झेन की देन के माध्यम से लेखक क्या समझाना चाहता है? - jhen kee den ke maadhyam se lekhak kya samajhaana chaahata hai?

‘झेन की देन’ पाठ से आपको क्या संदेश मिलता है?

‘झेन की देन’ पाठ हमें अत्यधिक व्यस्त जीवनशैली और उसके दुष्परिणामों से अवगत कराता है। पाठ में जापानियों की व्यस्त दिनचर्या से उत्पन्न मनोरोग की चर्चा करते हुए वहाँ की ‘टी-सेरेमनी’ के माध्यम से मानसिक तनाव से मुक्त होने का संकेत करते हुए यह संदेश दिया है कि अधिक तनाव मनुष्य को पागल बना देता है। इससे बचने का उपाय है मन को शांत रखना। बीते दिनों और भविष्य की कल्पनाओं को भूलकर वर्तमान की वास्तविकता में जीना और वर्तमान का भरपूर आनंद लेना। इसके मन से चिंता, तनाव और अधिक काम की बोझिलता हटाना आवश्यक है ताकि शांति एवं चैन से जीवन कटे।

झेन की देन के माध्यम से लेखक क्या समझाना चाहते हैं?

'झेन की देन' पाठ के माध्यम से लेखक 'रविंद्र केलेकर' एक संदेश देना चाहता है। लेखक यह कहना चाहता है कि वर्तमान ही एक मात्र सत्य होता है। भूत व भविष्य दोनों एक भ्रम के समान हैं, क्योंकि भूत वो है, जो बीत गया है, भविष्य तो अभी आया ही नहीं है, इसलिए इन दोनों काल पर हमारा कोई वश नहीं।

झेन की देन का क्या अर्थ है?

झेन की देन' जापान की ऐसी देन से प्रेरित हैं जो जीवन को नई गति, ताज़गी व शांति देता है। झेन जापान के लोगों की चाय पीने की एक पद्धति है जिसमें लोग कुछ समय गुजारकर अपनी व्यस्तता से भरे जीवन में शांति व चैन के पल पा लेते हैं।

झेन की देन पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि टी सेरेमनी कहां तथा कैसे आयोजित की जाती है?

'झेन की देन' की पाठ में चाय पीने की एक विशेष विधि का वर्णन किया गया है। जापान में चाय पीने की एक विधि विशेष विधि होती है जिसे चा-नो-यू कहते हैं. इसका तात्पर्य यह है टी सेरेमनी। यह एक प्रकार की टी सेरेमनी होती है, जिसमें तीन लोगों को आमंत्रित किया जाता है।

झेन परंपरा की यह बड़ी देन मिली है जापानियों को !' वाक्य में यह बड़ी देन क्या है?

दूसरा प्रसंग (झेन की देन) बौद्ध दर्शन में वर्णित ध्यान की उस पद्धति की याद दिलाता है जिसके कारण जापान के लोग आज भी अपनी व्यस्ततम दिन भर के कामों के बीच भी कुछ चैन भरे या सुकून के पल हासिल कर ही लेते हैं।