड-‘ख’ 

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उत्तर 3. (क)आश्रित उपवाक्य- अब बुढ़ापा आ गया 

भेद – संज्ञा आश्रित उपवाक्य 

(ख) जब मैंने मॉरीशस की स्वच्छता देखो तब मेरा मन प्रसन्न हो जाया – 

(ग) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे।

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उत्तर 4. (क) मई महीने में कॉलेज वालों के द्वारा शीला अग्रवाल को नोटिस थमा दिया गया था

(ख) देशभक्तों की शहादत आज भी याद की जाती है। 

(ग) खबर सुनने के कारण उससे चला भी नहीं जा रहा था। 

(घ) पहले-पहल आग का आविष्कार करने वाला आदमी कितना बड़ा आविष्कतो होगा । 

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उत्तर 5. पद- परिचय

गाँव की – जातिवाचक संज्ञा, संबंध कारक, एकवचन, 

मिट्टी – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन 

मैं– उत्तमपुरुषवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन,  कर्ता कारक 

तरस गया – अकर्मक क्रिया, भूत काल 

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उत्तर 6. (क) शृंगार रस 

             (ख) शोक 

              (ग) ‘हास्य रस – ‘सरकंडे से हाँथ पाँव मटके जैसो पेट पास पिचके – पिचके गाल दोऊ, मुँह तो देखो। इंडिया गेट। 

             (घ) वीर रस 

खंड-ग 

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उत्तर 7.जब हालदार साहब चौराहे पर रूकते तो वहाँ लगी नेताजी सुभाषचंद्र बोस जी की मूर्ति को देखा करते थे। मूर्ति तो संगमरमर की थी परन्तु उस पर चश्मा असली लगा था। उन्हे लगा कि शायद मूर्तिकार चश्मा बनाना भूल गया और वहाँ के नागरिकों ने असली चश्मा लगा दिया। हालदार साहब को यही प्रयास सराहनीय लगा।

(ख) इस पंक्ति में यह बताया गया है कि आजकल लोगों के मन देशभक्तों के लिए सममन की भावना नहीं रही। आजकल लोग देशभक्ति को भूलते जा रहे है, वे देशभक्ति को पागलपन करते है और देशभक्ति महत्वपूर्ण नहीं है केवल अपना स्वार्थ महत्वपूर्ण है। 

(ग) दूसरी बार देखने पर लेखक को मूर्ति की आँखों पर नया चश्मा लगा हुआ मिला।

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उत्तर 8. (क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में बालगोबिन भगत ने अपनी पुत्रवधु से अपने बेटे को मुखग्नि दिलाई जबकि स्त्रियों को अंतिम संस्कार करने की आज्ञा नहीं दी जाती है। भगत ने उसके पश्चात् अपनी पुत्रवधु का पुनर्विवाह करने का निश्चय किया जबकि समाज में विधवा स्त्री के पुनर्विवाह का प्रचलन नहीं है। 

(ख) स्त्री शिक्षा विरोधियों ने जब प्राचीन काल में स्त्रियों के लिए कोई शिक्षा प्रणाली न बताकर स्त्रियों को शिक्षित करने में लिए रोक तब महावीर जी ने कहा कि अतीत में स्त्रियों की कोई शिक्षा प्रणाली नहीं तो क्या हुआ आज के युग में स्त्रियों को शिक्षा की आवश्यकता है और शिक्षा प्रणाली में संशोधन के बाद स्त्री और पुरूष दोनों ही शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।

(ग) इस कथन का यह आशय है कि काशी के बाबा विश्वनाथ और विस्मिल्लाखाँ एक दूसरे के बिना  अधूरे है क्योंकि बिस्मिल्लाखाँ के दिन की शुरूआत बाबा विश्वनाथ मंदिर की ड्योढी पर शहनाई बनाने से होती थी यदि वे काशी से बाहर होते थे तो वे अपनी शहनाई का प्याला विश्वनाथ मंदिर की ओर करके बजाते थे और सफलता और ऊँचाई प्राप्त करने के बाद भी वे काशी और विश्वनाथ मंदिर को छोडकर नहीं गए।

(द्य) वर्तमान समाज को ‘सभ्य’ कहा जा सकता है क्योंकि हमारे समाज में जो भी उन्नति हो रही है वह सब हमारे पूर्वजों द्वारा किए गए आविष्कार, अनुसंधान के कारण ही है। प्राचीन काल में आग की खोज हुई, सुई-धागे का आविष्कार हुआ, गुरूत्वाकर्षण के नियमों से हमें अवगत कराया गया इत्यादि इन सब आविष्कार और खोज के कारण ही हम नई नई चीजें बना पाए और लगातार उन्नति की ओर अग्रसर है अतः हम अपने पूर्वजों से सभ्य है पर उनसे ज्रूादा संस्कृत नहीं।

