2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?

‌‌‌इस लेख के अंदर हम जानेंगे 2 नंबर के धंधे ,दो नंबर के धंधे की जानकारी हाशिल करेंगे । अक्सर आपने लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि कमाई तो सिर्फ दो नंबर के धंधे के अंदर ही होती है। उनका कहना बहुत ही हद तक सही भी है। दो नंबर के धंधे के अंदर कमाई होती ही है। हालांकि इनको करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। कमाई के चक्कर मे ‌‌‌खूब ठुकाई भी हो सकती है।यहां पर दो व्यक्ति थे जो दारू का धंधा करते थे उनमे से एक के पास तो बहुत अधिक पैसा था।और दूसरे के पास भी काफी पैसा था लेकिन एक तो अभी भी जेल के अंदर दिन गुजार रहा है। उसकी पत्नी किसी तरह से गुजर बसर कर अपना पेट भर रही है।

‌‌‌इसी प्रकार से यह दो नंबर के धंधे करने वाले भी आपस मे लड़ते रहते हैं और कई बार आपस की गोली बारी के अंदर एक दूसरे को ही मार देते हैं। कुछ साल पहले हमारे ईलाके के पास मे ही एक धंधे वाले ने दूसरे को मार डाला था।

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‌‌‌असल मे दो नंबर के धंधे को कोई करना नहीं चाहता है लेकिन आज इंसान की संख्या बहुत अधिक हो चुकी है और उनकी तुलना मे संसाधन बहुत ही कम हो चुके हैं तो अपना पेट पालने के लिए इंसान सही और गलत नहीं देखता है। ‌‌‌सरकारे आती हैं और दो नंबर के धंधों को रोकने के लिए अनेक कानून बनाती हैं लेकिन इसकी जड़ पर कभी भी परहार नहीं करती हैं। समाज तो हमेशा से ही सोया रहता है। ‌‌‌यही कारण है कि कानून बनाने के बाद भी इस प्रकार के धंधे रूक नहीं पाते हैं। और दो नंबर के धंधे दिनो दिन अपराध के रूप लेते जा रहे हैं।

‌‌‌हालांकि दो नंबर के धंधे के अंदर मोटी कमाई होती है।इतनी कमाई देखकर कोई भी इन धंधों के अंदर उतरना चाहेगा । पिछले दिनों जब मे वेश्याव्रति के बारे मे पढ़ रहा था तो पता चला कि एक महिला ने इसलिए देह धंधा करना शूरू कर दिया था क्योंकि वह इसके अंदर एक घंटे के अंदर ही 1000 से 3000 तक आसानी से कमा ‌‌‌ लेती थी। जबकि दूसरी नोकरी के अंदर वह इतना पैसा नहीं कमा पाती थी।

‌‌‌तो आइए जानते हैं अलग अलग दो नंबर के धंधे के बारे मे । और भारत के अंदर उनकी स्थिति के बारे मे ।

  • ‌‌‌‌‌‌दो नंबर के धंधे किराए की कोख का गलत प्रयोग illegal business ideas in hindi
  • ‌‌‌दो नंबर के धंधे कन्या भ्रूण हत्या
  • ‌‌‌शरीर के अंगो की खरीद फरोख्त
  • नकली और पायरेटेड सीडी
  • ‌‌‌खाने पीने की चीजों मे मिलावट का कारोबार
  • ‌‌‌रेलवे स्टेशन पर सिगरेट बेचना
  • कॉपी कंटेंट
  • छोटे सिलेंडर की  रीफिलिंग illegal business ideas in hindi
  • ‌‌‌देशी शराब का कारोबार
  • ‌‌‌देहव्यापार
  • ‌‌‌दुल्हनों का बाजार
  • चरस, गांजा, स्मैक का कारोबार

2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?

‌‌‌वैसे भारत के अंदर किराए की कोख के लिए कोई खास कानून नहीं है।हालांकि अब कई विधेयक पास किये गए हैं। आपको बतादें कि सन 2013 तक भारत के अंदर किराए की कोख का कारोबार लगभग 63 करोड़ का था। ‌‌‌और इस कार्य के अंदर गर्भवति माताओं का शोषण होता देखा गया है। आपको बतादें कि कई बार जन्म देने वाले बच्चे को भी वे लोग लेकर नहीं जाते हैं। इससे बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। सरोगेसी क्लिनिकों में इसके दुरुपयोग, अनैतिक व्यवहार, मानव भ्रूण आयात की शिकायतें आती रहती हैं।

लखनऊ में सरोगेसी का कारोबार काफी फलफूल रहा है।कुछ महिलाएं तो पैसे की कमी के चलते इस धंधे के अंदर उतरती हैं तो कुछ ऐसे ही उतर जाती हैं।आपको बतादें कि इस दो नंबर के धंधे के अंदर किराये की कोख की दलाली करने वाली ऐजेंसियां दम्पति से 10 से 18 लाख तक वसूल लेती हैं। और रियल महिला जो ‌‌‌ किराये की कोख को उपलब्ध करवाती है उसको सिर्फ 5 लाख रूपये ही दिये जाते हैं। ‌‌‌अकेले लखनउ शहर के अंदर हर साल 70 से अधिक महिलाएं अपनी कोख बेचती हैं और उनको इसका किराया भी दिया जाता है।

‌‌‌वैसे किराये की कोख का कारोबार कोख बेचने वाली माताओं के लिए हानिकारक होता है। लेकिन बिचौलिया इसका खूब फायदा उठाते हैं। सबसे पहली बात तो कोख देने वाली माताओं को इसकी के अंदर काफी समस्यों का सामना करना पड़ता है। ‌‌‌और यदि किसी वजह से बच्चे के अंदर कमी निकल आती है तो फिर हो सकता है कि दम्पति उस बच्चे को लेकर भी ना जाएं ।

‌‌‌यदि आंकड़ों की माने तो भारत के अंदर हर साल 2000 विदेशी बच्चे इसी तरीके से पैदा होते हैं।और अब तक 3000 से अधिक क्लिक इस प्रकार की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं।जैसा कि आपको यह पता होगा कि सरोगेसी एक ऐसी तकनीक होती है जिसके अंदर एक स्त्री और पुरुष के शुक्राणु और अण्डाणु को किसी तीसरी महिला (सरोगेट माता) के गर्भ ‌‌‌मे भेज दिया जाता है। और वही माता उसको 9 महिने तक अपने पेट मे रखती है। और बच्चा पैदा होने के बाद उसको उसके असली माता पिता को देदिया जाता है।

