Jharkhand Birsa Mundas Birth Anniversary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती के मौके पर आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रांची (Ranchi) में भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, आजादी के इस अमृतकाल में देश ने तय किया है कि भारत की जनजातीय परंपराओं को, शौर्य गाथाओं को देश अब और भी भव्य पहचान देगा. इसी क्रम में ऐतिहासिक फैसला लिया गया है कि आज से हर साल देश 15 नवंबर यानी भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाएगा...तो चलिए आपको बताते हैं कि बिरसा मुंडा कौन थे. Show 15 नवंबर 1875 को हुआ था जन्म लोग भगवान बिरसा मुंडा के रूप में जानते हैं आदिवासी समाज को जागरूक किया News Reels अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुए एकजुट अंग्रेजों के हाथ नहीं आए बिरसा मुंडा गिरफ्तार कर लिए गए बिरसा मुंडा ये भी पढ़ें: Jharkhand Chhath Puja 2021: छठ के दूसरे अर्घ्य के बाद बमबाजी और फायरिंग से दहले घाट, एक की मौत, 2 घायलPalamu Tiger Reserve में नर बाघ की मौजूदगी के मिले साक्ष्य, वन कर्मियों की टीम रख रही है नजरबिरसा मुंडा कौन थे और उन्होंने क्या किया?आरंभिक जीवन
ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचते रहते थे। उन्होंने मुण्डा|मुंडा लोगों को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये अपना नेतृत्व प्रदान किया। 1894 में मानसून के छोटा नागपुर पठार, छोटानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की।
बिरसा मुंडा का धर्म क्या था?वह ईसाई धर्म स्वीकार कर चुके थे। इसके बाद उनके पिता भी ईसाई धर्म प्रचारक बन गए थे। उनके जन्म के बाद उलिहतु गांव से उनका परिवार कुरुमब्दा गांव आकर बस गया था। परिवार की गरीबी के कारण बिरसा मुंडा अपने मामा के गांव चले गए।
बिरसा मुंडा कौन से धर्म का प्रचार करता था?झारखंड के खूंटी ज़िले में जन्मे बिरसा मुंडा के परिवार के ज्यादातर लोगों ने ईसाई धर्म को स्वीकार कर लिया था. इसकी शुरुआत उनके चाचा कानू पौलुस से हुई थी. इसके बाद पिता सुगना और छोटे भाई ने भी ईसाई धर्म को स्वीकार किया और धर्म प्रचारक बन गए. बिरसा के जीवन का एक अहम हिस्सा उनकी मौसी के घर खटंगा गांव में बीता.
बिरसा मुंडा ने गुलाम क्यों किया था?यह आंदोलन मिशनरियों, महाजनों, हिंदू भूस्वामियों और सरकार को बाहर निकालकर बिरसा के नेतृत्व में मुंडा राज स्थापित करना चाहते थे, क्योंकि इनकी वजह से आदिवासी संस्कृति जीवन-यापन के तरीके नष्ट हो गए थे। लोग भूमिहीन हो गये थे। इस शोषण से मुक्ति के लिए बिरसा मुंडा ने उलगुलान किया था।
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