प्रश्न 88 : भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए। Show
उत्तर- भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपाय निम्नलिखित-(1) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना चाहिये। इससे श्रमिकों की पूर्ति दर में कमी आएगी। रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ यह भी अति आवश्यक है। (2) लघु और कुटीर उद्योगों का विकास- ये उद्योग ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थापित हैं तथा अंशकालीन रोजगार प्रदान करते हैं। इसमें पूंजी कम लगती है और ये परिवार के सदस्यों द्वारा ही संचालित होते हैं। इसके द्वारा बेकार बैठे किसान और उनके घर के सदस्य अपनी क्षमता, श्रम, कला-कौशल और छोटी-छोटी जमा राशि का उपयोग कर अधिक आय और रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। अतः सरकार को इनके विकास के लिये पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।(3) व्यावसायिक शिक्षा- देश की शिक्षा पद्धति में परिवर्तन की आवश्यकता है। हमें शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाना है। हाईस्कूल पास करने के बाद छात्रों की रुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा चुनने के लिए जोर देना चाहिए। इससे शिक्षा प्राप्त करने के बाद के व्यवसाय से जुड़ सकेंगे और देश में बेरोजगारी की समस्या हल हो सकेगी। (4) विनियोग में वृद्धि- सार्वजनिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पूंजी का विनियोग कर बेरोजगारी दूर की जा सकती है। निजी क्षेत्र में बड़े उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए, जो कि श्रम प्रधान हों। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। बड़े-बड़े उद्योगों में पूंजी गहन तकनीक पर नियंत्रण रखना चाहिये, क्योंकि इनमें बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया जाता है और मानव श्रम कम लगता है। इससे बेरोजगारी बढ़ती है। (5) सहायक उद्योगों का विकास- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के सहायक उद्योग जैसे-दुग्ध व्यवसाय, मछली पालन, मुर्गीपालन, बागवानी, फूलों की खेती आदि का विकास करना चाहिये। बेरोजगारी क्या है? | बेरोजगारी की सीमा | भारत में बेरोजगारी के कारण | बेरोजगारी दूर करने के उपाय
बेरोजगारी क्या है?बेरोजगारी क्या है?– बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है जहाँ श्रम-शक्ति (श्रम की पूँजी ) के अवसरों (श्रम की माँग) में अन्तर होता है। बेरोजगारी श्रमिकों की माँग की अपेक्षा उनकी पूर्ति के अधिक होने का परिणाम है। बेरोजगारी से आशय एक ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति वर्तमान मजदूरी की दर पर काम करने को तैयार होता है परन्तु उसे काम नही मिलता। किसी देश में बेरोजगारी की अवस्था वह अवस्था है जिसमें देश में बहुत से काम करने योग्य व्यक्ति हैं परन्तु उन्हें विभिन्न कारणों से काम नहीं मिल रहा है। अतएव बेरोजगीर का अनुमान लगाते समय केवल उन्हीं व्यक्तियों की गणना की जाती है जो (अ) काम करने के योग्य हैं; (ब) काम करने के इच्छुक हैं तथा (स) वर्तमान मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार हैं। उन व्यक्तियों को जो काम करने के योग्य नहीं हैं; जैसे-बीमारे, बूढ़े, बच्चे, विद्यार्थी आदि को बेरोजगारी में सम्मिलित नहीं किया जाता। इसी प्रकार जो लोग काम करना ही पसन्द नहीं करते, उनकी गणना भी बेरोजगारों में नहीं की जाती है। प्रो. पीगू के अनुसार, “एक व्यक्ति को उस समय ही बेरोजगार कहा जायेगा जब उसके पास रोजगार का कोई साधन नहीं हैं परन्तु वह रोजगार प्राप्त करना चाहता है। इसे भी पढ़े…
बेरोजगारी की सीमाबेरोजगारी की सीमा से आशय एक ऐसी स्थिति से है जिसमें व्यक्ति वर्तमान मजदूरी की दर पर काम करने को तैयार होता है परन्तु उसे काम नहीं मिलता। किसी देश में बेरोजगारी की सीमा वह अवस्था है जिसमें देश में बहुत से काम करने योग्य व्यक्ति परन्तु उन्हें विभिन्न कारणों से काम नहीं मिल रहा है। अतएव बेरोजगारी की सीमा का अनुमान लगाते समय केवल उन्हीं व्यक्तियों की गणना की जाती है जो (अ) काम करने के योग्य हैं, (ब) काम करने के इच्छुक हैं तथा, (स) वर्तमान मजदूरी पर काम करने के लिए तैयार हैं। भारत में बेरोजगारी के कारण (Cause of Unemployment in India)(1) जनसंख्या में वृद्धिभारत में बेरोजगारी का प्रमुख कारण जनसंख्या का तीव्र गति से बढ़ना हैं। यहाँ 2.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से जनसंख्या बढ़ रही हैं परन्तु रोजगार की सुविधाएँ इस दर से नहीं बढ़ रही है। सन् 1951 में कृषि श्रमिकों की संख्या 2.8 करोड़ थी, जो सन् 1961 में 3.15 करोड़, सन् 1971 में 4.75 करोड़ तथा 2011 में 5.15 करोड़ हो गयी। इसे भी पढ़े…
