भारत का सबसे अनोखा गांव, जहां का मुखिया खाता है भारत में और सोता है म्यांमार मेंफीचर डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: सोनू शर्मा Updated Mon, 27 Jul 2020 02:34 PM IST Show
क्या आपने किसी ऐसे गांव के बारे में सुना है, जहां का मुखिया खाना किसी और देश में खाता हो और सोने के लिए किसी और देश में जाता हो। अगर आपने ऐसा कुछ नहीं सुना है तो हम आपको बता दें कि ऐसा अनोखा गांव भारत में ही है। यह गांव जितना खूबसूरत है, उतनी ही अनोखी यहां की कहानी भी है। इस गांव का नाम है लोंगवा, जिसका आधा हिस्सा भारत में पड़ता है और आधा म्यांमार में। इस गांव की एक और खास बात ये है कि सदियों से यहां रहने वाले लोगों के बीच दुश्मन का सिर काटने की परंपरा चल रही थी, जिस पर 1940 में प्रतिबंध लगाया गया। लोंगवा नागालैंड के मोन जिले में घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से सटा हुआ भारत का आखिरी गांव है। यहां कोंयाक आदिवासी रहते हैं। इन्हें बेहद ही खूंखार माना जाता है। अपने कबीले की सत्ता और जमीन पर कब्जे के लिए वो अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाइयां किया करते थे। साल 1940 से पहले कोंयाक आदिवासी अपने कबीले और उसकी जमीन पर कब्जे के लिए वो अन्य लोगों के सिर काट देते थे। कोयांक आदिवासियों को हेड हंटर्स भी कहा जाता है। इन आदिवासियों के ज्यादातर गांव पहाड़ी की चोटी पर होते थे, ताकि वे दुश्मनों पर नजर रख सकें। हालांकि 1940 में ही हेड हंटिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। माना जाता है कि 1969 के बाद हेड हंटिंग की घटना इन आदिवासियों के गांव में नहीं हुई। कहा जाता है कि इस गांव को दो हिस्सों में कैसे बांटा जाए, इस सवाल का जवाब नहीं सूझने पर अधिकारियों ने तय किया कि सीमा रेखा गांव के बीचों-बीच से जाएगी, लेकिन कोंयाक पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। बॉर्डर के पिलर पर एक तरफ बर्मीज में (म्यांमार की भाषा) और दूसरी तरफ हिंदी में संदेश लिखा हुआ है।
उत्तराखंड का माणा ही नहीं बल्कि ये भी है भारत का आखिरी गांव, दक्षिण में गढ़वाल और पूर्व में तिब्बत से है घिराभारत का आखिरी गांव उत्तराखंड का माणा ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में भी स्थित है. यह गांव दक्षिण में गढ़वाल और पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है. दिल्ली से भारत के इस आखिरी गांव की दूरी महज 569 किमी है. उत्तराखंड की सीमा से इस गांव की दूरी महज 20 किलोमीटर है.भारत का आखिरी गांव उत्तराखंड का माणा ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश में भी स्थित है. यह गांव दक्षिण में गढ़वाल और पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है. दिल्ली से भारत के इस आखिरी गांव की दूरी महज 569 किमी है. उत्तराखंड की सीमा से इस गांव की दूरी महज 20 किलोमीटर है. अगर ऐसे में देखा जाए तो यह गांव उत्तराखंड और हिमाचल दोनों के नजदीक है. बहुत से लोगों के जेहन में भारत के आखिरी गांव कहे जाने पर अब भी माणा का ही ख्याल आता है. जो बद्रीनाथ से 3 किमी ऊंचाई पर बसा हुआ है और भारत एवं तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है. सर्दियों में अत्यधिक बर्फ जमा होने के कारण यहां के लोग इस गांव को खाली कर देते हैं. लेकिन हम आपको यहां माणा के अलावा एक अन्य भारत के आखिरी गांव के बारे में बता रहे हैं जो प्राकृतिक खूबसूरती से भरा हुआ है और नदी किनारे पर स्थित है. आइए जानते हैं कौन-सा है भारत का यह आखिरी गांव भारत का आखिरी गांव है चितकुलहिमाचल प्रदेश के किन्नौर घाटी में स्थित चितकुल भारत का आखिरी गांव है. किन्नौर को इसकी खूबसूरती के कारण धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है. चितकुल दक्षिण में उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल, पूर्व में पड़ोसी देश तिब्बत, उत्तर में स्पीति घाटी और पश्चिम में कुल्लू से घिरा हुआ है. इस गांव की सीमा उत्तराखंड से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित है. यह गांव सांगला घाटी से 28 किमी की दूरी पर है. चितकुल और सांगला घाटी के बीच का रास्ता रकछम गांव है. आप रकचम गांव से चितकुल तक ड्राइव कर जा सकते हैं. यह गांव अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, शांत वातावरण, विशाल घाटियां, दूर तक फैले पहाड़ एवं जंगल, झरनों और खूबसूरत नजारों के लिए प्रसिद्ध है. चितकुल में टूरिस्ट लॉन्ग ट्रैकिंग कर सकते हैं. वादियों और घाटियों में टैंट लगाकर कैंपिंग कर सकते हैं. सही मायने में कहा जाए तो यह गांव छुट्टियां बिताने और प्रकृति को करीब से देखने के लिए एक बेस्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. आप इस गांव में उत्तराखंड के रास्ते बेहद आसानी से पहुंच सकते हैं. इसका नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून रेलवे स्टेशन है. जहां से आप इस गांव के लिए टैक्सी ले सकते हैं. इस गांव से भारत और तिब्बत बॉर्डर महज 90 किमी की दूरी पर है. इस गांव से आगे जाने पर रोक है. ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें यात्रा समाचार की और अन्य ताजा-तरीन खबरें नई दिल्ली: अपने देश में अनेक गांव हैं. करीब 70 फीसदी आबादी आज भी गांव में जीवन यापन कर रही है. लेकिन एक गांव ऐसा है, जो देशों के बीच में है. यहां रहने वाले कई लोगों के खेत और घर भी दो देशों के बीच है. यानी घर का बेडरूम एक देश में है तो किचन दूसरे देश में. सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां के ग्रामीणों को सीमा पार करने के लिए वीजा की जरूरत नहीं होती है. बल्कि वो तो दोनों देश में स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं. चलिए जानते हैं इस गांव से जुड़ी रोचक बातें. म्यांमार सीमा से सटा हुआ भारत का है आखिरी गांवहम बात कर रहे हैं, नागालैंड (Nagaland) में एक लोंगवा गांव (Longwa Village) की. ये गांव मोन जिले के सबसे बड़े गांवों में आता है. ये एक ऐसा गांव है, जहां से भारत और म्यांमार की सीमा गुजरती है. ये घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से सटा हुआ भारत का आखिरी गांव है. यहां कोंयाक आदिवासी रहते हैं. इन्हें बेहद ही खूंखार माना जाता है. अपने कबीले की सत्ता और जमीन पर कब्जे के लिए वो अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाइयां किया करते थे. ये भी पढ़ें: दिल्ली: ज्यादा संख्या में महिलाएं बन सकेंगी बस ड्राइवर, नियुक्ति शर्तों में मिली छूट गांव के कई लोग हैं म्यांमार की सेना में शामिलआपको बता दें कि म्यांमार की तरफ करीब 27 कोन्याक गांव हैं. वहीं नागालैंड के लोग काफी मिलनसार हैं और यहां के कुछ स्थानीय लोग म्यांमार सेना में शामिल हैं. 1960 के दशक तक गांव में सिर का शिकार एक लोकप्रिय प्रथा रही है, जिस पर 1940 में प्रतिबंध लगाया गया. इस गांव के कई परिवार के पास पीतल की खोपड़ी का हार पाया जाता है, इसे जरूरी मान्यता बताया जाता है. गांव के मुखिया की हैं 60 पत्नियांयहां के राजा की 60 पत्नियां हैं. 'द अंग', जो गांव के वंशानुगत मुखिया हैं उनकी 60 पत्नियां हैं. म्यांमार और अरुणाचल प्रदेश के 70 से अधिक गांवों में उनका प्रभुत्व है. ऐसा माना जाता है कि यहां अफीम का सेवन अधिक होता है, जिसकी पैदावार गांव में नहीं की जाती है बल्कि म्यांमार से सीमा पार तस्करी की जाती है. ये भी पढ़ें: राहुल की सरकार को घेरने की कोशिश, बोले- बेरोजगारी के आपातकाल के लिए केंद्र जिम्मेदार घूमने के लिए बेहतरीन प्लेसबता दें कि लोंगवा गांव घूमने के लिए एक बेहतर जगह है. यहां का शांत वातावरण और हरियाली लोगों का दिल जीत लेती है. प्रकृति के आकर्षण के अलावा, यहां डोयांग नदी, शिलोई झील, नागालैंड साइंस सेंटर, हांगकांग मार्केट और कई पर्यटन स्थल भी मौजूद हैं. सीमा सड़क संगठन से लोंगवा गांव आसानी से जा सकते हैं और गांव मोन शहर से करीब 42 किलोमीटर दूर है. आप यहां कार भी किराए पर ले जा सकते हैं. LIVE TV भारत के सबसे बीच में कौन सा राज्य है?1 .भारत के बीचो बीच कौन सा राज्य हैं?. उत्तर : मध्य प्रदेश. 2 .स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति किस राज्य के थे?. उत्तर : बिहार से।. 3 .इंटर स्टेट कॉउन्सिल के अध्यक्ष कौन होते हैं ?. उत्तर : प्रधानमंत्री. 4 . ... . 5 .उत्तर प्रदेश सरकार ने किस स्थल को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया ?. भारत के बीच कौन सा देश है?भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन(तिब्बत), नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिन्द महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है।
भारत में कुल कितने ग्राम है?भारत में 6,49,481 जनगणना गांव हैं। प्रत्येक जनगणना गांव में कई गांव हैं (टोला या बस्तियों), जिनमें कई परिवार हैं। भारत में कुल ६४० जिले है जिनमे २५० जिले २०११ की जनगणना के अनुसार अति पिछड़े जिले है। 2018 तक, बिहार में 39,073 राजस्व गांव हैं, और 1,06,24 9 गांव (टोला या बस्तियों) हैं।
भारत का कौन सा राज्य नहीं है?भारत में 29 राज्य कौन-कौन से हैं
जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं है. वर्तमान समय में जम्मू कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है.
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