शाहरुख खान-गौरी खान की हो या फिर आमिर खान-किरण राव खान की, सोहैल खान-सीमा सचदेवा खान और तुषार कपूर इन सभी ने अब इसी तकनीक से बच्चे हाशिल किये हैं। कुल मिलाकर अब यह विलासिता का रूप लेती जा रही है। ‌‌‌और आने वाले समय मे इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह तकनीक बहुत अधिक महंगी हो जाए क्योंकि अधिकतर लोग अपने बच्चे को जन्म देने के लिए दूसरी माताओं का इस्तेमाल करने लग जाएंगे । खास कर वे लोग जिनके पास बहुत अधिक पैसा है।

सरोगेसी की काफी आलोचना भी की जा रही है। इसके पीछे कारण यह है कि इसके अंदर अंगों की खरीद फरोख्त भी हो सकती है। और कई बड़े गिरोह भी इसके अंदर काम कर रहे हो सकते हैं।

कृत्रिम गर्भधारण की तकनीक भारत के अंदर काफी पुरानी होने के बाद भी अभी तक इस पर कोई साफ कानून नहीं बन पाया है। इसके अलावा भारत किराये की कोख के अंदर विदेशियों के द्धारा पसंद किया जाने वाला सबसे बड़ा देश है। इसके पीछे का कारण यह है कि भारत के अंदर यह काफी सस्ती है और यहां पर दम्पति को किसी ‌‌‌भी तरह की कानूनी समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ता है। ‌‌‌लेकिन ढीले ढाले कानूनों की वजह से किराये की कोख देने वाली माता को काफी संकटों का सामना करना पड़ता है। यदि दम्पति लड़का चाहते हैं और लड़की हो जाती है तो संभव है वे उसका त्याग कर दें । ऐसी स्थिति के अंदर वह बच्ची फिर अनाथ ही हो जाएगी । ‌‌‌इसी लिए कुछ लोगों का यह कहना भी है कि इससे अनाथ बच्चों की संख्या मे तेजी से बढ़ोतरी होगी ।

‌‌‌इस लेख का मकसद सिर्फ जानकारी देना मात्र है। यह लेख किसी भी प्रकार के गलत कार्य को बढ़ावा देने के लिए नहीं लिखा गया है।

‌‌‌दो नंबर के धंधे कन्या भ्रूण हत्या

2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?


कन्या भ्रूण हत्या एक बड़ा अपराध है । और यह समस्त स्त्री जाति के उपर कलंक भी है।कन्या भ्रूण हत्या के होने के पीछे कारण यह है कि आज भी भारत के अंदर यह माना जाता है कि वंश को आगे बढ़ाने के लिए पुरूष का होना बेहद ही जरूरी होता है। और इसी वजह से बेटे की चाहत रखने वाले लोग भ्रूण की गर्भ के अंदर ‌‌‌ही लिंग जांच करवाते हैं और उसके बाद जब उनको पता चलता है कि बेटी है तो फिर वे उसकी हत्या करवा देते हैं। गर्भ से लिंग परीक्षण जाँच के बाद बालिका शिशु को हटाना कन्या भ्रूण हत्या कहलती है

और यह कार्य ससुराल पक्ष के लोग करते हैं। और कई बार तो माता की बिना जानकारी के ही यह कार्य कर दिया जाता है। ‌‌‌और इस कार्य को करने वाले लोग इसके लिए काफी मोटी रकम वसूलते हैं। एक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भारत में पिछले 30 वर्षो में 1.20 करोड़ लड़कियों की गर्भ में ही हत्या होने का अनुमान है।

कन्या भ्रूण हत्या की वजह से समाज के अंदर अनेक प्रकार की बुरायों को जन्म दिया है। आज आप समाज के अंदर बड़ी संख्या के अंदर अविवाहित पुरूष जो देख रहे हैं वह इसी सोच का परिणाम है।समाज के अंदर अविवाहित पुरूषों के अधिक होने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यौन अपराध के अंदर बढ़ोतरी होगी । ‌‌‌जानकारों का यह मानना है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय के अंदर महिलाओं के प्रति होने वाले अपरोधों के अंदर तेजी से बढ़ोतरी होगी । और इस पर अंकुश लगाना काफी कठिन हो जाएगा ।

‌‌‌हालांकि कन्या भ्रूण हत्या के लिए कानून भी बनाया गया है। भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत प्रावधान है कि यदि कोई किसी भी महिला की अनुमति के खिलाफ उसका गर्भपात करवाता है तो फिर उसे सात साल की कैद हो सकती है। इसके अलावा महिला की सहमति के बिना गर्भपात (धारा 313) और गर्भपात की कोशिश के कारण महिला की मृत्यु (धारा 314) इसे एक दंडनीय अपराध है।

‌‌‌इसके अलावा धारा 315 के अनुसार यदि कोई माता के जीवन रक्षा को छोड़कर ‌‌‌बच्चे के जन्म को रोकता है या उसे जन्म के बाद मार देता है तो उसे 10 साल की कैद हो सकती है।

धारा 316 और धारा 318 के अनुसार नवजात शिशु को त्याग देना और उसको मारकर उसके शरीर को नष्ट करना अपराध के अंदर आता है। ‌‌‌इन कानूनों के अंदर जेंडर शब्द का प्रयोग किया गया है। और ऐसा इसलिए किया गया है ताकि यह दोनो लिंग के संदर्भ मे लागू किया जा सके । हालांकि भारत के अंदर नर भ्रूण की हत्या के मामले ना के बराबर आते हैं।

 और जब किसी महिला को लड़का पैदा होता है तो उसे बहुत ही सम्मान की नजरों से देखा जाता है जबकि ‌‌‌यदि किसी महिला को लगातार लड़की पैदा होती है तो उसे बार बार गर्भधारण करने के लिए विवश किया जाता है। ‌‌‌भारत के अंदर गिरता लिंगानुपात खतरे की घंटी है। सन्1961 से चल रहा है। सन् 1991 में 1000 लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या 945 थी, जो सन 2001 में घटकर 927 और 2011 में 918 हो गई है। और यदि ऐसा ही चलता रहा तो समाज के अंदर एक बड़ा असंतुलन कायम हो सकता है जो काफी भयंकर हो सकता है।

