मेरी लेफ्ट यानी वृषण टेस्टीज में सिस्ट है। इसके अलावा जब मैं पॉर्न देखता हूं तब गीला हो जाता हूं। मेरी अभी शादी नहीं हुई है, लेकिन मुझे चिंता सता रही है कि भविष्य में मुझे यौन संबंध बनाने में कहीं कोई दिक्कत तो नहीं होगी? Show
आप सभी लोगों ने जाना कि टेस्टिकुलर कैंसर के लक्षण क्या है। इन लक्षणों को महसूस होने के बाद या तो लोग इनके बारे में बात नहीं करते। या इन्हे पूरी तरह नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि अगर टेस्टिकुलर कैंसर का निदान समय पर ना किया जाए तो इसका उपचार बेहद मुश्किल हो सकता है। अंडाशय की गांठ (ओवेरियन सिस्ट) बिना सर्जरी दूर की जा सकती है। वह भी सिर्फ दवाओं के सेवन से। होम्योपैथ के शोध ने इस रोग के इलाज का नया दरवाजा खोल दिया है। लखनऊ में होम्योपैथ के डॉक्टरों द्वारा किए गए...लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM हमें फॉलो करें ऐप पर पढ़ें अंडाशय की गांठ (ओवेरियन सिस्ट) बिना सर्जरी दूर की जा सकती है। वह भी सिर्फ दवाओं के सेवन से। होम्योपैथ के शोध ने इस रोग के इलाज का नया दरवाजा खोल दिया है। लखनऊ में होम्योपैथ के डॉक्टरों द्वारा किए गए अनुसंधान में दवा देने के बाद 84.64 प्रतिशत मरीजों में इसके नतीजे उत्साहजनक मिले हैं। शोध से यह साबित हो गया है कि अंडाशय की गांठ की उत्पत्ति का संबंध किसी भी व्यक्ित के मन से सीधे जुड़ा है। होम्योपैथ की चुनी गयी दवाओं से इसका इलाज संभव है। लखनऊ के गौरांग क्लीनिक एण्ड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता एवं होम्यो रत्न से सम्मानित डा. गिरीश गुप्ता इस विषय पर विस्तृत व्याख्यान पटना में रविवार को आयोजित ‘क्लीनिकल रिसर्च एण्ड क्वालिटी एश्योरंश इन होम्योपैथी सेमिनार’ में देंगे।ड्ढr ड्ढr उन्होंने दूरभाष पर हिन्दुस्तान से बातचीत में बताया कि सम्पूर्ण लक्षणों के आधार पर चयनित दवाओं से बिना सर्जरी के अंडाशय की गांठ को हटाया जा सकता है। अंडाशय में गांठ होने के कई कारण होते हैं जिसमें हार्मोन के असंतुलन, हार्मोनल दवाओं का अनुचित प्रयोग, अप्राकृतिक परिवार नियोजन, नसबंदी, यौन भावनाओं को दमित करना और थायरॉयड ग्रंथी में असंतुलन प्रमुख हैं। इसके साथ ही मरीज के ऊपर चिंता, तनाव, मानसिक आघात, भावनात्मक परशानी, अवसाद और भय जैसे कारण भी मरीज के मन और स्नायुतंत्र को प्रभावित करते हैं। स्नायुतंत्र के रसायन हाइपोथैलमस के माध्यम से पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करती है। इससे शरीर के अन्दर हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है जो अंडाशय में गांठ बनाता है। डा.गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वित्तीय सहयोग से लखनऊ के गौरंग क्लीनिक में किए गए अनुसंधान से कुल 241 मरीजों को शामिल किया गया। उनमें से 84.64 प्रतिशत मरीजों में दवा का बेहतर परिणाम मिला है जबकि 66 प्रतिशत मरीज पूर्णत: रोगमुक्त हो गए।ड्ढr उन मरीजों में 17 फीसदी मरीजों में सुधार हो रहा है जबकि 6.64 प्रतिशत मरीजों में अंडाशय के गांठ की स्थिति यथावत बनी हुई है। इस शोध में कुल 8.72 फीसदी मरीजों में होम्योपैथ दवाओं से कोई सुधार नहीं मिला। शोध में शामिलीसदी महिलाओं में एक गांठ जबकि 6.22 में एक से अधिक गांठ थी। इसमें 84.23 फीसदी महिलाएं शादी-शुदा थीं जबकि 15.77 फीसदी अविवाहित थीं। अगला लेख पढ़ें नितिन गडकरी के हाई स्पीड सपनों पर कौन लगा रहा ब्रेक? उनके ही मंत्रालय की परियोजनाओं में सबसे ज्यादा देरी अंडाशय की गांठ (ओवेरियन सिस्ट) बिना सर्जरी दूर की जा सकती है। वह भी सिर्फ दवाओं के सेवन से। होम्योपैथ के शोध ने इस रोग के इलाज का नया दरवाजा खोल दिया है। लखनऊ में होम्योपैथ के डॉक्टरों द्वारा किए गए...लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM हमें फॉलो करें ऐप पर पढ़ें अंडाशय की गांठ (ओवेरियन सिस्ट) बिना सर्जरी दूर की जा सकती है। वह भी सिर्फ दवाओं के सेवन से। होम्योपैथ के शोध ने इस रोग के इलाज का नया दरवाजा खोल दिया है। लखनऊ में होम्योपैथ के डॉक्टरों द्वारा किए गए अनुसंधान में दवा देने के बाद 84.64 प्रतिशत मरीजों में इसके नतीजे उत्साहजनक मिले हैं। शोध से यह साबित हो गया है कि अंडाशय की गांठ की उत्पत्ति का संबंध किसी भी व्यक्ित के मन से सीधे जुड़ा है। होम्योपैथ की चुनी गयी दवाओं से इसका इलाज संभव है। लखनऊ के गौरांग क्लीनिक एण्ड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता एवं होम्यो रत्न से सम्मानित डा. गिरीश गुप्ता इस विषय पर विस्तृत व्याख्यान पटना में रविवार को आयोजित ‘क्लीनिकल रिसर्च एण्ड क्वालिटी एश्योरंश इन होम्योपैथी सेमिनार’ में देंगे।ड्ढr ड्ढr उन्होंने दूरभाष पर हिन्दुस्तान से बातचीत में बताया कि सम्पूर्ण लक्षणों के आधार पर चयनित दवाओं से बिना सर्जरी के अंडाशय की गांठ को हटाया जा सकता है। अंडाशय में गांठ होने के कई कारण होते हैं जिसमें हार्मोन के असंतुलन, हार्मोनल दवाओं का अनुचित प्रयोग, अप्राकृतिक परिवार नियोजन, नसबंदी, यौन भावनाओं को दमित करना और थायरॉयड ग्रंथी में असंतुलन प्रमुख हैं। इसके साथ ही मरीज के ऊपर चिंता, तनाव, मानसिक आघात, भावनात्मक परशानी, अवसाद और भय जैसे कारण भी मरीज के मन और स्नायुतंत्र को प्रभावित करते हैं। स्नायुतंत्र के रसायन हाइपोथैलमस के माध्यम से पीयूष ग्रंथि को प्रभावित करती है। इससे शरीर के अन्दर हार्मोनल असंतुलन पैदा होता है जो अंडाशय में गांठ बनाता है। डा.गुप्ता ने बताया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वित्तीय सहयोग से लखनऊ के गौरंग क्लीनिक में किए गए अनुसंधान से कुल 241 मरीजों को शामिल किया गया। उनमें से 84.64 प्रतिशत मरीजों में दवा का बेहतर परिणाम मिला है जबकि 66 प्रतिशत मरीज पूर्णत: रोगमुक्त हो गए।ड्ढr उन मरीजों में 17 फीसदी मरीजों में सुधार हो रहा है जबकि 6.64 प्रतिशत मरीजों में अंडाशय के गांठ की स्थिति यथावत बनी हुई है। इस शोध में कुल 8.72 फीसदी मरीजों में होम्योपैथ दवाओं से कोई सुधार नहीं मिला। शोध में शामिलीसदी महिलाओं में एक गांठ जबकि 6.22 में एक से अधिक गांठ थी। इसमें 84.23 फीसदी महिलाएं शादी-शुदा थीं जबकि 15.77 फीसदी अविवाहित थीं। अगला लेख पढ़ें नितिन गडकरी के हाई स्पीड सपनों पर कौन लगा रहा ब्रेक? उनके ही मंत्रालय की परियोजनाओं में सबसे ज्यादा देरी अंडकोष में गांठ होने पर क्या करें?अंडकोष की गांठ वाले किसी भी व्यक्ति को नियमित रूप से घर पर इसकी जांच करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसका आकार बदल तो नही रहा है। सिस्ट आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती हैं। अगर सिस्ट में दर्द होता है, तो गर्म सिंकाई से सूजन को कम करने में मदद मिल सकती है।
अंडकोष में गांठ क्यों होती है?अंडाशय में गांठ होने के कई कारण होते हैं जिसमें हार्मोन के असंतुलन, हार्मोनल दवाओं का अनुचित प्रयोग, अप्राकृतिक परिवार नियोजन, नसबंदी, यौन भावनाओं को दमित करना और थायरॉयड ग्रंथी में असंतुलन प्रमुख हैं।
अंडकोष में ट्यूमर की पहचान कैसे करें?टेस्टिकुलर कैंसर के लक्षण. टेस्टिस में गांठ हो जाना जिसमें किसी तरह का दर्द ना हो।. टेस्टिस में सूजन की समस्या होना। ... . टेस्टिस में अक्सर दर्द रहना।. मेल चेस्ट में कोमलता आ जाना।. टेस्टिस का सिकुड़ जाना।. टेस्टिस में लगातार दर्द रहना और अनकंफर्टेबल महसूस करना।. टेस्टिस में किसी तरह का द्रव बनने लगना।. एक अंडकोष निकाल देने से क्या होता है?मेडिकल की भाषा में अंडकोष निकाले जाने को मोनोरचिड (monorchid) कहते हैं और NHS इसके लिए 20 से 21 लाख रूपए से भी अधिक की क्षतिपूर्ति देता है। वहीं अगर किसी पुरुष के सही अंडकोष को निकाला जाता है तो उसे 72 से 73 लाख रूपए देकर क्षतिपूर्ति पूरी की जाती है। लेकिन ऐसी स्थिति में पुरुष नपुंसक हो जाता है।
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