भारत का संविधान किसने लिखा और कितने दिनों में लिखा - bhaarat ka sanvidhaan kisane likha aur kitane dinon mein likha

26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू किया गया था। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है। हाथ से लिखे हुए संविधान पर 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे जिसमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं। 

भारत का संविधान किसने लिखा और कितने दिनों में लिखा - bhaarat ka sanvidhaan kisane likha aur kitane dinon mein likha

भारत का संविधान किसने लिखा और कितने दिनों में लिखा - bhaarat ka sanvidhaan kisane likha aur kitane dinon mein likha

New Delhi, First Published Nov 26, 2021, 10:23 AM IST

करियर डेस्क. 26 नवंबर का दिन भारत के लिए बेहद खास है। क्योंकि इस दिन को संविधान दिवस (Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है। भारत में औपचारिक रूप से 26 नवंबर 1948 को संविधान (Constitution) को अपनाया गया था लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया। संविधान देश के हर नागरिक को आजाद भारत में रहने का समान अधिकार देता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य देश के युवाओं के बीच में संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देना जागरूकता फैलाना है। 26 नवंबर को पहले कानून दिवस (Law day)  के तौर पर मनाया जाता था मनाया जाता था। 19 नवंबर 2015 को भारत सरकार द्वारा यह फैसला लिया गया कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आइए जानते हैं संविधान दिवस के कुछ रोचक फैक्ट्स। 

किसने तैयार किया
डॉ भीमराव अंबेडकर देश के पहले कानून मंत्री थे। 1947 में उन्हें संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया और उन्हें देश का नया संविधान लिखने की जिम्मेदारी दी गई। अमेरिकी इतिहासकार ग्रानविले सीवार्ड ऑस्टिन ने अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान को 'सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण एक सामाजिक दस्तावेज' के रूप में वर्णित किया है।

कितने दिनों में बनकर तैयार हुआ संविधान
भारत का संविधान बनने में 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे। 26 नवंबर, 1949 को यह पूरा हुआ था लेकिन 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था। संविधान की असली कॉपी प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा लिखी गई थी। संविधान की असली प्रतियां हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में लिखी गई थीं। आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित तरीके से रखा गया है।

कैसी दिखती है मूल प्रति

  • 16 इंच चौड़ी है संविधान की मूल प्रति
  • 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है
     

दुनिया का सबसे बड़ा लिखिति संविधान
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू किया गया था। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है। हाथ से लिखे हुए संविधान पर 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे जिसमें 15 महिलाएं भी शामिल थीं। संविधान 25 भागों, 470 अनुच्छेदों और 12 सूचियों में बंटा भारतीय संविधान किसी दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है।

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Last Updated Nov 26, 2021, 10:23 AM IST

भारत का संविधान किसने लिखा

भारतीय संविधान को बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से से लिखा है। संविधान का नाम आते ही हमारे जहन में तमाम बातें उठती हैं। इनमें डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन वह शख्स जिसने इस पूरे संविधान को लिखा आज हम आपको उसके बारे में बताते हैं

हर साल 26 जनवरी को हम अपना गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इस दिन यानी 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। तबसे हम इस दिन को गणतंत्र दिवस (Republic Day) के रूप में मनाते हैं। इससे जुड़े कई रोचक तथ्य हैं कई तो आप जानते होंगे कुछ ऐसे भी हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे।

भारत का संविधान किसने लिखा और कितने दिनों में लिखा - bhaarat ka sanvidhaan kisane likha aur kitane dinon mein likha

भारतीय संविधान का जिक्र आते ही भीमराव अंबेडकर नाम जरूर आता है और उन्हें संविधान निर्माता कहा जाता है। यहां तक सब ठीक है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी मूल प्रति किसने लिखी होगी। हम आपको इसे बारे में अहम जानकारी देने जा रहे हैं।

पूरे संविधान को अपने हाथों से कागज पर उकेरेने वाले शख्स का नाम है प्रख्यात कैलिग्राफर (सुलेखक) प्रेम बिहारी नारायण रायजादा। जिन्होंने बिना गलती किये