‌‌‌भले ही सरकार इस मामले मे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन शूरू करे या कुछ और लोगों की मानसिकता को बदलना इतना आसान नहीं होता है। अधिकतर लोग दोगली सोच रखने वाले होते हैं। और उनमे से बहुत सारे ऐसे ही होते हैं कि उनको खुद को ही पता नहीं होता है कि उनकी सोच दोगली है। वे बस एक मशीन की तरह ही काम करते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के पानीपत के अंदर 100 जिलों मे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आंदोलन शूरू किया था। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि हरियाणा मे लिंगानुपात बहुत ही कम है।

भारत में कन्या भ्रूण हत्या को कम करने के लिए अनेक कानून पारित किये गए हैं। जिन्मे से कुछ नीचे दिये गए हैं।

‌‌‌कानून year लक्ष्य
दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 परिवारों को दहेज लेने से रोकते हैं, कारावास दंडनीय
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 हिंदुओं के लिए विवाह और तलाक के नियम
हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 बच्चों को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया और परिवार के अन्य सदस्यों के लिए रखरखाव प्रदान करने की कानूनी बाध्यता से संबंधित है
अनैतिक यातायात रोकथाम अधिनियम 1986 सेक्स ट्रैफिकिंग और शोषण को रोकता है
समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 कार्यबल में पुरुषों और महिलाओं के बीच मौद्रिक भेदभाव को रोकता है
महिला शिशु रोग अधिनियम 1870 कन्या भ्रूण हत्या को रोकता है (ब्रिटिश भारत में अधिनियम पारित)
अल्ट्रासाउंड परीक्षण पर प्रतिबंध 1996 जन्म पूर्व लिंग निर्धारण

1990 के दशक के बाद से भारत में 10 मिलियन से अधिक कन्या भ्रूणों का अवैध रूप से गर्भपात हो सकता है, और कन्या भ्रूण हत्या के कारण 500,000 लड़कियां हर साल मारी जाती हैं। मैकफर्सन का अनुमान है कि भारत में हर साल 100000 गर्भपात पूरी तरह से जारी रहते हैं

प्राकृतिक लिंग अनुपात 103 और 107 के बीच माना जाता है और यदि इसके उपर या नीचे जाता है तो उसे कन्या भ्रूण हत्या का कारण माना जाता है। भारत के सभी पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में बाल लिंगानुपात सामान्य प्राकृतिक सीमा के भीतर है, लेकिन कुछ पश्चिमी और विशेष रूप से पश्चिमोत्तर राज्यों जैसे महाराष्ट्र , हरियाणा , जम्मू और कश्मीर के अंदर स्थिति काफी बिगड़ रही है।

‌‌‌शरीर के अंगो की खरीद फरोख्त

2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?

शरीर के अंगों की खरीद फरोख्त भी गैरकानूनी है।लेकिन उसके बाद भी लोग इनको खरीदने और बेचने से बाज नहीं आते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है इस दो नंबर के धंधे के अंदर बहुत अधिक पैसा है।‌‌‌आपको पता होना चाहिए कि मानव अंगों की बहुत भारी मांग है और उसके हिसाब से अंग उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। जिसकी वजह से लोग इनको उंची कीमत पर खरीद रहे हैं। हालांकि भारत के अंदर अंगों की खरीद फरोख्त करना कानूनी रूप से जुर्म है।‌‌‌यदि कोई अपनी इंच्छा से अंगों का दान करता है तो यह कानूनी जुर्म के अंदर नहीं आता है।

मुंबई शहर के अंदर 3000 लोग अंगों के इंतजार मे हैं लेकिन उनको अंग नहीं मिल रहे हैं। इसी प्रकार से तमिलनाडु में करीब 3,500 लोगों को किडनी की जरूरत है लेकिन उनके लिए किडनी उपलब्ध नहीं है।जबकि 400 लोग अन्य अंगों की जरूरत से झूझ रहे हैं। यदि इनको जल्दी ही जरूरत के अंग नहीं मिले तो इनकी मौत हो ‌‌‌सकती है।

‌‌‌भारत के अंदर यह अनुमान नहीं लगाया गया है कि देशभर के अंदर अंगों की कितनी जरूरत है लेकिन जानकारों की माने तो देश के अंदर हर समय 4 लाख ऐसे होते हैं जिनको अंगों की जरूरत रहती है।आयुर्विज्ञान के अनुसार हर 10 लाख लोगों के अंदर 1500 लोग ऐसे होते हैं जिनको अंगो की जरूरत होती है।‌‌‌विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के अंदर हर साल 2000 लोग सिर्फ पैसों के लिए अपनी किडनी को बेच देते हैं।

किडनी और मानव अंगों का जो करोड़ो का कारोबार हो रहा है उसकी कारण यह है कि मांग की तुलना मे उपलब्धता 3 फीसदी भी नहीं है।‌‌‌भारत के अंदर जो दानदाता होते हैं उनके अंग विदेशी लोगों के अंदर बड़े पैमाने पर प्रत्यारोपित किये जाते हैं।

अक्टूबर 2002 में अमेरिकन मेडिकल जर्नल के अंदर एक लेख छपा था इस लेख के अंदर उल्लेख किया गया था कि भारत के अंदर किड़नी और दूसरे मानव अंगों को खरीदने वाले अधिकतर लोग अमीर होते हैं। जबकि मानव अंगों को बेचने वाले लोग गरीब होते हैं जो कि पैसे के लिए अपने अपने अंगों को बेच देते हैं।

‌‌‌एक किड़नी बेचने वाले को उसकी किड़नी के लिए 80 हजार के आस पास रूपये मिल जाते हैं।इन पैसों से वह अपना कर्ज चुकाता है और अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास करता है।

‌‌‌भारत के अंदर मानव अंगों की खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध है। इसके लिए 1994 का ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एक्ट मानव अंगों की खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाता है। इसी प्रकार से 2014 में ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिश्यू एक्ट भी लागू किया गया था । भले ही कानून बन गए हों लेकिन कानून का सही ‌‌‌ तरीके से पालन नहीं किया जाता है। यही कारण है कि मानव अंगों के खरीदने और बेचने वाले पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। इसके अलावा मांग अधिक होने और मरने वाले व्यक्ति के अंगों के दान नहीं होने की वजह से मांग का पूरा होना संभव नहीं है।

‌‌‌और जिन लोगों को किडनी की बहुत जरूरत होती है उनके परिजन किसी भी तरीके से किड़नी को खरीदने की कोशिश करते हैं। उस समय वे वैध और अवैध तरीके के बारे मे नहीं सोचते हैं।इसके अलावा मानव अंगों की खरीद फरोख्त का पता लगाना भी आसन कार्य नहीं होता है।

