अपील की समय सीमा क्या है? - apeel kee samay seema kya hai?

निर्वासन के आदेश के खिलाफ अपील के लिए सीमा अवधि सत्र न्यायालय में 30 दिन होगी, आपकी सुविधा के लिए, सीआरपीसी की धारा 378, नीचे पुन: उत्पन्न किया जा रहा है: (1) उपधारा (2) में प्रदान की गई अन्यथा के रूप में सहेजें, और उपधारा (3) और (5),

(ए) के प्रावधानों के अधीन जिला मजिस्ट्रेट किसी भी में हो सकता है मामला, सार्वजनिक अभियोजक को एक संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध के संबंध में एक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित बकाया के आदेश से सत्र के न्यायालय में अपील पेश करने के लिए निर्देशित करें;

(बी) किसी भी मामले में, राज्य सरकार उच्च अभियोजक को उच्च न्यायालय के अलावा किसी भी अदालत द्वारा पारित बकाया राशि के मूल या अपीलीय आदेश से उच्च न्यायालय को अपील पेश करने का निर्देश दे सकती है [खंड के तहत आदेश नहीं है (ए)] या संशोधन में सत्र के न्यायालय द्वारा पारित अधिग्रहण का आदेश (2) बरी की तरह के एक आदेश किसी भी मामले में जो अपराध दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना द्वारा जांच की गई है दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 (1946 का 25) के तहत गठित में पारित हो जाता है, तो या किसी अन्य एजेंसी से बनाने के लिए सशक्त इस संहिता के अलावा किसी भी केंद्रीय अधिनियम के तहत किसी अपराध में जांच, केंद्र सरकार उपधारा (3) के प्रावधानों के अधीन हो सकती है, सार्वजनिक अभियोजक को भी अपील

(ए) सत्र न्यायालय में पेश करने का निर्देश दे सकती है एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध के संबंध में एक मजिस्ट्रेट द्वारा पारित बकाया का आदेश;

(बी) उच्च न्यायालय के अलावा किसी भी अदालत द्वारा पारित एक निर्दोष के मूल या अपीलीय आदेश से उच्च न्यायालय में [खंड (ए) के तहत आदेश नहीं है) या संशोधन में सत्र के न्यायालय द्वारा पारित बकाया आदेश का आदेश (3) उच्च न्यायालय की छुट्टी के अलावा उपधारा (1) या उपधारा (2) के तहत उच्च न्यायालय को कोई अपील नहीं की जाएगी

(4) अगर शिकायतकर्ता और उच्च न्यायालय द्वारा स्थापित किसी भी मामले में निर्दोष का ऐसा आदेश पारित किया गया है, तो इस ओर शिकायतकर्ता द्वारा किए गए आवेदन पर, निर्दोष के आदेश से अपील करने के लिए विशेष छुट्टी प्रदान की जाती है, शिकायतकर्ता उपस्थित हो सकता है उच्च न्यायालय को ऐसी अपील (5) अधिग्रहण के आदेश से अपील करने के लिए विशेष छुट्टी के अनुदान के लिए उपधारा (4) के तहत कोई आवेदन छह महीने की समाप्ति के बाद उच्च न्यायालय द्वारा मनोरंजन किया जाएगा, जहां शिकायतकर्ता एक सरकारी कर्मचारी है, और साठ दिन हर दूसरे मामले में, निर्दोष के आदेश की तारीख से गणना की

(6) यदि किसी भी मामले में, अधिग्रहण के आदेश से अपील करने के लिए विशेष छुट्टी के अनुदान के लिए उपधारा (4) के तहत आवेदन अस्वीकार कर दिया गया है, तो बकाया राशि के आदेश से कोई अपील उपधारा (1) या उपधारा (2) के तहत। मुझे आशा है कि इससे मदद मिलती है

हाँ, प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के विरुद्ध एक द्वितीय अपील, उस तिथि से 90 (नब्बे) दिन के अन्दर दाखिल किया जा सकता है, जिस तिथि को प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश दिया जाना चाहिए था या वह वास्तव में प्राप्त हुआ था।

आयोग को आर.टी.आई. एक्ट की धारा 19(3) के अंतर्गत दाखिल एक अपील का न्यायनिर्णयन करने और वह अपेक्षित सूचना, जब वह केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) या प्रथम अपीलीय अधिकारी के स्तर से प्रदान नहीं की गई है, को प्रदान करने का आदेश जारी करने की शक्तियाँ हैं।

