पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून में कौन सा अलंकार है - paanee gae na oobare motee maanush choon mein kaun sa alankaar hai

निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए ।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून 
पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चुन 


शिल्प सौन्दर्य-
1. समाज में मनुष्य का सम्मान है तो सब कुछ सम्भव है अन्यथा जीवन दूभर हो जाता है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहें में भावात्मक उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
   (ii) ‘‘पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून” इस पंक्ति में श्लेष अलंकार है।
   (iii) पानी के तीन अर्थ है-जल, चमक, इज्जत।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?


हमें अपना दु ख दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए, क्योंकि संसार उसका मजाक उड़ाता है। हमें अपना दुःख अपने मन में ही रखना चाहिए। अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार परिहास पूर्ण हो जाता है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?


रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि सागर का जल खारा होता है, वह किसी की प्यास नहीं बुझा सकता जबकि पक जल धन्य है जिसे पीकर छोटे-छोटे जीवों की प्यास तृप्त हो जाती है। इसलिए कवि ने ऐसा कहा है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?


एक पर अटूट विश्वास करके उसकी सेवा करने से सब कार्य सफल हो जाते हैं तथा इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। एक को साधने से सब कार्य उसी प्रकार सिद्ध हो जाते हैं जिस प्रकार जड़ को सींचने से फल, फूल आदि मिलते हैं। उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब कार्य कुशलता पूर्वक संपन्न हो जाते हैं।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?


जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि जल से ही कमल की प्यास बुझती है. वह खिलता है और जीवन पाता है। कमल की सम्पत्ति जल है। अपनी सम्पत्ति नष्ट होने पर दूसरा व्यक्ति साथ नहीं दे सकता।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति ‘क्यों नहीं हो पाता?


प्रेम आपसी लगाव और विश्वास के कारण होता है। यदि एक बार यह लगाव या विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें पहले जैसा भाव नहीं रहता। मन में दरार आ जाती है। जिस प्रकार सामान्य धागा टूटने पर उसे जब जोड़ते हैं तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। इसी प्रकार प्रेम का धागा भी टूटने पर पहले के समान नहीं हो पाता।

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प्रसंग : प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य गौरव’ के ‘रहीम के दोहे’ से लिया गया है, जिसके रचयिता रहीम जी हैं।

संदर्भ : प्रस्तुत दोहे में कवि रहीम ने मनुष्य की प्रतिष्ठा के संबंध में विचार प्रकट किया है।

भाव स्पष्टीकरण : रहीम इसमें पानी के तीन अर्थ बताते हुए उसका महत्व प्रतिपादित करते हैं। जिस प्रकार पानी के बिना चूना, और पानी (चमक) के बिना मोती का मूल्य नहीं है, उसी प्रकार बिना पानी के अर्थात् बिना इज्जत या मर्यादा के मनुष्य की भी कोई कीमत नहीं है। अतः पानी को बचाये रखना चाहिए।

विशेष : श्लेष अलंकार है। भाषा ब्रज और अवधी।

Correct Answer - Option 1 : श्लेष अलंकार

दी गयी पंक्ति में एक ही शब्द का प्रयोग तीन बार किया गया है। यहाँ पानी शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है और तीनों बार उसका अर्थ भिन्न है। तीन अर्थ हैंचमक (मोती के पक्ष में), प्रतिष्ठा (मनुष्य के पक्ष में) तथा जल (चूने के पक्ष में)। इस आधार पर यहाँ श्लेष अलंकार है। जिस अंलकार में शब्दों की आवृत्ति एक से अधिक बार आवृति हुए बिना प्रसन्न अनुसार दो या दो से अधिक अर्थ निकले वहां पर श्लेष अलंकार होगा।अतः सही विकल्प श्लेष अलंकार है।

अन्य विकल्प

जहां पर एक या एक से अधिक वर्णों (व्यंजन) की आवृत्ति एक से अधिकबार होती हैं वहां पर अनुप्रास अलंकार होता हैं।

उप का अर्थ है समीप से और पा का अर्थ है तोलना या देखना।

अतः जब दो भिन्न वस्तुओं में समानता दिखाई जाती है, तब वहाँ उपमा अलंकार होता है।

यमक अलंकार अर्थात जहाँ किसी भी पंक्ति में एक ही शब्द का 

दो बार प्रयोग किया गया हो और दोनों का अर्थ अलग-अलग हो।

पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून में कौन सा अलंकार है?

मनुष्य के सन्दर्भ में आत्मसम्मान, मोती के सन्दर्भ में चमक या कान्ति, आटे के सन्दर्भ में जल। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून ये पंक्ति किसकी है?

और अधिकरहीम पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥ रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयुक्त किया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में 'विनम्रता' से है। मनुष्य में हमेशा विनम्रता (पानी) होना चाहिए।

रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून इस पंक्ति में कौनसा अलंकार है?

रहिमन पानी राखिए में कौन सा अलंकार है इस दोहे में श्लेष अलंकार का प्रयोग है।

रहिमन पानी मानुष चून में कौन सा अलंकार है?

पानी गए न ऊबरै मोती मानस चून।। यहां पानी के तीन अर्थ है- कांति, आत्म-सम्मान और जल। अतः श्लेष अलंकार हैं, क्योंकि पानी शब्द एक ही बार प्रयुक्त है तथा उसके अर्थ तीन है। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है ।