‌‌‌वहीं इस संबंध मे कुछ डॉक्टरों का तर्क है कि जब एक महिला को अपनी कोख को किराये पर देने की अनुममि आसानी से मिल जाती है तो किड़नी को बेचने की अनुमति भी मिलनी चाहिए । और यह वैध होना चाहिए । कोई भी अपनी मर्जी से किसी को भी अपनी किड़नी को बेच सके ।‌‌‌

जबकि किड़नी देने मे किसी भी तरह के खतरे का सामना नहीं करना पड़ता है।ईरान के अंदर तो ऐसा कानून बना दिया गया है कि कोई भी कानूनी रूप से अपनी किड़नी को दान कर सकता है।किड़नी की समस्या से झूझ रहे लोगों के लिए यह कानून वरदान साबित हो रहा है और तो और अब कुछ दूसरे देश भी अपने यहां पर इस प्रकार ‌‌‌ का कानून लाने पर विचार कर रहे हैं।

‌‌‌मानव अंगों की अवैध खरीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के लिए ही मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) विधेयक 2009 को लोकसभा में पारित किया गया था। इस कानून के अंदर मानव अंगों के व्यापार पर रोक लगाई गई है।‌‌‌यदि मानव अंगों का कोई नाजायज करोबार करता हुआ पाया जाता है तो उसे 10 साल की सजा हो सकती है और एक करोड़ तक का जुर्माना हो सकता है।इन सबके अलावा यदि कोई व्यक्ति मरता है तो उसके परिजन उसे अंगों का दान अपनी मर्जी से कर सकते हैं। इसके लिए अलग अलग केंद्र खोले गए हैं।

‌‌‌अंग प्रत्यारोपण के लिए विदेशी भी भारत के अंदर आ रहे हैं ।इसके पीछे का कारण यह है कि यहां पर अंग आसानी से मिल जाते हैं और उनकी कीमत भी काफी सस्ती होती है। और कई बार ऐसी खबरे भी आती हैं कि धोखे से डॉक्टर मरीजों के गुर्दे को निकाल लेते हैं। गुड़गांव के एक अस्पताल के अंदर डॉक्टरों ने 600 ‌‌‌ मजूदरों के गुर्दे को निकाल लेने का मामला सामने आया था।

‌‌‌यदि हम काले बाजार के अंदर मानव अंगों की कीमत की बात करें तो जानकर आप चौंक जाएंगे ।उत्तरप्रदेश के कानपुर के अंदर कुछ लोग पकड़े गए थे जिनके पास से किड़नी और लिवर बरामद किये गए थे । पूछताछ के अंदर यह पता चला कि वे गरीब लोगों को बहलाकर और फुसलाकर उनसे 3 लाख के अंदर किड़नी और लिवर लेते हैं और ‌‌‌यह लोग लिवर को महंगे दामों के अंदर 25 से 30 लाख मे बेच देते थे और किडनी के 70 से 80 लाख वसूलते थे। तो आप समझ सकते हैं कि इस दो नंबर के धंधे के अंदर जो लोग लिप्त हैं वे कितना पैसा कमाते हैं।

पश्चिम बंगाल जैसे राज्य के अंदर तो इस प्रकार के कार्य काफी धडल्ले से चलते हैं। सन 2012 के अंदर एक छपी न्यूज के अनुसार  दिनाजपुर जिले के के अंदर मानव अंगों की खरीद फरोख्त का पूरा रेकैट काम कर रहा है।बीसीसी से बात करते हुए एक गुर्दा बेचने वाले ने बताया की आस पास के तमाम मसहूर अस्पताल गुर्दे की ‌‌‌ खरीद फरोख्त के अंदर शामिल हैं और जब अस्पताल वालों से इस बारे मे बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां पर सभी प्रकार के ऑपरेशन होते हैं लेकिन किसी भी प्रकार का गैरकानूनी कार्य नहीं होता है।

‌‌‌गांव के जानकार लोग यह बताते हैं कि यह जिला काफी पिछड़े जिलों के अंदर आता है।और यहां पर पूरे साल काम नहीं मिलता है। ऐसी स्थिति के अंदर लोग थोड़े से पैसों के लिए आसानी से लालच मे आ जाते हैं। बहुत से ऐसे लोग हैं जो अपनी मर्जी से अंगों को बेच रहे हैं।

नकली और पायरेटेड सीडी

2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?

नकली और पायरेटेड सीडी सबसे बड़ा दो नंबर का धंधा है हालांकि इंटरनेट के आने से अब इसके उपर लगाम लगी है। आज से लगभग 5 साल या उससे पहले की बात करें तो उस समय नकली सीड़ी बहुत अधिक बिकती थी लेकिन अब ऐसा नहीं रह गया है।‌‌‌अब उतनी अधिक नकली सीड़ी नहीं बिकती हैं।हमे याद है कि जब भी कोई फिल्म आती थी तो उसकी नकली सीड़ी आसानी से मार्केट के अंदर आ जाती थी और उन दुकानों पर कोई रोक टोक भी नहीं होती थी । एक सीड़ी का 50 रूपये लगते थे ।

‌‌‌लेकिन जब से इंटरनेट आया है। कोई भी फिल्म आपको 50 रूपये के अंदर आसानी से इंटरनेट पर उपलब्ध हो जाती है और आप उसे देख सकते हैं तो सीड़ी कौन खरीदेगा । आज यदि आप किसी दुकान पर आप जाएंगे तो भी कुछ गिनी चुनी सिड़ी ही आपको देखने को मिलेंगी ।

‌‌‌नकली सीड़ी बनाने वाले लोग अक्सर फिल्म रिलिज होने के बाद सेनिमा हॉल के अंदर उसको रिकोर्ड कर लेते हैं और उसके बाद उसकी सीड़ी को बनाकर विदेशों के अंदर आसानी से बेच देते हैं। हालांकि इस प्रकार के मामले लंबे समय से प्रकाश मे आते रहते हैं और इस प्रकार का दो नंबर का धंधा करने वालों पर कार्यवाही ‌‌‌ भी होती रहती है लेकिन यही लोग जमानत पर फिर छूट जाते हैं और वापस इसी धंधे को अपना लेते हैं।