अपील

धारा 19(1) ऐसा कोई व्यक्ति, जिसे धारा 7 की उपधारा (1) या उपधारा (3) के खंड (क) में विनिर्दिष्ट समय के भीतर कोई विनिश्चय प्राप्त नहीं हुआ है या जो, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के किसी विनिश्चय से व्यथित है, उस अवधि की समाप्ति से या ऐसे किसी विनिश्चय की प्राप्ति से तीस दिन के भीतर ऐसे अधिकारी को अपील कर सकेगा, जो प्रत्येक लोक प्राधिकरण में, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की पंक्ति से ज्येष्ठ पंक्ति का है:

परन्तु ऐसा अधिकारी, तीस दिन की अवधि की समाप्ति के पश्चात् अपील को ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी समय पर अपील फाइल करने में पर्याप्त कारण से निवारित किया गया था।

(2) जहां अपील धारा 11 के अधीन, यथास्थिति, किसी केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या किसी राज्य लोक सूचना अधिकारी द्वारा पर व्यक्ति की सूचना प्रकट करने के लिए किए गए किसी आदेश के विरुद्ध की जाती है वहां सम्बंधित पर व्यक्ति द्वारा अपील, उस आदेश की तारीख से तीस दिन के भीतर की जाएगी।

(3) उपधारा (1) के अधीन विनिश्चय के विरुद्ध दूसरी अपील उस तारीख से, जिसको विनिश्चय किया जाना चाहिए था या वास्तव में प्राप्त किया गया था, नब्बे दिन के भीतर केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को होगी:

परन्तु, यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग नब्बे दिन की अवधि की समाप्ति के पश्चात् अपील को ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी समय पर अपील फाइल करने से पर्याप्त कारण से निवारित किया गया था।

(4)यदि, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का विनिश्चय, जिसके विरुद्ध अपील की गई है, पर व्यक्ति की सूचना से सम्बंधित है तो, यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग उस पर व्यक्ति को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देगा।

(5) अपील संबंधी किन्हीं कार्यवाहियों में यह साबित करने का भार कि अनुरोध को अस्वीकार करना न्यायोचित था, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी पर, जिसने अनुरोध से इंकार किया था, होगा।

(6) उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन किसी अपील का निपटारा, लेखबद्ध किए जाने वाले कारणों से, अपील की प्राप्ति के तीस दिन के भीतर या ऐसी विस्तारित अवधि के भीतर, जो उसके फाइल किए जाने की तारीख से कुल पैंतालीस दिन से अधिक न हो, किया जाएगा।

(7)यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का विनिश्चय आबद्धकर होगा।

(8)अपने विनिश्चय में, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को निम्नलिखित की शक्ति है—
(क) लोक प्राधिकरण से ऐसे उपाय करने की अपेक्षा करना, जो इस अधिनियम के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो, जिनके अंतर्गत निम्नलिखित भी हैं:--
(i) सूचना तक पहुंच उपलब्ध कराना, यदि विशिष्ट प्ररूप में ऐसा अनुरोध किया गया है;
(ii) यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त करना;
(iii) कतिपय सूचना या सूचना के प्रवर्गों को प्रकाशित करना;
(iv) अभिलेखों के अनुरक्षण, प्रबंध और विनाश से सम्बंधित अपनी पद्धतियों में आवश्यक परिवर्तन करना;
(v) अपने अधिकारीयों के लिए सूचना के अधिकार के संबंध में प्रशिक्षण के उपबंध को बढ़ाना;
(vi) धारा 4 की उपधारा (1) के खंड (ख) के अनुसरण में अपनी एक वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध कराना;
(ख) लोक प्राधिकारी से शिकायतकर्ता को, उसके द्वारा सहन की गई किसी हानी या अन्य नुकसान के लिए प्रतिपूरित करने की अपेक्षा करना;
(ग) इस अधिनियम के अधीन उपबंधित शास्तियों में से कोई शास्ति अधिरोपित करना;
(घ) आवेदन को नामंजूर करना।

(9)यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग शिकायतकर्ता और लोक प्राधिकारी को, अपने विनिश्चय की, जिसके अंतर्गत अपील का कोई अधिकार भी है, सूचना देगा।

(10)यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग, अपील का विनिश्चय ऐसी प्रक्रिया के अनुसार करेगा, जो विहित की जाए।