संविधान की प्रस्तावना

को खूबसूरत तरीके से कलमबद्ध किया।

26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान तैयार हुआ। कई लोगों के अथक परिश्रम का ही फल था कि संविधान की मूल प्रति किसी कलाकृति सी बनी। नंदलाल बोस और उनके छात्रों ने अपनी पेंटिंग से खूबसूरत बनाया, तो प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपनी लेखनी से इसमें चार चांद लगा दिए। उन्होंने अपनी कैलिग्राफी से संविधान की शुरुआती सामग्री और उसकी प्रस्तावना लिखी। रायजादा ने इटेलिक शैली में बेहद खूबसूरती से संविधान लिखा, जिसमें उन्होंने एक भी गलती नहीं की।

400 से ज्यादा निब का उपयोग किया गया

प्रेम बिहारी के परिवार में कैलिग्राफी की परंपरा थी। बचपन में ही उन्होंने माता-पिता को खो दिया था। उनका पालन पोषण दादा जी और चाचा जी ने किया।

उनके दादा मास्टर राम प्रसाद जी सक्सेना अच्छे कैलिग्राफर होने के साथ फारसी और अंग्रेजी के अच्छे जानकार थे। वह कई अंग्रेज अफसरों को भी फारसी सिखाते थे। प्रेम बिहारी जी ने कैलिग्राफी अपने दादाजी से ही सीखी।

रायजादा ने नहीं लिया पारिश्रमिक

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संविधान की मूल प्रति लिखने के लिये रायजादा से संपर्क किया। रायजादा ने प्रधानमंत्री से मेहनताना लेने से मना कर दिया। रायजादा ने नेहरू से कहा कि वह संविधान लिखने के लिए एक भी पैसा नहीं लेंगे। उन्होंने अपनी एक शर्त रखी जिसे नेहरू ने मान लिया। उन्होंने मांग की, हरके पन्ने पर उनका नाम और अंतिम पृष्ठ पर उनके साथ उनके दादा का नाम लिखने की इजाजत दी जाए, जिसे नेहरू ने मान लिया।

संविधान लिखने में 6 महीने का वक्त लगा

रायजादा को इस काम के लिए संविधान भवन में अलग से कक्ष उपलब्ध कराया। बाद में यही कमरा कॉन्स्टिट्यूशन क्लब कहलाया।

8 शेड्यूल, 395 अनुच्छेद और संविधान की प्रस्तावना को लिखने के लिए उन्हें छह महीने का समय लगा।

प्रेम बिहारी नारायण रायजादा की मेहनत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस दौरान सैकड़ों निब का प्रयोग किया। जानकारी के मुताबिक उन्होंने 432 पेन की निब का उपयोग किया। भारतीय संविधान की मूल प्रति जो उन्होंने तैयार की, उसमें 251 पन्ने हैं और इसका वजन 3.75 किलो है।

भारत का संविधान कब लागू हुआ

भारत के संविधान को बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। 26 जनवरी 1950 ई0 को भारत का संविधान लागू किया गया और हम हर वर्ष इस दिन को गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते है।