‌‌‌खाने पीने की चीजों मे मिलावट का कारोबार

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‌‌‌मिलावट का धंधा तो भारत के अंदर बहुत ही तेजी से चलता है और इसको रोकने के लिए भी सरकार कोई भी कदम उठाने के लिए तैयार नहीं है। यह दो नंबर का धंधा इतना अधिक फल फूल रहा है कि पूछो ही मत । आप मार्केट के अंदर से जो थैली का दूध लेकर आते हैं उसके अंदर भी मिलावट होती है।‌‌‌ इतना ही नहीं खाने पीने की लगभग हर वस्तु के अंदर आपको मिलावट मिलेगी ।पीसी हुई मिर्च और दनिया के अंदर मिलावट होती है । फल सब्जी के अंदर भी अनेक प्रकार की दवाएं मिलाई जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए घातक होती हैं।

फल, मिठाई, दूध, दही, घी, दाल और तेल मिलावट के चपेट मे आ रहे हैं। फूड एंड ड्रग कंट्रोलर  विभाग के द्धारा लिए गए सैंपल मे आधे से अधिक सैंपल फैल हो गए हैं,जो काफी चिंता का विषय है।‌‌‌और इन सब के अंदर मिलावट से आम जानता के स्वास्थ्य के उपर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।जानकारों का मानना है कि अभी बाजार के अंदर बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जो मिलावट करके बेची जा रही हैं।

केला, पपीता और आम के लिए गए सैंपल मे भी मिलावट पकड़ी जा चुकी है। इनको पकाने के लिए जो कैमिकल प्रयोग मे लिया जाता है वह काफी हानिकारक होता है।‌‌‌ वह इन फलों के अंदर भी मिला है।‌‌‌सन 2016 के अंदर खाने पीने की चीजों के 500 से अधिक सैंपल लिए गए थे और उनके अंदर एक तिहाई सैंपल फैल हो गए थे ।‌‌‌हल्दी नमक और मिर्च के अंदर भी मिलावटे पाई गई हैं।और मिलावट की जांच करने के लिए लेब नहीं होने की वजह से अधिकतर मिलावट करने वाले बच निकलते हैं। यही वजह है कि मिलावट रूक नहीं रही है।‌‌‌यदि हम 2016 की मिलावट रिपोर्ट को देखें तो चौंक जाएंगे ।

महीना  ‌‌‌कुल सैंपल ‌‌‌फैल सैंपल
अप्रैल  97 22
मई  112 34
जून  140 38
जुलाई  142 39
अगस्त  107 23
सितंबर  89 26
अक्टूबर  225 67
नवंबर  116 16

‌‌‌खाने पीने की चीजों के अंदर मिलावट करना बहुत ही आम हो चुका है।और यह बीमारी इतना भयंकर रूप ले चुकी है कि अब इसको रोकना लगभग असंभव होता जा रहा है। जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है उस गति से उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा है। बढ़ती जनसंख्या के लिए अनाज की पूर्ति सिर्फ दवाओं से ही संभव हो पाती है।‌‌‌यह बात सरकार भी जानती है कि यदि 100 प्रतिशत मिलावट को रोक दिया जाएगा तो आम जन के लिए चीजों को खरीदना भी काफी कठिन हो जाएगा । क्योंकि वे तब बहुत अधिक महंगी हो जाएंगी ।

‌‌‌बहुत से लोगों बाजारों के अंदर मिलने वाले सामानों मे मिलावट होने की शिकायत करते हैं लेकिन उनकी शिकायत वास्तव मे सच  है। अब मिलावट की समस्या आम नहीं रही है। खराब उत्पाद बेचे जाने की समस्या बहुत ही तेजी से बढ़ रही है।‌‌‌और जब भारत मे होली या दीपावली आती है तो घर घर के अंदर मिठाई बननी शूरू हो जाती है और दुकान दुकान पर मिठाइयां सज्ज जाती हैं। इसी समय के दौरान मिलावठ खौर सक्रिय हो जाते हैं वे सस्ते और नकली मावे का प्रयोग करते हैं। और सस्ती मिठाई बनाकर बाजार के अंदर बेचते हैं।

‌‌‌एक अनुमान के अनुसार बाजार के अंदर हर समय 30 प्रतिशत मिठाइयां और दूसरी खाने पीने की चीजें नकली बिकती हैं।कोल्ड ड्रिंक्स का नाम तो आपने सुना ही होगा । इसके अंदर अनेक प्रकार के हानिकारक तत्व मिलाए जाते हैं जैसे लिडेन, डीडीटी मैलेथियन और क्लोरपाइरिफॉस यह कैंसर और स्नायू से संबंधित समस्याएं पैदा ‌‌‌ करते हैं।‌‌‌इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक के अंदर फॉस्फोरिक एसिड भी डाला जाता है जो दांतों के लिए काफी हानिकारक होता है।इसी लिए कोल्ड ड्रिंक को मीठे जहर के नाम से भी जाना जाता है।

‌‌‌इसके विपरित जो मिलावट करते हैं वो लाखों कमाते हैं।इस संबंध मे कई दूध वाले दूध के अंदर पानी मिलाते हैं। यह लोग 8 लीटर दूध के अंदर लगभग 1 लीटर पानी मिला देते हैं। हालांकि पानी नुकसान तो नहीं ‌‌‌करता है। फिर भी यह लोग पानी पानी से 300 रूपये तक कमा लेते हैं और बाकी अधिक कीमत से वसूल लेते हैं।

मार्च 2019 में शाहाबाद के उधरनपुर में एक मिठाई की दुकान से 31 बोरी मिल्क पाउडर और छह पैकेट केमिकल मिला था। इतना ही नहीं नामी कम्पनी के नाम से दूध मार्केट के अंदर बेचा जाता है। और यह मात्र 10 रूपये किलो मिलता है। जबकि आम दूध आपको 50 रूपये लिटर के आस पास मिलेगा ।‌‌‌इस प्रकार का नकली दूध रोजाना हजारों लीटर तैयार होता है।और मार्केट के अंदर धड़ल्ले से बिकता है।जानकारों की माने तो अब कुछ भी खाने के योग्य नहीं बच पा रहा है। 90 रूपये लीटर बिकने वाले तेल के अंदर भी मिलावट हो रही है। और सरकारें इसके उपर पूरी तरह से मौन हैं।मिर्च में ईंट का बुरादा, हल्दी में मिलती पीला रंग व पिसी खड़िया और मिर्च के अंदर ईंट का बुरादा मिलाया जा रहा है।खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि वे लगातार मिलावट के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।