(2) सीमित भूमिभारत में 14.3 करोड़ हेक्टेअर भूमि में कृषि की जाती है। भूमि की सीमा में तो बहुत कम वृद्धि हुई परन्तु जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही हैं जिस कारण भूमि पर जनसंख्या का भार बढ़ता जा रहा है और प्रति व्यक्ति भूमि घटती जा रही है। इसमें व्यक्तियों की उपयोगिता घट गयी हैं, क्योंकि जिस कार्य को एक व्यक्ति कर सकता हैं, उसमें दो व्यक्ति लगे हैं। (3) कृषि की मौसमी प्रकृतिभारतीय कृषि एक मौसमी व्यवसाय है जिस कारण श्रमिकों को कृषि कार्य में वर्ष पर्यन्त रोजगार प्राप्त नहीं होता। उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष में 258 से 280 दिन तक उन क्षेत्रों में कार्य मिलता हैं, जहाँ नहरें हैं तथा पूर्वी क्षेत्र में एक वर्ष में केवल तीन या चार माह ही काम मिलता है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, “दक्षिण भारत के किसान वर्ष में केवल 5 महीने ही व्यस्त रहता है। खाली मौसम में उसके पास एक या दो घण्टे तक ही काम रहता हैं। “ (4) अव्यवस्थित तथा अवैज्ञानिक कृषिभारतीय कृषि उचित रूप से संगठित नहीं है तथा कृषि करने का ढंग अवैज्ञानिक है। उत्तम बीज, खाद, उर्वरक तथा सुधरे हुए यन्त्रों के अभाव के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादकता अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है। अतः इस व्यवसाय की आय कम रही है, जिस कारण यह अधिक लोगों को रोजगार नहीं दे पाती। इसे भी पढ़े…
(5) खेतों का छोटा और छिटके होनाभारत में खेत छोटे-छोटे और बिखरे हुए हैं। वे अनार्थिक जोत के है तथा उन पर उत्पादन कम होता है। खेती छोटे पैमाने पर की जाने के कारण बेरोजगारी में वृद्धि होती है। (6) कुटीर उद्योगधन्धों का अभाव ब्रिटिश सरकार का दोषपूर्ण व स्वार्थपूर्ण नीति एवं मशीन निर्मित माल की प्रतियोगिता से कुटीर व लघु उद्योगों का पतन हो गया तथा उनमें लगे लोग बेरोजगार हो गये। दूसरे, ग्रामों में सहायक उद्योगों का अभाव होने के कारण कृषि श्रमिक अपने खाली समय का सदुपयोग नहीं कर पाता और वह बेकार रहता है। (7) कृषि का यन्त्रीकरणदेश में उद्योग व कृषि दोनों क्षेत्रों में यन्त्रीकरण की प्रक्रिया बढ़ती जा रही है, जिसका स्वाभाविक परिणाम अल्पकाल में बेरोजगारी का बढ़ना है। (8) त्रुटिपूर्ण आर्थिक नियोजनभारत में आर्थिक नियोजन 1951 ई० से प्रारम्भ हुआ, परन्तु त्रुटिपूर्ण आर्थिक योजना के कारण इन योजनाओं में रोजगार बढ़ाने के कार्यक्रमों को रखे जाने के बावजूद प्रत्येक योजना के अन्त में बेरोजगारी की संख्या बढ़ती जाती है। (9) पूँजी निर्माण की धीमी गति-भारत में पूँजी निर्माण धीमी गति से हो रहा है। पूँजी निर्माण की तुलना में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। अतः बेरोजगारी को बढ़ावा मिलता हैं। बेरोजगारी दूर करने के उपाय (Measures to reduce Employment)1. सहायक और अनुपूरक उद्योगों का विकासकृषि अर्थव्यवस्था में आंशिक बेरोजगारी दूर करने के लिए लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास अपेक्षित है। लघु एवं कुटीर उद्योग श्रम गहन होते हैं और वे बड़ी मात्रा में बेकार एवं अर्द्धबेकार श्रमिकों को रोजगार प्रदान कर सकते है। अत: ग्रामीण जनता को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के लिए आवश्यक है कि भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों का पर्याप्त विकास हो । 2. जनसंख्या की वृद्धि पर नियन्त्रणनियोजन आयोग के अनुसार, अधिकतम आय के स्तर पर अधिकतम रोजगार की स्थिति तक पहुँचने के लिए जनसंख्या की वृद्धि पर नियन्त्रण लगाना आवश्यक हैं। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम का प्रसार अधिक तीव्र गति से करना चाहिए। इसे भी पढ़े…