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
उत्तर 9. (क) ‘हारिल की लकरी’ भगवान श्री कृष्ण को कहा गया है जिस प्रकार हारिल पक्षी सदैव अपने पैरों में लकड़ी दबाए रहता है उसी प्रकार गोपियों ने भी श्री कृष्ण को अपने मन में बसा रखा है। 

(ख) ‘तिनहीं लै सौपौ’ में उनकी ओर संकेत किया गया है जिनके मन चकरी के समान चंचल है व अस्थिर है। 

(ग) गोपियों को योग कडवी ककडी के समान लग रहा है जिसके बारे में उन्होने न तो पहले कभी सुना और न ही देखा। 

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उत्तर 10. (क) कवि जयशंकर प्रसाद ऐसा मानते है कि उन्होने अपने जीवन में कुछ महान कार्य नहीं किया है जिसके बारे में पढ़कर लोग उससे प्रेरणा लेंगे, वह अपने जीवन में हुए छलकपटतापूर्ण व्यवहार के बारे में बतानी नहीं चाहते है और उन्हे ऐसा लगता है कि उनके खाली जीवन के बारे में पढ़कर लोग शायद उनकी हँसी उड़ाए अतः वे आत्मकथा नहीं लिखना चाहते है। 

(ख) गर्मी और ऊष्मा से परेशान लोग बादलों का इंतजार कर रहे है। बादलों की गर्जना से लोगों के मान में बारिश के लिए उत्साह भर जाएगा और गर्जना में सृष्टि के नवनिर्माण की शक्ति होती है और गर्जना के पश्चात् वे बारिश करके सबको शीतलता प्रदान करते है। 

(ग) ‘कन्यादान’ कविता में स्त्री को ससुराल पक्ष द्वारा दहेज के लालच में आग से जला देने के बात की गई है और पुरूष प्रधान समाज द्वारा स्त्री को वस्त्र आभूषणों के बंधन में बाँध कर उसकी सरलता और कोमलता का फायदा उठाकर उस पर अत्याचार किया जाता है। 

(द्य) संगत कार जानबूढ कर अपनी आवाज़ को मुख्य गायक की आवाज़ से धीमा रखता है क्योंकि वह चाहता है कि श्रोतागणों के बीच मुख्य गाय के संगीत उसके गायन का सिक्का जमा रहे उसका स्वयं पृष्ठभूमि में रहना और मुख्य गायक को मुख्य कलाकार बने रहने देना उसकी मनुष्यता का परिचायक है विफलता का नहीं।

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उत्तर 11. (ख) ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में विज्ञान के दुरुपयोग का वर्णन किया गया है। इस पाठ में यह बताया गया है कि किस प्रकार अणु बम, परमाणु हथियार का आविष्कार मानव जाति के समूल नाश का कारण बन सकता है। अस्पताल में लेखक द्वारा देखे गए परमाणु हथियारों के प्रकोप का कष्ट झेलते मरीज़ों का दृश्य हमारी आत्मा को झकझोर देता है और जले हुए पत्थर पर मनुष्य के शरीर की उजली छाया हमारे शान व हमारी मानवता पर करारा प्रहार करता है। मनुष्य परोपकार मूल कर स्वार्थ को अपनाता है यदि यह सब विज्ञान के और मानवीय बुद्धि का परिणाम है तो ऐसी  बुद्धिमता का क्या लाभ जो मनुष्य से मनुष्य को मारना सिखाए। इस विषय पर हमें गहन विचार करने की आवश्यकता है हमें सभी व्यक्तियों को सुशिक्षा देनी चाहिए और लोगों को प्रेम , सद्भावना व मानवता का पाठ पढ़ाना चाहिए। हमें बच्चों को बचपन से ही अच्छी बात बतानी चाहिए तथा हम इस संसार में फेल रही अहिंसा को दूर कर पाएँगे और सदभावना का पाठ पूरे संसार को पढ़ा पाएंगे। 

खंड-‘घ’ 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
उत्तर 12. निबंध लेखन – 

(क) महानगरीय जीवन  

विकास की अंधी दौड़ – आज प्रत्येक व्यक्ति महानगर में बसना चाहता है और इसका मुख्यत: कारण विकास की कामना लोगों को ऐसा प्रतीत होता है कि महानगरों में ही उन्हें सभी सुविधाएँ प्राप्त होगी उनका जीवन सुधर जाएगा और इसी धारणा के चलते आज के वर्तमान युग में महानगरों में रहने तथा महानगरों को बसाने की होड़ गई है और इसी विकास को अंधी दौड़ के कुछ दुष्परिणाम भी है जैसे पर्यावरण की हानि। यदि विकास के चलते हम अपने ही पर्यावरण अपनी ही धरती को नुकसान पहुंचाएंगे तो ऐसे विकास का क्या लाभ। माना कि विकास हमारे देश की उन्नति के लिए अति आवश्यक है परंतु इस विकास के लिए अपने देश का पर्यावरण को क्षति पहुँचना कितना तर्कसंगत है। 