  • भारतीयों की ओर से संविधान सभा की सर्वप्रथम मांग मई, 1934 में रांची में स्वराज पार्टी ने की थी।
  • वर्ष 1934 में ही भारत में संविधान सभा के गठन का विचार एम.एन. राय ने दिया।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के स्तर पर पहली बार वर्ष 1935 में संविधान निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा की मांग की गई।
  • एक निर्वाचित संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान का निर्माण करने का प्रस्ताव सर्वप्रथम वर्ष 1942 में क्रिप्स मिशन द्वारा किया गया था।
  • कैबिनेट मिशन योजना, 1946 द्वारा भारतीय संविधान सभा का प्रातिनिधिक निर्वाचन के आधार पर गठन किया गया था।
  • कैबिनेट मिशन की रिपोर्ट के अनुसार, संविधान सभा निर्वाचित होनी थी और प्रांतों का प्रतिनिधित्व जनसंख्या के आधार पर होना था।
  • इसके तहत मोटे तौर पर प्रति दस लाख व्यक्तियों पर एक प्रतिनिधि के निर्वाचन की व्यवस्था प्रस्तावित थी।
  • संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 निर्धारित थी।
  • इनमें से 296 सीटें ब्रिटिश भारत को तथा 93 सीटें देशी रियासतों को आवंटित की जानी थीं।
  • ब्रिटिश भारत को आवंटित 296 सीटों में से 292 सदस्यों का चयन 11 गवर्नरों के प्रांतों और 4 का चयन मुख्य आयुक्तों के प्रांतों (प्रत्येक में से एक) से किया जाना था।
  • देशी रियासतों के प्रतिनिधियों का चयन रियासतों के प्रमुखों द्वारा किया जाना था।
  • संविधान सभा के लिए चुनाव जुलाई-अगस्त, 1946 में संपन्न हुआ।
  • 296 सीटों (ब्रिटिश भारत को आवंटित) में से कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 तथा छोटे समूह व स्वतंत्र सदस्यों को 15 सीटें मिलीं।
  • देशी रियासतों ने संविधान सभा में भाग नहीं लिया।
  • संविधान सभा अप्रत्यक्ष निर्वाचन का परिणाम थी।
  • राज्यों की विधानसभाओं का उपयोग निर्वाचक मंडल के रूप में किया गया।
  • यह निर्वाचन वयस्क मताधिकार पर आधारित था।
  • 1935 के अधिनियम के अनुसार, मताधिकार कर, शिक्षा एवं संपत्ति के आधार पर सीमित था।
  • 20 नवंबर, 1946 को वायसराय ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया कि वे 9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की पहली बैठक में उपस्थित हों।
  • 9 दिसंबर, 1946 को सभा की पहली बैठक में कुल 207 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
  • 9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता अस्थायी अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा ने की थी।
  • 11 दिसंबर, 1946 को संविधान सभा ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद को निर्विरोध संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया।
  • भारतीय संविधान के निर्माण में संविधान सभा को 2 वर्ष 11 माह एवं 18 दिन का समय लगा था।
  • इसके लिए कुल 11 अधिवेशन (कुल अवधि 165 दिन) हुए थे।
  • 11वें अधिवेशन के अंतिम दिन 26 नवंबर, 1949 को संविधान को अंगीकृत किया गया था।
  • इन 11 अधिवेशनों के अतिरिक्त संविधान सभा पुनः 24 जनवरी, 1950 को समवेत हुई, जब सदस्यों द्वारा भारत के संविधान पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • भारतीय संविधान के निर्माण के समय बेनेगल नरसिंह राव (बी.एन. राव) को सांविधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया था।
  • 26 नवंबर, 1949 को भारत के लोगों द्वारा संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया गया।
  • संविधान पूर्ण रूप से 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ

संविधान सभा में कुल महिलाओं की संख्या 15 थी।

उनके नाम इस प्रकार हैं-

  1. विजयलक्ष्मी पंडित
  2. राजकुमारी अमृत कौर
  3. सरोजिनी नायडू
  4. सुचेता कृपलानी,
  5. पूर्णिमा बनर्जी
  6. लीला राय
  7. जी. दुर्गाबाई
  8. हंसा मेहता
  9. कमला चौधरी
  10. रेणुका राय
  11. मालती चौधरी
  12. दक्षयानी वेलायुदन
  13. बेगम एजाज रसूल
  14. ऐनी मस्करीनी
  15. अम्मु स्वामीनाथन

ग्रेनविले ऑस्टिन ने कहा था कि 'संविधान सभा कांग्रेस थी और कांग्रेस भारत'।

2 सितंबर, 1946 को अंतरिम सरकार का गठन किया गया, इसमें मुस्लिम लीग के सदस्य शामिल नहीं हुए हालांकि उनके शामिल होने के लिए विकल्प खुला रखा गया था। अंतत: 26 अक्टूबर, 1946 को जब सरकार का पुनर्गठन किया गया तब मुस्लिम लीग के पांच प्रतिनिधियों को कैबिनेट में शामिल किया गया।

संविधान सभा

भारतीय संविधान का निर्माण भारत की संविधान सभा द्वारा किया गया। संविधान सभा चुने गये जनप्रतिनिधियों की वह सभा होती है जो संविधान नामक विशाल दस्तावेज को लिखने का काम करती है। भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाय 1946 ई0 में चुनाव हुए थे संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 ई. इसके अस्थायी अध्यक्ष डा. सचिदानन्द सिन्हा की अध्यक्षता मे हुई थी इसके तत्काल बाद देश दो हिस्सों भारत और पाकिस्तान में बंट गया था इसलिए संविधान सभा भी दो हिस्सों भारत की संविधान सभा और पाकिस्तान की संविधान सभा में बंट गयी । भारतीय संविधान सभा में 299 सदस्य थे डा. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान निर्मात्री सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया और डा. भीमराम अम्बेडकर को संविधान निर्माण की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया संविधान के प्रारूप की प्रत्येक धारा पर कई-कई दौर की लम्बी-लम्बी चर्चाएं हुई 114 दिनों की लम्बी चर्चाओं के बाद 26 नवम्बर 1949 ई० को संविधान का कार्य पूर्ण हुआ। मूल संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी वर्तमान में भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां है। भारत के संविधान को बनने में 2 वर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा। 26 जनवरी 1950 ई0 को भारत का संविधान लागू किया गया और हम हर वर्ष इस दिन को गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते है।

