1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण क्या थे? - 1857 ke vidroh ke raajaneetik kaaran kya the?

You are here: Home / एकेडमिक / इतिहास / आधुनिक भारत / 1857 के विद्रोह का सैनिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक सांस्कृतिक कारण

भारत में सन 1857 में एक शक्तिशाली जन विद्रोह हुआ, जिसने वर्षों से भारत को गुलाम बनाकर रखने वाले मजबूत ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया| इस विद्रोह का आरम्भ तो कम्पनी की सेना के भारतीय सिपाहियों द्वारा हुआ था लेकिन जल्द ही आम लोग भी इस विद्रोह में शामिल हो गये| लाखों लाख किसान, दस्तकार तथा सिपाही एक साल से अधिक समय तक बहादुरी से लड़ते रहे और अपनी मिशाली वीरता और बलिदानों से उन्होंने भारत के इतिहास में एक नया शानदार अध्याय जोड़ा| हम इस लेख में १८५७ के विद्रोह के सैनिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक सांस्कृतिक कारण को बता रहे है| 1857 के विद्रोह के कारणों की व्याख्या| Cause of Revolt of 1857 in hindi: Economic, Military, Political, Social related reasons.

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण क्या थे? - 1857 ke vidroh ke raajaneetik kaaran kya the?

1857 के विद्रोह का कारण – Cause of Revolt of 1857 in hindi

१८५७ का विद्रोह अंग्रेजी उपनिवेश से लोहा लेने के लिहाज से मील का पत्थर था| इस विद्रोह के तमाम सैनिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक सांस्कृतिक कारण थे|

सैनिक कारण

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण क्या थे? - 1857 ke vidroh ke raajaneetik kaaran kya the?

इस महान विद्रोह के विभिन्न कारणों में सैनिक कारण को काफी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है| विद्रोह के सैनिक कारणों की व्याख्या को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से देखा जा सकता है|

चर्बी वाले कारतूस का मुद्दा: 1857 के विद्रोह के लिए विभिन्न कारणों के कारण बारूद जमा हो चूका था, केवल इसमें एक जलती हुई तीली पड़ने की देर थी| चर्बी वाले कारतूस की घटना ने इसे पूरा कर दिया और  सिपाहियों के विद्रोह पर उतर आने पर साधारण जनता भी उठ खड़ी हुई|

नए एनफील्ड रायफल का उपयोग सबसे पहले सेना में ही आरंभ किया गया| इसके कारतूसों पर चर्बी सनी कागज का खोल चढ़ा होता था और इसे उपयोग करने से पहले दांतों से काटना होता था| कुछ उदाहरण में इस खोल में  गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया गया|इससे हिंदू तथा मुसलमान सिपाही दोनों भड़क उठे| उन्हें लगा की उनका धर्म भ्रष्ट करने के लिए सरकार की चाल है| इस तरह चर्बी वाले कारतूस का मुद्दा 1857 के विद्रोह के कारण बना|

सेना में भेदभाव: ब्रिटिश अधिकारी भारतीय सिपाहियों से अक्सर अपमान का व्यवहार करते हैं| भारतीय सिपाही को हीन माना जाता था उसके साथ बुरा बर्ताव होता था| उसे डांटा फटकारा जाता था उसे सूअर पुकारा जाता था| समान योग्यता के बावजूद उसे अपने समकक्ष अंग्रेजों से बहुत नीचे रखा जाता था|

वास्तव में सिपाही इस तरह की कठिनाइयों में घटिया तरीके से रहे थे| इस तरह के व्यवहार और भेदभाव ने विद्रोह को सुलगाया और यह 1857 के विद्रोह के कारण बना|

समाज से अभिन्न जुड़ाव: सिपाही वर्दीधारी किसान थे| दूसरे भारतीयों पर जो कुछ गुजरती थी, इसे वह स्वयं भी महसूस करते थे| समाज के दूसरे वर्गों खासकर किसानो की आशाएं, इच्छाएं और दुख दर्द इन सिपाहियों के बीच भी प्रतिबिंबित होते थे| ये भी इस सामान्य विश्वास से ग्रस्त थे कि अंग्रेज उनके धर्मों में दखलअंदाजी कर रहे थे और अंग्रेज सभी को ईसाई बनाना चाहते थे| उनके अनुभवों ने भी इस विश्वास को बढ़ावा दिया|

वह जानते थे कि सेना में राज्य के खर्च पर ईसाई धर्म उपदेशक मौजूद है| इसके अलावा कुछ ब्रिटिश अधिकारी जोश में आकर सिपाहियों के बीच ईसाई धार्मिक प्रचार किया करते थे| इस तरह सैनिकों का समाज से अभिन्न जुड़ाव भी 1857 के विद्रोह के कारण बना

