अवध नरेश कौन है class 9? - avadh naresh kaun hai chlass 9?

Short Note

‘अवध नरेश’ कहकर किसकी ओर संकेत किया गया है? उन्हें चित्रकूट में शरण क्यों लेनी पड़ी?

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Solution

‘अवध नरेश’ कहकर श्रीराम की ओर संकेत किया गया है। उन्हें चित्रकूट में इसलिए शरण लेनी पड़ी, क्योंकि वे अपने पिता के वचनों के पालन के लिए लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास जा रहे थे। वनवास को कुछ समय उन्होंने चित्रकूट में बिताया था।

Concept: पद्य (Poetry) (Class 9 B)

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Chapter 8: रहीम - दोहे - अतिरिक्त प्रश्न

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NCERT Class 9 Hindi - Sparsh Part 1

Chapter 8 रहीम - दोहे
अतिरिक्त प्रश्न | Q 6

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These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 10 दोहे.

प्रश्न-अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता?
(ख) हमें अपना दु:ख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?
(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
(घ) एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?
(च) अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?
(छ) ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
(ज) ‘मोती, मानुष, चून’ के संदर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
(क) प्रेम आपसी लगाव और विश्वास के कारण होता है। यदि एक बार यह लगाव या विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें पहले जैसा भाव नहीं रहता। मन में दरार आ जाती है। जिस प्रकार सामान्य धागा टूटने पर उसे जब जोड़ते हैं तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। इसी प्रकार प्रेम का धागा भी टूटने पर पहले के समान नहीं हो पाता।

(ख) हमें अपना दु:ख दूसरों के सामने नहीं करना प्रकट चाहिए, क्योंकि दूसरा उसका मजाक उड़ाता है। हमें अपना दु:ख अपने मन में ही रखना चाहिए। अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार परिहास पूर्ण हो जाता है।

(ग) रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि सागर का जल खारा होता है, वह किसी की प्यास नहीं बुझा सकता जबकि पंक जल धन्य है जिसे पीकर छोटे-छोटे जीवों की प्यास तृप्त हो जाती है इसलिए कवि ने ऐसा कहा है।

(घ) एक पर अटूट विश्वास करके उसकी सेवा करने से सब कार्य सफल हो जाते हैं तथा इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। एक को साधने से सब कार्य उसी प्रकार सिद्ध हो जाते हैं जिस प्रकार जड़ को सींचने से फल, फूल आदि मिलते हैं। उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब कार्य कुशलतापूर्वक संपन्न हो जाते हैं।

(ङ) जलहीन कमल की रक्षा सूर्य इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि जल से ही कमल की प्यास बुझती है, वह खिलता है और जीवन पाता है। कमल की संपत्ति जल है। अपनी संपत्ति नष्ट होने पर दूसरा व्यक्ति साथ | नहीं दे सकता।

(च) अवध नरेश श्री रामचंद्र अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए जब चौदह वर्ष वनवास र थे तब वे चित्रकूट जैसे रमणीय वन में रुके थे। कवि विपदा पड़ने पर ईश्वर की शरण में जाने की बात कह रहे हैं क्योंकि मुसीबत में वन भी राजभवन दिखाई देता है।

(छ) नट कुंडली को समेटकर झट से ऊपर चढ़े जाने की कला में सिद्धहस्त होता है।

(ज) जिस प्रकार मोती का पानी उतर जाता है। अर्थात् उसकी चमक समाप्त हो जाती है तो पका कोई महत्त्व
नहीं रह जाता। मनुष्य का पानी उतरने से आशय मनुष्य का मान-सम्मान समाप्त हो जाता है। चून’ पानी से ही गुँथा जाता है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं। इस प्रकार मोती, मनुष्य और चून के लिए पानी का अपना विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए
(क) टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
(ख) सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
(ग) रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
(घ) दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
(ङ) नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
(च) जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
(छ) पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।
उत्तर
(क) प्रेम ऐसे धागे के समान है, जो टूटने पर फिर नहीं मिलता। यदि वह मिल भी जाए तो उसमें गाँठ अवश्य पड़ जाती है। आशय यह है कि प्रेम भाव नष्ट हो जाए तो फिर प्रयास करने पर भी संबंध मधुर नहीं हो पाते।