‌‌‌रेलवे स्टेशन पर सिगरेट बेचना

रेलवे एक्ट 1989 की धारा 167 को भी संशोधित करने का प्रस्ताव है. अभी ट्रेन, रेल स्टेशन या प्लेटफार्म पर बीड़ी-सिगरेट पीने वालों को जेल की सजा का प्रावधान है।लेकिन पीछले दिनों यह न्यूज आई थी कि इस एक्ट के अंदर संशोधन करने पर विचार चल रहा है। लेकिन कुछ भी हो ‌‌‌जिनकों ट्रेन के अंदर सिगरेट पीना होता है वे पीते ही हैं।इसके अलावा लंबी दूरी के सफर के अंदर ट्रेन मे घूम्रपान बेचते भी लोग देखे गए हैं।

 हालांकि इससे वे अधिक कमाई तो नहीं करपाते हैं लेकिन अच्छा कमा लेते हैं। इसके पीछे का कारण यह है कि ‌‌‌ ट्रेन के अंदर बैटने वाले वे लोग जिनके पास सिगरेट नहीं होती है और उनको सिगरेट पीने की लत होती है।वे रूक नहीं पाते हैं। हालांकि इसकी वजह से कड़ी सजा भी हो सकती है लेकिन आज के समय के अंदर सजा की कौन परवाह करता है।

‌‌‌अभी आए रेल्वे के फैसले के अनुसार ट्रेन परिसर के अंदर भीख मांगना अब अपराध नहीं होगा और आप सिगरेट भी पी सकते हैं। हालांकि इसका अर्थ भीख को बढ़ावा देना नहीं है। वरन यह फैसला मानवीय आधार पर लिया गया है।

कॉपी कंटेंट

2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?

किसी दूसरे की वेबसाइट से कंटेंट को कॉपी करना अपराध होता है। यह सभी जानते हैं लेकिन देश भर के अंदर आज भी बहुत सारी वेबसाइट ऐसी चल रही हैं जो दूसरे की वेबसाइट से कंटेंट को कॉपी करती हैं और उसके बाद उससे अर्निंग करती हैं।‌‌‌और इन पर किसी भी प्रकार की कोई रोकटोक नहीं होती है।पीछले दिनों एक न्यूज आई थी कि किसी ने सरकारी वेबसाइट को कॉपी कर लिया और उसके बाद उससे लाखों रूपये कमा लिये ।उसके बाद उस वेबसाइट के मालिक के खिलाफ साइबर सैल के अंदर मुकदमा दर्ज किया गया था।

‌‌‌लेकिन तब तक उस व्यक्ति ने तब तक काफी पैसा कमा लिया था। खैर यह कोई एक मामला नहीं है। ऐसे बहुत सारे मामले हैं जिनके अंदर लोग कंटेंट की कॉपी कर लेते हैं और उससे अच्छी खासी अर्निंग कर लेते हैं। इसी प्रकार से एक व्यक्ति ने flipkart   जैसी ही डुब्लीकेट वेबसाइट बनाई और उसके बाद उससे जबरदस्त ‌‌‌ अर्निंग की । यह बहुत ही बढ़िया दो नंबर का धंधा है। हालांकि इसमे पुलिस के चक्कर भी काटने पड़ सकते हैं।

छोटे सिलेंडर की  रीफिलिंग illegal business ideas in hindi

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आपको यह जानकर हैरानी होगी की छोटे सिलेंडर की रीफिलिंग करने वाले भी काफी अच्छा पैसा कमाते हैं। यह लोग अधिक कीमत वसूलते हैं और काफी अच्छा पैसा कमाते हैं। आमतौर पर दूर दराज ईलाकों के अंदर रहने वाले लोगों के पास गैस कनेक्सन नहीं होता है। ऐसी स्थिति मे उनको गैस प्रोवाइड ‌‌‌ करने का काम यही लोग करते हैं।जब कुछ साल पहले हम खुद भिवाड़ी के अंदर रहा करते थे तो उस समय हमारे पास भी एक छोटा सिलेंडर हुआ करता था और उस सिलेंडर को भरवाने के लिए हम भी इनके पास जाते थे । आपको बतादें कि यह एक 14  किलों के सिलेंडर की 3 गुना अधिक कीमत आसानी से वसूल लेते ही हैं।

‌‌‌और सरकार इनके उपर लगाम लगाने के लिए कोई कार्य नहीं कर रही है।इस वजह से यह कारोबार तेजी से बढ़ता ही जा रहा है।

‌‌‌देशी शराब का कारोबार

2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?

‌‌‌दो नंबर के धंधे के अंदर शराब का कारोबार सबसे अधिक मसहूर है।कई ऐसी जगह हैं जहां पर घर घर के अंदर लोग देशी शराब बनाते हैं। और उसके बाद बेचते हैं। हालांकि शराब की बिक्री के लिए सरकार लाइसेंस देती है लेकिन लाइसेंस के साथ समस्या यह है कि इसका भारी टेक्स भी सरकार को देना होता है।‌‌‌जिसकी वजह से यह शराब काफी महंगी हो जाती है और कम लोग इसको खरीदते हैं। इसके विपरित देशी और अवैध शराब सस्ती होती है और इसके लिए कोई भी टेक्स नहीं देना होता है। एक पव्वा आसानी से डबल रेट के अंदर बिक जाता है। यही वजह है कि यह   शराब पीने वालों की पहल पसंद होती है।

‌‌‌एक आम लाइसेंस वाली शराब 70 से 90 रूपये के अंदर मिलेंगी तो अवैध शराब इससे आधी कीमत पर ही मिल जाएगी ।
‌‌‌आपको बतादें कि जो अवैध शराब होती है उसके अंदर नौसादर, स्प्रिट और यूरिया जैसी चीजें मिलाई जाती हैं और उसके बाद उसको बेचा जाता है जो सेहत के लिए बहुत अधिक हानिकारक होती है। और कई बार इस प्रकार की जहरीली शराब पीने से मौत भी हो सकती है।‌‌‌अवैध शराब की गाड़ी लगभग हर दिन पकड़ी जा रही हैं लेकिन इस कार्य के उपर लगाम नहीं लगती है क्योंकि इसके अंदर बहुत अधिक पैसा है और पैसा कमाने के लिए आज के समय मे लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते हैं।‌‌‌अवैध शराब की बिक्री को रोकने के लिए पुलिसिया कार्यवाही की बजाय अधिक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

‌‌‌कई जगह पर नींबू से शराब बनाई जा रही जिसके अंदर चाय पत्ती और नौसादर वैगरह मिलाया जा रहा है। इस प्रकार की शराब जहरीली होती है और यह मौत का भी करण बन सकती है।