सिपाहियों की धार्मिक एवं जातिगत भावना: सिपाहियों को अपनी धार्मिक एवं जातिगत शिकायत भी थी| उन दिनों भारतीय लोग जाति के नियमों का कड़ाई से पालन करते थे, सैनिक अधिकारियों की तरफ से सिपाहियों की जाति और धर्म के चिन्ह के उपयोग पर दाढ़ी या पगड़ी पहनने पर प्रतिबंध था|

वर्ष 1856 में कानून बना जिसके अनुसार हर नई भर्ती होने वाले सिपाही को आवश्यकतानुसार समुद्र पार कर सेवा देने की जमानत देनी पड़ती थी| इसने भी सिपाहियों की भावना को चोट पहुंची| क्योंकि उस  समय हिंदू मान्यताओं के अनुसार समुद्री यात्रा पाप और उसके दंड में किसी को भी जाती बाहर कर दिया जाता था| इस तरह सिपाहियों की धार्मिक एवं जातिगत भावना भी 1857 के विद्रोह के कारण बना|

सिपाहियों का इतिहास: इससे पूर्व भी कई क्षेत्रों में सिपाहियों ने या तो विद्रोह किया था या आदेश मानने से इनकार किया था| मगर अंग्रेज ने भयानक हिंसा का सहारा लेकर इसे दबा दिया था| इस तरह सिपाहियों के बीच व्यापक मात्रा में तीखी नापसंदगी के साथ घृणा मौजूद हो गई थी| इसके आलावा 1854 में सैनिकों का मुफ्त डाक सेवा बंद किया जाना भी सैनिक असंतोष को बढाया|

सिपाहियों के असंतोष का अन्य तत्कालिक कारण: आदेश जारी किया गया की सिंध या पंजाब में तैनाती के समय उन्हें विदेश सेवा भत्ता नहीं मिलेगा, इससे अनेक सिपाहियों के वेतन में बड़ी कटौती हुई| इसी प्रकार अवध अनेक सिपाहियों का घर था और अवध की हडपे जाने से सिपाहियों की भावना काफी आहत हुई एवं इसने विद्रोह की आग को भड़का दिया| और यह 1857 के विद्रोह के कारण बना|

इन सब सैनिक कारणों ने १८५७ की क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार की| आइये अब विद्रोह के राजनीतिक कारणों पर विचार करते है|

यह भी पढ़ें: स्वदेशी आन्दोलन

1857 के विद्रोह का राजनीतिक कारण

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण क्या थे? - 1857 ke vidroh ke raajaneetik kaaran kya the?

इस महान विद्रोह के विभिन्न कारणों में राजनीतिक कारण को भी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है| विद्रोह के राजनीतिक कारणों की व्याख्या को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से देखा जा सकता है|

देशी रजवाड़ों का पतन: अंग्रेजी सरकार द्वारा एक के बाद एक देशी रजवाडो को हडपने की नीति ने व्यापक असंतोष को बढ़ाया| लोग राज्य और रजवाड़े से जुड़े थे| राज्य भी उन्हें संरक्षण देता था| उनके पतन ने विद्रोह की आग जमा की|

सहायक संधि: सहायक संधि अंग्रेजी सरकार द्वारा देशी राज्यों को पंगु बनाने का एक महत्वपूर्ण टूल था| इसके तहत कंपनी राज अपनी एक सैन्य टुकड़ी देशी राज्य में रखती थी जिसके एवज में एक बड़ी रकम कंपनी सरकार को देनी होती थी| इसने देशी रजवाडो को पंगु बना दिया और क्योंकि इतनी बड़ी रकम राज्य नहीं दे पाती थी ऐसे में धीरे धीरे पूरा राज्य हड़प लिया जाता था| इस बात ने विद्रोह के लिए कारण प्रदान किया|

व्यपगत की निति: व्यपगत की निति के तहत बिना स्पष्ट उत्तराधिकार वाले राज्यों को अंग्रेजी सरकार द्वारा हडपने की नीति बनायी गयी| इसके तहत हडपे गए राज्यों में से झाँसी जैसे राज्य ने विद्रोह के रूप में कड़ी टक्कर दी|

अवध का विलय: अवध का विलय बिना किसी ठोस आधार पर यह कहते हुए करा गया कि यहाँ का नबाब शासन चलाने में अक्षम है| इस बात ने जनता के मन में विद्रोह को बढ़ावा दिया| विद्रोह के समय रानी हजरत महल ने अपने नाबालिग बेटे को अवध का नबाब घोषित कर विद्रोह की कमान संभाली|

इन सब राजनीतिक कारणों ने १८५७ की क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार की| आइये अब विद्रोह के आर्थिक कारणों पर विचार करते है|

यह भी पढ़ें: लखनऊ समझौता

आर्थिक कारण

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण क्या थे? - 1857 ke vidroh ke raajaneetik kaaran kya the?

