1950 के दशक को हिंदी फिल्म संगीत का स्वर्ण युग क्यों माना जाता है? - 1950 ke dashak ko hindee philm sangeet ka svarn yug kyon maana jaata hai?

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1950 के दशक को हिंदी फिल्म संगीत का स्वर्ण युग क्यों माना जाता है? - 1950 ke dashak ko hindee philm sangeet ka svarn yug kyon maana jaata hai?

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  • The 1950 60 Considered Golden Age Of Indian Cinema

मुंबई. भारतीय सिनेमा जगत में 1951-60 का दशक स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाता है। इस दौर मे जहां मुगल-ए-आजम, मदर इंडिया, प्यासा, कागज के फूल, दो बीघा जमीन, आवारा और दो आंखें बारह हाथ जैसी कालजई फिल्मों का निर्माण हुआ। वहीं नौशाद, शंकर शजयकिशन और एसडी बर्मन के संगीत निर्देशन में लता, रफी, आशा, किशोर, मुकेश की जादुई आवाज में सिनेमा जगत झूमता नजर आया।

\\यही वो दौर था जहां बलराज साहनी, अशोक कुमार और याहू स्टार शम्मी कपूर की फिल्मों कों टिकट खिड़की पर बेपनाह सफलता मिली। इस दौर में जहां सत्यजीत रे, विमल राय, गुरूदत्त, महबूब खान, शांताराम, के. आसिफ, ऋत्विक घटक और मृणाल सेन जैसे महान फिल्मकारों ने अपनी निर्मित फिल्मों से भारतीय सिनेमा जगत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान दिलाई।

वहीं, यश. चोपड़ा, मनमोहन देसाई, विजय आंनद, ऋषिकेश मुखर्जी, शक्ति सामांत जैसे फिल्मकारो ने इंडस्ट्री में कदम रखा। जॉनी वाकर, महमूद, आईएस जौहर, किशोर कुमार, भगवान दादा, मुकरी, गोप जैसे कलाकारों ने जहां अपने हास्य अभिनय से र्दशकों का भरपूर मनोरंजन किया, वहीं सदी के खलनायक प्राण, केएन सिंह, जीवन, कन्हैया लाल, मदनपुरी ने अपनी जबरदस्त खलनायकी से र्दशकों के रोंगटे खड़े कर दिए।

वर्ष 1951 मे देवानंद अभिनीत और गुरूदत्त की पहली निर्देशित फिल्म बाजी ने साहिर लुधियानिवी, एसडी बर्मन, गीता दत्त और हास्य अभिनेता जॉनी वाकर ने अपनी पहचान बनायी। फिल्म की पटकथा बलराज साहनी ने लिखी थी। इसी वर्ष काली घटा से बीना राय ने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत की जो बाद मे अभिनेता प्रेमनाथ की पत्नी बनीं। इसी वर्ष लता और आशा ने पहली बार युगल गीत- ये रूकी रूकी हवाएं, ये बुझे-बुझे सितारे..., दामन फिल्म के लिये गाया। वर्ष 1951 मे प्रर्दशित आवारा के एक गीत घर आया मेरा परदेसी में राजकपूर और नरगिस पर पहला स्वप्न दृश्य फिल्माया गया। इस फिल्म से जुड़ा रोचक तथ्य है कि इसमें राजकपूर ने एक साथ काम किया।

इसी वर्ष प्रदर्शित आंदोलन से किशोर कुमार ने अभिनेता और आंनद मठ से हेमंत कुमार ने संगीतकार और वैजयंती माला ने बहार से अभिनेत्री के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 1952 में महबूब खान के निर्देशन में बनी दिलीप कुमार, प्रेमनाथ और नादिरा अभिनीत आन पहली फिल्म थी जिसे पूरे विश्व में एक साथ प्रदर्शित किया गया। इसी वर्ष भारतीय सिनेमा के मार्लिन बं्राडो कहे जाने वाले शिवाजी गणेशन ने तमिल फिल्म पारा शक्ति से अपने अभिनय का आगाज किया। दादा फाल्के, पद्मश्री, पद्मभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त करने वाले शिवाजी गणेशन पहले अभिनेता हुए जिन्हें वर्ष 1960 में फॉरेन फिल्म फेस्टिवल में र्सवश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त हुआ।