भारत का संविधान किसने लिखा और कितने दिनों में लिखा - bhaarat ka sanvidhaan kisane likha aur kitane dinon mein likha

पं. जवाहरलाल नेहरू संविधान पर हस्ताक्षर करते हुए।

संविधान की परिभाषा

संविधान लिखित नियमों का एक ऐसा ग्रन्थ या किताब है जिसे किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के (जिन्हें नागरिक कहा जाता है ) बीच के आपसी संबन्ध तय होने के साथ -साथ लोगों और सरकार के बीच के सम्बन्ध भी तय होते है।

दूसरे शब्दों में संविधान में कुछ ऐसे सिद्धान्त तथा नियम तय कर लिए जाते हैं जिसके अनुसार किसी देश का शासन चलाया जाता है ,शासन के विभिन्न अंगों का संगठन किया जाता है तथा उनके आपसी सम्बन्धों को निर्धारित किया जाता है ।

संविधान की आवश्यकता

संविधान की आवश्यकता निम्नांकित कारणों से है।

यह साथ रह रहे लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है और सरकार और नागरिकों के आपसी सम्बन्धों को निर्धारित करता है।

संविधान यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार है।

संविधान सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार है।

संविधान ही सरकार की शक्ति तथा सत्ता का स्रोत है।

संविधान अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।

भारतीय संविधान का निर्माण

पृष्ठभूमि स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान ही यह तय हो गया था कि आजाद भारत को किस रास्ते पर चलना चाहिए 1928 ई. में मोतीलाल नेहरू और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भारत का संविधान लिखा था 1931 ई. में कराची अधिवेशन में एक प्रस्ताव यह भी रखा था कि आजाद भारत का संविधान कैसा होगा 1935 ई. के भारत शासन अधिनियम 1937 ई. के प्रादेशिक असेंबलियों के चुनाव और भारतीय जनता के निरन्तर चिंतन,बहसों ने संविधान के निर्माण में मदद की। 1946 ई. के कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर बिट्रिश सरकार द्वारा भारत के लिए संविधान सभा के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।

भारतीय संविधान के कुछ बुनियादी मूल्य

हम भारत के लोग

इसका तात्पर्य है भारत के संविधान का निर्माण और अधिनियमन भारत के लोगों ने अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से किया गया है।

समाजवादी

समाज में संपदा सामूहिक रूप से पैदा होती है और समाज में उसका बॅटवारा समानता के साथ होना चाहिए सरकार जमीन और उद्योग-धन्धों की हकदारी से जुड़े कायदे -कानून इस तरह बनाये कि सामाजिक -आर्थिक असमानताएं कम हों।

प्रभुत्व सम्पन्न

लोगों को अपने से जुड़े हर मामले में फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार है। कोई भी बाहरी शक्ति भारत की सरकार को आदेश नहीं दे सकती।

पंथ-निरपेक्षता

नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की पूरी स्वतन्त्रता है कोई भी धर्म राजकीय धर्म नहीं है। सरकार सभी धर्मों और आचरणों को समान सम्मान देती है। राज्य धर्म के आधार पर अपने नागरिकों के साथ कोई भेदभाव नहीं करेगा तथा धार्मिक मामलों में विवेकपूर्ण निर्णय लेगा।

लोकतन्त्रात्मक

सरकार का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोगों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं लोग अपने शासक का चूनाव करते हैं ,उसे जबाबदेह बनाते हैं। यह सरकार कुछ बुनियादी नियमों के अनुरूप चलती है। इसका आशय है कि देश का शासन जनता का जनता के लिए तथा जनता द्वारा होगा।

गणराज्य

गणराज्य से आशय यह है कि देश का प्रमुख जनता द्वारा चना व्यक्ति होगा न कि वंश परम्परा या किसी खानदान का व्यक्ति। इसीलिए भारत एक गणराज्य है क्योंकि भारत में राष्ट्र का प्रमुख, राष्ट्रपति जनता द्वारा निर्वाचित होता है।