1857 के विद्रोह के विभिन्न कारणों में आर्थिक कारण को भी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है| विद्रोह के आर्थिक कारणों की व्याख्या को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से देखा जा सकता है|

अंग्रेजों की भूराजस्व नीती एवं शोषण: अंग्रेजी सरकार ने तीन प्रकार की भूराजस्व नीतियों (पूर्वी क्षेत्र में जमींदारी, दक्षिण भारत में रैयतवारी और उत्तर पश्चिम क्षेत्र में महालवारी प्रथा) को लागू किया लेकिन सभी में अधिकतम लगाम वसूली का ही उद्देश्य था| इस शोषण ने विद्रोह को बल दिया|

हस्तशिल्पों का पतन, परपरागत आर्थिक ढांचे का विनाश: अंग्रेजी नीतियों के कारण हस्तिशिल्पों के नष्ट होने के साथ ही परम्परागत आर्थिक व्यवस्था भी खत्म होने लगी| इसने जनता में असंतोष को बढाया|

गरीबी, बेरोजगारी, अकाल: परम्परागत आर्थिक व्यवस्था के चरमराने और नयी आर्थिक व्यवस्था में भागीदारी न मिलने के कारण क्षेत्र में व्यापक स्तर पर गरीबी, बेरोजगारी अकाल फ़ैल गया| इसने विद्रोह की पृष्ठभूमि तैयार की|

कृषि का वाणिज्यीकरण: अंग्रेजी सरकार ने कृषि में वाणिज्यीकरण को बढ़ावा दिया लेकिन उसका लाभ भारतीय किसानो को न प्राप्त होने दिया| उल्टे जमीन में निवेश न किये जाने से भूमि की उर्वरता प्रभावित हुई| जबरन करवाई जाने वाली कृषि ने किसानों के असतोष को बढाया|

अंग्रेजो की विदेशी प्रवृति: अंग्रेजी सरकार ने सदैव अपने विदेशी होने का प्रमाण प्रस्तुत किया| भारत में बने वस्तुओं पर काफी टैरिफ लगा दी गयी जबकि ब्रिटेन में बने उत्पादों को शुल्क मुक्त कर दिया गया| इससे यहां के उद्योग धंधे प्रतिस्पर्धा न कर सकें और उनका पतन होने लगा| अंग्रेजी सरकार की विदेशी प्रवृति 1857 की क्रांति की एक बड़ी वजह बनी|

इन सब आर्थिक कारणों ने १८५७ की क्रांति की पृष्ठभूमि तैयार की| आइये अब विद्रोह के सामाजिक सांस्कृतिक कारणों पर विचार करते है|

यह भी पढ़ें: भारत में अंग्रेजों की सफलता का कारण

सामाजिक सांस्कृतिक कारण

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण क्या थे? - 1857 ke vidroh ke raajaneetik kaaran kya the?

1857 के विद्रोह के विभिन्न कारणों में सामाजिक सांस्कृतिक कारण को भी महत्वपूर्ण कहा जा सकता है| विद्रोह के सामाजिक सांस्कृतिक कारणों की व्याख्या को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से देखा जा सकता है|

अंग्रेजों के सामाजिक सुधारों को शंका की दृष्टि से देखा जाना: अंग्रेजों द्वारा चलाये जाने वाले सामाजिक सुधारों को शंका की दृष्टि से देखा जाने लगा| विद्रोहियों का आरोप था कि अंग्रेजी सरकार उनके धर्म में हस्तक्षेप करने की कोशिस कर रही है| इससे उनका धर्म संकट में है| इस बात ने विद्रोह के लिए हवा दिया|

इसाई मिशिनारियों के कार्य एवं इनसे उत्पन्न शंका: इसाई मिशिनरियो के कार्य ने भी उपरोक्त बातों को दृढ़ता से स्थापित किया कि अंग्रेजी सरकार भारतियों को इसाई बनाना चाहती है|

1850 का पैत्रिक कानून: इसाई मिशिनरियों द्वारा धर्म परिवर्तन के लिए बहुत से लालच दिए जाने लगे और सरकार ने इसमें साथ दिया| इसी बीच 1850 का पैत्रिक कानून लाया गया| इसके तहत धर्म बदलने के बाद भी पैत्रिक सम्पति से वंचित नही किया जा सकता था| इस कानून के लोगों के मन में असंतोध को बढाया| उन्हें लगने लगा कि अंग्रेजी सरकार उनके सामाजिक अधिकारो को भी संकुचित कर रही है| इसने विद्रोह को हवा दिया|