(ख) लोग दूसरों के कष्ट सुनकर प्रसन्न ही होते हैं। वे कष्टों को बाँटने को तैयार नहीं होते।

(ग) रहीम कहते हैं कि यदि जड़ को ही सींचा जाए तो फल-फूल अपने आप खिल उठते हैं। उसी भाँति यदि मनुष्य परमात्मा का ध्यान कर लें तो सांसारिक सुख अपने-आप प्राप्त हो जाते हैं।

(घ) दोहा ऐसा छंद है जिसमें अक्षर तो बहुत कम होते हैं किंतु उनका अर्थ बहुत गहरा और व्यापक होता है।

(ङ) रीझने पर हिरण अपने प्राण तक दे देता है और मनुष्य प्रेम सहित धन का दान कर देता है। आशय यह है कि प्रसन्न मनोदशा में मनुष्य उदार हो जाता है।

(च) हर वस्तु का स्थान और महत्त्व अपनी जगह है। बड़ी वस्तु अपनी जगह काम आती है और छोटी वस्तु अपनी जगह। जहाँ सुई काम आती है, वहाँ तलवार कुछ नहीं कर सकती। आशय यह है कि छोटी वस्तुओं का स्थान भी बड़ी वस्तुओं से कम नहीं है। इसी प्रकार छोटे लोगों का स्थान बड़े लोगों से किसी प्रकार भी कम नहीं है।

(छ) पानी के बिना आटा काम नहीं आ सकता। चमक के बिना मोती बेकार है और आत्मसम्मान के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। आशय यह है कि जीवन में आत्मगौरव का बहुत महत्त्व है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है.
(क) जिस पर बिपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
(ख) कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
(ग) पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।
उत्तर
       (क) जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।
(ख) बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
(ग) रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।

प्रश्न 4.
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
उदाहरणः कोय – कोई, जे – जो ज्यों

अवध नरेश कौन है class 9? - avadh naresh kaun hai chlass 9?

उत्तर
अवध नरेश कौन है class 9? - avadh naresh kaun hai chlass 9?

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘सुई की जगह तलवार काम नहीं आती’ तथा ‘बिन पानी सब सून’ इन विषयों पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘चित्रकूट’ किस राज्य में स्थित है, जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

परियोजना कार्य

• नीति संबंधी अन्य कवियों के दोहे/कविता एकत्र कीजिए और उन दोहों/कविताओं को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

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अवध के नरेश कौन है?

अवध नरेश को चित्रकूट इसलिए जाना पड़ा क्योंकि उन्हें 14 वर्ष तक वनवास में रहना था। चित्रकूट एक तपोवन था, जहाँ ऋषि-मुनियों द्वारा तपस्या की जाती थी। वहाँ विभिन्न मुनियों के आश्रम भी थे। श्रीराम को यह स्थान वनवास बिताने के लिए उपयुक्त लगा इसलिए वह यहाँ आकर निवास करने लगे।

2 अवध नरेश चित्रकूट में कब व क्यों रहे?

अवध नरेश श्रीरामचंद्र सीता लक्ष्मण के साथ कुछ समय के लिए चित्रकूट में तब रहे थे, जब उन्हें वनवास मिला था। विपत्ति के समय शान्ति पाने के उद्देश्य से वे यहाँ रहे थे। रहीम के अनुसार, वही जल स्रोत या साधन मनुष्य के लिए उपयोगी होता है जो उसके काम आता है।

चित्रकूट की शरण किसने ली और क्यों class 9?

अमावस्या के दिन यहाँ विशेष महत्व माना जाता है माना जाता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के चौदह वर्षो में ग्यारह वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे। इसी स्थान पर ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने ध्यान लगाया था। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनसुइया के घर जन्म लिया था।

चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

चित्रकूट एक प्राकृतिक स्थान है जो प्राकृतिक दृश्यों के साथ साथ अपने आध्यात्मिक महत्त्व के लिए प्रसिद्ध है।