न्याय

नागरिकों के साथ उनकी जाति धर्म और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।

स्वतन्त्रता

नागरिक कैसे सोचें किस तरह अपने विचारों को अभिव्यक्त करें और अपने विचारों पर किस तरह अमल करें इस पर कोई अनुचित पाबंदी नहीं है।

समता

कानून के समक्ष सभी समान हैं पहले से चली आ रही सामाजिक असमानताओं को समाप्त करना होगा। सरकार हर नागरिक को समान अवसर उपलब्ध कराने की व्यवस्था करे।

बंधुता

हम सभी ऐसा आचरण करें जैसे कि हम एक परिवार के सदस्य हों। कोई भी नागरिक किसी दूसरे नागरिक को अपने से कमतर न माने।

भारत के संविधान की प्रस्तावना का महत्व

भारत के संविधान की प्रस्तावना को अत्यधिक महत्व दिया जाता है इसके महत्व को निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर समझा जा सकता है।

संविधान की प्रस्तावना ही वह मार्ग दिखाती है जिस पर चल कर सरकार को अपनी नीतियां बनानी होती है।

संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट घोषित करती है कि भारत एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी,पंथनिरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य है।

यह नागरिकों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय विचार अभिव्यक्ति,विश्वास,धर्म और उपासना की प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने का लक्ष्य घोषित करती है।

संविधान की प्रस्तावना के द्वारा ही राज्य व्यक्ति की गरिमा तथा प्रतिष्ठा को बनाये रखने को प्राथमिकता देता है।

संविधान की प्रस्तावना के द्वारा भारत के समस्त नागरिकों में बंधुता बढ़ाने का आहान किया गया है।

संविधान की प्रस्तावना भारत के समस्त नागरिकों से राष्ट्र की एकता तथा अखण्डता को बनाये रखने का आहान करती है।

गणतन्त्र दिवस

भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 ई0 को लागू किया गया था इसी लिए प्रतिवर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाया जाता है इसकी पृष्ठभूमि में एक रोचक पहलू है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929-30 के लाहौर अधिवेशन में भारतीयों के लिए पूर्ण स्वराज्य की मांग की गयी और यह तय किया 26 जनवरी 1930 से प्रतिवर्ष देश भर में स्वतन्त्रता दिवस मनाया जायेगा और जब देश 15 अगस्त 1947 ई० स्वतन्त्र हुआ तो 15 अगस्त को स्वतन्तत्रता दिवस मनाया जाने लगा। लेकिन 26 जनवरी की तिथि की ऐतिहासिकता को देखते हुए 26 जनवरी 1950 ई. को संविधान लागू किया गया और देश भर में 26 जनवरी को प्रतिवर्ष गणतन्त्र दिवस मनाया जाता है।

संविधान की विशेषताएं

भारत के संविधान की निम्नांकित विशेषताएं है।

भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसमें 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां है।

भारतीय संविधान द्वारा भारत में सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न ,समाजवादी,पंथनिरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य की स्थापना की गयी है।

भारतीय संविधान द्वारा भारत में एकात्मकता लिए हुए संघात्मक शासन की व्यवस्था की गयी है।

भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की गयी है।

भारतीय संविधान द्वारा भारत में सर्वोच्च तथा स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गयी है।

भारतीय संविधान नागरिकों के लिए इकहरी नागरिकता की व्यवस्था करता है।

भारतीय संविधान अनुच्छेद 17 के द्वारा अस्पृश्यता का अन्त करता है।

संविधान के लेखक कौन है?

भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे जिसके अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया और 26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ। इसी दिन कि याद में हम हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

भारत के संविधान का पिता कौन है?

भीम राव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है। वह भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें 1947 में संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे।

संविधान को कितने लोगों ने मिलकर लिखा था?

Constitution Day 2021 : भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था, लेकिन उससे दो महीने पहले 26 नवंबर 1949 को संविधान बनाने वाली सभा ने कई चर्चाओं और संशोधनों के बाद आखिरकार संविधान को अंगीकार किया था। विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान के निर्माण के लिए देश भर से 389 सदस्य चुने गए थे।

भारत के संविधान में कुल कितने पेज है?

भारत का संविधान 251 पेज (251 pages) का है जो सभी संविधान को परख कर बनाया गया। यह संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था लेकिन इसकी घोषणा 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होने के पश्चात हुई थी।