‌‌‌इस प्रकार से बनी शराब को 10 रूपये के अंदर बेचा जाता है और सस्ती शराब के चक्कर मे बहुत से लोग इसको खरीद कर पी रहे हैं।

‌‌‌आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हर महिने करोड़ों अरबों रूपयों का अवैध शराब का कारोबार होता है और इस मामले मे लगभग हर महिने लाखों रूपये की शराब भी पकड़ी जाती है। लेकिन अवैध शराब का कारोबार रूकता कभी नहीं है।‌‌‌और इसके नहीं रूकने का सबसे बड़ा कारण यह है कि हमारा सरकारी तंत्र बहुत ही अधिक ढीला है। एक शराब कारोबारी पकड़ा जाता है लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद वह जमानत पर बाहर आ जाता है। यदि उसके पास पैसा है तो दुनिया की कोई भी पुलिस उसका बाल भी बांका नहीं कर सकती है। यदि उसके पास पैसा नहीं है तो वह  ‌‌‌जेल के अंदर चक्की पीसता रहेगा।और शराब के अंदर लोग कमाई भी बहुत अच्छी करते हैं। मैं ऐसे कई शराब कारोबारी को जानता हूं जो अवैध शराब का धंधा करते हैं और इस धंधे के अंदर वे बहुत अधिक पैसा कमाते हैं। पुलिस भी उनको कई बार पकड़ चुकी है लेकिन पुलिस उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाती है।

‌‌‌इसके अलावा बहुत से शराब विक्रेता ऐसे होते हैं जिनके पास देशी शराब का तो लाइसेंस होता है लेकिन वे अंग्रेजी शराब बेचते हुए पाये जाते हैं। अवैध शराब के धंधे के अंदर गैंगवार होना भी बहुत ही आम बात होती है। एक शराब विक्रेता दूसरे को मारता है और उसके एरिया पर कब्जा कर लेता है।

‌‌‌देहव्यापार

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देह व्यापार आजकल कमाई का जरिया बनता जा रहा है।कई ऐसी महिलाएं अब इस धंधे के अंदर उतर चुकी हैं जिनका मकसद सिर्फ पैसा कमाना है। पुलिस द्धारा अलग अलग जगहों पर मारे गए छापों के अंदर पता चलता है कि बहुत सी महिलाएं सिर्फ अधिक पैसा कमाने के चक्कर मे जिस्मफरोशी कर रही हैं। इस

‌‌‌ प्रकार की महिलाएं कम समय के अंदर अधिक पैसा कमाने के चक्कर मे यह धंधा अपना रही हैं।पकड़े जाने वाली महिलाओं ने बताया कि उनको इस काम के अंदर एक घंटे के अंदर ही 5000 रूपये तक मिल जाते हैं जो किसी अन्य काम के अंदर आसानी से नहीं मिल पाते हैं और उसके बाद वे आसानी से उंची लाइफ स्टाइल का आनंद ले ‌‌‌ सकती हैं।

1997 में यौनकर्मियों की संख्या 20 लाख थी जो 2003-04 तक बढ़कर 30 लाख हो गई। 2006 में महिला और बाल विकास विभाग द्वारा तैयार रिपोर्ट में यह भी यह का गया  कि देश में 90 फीसदी यौनकर्मियों की उम्र 15 से 35 साल के बीच है।

‌‌‌और सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज देह व्यापार के धंधे के अंदर उंची उंची पोस्टों पर काम करने वाले लोगों से लेकर सब इसके अंदर लिप्त हैं। कई बार बड़े बड़े पुलिस के अधिकारी भी जिस्मफरोशी मे लिप्त पाये जा चुके हैं और नेताओं का तो कहना ही क्या ?

‌‌‌देह व्यापार भारत के अंदर एक फलता फूलता कारोबार है।और देश के हर शहर के अंदर अब देहधंधे के मशहूर अडडे बन चुके हैं जहां पर लोग अपनी वासनाओं की पूर्ति के लिए जाते हैं। और इस दो नंबर के धंधे से सबसे अधिक बिचौलिया कमाई करते हैं। ऑनलाइन कॉल गर्ल बुकिंग तो सबसे आम हो चुकी है।‌‌‌भारत के अंदर जब से कोरोना फैला है तब से वेश्या व्रति भी बहुत अधिक प्रभावित हुई है और वेश्याओं के लिए खाने पीने तक की समस्या हो गई है। हालांकि लॉक डाउन के खुलने के बाद से ही कुछ अच्छा रिस्पांस देखने को मिल रहा है।‌‌‌वेश्याव्रति को रोकने के लिए सरकार ने कई कानून बना रखे हैं लेकिन बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी की स्थिति मे वेश्याव्रति को रोकना काफी कठिन कार्य हो चुका है।

1860 से वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक 1956 तक सभी कानून सामान्यतया वेश्यालयों के कार्यव्यापार को संयत एवं नियंत्रित रखने के लिए बनाए गए हैं लेकिन इनमे से कोई कानून प्रभावी सिद्ध नहीं हुआ है।‌‌‌ क्योंकि इसके अंदर सजा का उतना अधिक प्रावधान नहीं है।और एक बार जब वेश्याओं को पुलिस पकड़ कर भी ले जाती है तो वह उनको वापस छोड़ देती है क्योंकि पुलिस के पास इस बात का कोई उत्तर नहीं होता है कि यदि वे इस धंधे को छोड़ देंगी तो क्या खाएंगी ।

‌‌‌देह व्यापार सिर्फ एक बड़ी समस्या ही नहीं है। वरन इसकी वजह से अनेक प्रकार की यौन बीमारियां फैल रही हैं। जब मैं पीछले दिनों क्वारा पर एक उत्तर देख रहा था तो एक यूजर ने बताया कि वह एक  वेश्या के पास गया था जिसको एचआई वी था।‌‌‌और उसने गलती के अंदर असुरक्षित संबंध बनाएं जिसके परिणाम स्वरूप उसको भी एचआई वी हो गया ।इसका नतिजा यह हो गया कि अब वह पछता रहा है।

‌‌‌कुछ दिनों पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार कोठो पर काम करने वाली कई सारी महिलाओं को एचआई वही होने की पुष्टि की गई थी। इस प्रकार की अनेक यौन बीमारियों का केंद्र कोठे बनते जा रहे हैं।