तात्कालिक घटनाओं से आत्मविश्वास का जागरण

तात्कालिक समयों में कुछ ऐसी घटनाएँ हुई जिससे अंग्रेज सेनाओ के अपराजित होने का भ्रम दूर हो गया| उदाहरण के लिए पहला अफगान युद्ध, पंजाब के युद्ध, क्रिमियाई युद्ध| इसके आलावा वर्ष 1855- 1856 में बिहार बंगाल की संथाल जनजातियों के लोग कुल्हरे तथा तीर धनुष लेकर विद्रोह पर उतर आए और कुछ समय के लिए अपने क्षेत्र को खाली करा लिया| उन्होंने एक जन विद्रोह की क्षमता को स्पष्ट कर दिया|

हालंकि अंततः सबमें अंग्रेज की जीत हुई फिर भी यह स्पष्ट हो गया की एक एशियाई सेना डटकर लड़ें तो अंग्रेज सेना को हरा सकती है| इस तरह के आत्मविश्वास का जागरण को 1857 के विद्रोह के प्रमुख कारण के रूप में देखा जा सकता है|

निष्कर्ष: 1857 के विद्रोह का कारण क्या था

सन 1857 के शक्तिशाली जन विद्रोह ने अंग्रेजी सरकार को हिला कर रख दिया| इस विद्रोह का आरम्भ तो सिपाहियों द्वारा किया गया था लेकिन इससे बड़े स्तर पर किसान एवं आम जनता जुड़ गए| इस विद्रोह के कारणों में सैनिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक सभी का नाम लिया जा सकता है|

स्पष्ट है की 1857 के विद्रोह में सैनिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक सांस्कृतिक कारणों के आलावा तात्कालिक घटनाओं से आत्मविश्वास का जागरण आदि तमाम कारणों का योगदान रहा|

हम आशा करते है कि लेख ने आपको 1857 के विद्रोह में सैनिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक सांस्कृतिक कारण को समझने में सहायता की (Cause of revolt of 1857 in hindi.) | यदि आप इस विद्रोह के बारे में और बातों को पढना चाहते है तो 1857 का क्रांति: भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम लेख पढ़ें| आपको राज्यपाल की शक्तिया और कार्य क्या है लेख भी पंसद आ सकते है|

यदि आप इस लेख को पसंद करते है तो आप इस साईट के ईमेल न्यूज़लेटर की सदस्यता जरुर ग्रहण करें ताकि आपको नये पोस्ट की सूचना प्राप्त हो सके| आप हमसें फेसबुक और ट्विटर के जरिए भी जुड़ सकते है| आप हमारी हेल्थ साईट GGUKA.com को भी मुफ्त पढ़ सकते है|

1857 ई के विद्रोह के राजनीतिक कारण क्या थे?

1857 के विद्रोह का प्रमुख राजनीतिक कारण ब्रिटिश सरकार की 'गोद निषेध प्रथा' या 'हड़प नीति' थी। यह अंग्रेजों की विस्तारवादी नीति थी जो ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के दिमाग की उपज थी। कंपनी के गवर्नर जनरलों ने भारतीय राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से कई नियम बनाए।

1857 के विद्रोह का प्रमुख कारण क्या था?

1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारण सैनिक थे। एक अफवाह यह फैल गई कि नई 'एनफिल्ड' राइफलों के कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है। सिपाहियों को इन राइफलों को लोड करने से पहले कारतूस को मुँह से खोलना पड़ता था। हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों ने उनका इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया।

1857 के विद्रोह के आर्थिक कारण क्या हैं?

ब्रितानियों ने भारत से कच्चा माल इंग्लैण्ड भेजा तथा वहाँ से मशीनों द्वारा माल तैयार होकर भारत आने लगा। इसके फलस्वरूप भारत दिन-प्रतिदिन निर्धन होने लगा। इसके कारण भारतीयों के उद्योग धंधे नष्ट होने लगे। इस प्रकार ब्रितानियों ने भारतीयों के व्यापार पर अपना नियंत्रण स्थापित कर भारतीयों का आर्थिक शोषण किया।

18 57 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?

1857 की क्रांति में आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण क्रांतिकारी आधुनिक शस्त्रों के उपयोग से वंचित रह गए थे जो उनकी असफलता का कारण था। इस क्रांति में क्रांतिकारियों ने तलवारों एवं भालों का उपयोग किया था इसके विपरीत विरोधी ब्रिटिश सेना ने आधुनिक तोपों एवं बंदूकों का इस्तेमाल किया जिससे क्रांतिकारी कमजोर पड़ गए।