3. सामाजिक सेवाओं का विस्तारभारत में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, चिकित्सा तथा अन्य सामाजिक सेवाओं का विस्तार विद्यमान बेकारी की समस्या की गहनता को कम करने में सहायक होगा। 4. राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में विविध कार्यसड़क और पुलों का निर्माण, भू-संरक्षण, वृक्षारोपण, भवन, भूमि का पुनरूद्धार, नालियों का निर्माण आदि राष्ट्र निर्माण के विविध कार्यों के प्रसार से यह समस्या कुछ कम हो जायेगी। 5. कृषि भूमि के क्षेत्र का विस्तारभारत में कुल भूमि क्षेत्रफल का 1.54 करोड़ हेक्टेअर भूमि कृषि योग्य बंजर भूमि हैं। इस कृषि योग्य बंजर भूमि को जोतकर तथा साफ कराकर इसे खेती योग्य बनाया जाय ताकि ग्रामीण बेरोजगारों को रोजगार दिलाया जा सके। 6. शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनभारत में वर्तमान शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन किया जाना चाहिए। जिसके लिए व्यावसायिक शिक्षा का प्रसार किया जाना चाहिए। शिक्षा को बिना व्यावसायिक एवं रोजगार उन्मुख बनाये देश में शिक्षित बेरोजगारी में कमी करना सम्भव नहीं है। 7. कृषि सहायक उद्योगधन्धों का विकास ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को दूर करने के लिए कृषि के सहायक उद्योग-धन्धों, जैसे- मुर्गीपालन, पशुपालन, मत्स्यपालन, दुग्ध व्यवसायी, बागवानी आदि का अधिक विकास किया जाना चाहिए। 8. प्राकृतिक साधनों का समुचित विदोहनदेश में अभी तक प्राकृतिक स का समुचित विदोहन नहीं हो पाया है, जिसके कारण औद्योगिक विकास की गति धीमी रही है। अत: अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए प्राकृतिक साधनों के सर्वेक्षण तथा उचित विदोहन की योजना बनायी जानी चाहिए। 9. पूँजी के विनियोग को प्रोत्साहनदेश में रोजगार में वृद्धि करने हेतु अधिक मात्रा में पूँजी के विनियोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में भी कारखानों तथा उत्पादन इकाइयों का और अधिक विस्तार किया जाना चाहिए। 10. स्वयं रोजगार योजना का विस्तारभारत में बेरोजगार नौजवानों को सुस्पष्टतया शिक्षित बेरोजगारों को प्रोत्साहित किया जाये कि वे स्वयं अपने रोजगार आरम्भ करें, नौकरी के पीछे न भागें। इस प्रकार रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। 11. जनशक्ति नियोजनभारत में जनशक्ति नियोजन किया जाना चाहिए। जनशक्ति नियोजन से आशय यह है कि विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में श्रम की माँग एवं पूर्ति के बीच समायोजन किया जाना चाहिए तथा उसी के अनुसार प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था की जानी चाहिए । 12. अन्य उपायदेश में बेरोजगारी की समस्या के समाधान हेतु सामाजिक सुधारों का विस्तार, प्रशिक्षण तथा मार्गदर्शक योजनाएँ, कृषि सेवा केन्द्र की स्थापना, बड़े पैमाने पर सड़क का निर्माण कार्य, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजलीघरों की स्थापना, कृषि के सहायक यंत्रों तथा सड़कों में रोजगार उन्मुख नियोजन आदि उपायों पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। इसे भी पढ़े…
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DisclaimerDisclaimer:Sarkariguider does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपाय क्या हैं वर्णन करें?बेरोजगारी दूर करने के उपाय (Measures to reduce Employment). सहायक और अनुपूरक उद्योगों का विकास ... . जनसंख्या की वृद्धि पर नियन्त्रण ... . सामाजिक सेवाओं का विस्तार ... . राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में विविध कार्य ... . कृषि भूमि के क्षेत्र का विस्तार ... . शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन ... . कृषि सहायक उद्योग ... . प्राकृतिक साधनों का समुचित विदोहन. भारत में बेरोजगारी के क्या कारण हैं भारत सरकार द्वारा इसे दूर करने के क्या उपाय अपनाए गए हैं ?`?बेरोजगारी का मुख्य कारण वृद्धि की धीमी गति है । रोजगार का आकार, प्रायः बहुत सीमा तक, विकास के स्तर पर निर्भर करता है । आयोजन काल के दौरान हमारे देश ने सभी क्षेत्रों में बहुत उन्नति की है । परन्तु वृद्धि की दर, लक्षित दर की तुलना में बहुत नीची है ।
बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार ने कौन कौन से कदम उठाए हैं?सरकारी योजनाएं : -. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमसीजीपी). महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस). पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना (डीडीयू-जीकेवाए). दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाए-एनयूएलएम). बेरोजगारी से बचने के लिए क्या करें?बेरोजगारी दूर करने के उपाय:
गांवो में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कुटीर उद्योग-धंधों को बढ़ावा देना चाहिए । इसके लिए पर्याप्त प्रशिक्षण सुविधाओ की व्यवस्था की जानी चाहिए तथा समय पर कच्चा माल उपलका कराया जाना चाहिए । सरकार को उचित मूल्य पर तैयार माल खरीदने की गांरटी देनी चाहिए ।
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