‌‌‌सन 2017 के अंदर आई एक खबर के अनुसार यूपी के हरदोई जिले के नटपुरवा गांव के अंदर तो लड़कियों की सैरेआम बोली लगती है और बोली को लगाने मे उसी लड़की के माता पिता और भाई भी मदद करते हैं। और यही प्रथा पीछले 400 सालों से चल रही है।‌‌‌एक न्यूज रिपोर्टर के पूछने पर वहां की लड़कियों ने बताया की गांव के अंदर शादी नहीं होती है। और गांव के अंदर स्कूल भी है लेकिन कोई स्कूल मे नहीं जाता है। हम लोग भी चाहती हैं कि हम स्कूल मे पढ़ें और हमारी भी शादी हो । यह बेकार की प्रथा बंद होनी चाहिए ।

‌‌‌कुल मिलाकर यह देखा गया है कि भारत के उन स्थानों पर वेश्याव्रति अधिक होती है जहां पर काफी गरीब तबका रहता है। वेश्याव्रति की मोटी कमाई के चलते अधिकतर महिलाएं मजबूरी वश इस धंधे के अंदर उत्तर जाती हैं।

‌‌‌दुल्हनों का बाजार

2 नंबर धंधा कैसे करते हैं? - 2 nambar dhandha kaise karate hain?

‌‌‌आज लड़कियों की संख्या काफी तेजी से घट रही है। और ऐसी स्थिति मे हरियाणा और राजस्थान जैसे जगहों पर लड़को की शादी के लिए दुल्हन का मिलना काफी मुश्किल हो रहा है। ऐसी स्थिति मे बहुत सारे गिरोह भी सक्रिय हो चुके हैं। और वे पैसों के बदले दुल्हन प्रोवाड करवाते हैं।‌‌‌एक दुल्हन के बदले वे 80 से 1 लाख तक वसूल कर लेते हैं।और इस बात की कोई गारंटी भी नहीं होती है कि दुल्हन लड़के के साथ रहेगी या नहीं रहेगी ? लेकिन एक बार पैसा मिलने के बाद पैसा वापस नहीं होता है।

‌‌‌इस प्रकार के बहुत सारे गिरोह काम करते हैं। जो शादी के नाम पर लड़कों को लूट लेते हैं। अक्सर आपने ऐसी लुटैरी दुल्हन का नाम तो सुना ही होगा । जो एक बार शादी करती है और उसके बाद सब कुछ लूट कर फरार हो जाती है।‌‌‌इस प्रकार के दो नंबर के धंधे से बिचौलिया खूब पैसा कमाते हैं और मौज करते हैं। कुछ लड़कियां ऐसी होती हैं जो देश के अलग अलग कौनों के अंदर बार बार शादी करती हैं और बार बार तलाक लेकर मोटी रकम वसूलती हैं उनके लिए यह धंधा बन चुका है।

चरस, गांजा, स्मैक का कारोबार

चरस, गांजा, स्मैक का कारोबार सबसे बड़े दो नंबर के धंधों मे से एक है। ‌‌‌ड्रक्स और दूसरे नशीले पदार्थों के नशे का जाल भारत के अंदर बहुत अधिक फैला हुआ है। और यह कार्य चोरी चुपके होता है। क्योंकि इन चीजों के साथ पकड़े जाने के बाद जमानत नहीं होती है। ‌‌‌स्मैक वैगरह की जड़ें अंदर तक होती हैं।हाला ही मे ड्रग केस के अंदर बॉलिउड  का नाम सामने आया है।और सारे चेहरे बेनकाब हो चुके हैं। जिससे आपको यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चरस और गांजा जैसे नशीले पदार्थ किस प्रकार से फैले हुए हैं। और सुनने मे तो यहां तक आया है कि विदेशों से नशीले पदार्थ ‌‌‌ लाकर फिल्मी इंडस्ट्री के अंदर बेचे जा रहे हैं।

‌‌‌इन नशीले पदार्थों का कारोबार करने वाले आसानी से पकड़ मे भी नहीं आते हैं और पकड़ मे आ भी जाते हैं तो यह बहुत ही रसूख वाले और पैसे वाले होते हैं जो इनके दम पर आसानी से छूट जाते हैं।

‌‌‌उम्मीद करते हैं दो नंबर के धंधा लेख आपको पसंद आया होगा । यदि आपको लेख अच्छा लगा तो नीचे कमेंट करके बता सकते हैं। और यदि आपका कोई सुझाव हो तो अवश्य ही सुझाव दें ।

दो नंबर के धंधे कौन कौन से होते हैं?

आज के समय में सबसे ज्यादा 2 नंबर का किया जाने वाला काम है चोरी के मोबाइल फ़ोन को बेचने. लगभग हर 100 वा इन्सान जाने अनजाने में चोरी का मोबाइल खरीदता और बेचता है और कुछ लोग इसमें इतने माहिर होते है कि आप यह जान ही नहीं पाएंगे कि वो आपको चोरी का मोबाइल बेच रहे है या पुराना .

दो नंबर का धंधा कैसे शुरू करें?

डुप्लीकेट प्रोडक्ट बनाकर बेचते हैं! 2 number ka kaam kaise kare. बहुत सारे लोग जल्दी से पैसा कमाने के लिए ओरिजिनल प्रोडक्ट से मिलते जुलते प्रोडक्ट बनाकर बाजार में बेच देते हैं! यह देखने में बिल्कुल ओरिजिनल प्रोडक्ट की तरह होते हैं!

पैसा कमाने का सबसे अच्छा धंधा कौन सा है?

सबसे ज्यादा पैसा कमाने वाला बिजनेस कौन सा है ?.
रेस्टोरेंट्स का बिजनेस [Restaurant].
कैटरिंग बिज़नेस (Catering).
रेडीमेड नमकीन और नाश्ते की दुकान (Readymade Snacks).
खेल और मनोरंजन पार्लर (Sports and Entertainment Parlor).
चाय की दुकान (Tea Stall Business).

कौन से काम में सबसे ज्यादा पैसा है?

सबसे ज्यादा पैसा किस काम में है: अभी जाने Top 15+ बिजनेस के नाम [....
1.1 1) कंस्ट्रक्सन का बिजनेस.
1.2 2) रियल स्टेट का बिजनेस.
1.3 3) नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस.
1.4 4) रेस्टोरेन्ट बिज़नेस.
1.5 5) खेल और मनोरंजन पार्लर.
1.6 6) सोशल मीडिया स्टार.
1.7 7) रेडीमेड नमकीन और नाश्ते की दुकान.
1.8 8) हार्डवेयर शॉप का बिजनेस.