स्थानीय स्वशासन-सफल या असफल?इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में स्थानीय स्वशासन की विकास यात्रा और वर्तमान समय में उसकी प्रासंगिकता पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भआमतौर पर सभी संघीय ढाँचों में द्विस्तरीय शासन प्रणाली शामिल होती है, पहले स्तर पर केंद्र या संघ सरकार एवं दूसरे स्तर पर राज्य या प्रांतीय सरकार। परंतु इस नज़रिये से भारतीय संघात्मक ढाँचे को कुछ अलग माना जाता है, क्योंकि भारतीय संविधान में त्रिस्तरीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है:
स्थानीय सरकार की प्रणाली को अपनाने का सबसे प्रमुख उद्देश्य यही है कि इसके माध्यम से देश के सभी नागरिक अपने लोकतांत्रिक अधिकारों को प्राप्त कर सकते हैं। विदित है कि लोकतंत्र की सफलता सत्ता के विकेंद्रीकरण पर निर्भर करती है और स्थानीय स्वशासन के माध्यम से ही शक्तियों का सही विकेंद्रीकरण संभव हो पाता है। स्थानीय सरकार की अवधारणा
सही मायनों में स्थानीय सरकार का अर्थ है, स्थानीय लोगों द्वारा स्थानीय मामलों का प्रबंधन। यह इस सिद्धांत पर आधारित है कि स्थानीय समस्याओं और ज़रूरतों की समझ केंद्रीय या राज्य सरकारों की अपेक्षा स्थानीय लोगों को अधिक होती है। स्थानीय सरकार की अवधारणा का विकास
73वाँ संवैधानिक संशोधन
73वें संवैधानिक संशोधन से हुए मुख्य बदलाव
इस संशोधन के पश्चात् सभी प्रदेशों में पंचायती राज व्यवस्था का ढाँचा त्रि-स्तरीय हो गया, जिसमे सबसे नीचे यानी पहले स्थान पर ग्राम पंचायतें आती हैं, बीच में मंडल आते हैं जिन्हें खंड या तालुका भी कहते हैं और अंत में सबसे ऊपर ज़िला पंचायतों का स्थान आता है।
संशोधन से पूर्व कई स्थानों पर चुनावों की कोई भी प्रत्यक्ष एवं औपचारिक प्रणाली नहीं थी, परंतु इस 73वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से यह व्यवस्था की गई कि अभी स्तरों पर चुनाव सीधे जनता करेगी और प्रत्येक पंचायती निकाय की अवधि 5 वर्षों की होगी।
सभी पंचायती संस्थानों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित की गईं और साथ ही सभी स्तरों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिये भी आरक्षण की व्यवस्था की गई।
राज्यों के लिये यह अनिवार्य किया गया कि वे राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करें, इन आयुक्तों को राज्य में सभी स्तरों पर पंचायती संस्थानों के चुनाव करने की ज़िम्मेदारी दी गई। 74वाँ संवैधानिक संशोधन
क्यों आवश्यक है स्थानीय स्वशासन?
भारत में स्थानीय सरकार की समस्याएँ
कितनी सफल है स्थानीय सरकार की अवधारणा?स्थानीय सरकार की व्यवस्था ने 25 से भी अधिक वर्ष पूरे कर लिये हैं और इस अवधि को इस बात की जाँच करने के लिये सही समय माना जा सकता है कि यह व्यवस्था अब तक कितनी सफल रही है और कितनी असफल। विश्लेषक मानते हैं कि एक ओर यह व्यवस्था सफल भी रही है और दूसरी ओर असफल भी। इसकी सफलता और असफलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम इसे किन उद्देश्यों के आधार पर जाँच रहे हैं। यदि इस व्यवस्था का उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर सरकार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व की एक और प्रणाली का विकास करना था तो स्थानीय सरकार की अवधारणा इस उद्देश्य की प्राप्ति में पूर्णतः सफल रही है, परंतु इसके विपरीत यदि हमारा लक्ष्य एक बेहतर शासन प्रदान करना था तो हम इसमें पूर्णतः विफल रहे हैं। कई जानकार मानते हैं कि आज स्थानीय सरकारें अशक्त और अप्रभावी हो गई हैं और उन्हें ऊपरी स्तर की सरकारों के पक्ष समर्थक एजेंट होने तक ही सीमित कर दिया गया है। सुधार हेतु कुछ उपाय
प्रश्न: क्या स्थानीय स्वशासन प्रणाली की अभिकल्पना में ही कोई दोष है जिसके कारण यह 25 वर्षों बाद भी अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में विफल रही है? स्पष्ट कीजिये। 73 और 74 वा संविधान संशोधन क्या है?इसमें कहा गया है कि प्रत्येक नगर पालिका में प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा भरे जाने वाले सीटों की कुल संख्या में से कम से कम एक तिहाई (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या सहित) महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी और ऐसी एक नगर पालिका में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को रोटेशन द्वारा सीटें आवंटित ...
73 वा संविधान संशोधन में क्या हुआ था?भारत के 73 वें संविधान संशोधन के माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हुई थी। 73 वें संविधान संशोधन के माध्यम से देश की लगभग ढाई लाख पंचायतों को मूल रूप से अधिकार प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया था।
74वां संविधान संशोधन क्या है उत्तर?Detailed Solution. 74 वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 शहरी स्थानीय स्वशासन से संबंधित है। यह नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देने के लिए नगरपालिका अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है और उन्हें संविधान के न्यायसंगत हिस्से के तहत लाया गया है।
74 वें संविधान संशोधन कब हुआ?भारत का संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम, 1993
इसके परिणामस्वरूप, शहरी स्थानीय निकाय एक स्वायत्तशासी सरकार की जीवंत लोकतांत्रित इकाई के रूप में कारगर ढ़ग से कम नहीं कर पा रहे हैं।
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