संबंधों का हास – महानगरीय जीवन भगा – दौड़ी का जीवन है और इस भगा -दौड़ी के चलते हमें सिर्फ पैसा कमाने से मतलब और सभी प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त करना, ही हमारे जीवन का लक्ष्य बनकर रह जाता है। इस व्यस्त जीवनशैली के चलते हम अपने पारिवारिक संबंधों पर ध्यान नहीं दे पाते और हमारे पारिवारिक संबंधों में लगा गर्मजोशी न होने के कारण रिश्ते फीके से पड़ने लगते है। महानगरों में रह रहा व्यक्ति अपने आस- पड़ोस से भी ज्यादा धूलता मिलता नहीं है रिश्तों को कायम रखने के लिए मेल-मिलाप , बातचीत अति आवश्यक है परंतु काम कि बोझ के चलते लोगों को एक दूसरे के साथ उठने बैठने घुलने तथा मिलने का समय भी नहीं मिल पाता है। 

दिखावा – ग्रामीण जीवनशैली के बजाय शहरों जीवनशैली में दिखावा प्रवृत्ति अधिक है महानगर में रह रहे व्यक्तियों को हमेशा एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी रहती है यदि एक व्यक्ति आर्थिक रूप से उतना सक्षम नहीं है कि वह चार पहिया वाहन खरीद सके फिर भी वह दूसरों की देखादेखी में वह अपनी आर्थिक स्थिति नहीं देखता परंतु अपने शौकों को पूरा करने की इच्छा करने लगता है जो उसके लिए हानिकारक होती है। ग्रामीण जीवन में सरलता होती है सबका, सिद्धांत – ‘सादा, जीवन उच्च विचार होता है परंतु शहरों के जीवन में एक बनावटीपन होता है और मनुष्य अपने सुखों को प्राप्त करने के लिए सर्वस्व न्योछावर कर देता है और दुसरो की बराबरी करने के चलते वह अपने जीवन को ठीक से जीना भूल जाता है और जीवन के मुख्य लक्ष्य- ‘जो कि उसे खुशकर होकर जीना है। उसे कभी प्राप्त नहीं कर पाता है। 

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उत्तर 13. औपचारिक पत्र 

सेवा में, 

           पुलिस अधीक्षक आयुक्त 

           पुलिस चौकी  

           क ख ग नगर 

विषय:- आपकी सहायता से पार्क की स्वच्छ करवाने हेतु धन्यवाद पत्र।  

मान्यवर 

मैं आपके क्षेत्र का नागरिक हूँ और मैंने अपने क्षेत्र के खेल के मैदान को समस्या के बारे में आपकी पुलिस चौकी में आकर बताया था कि लोगों ने कूड़ा और सारी गंदगी पार्क में फेंककर उसे उसकी सुंदरता को नष्ट कर दिया और अब बच्चों के खेलने के लिए भी कोई स्थान नहीं बचा । आपके द्वारा मेजी गई पुलिस फोर्स ने पार्क की सफाई का कार्य शुरु करवाया और लोगों को कड़े आदेश दिए कि वे पार्क में गंदगी न फैलाएँ। 

आपने और सभी पुलिस बल ने हमारी बहुत सहायता की और पार्क को बच्चों के खेलने का स्थान दोबारा से बनाने के लिए आप सबकी बहुत धन्यवाद। 

भवदीय 

एक जागरुक नागरिक 

अ.ब.स 

दिनांक- 09-07-2019 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?
उत्तर 14. विज्ञापन 

बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा तोड़ने का साहस कैसे दिखाया? - baalagobin bhagat ne saamaajik parampara todane ka saahas kaise dikhaaya?

हमारा पर्यावरण हमारी ज़िम्मेदारी है यदि हम पेड़ो को काटेगे, कूचरा इधर- उधर फेकेंगे कूड़ेदान में नहीं डालेंगे तो हमारे देश की स्वच्छता बरकरार नहीं रहेगी । हम एक सब तो आइए प्रण लें कि आज से हम कभी भी अपने पर्यावरण को नुकसान नही पहुँचाएँगे और, खाली पड़ी ज़मीन पर पौधे लगाएंगे और अपने घर, आस-पड़ोस के आसपास की जगह साफ रखेंगे और देश को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान देंगे।