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दोस्तों, मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है, आज में आपको विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव के बारे में बताऊं। कि कैसे विद्युत के द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। और विद्युत चुम्बक क्या होती है, तो चलिए शुरू करते हैं। 👇👇 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव क्या है?जब किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तब चालक तार के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होने लगता है, इस प्रभाव को विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव (Magnetic effect of electric current) कहते हैं। Table of Contents
विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव के उपयोगइसका उपयोग घर में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों में भी होता है, जिसके बारे में आप जानते होंगे। यदि नहीं जानते हैं, तो आप जान जाओगे। इसका उपयोग विद्युत मोटरों में, चुम्बकीय क्रेन में, विद्युत घंटी में, विद्युत चुम्बक में, पंखा आदि में किया जाता है। विद्युत चुम्बक (Electromagnet) से क्या तात्पर्य है?यदि किसी लोहे की छड़ पर अच्छी चालकता वाला तार लपेट दें, और उसमें विद्युत धारा प्रवाहित कर दें, तो उससे एक अच्छा विद्युत चुम्बक (Electromagnet) बन जाता है। इन्हें भी पढ़ें:- विद्युत के प्रभाव विद्युत चुम्बक (Electromagnet) के प्रकारयह चुम्बकीय क्षेत्र की प्रकृति के आधार पर दो प्रकार के होते हैं- 1.प्रत्यावर्ती चुम्बकीय क्षेत्र (Alternating magnetic field)यदि किसी बनाए गए चुम्बक को ए. सी. धारा से जोड़ा जाए, तब चुम्बक के द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र प्रत्यावर्ती स्वभाव का होता है। इस प्रकार का चुम्बकीय क्षेत्र आवृत्ति पर निर्भर करता है। 2.स्थायी चुम्बकीय क्षेत्र (Permanent magnetic field)यदि किसी बनाए गए चुम्बक को डी. सी. धारा से जोड़ा जाए, तब चुम्बक में स्थायी चुम्बकीय क्षेत्र पैदा होता है। इन्हें भी पढ़ें:- विद्युत धारा के प्रभाव क्या हैं? आप लोगों को जानकारी होगी। यदि नहीं है, तो अब आप को हो जाएगी कि डी. सी. सप्लाई में आवृत्ति का मान शून्य होता है, इसलिए शून्य आवृत्ति वाली विद्युत सप्लाई को विद्युत चुम्बक से जोड़ने पर स्थायी चुम्बकीय क्षेत्र प्राप्त होता है। विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव की खोज किसने की थी?विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव की खोज ओरस्टेड ने की थी। दोस्तों, यदि आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कमेंट करके अवश्य बताएं और अपने दोस्तों को भी शेयर करें। इन्हें भी पढ़ें:- विद्युत धारा के प्रभाव ( EFFECTS OF ELECTRIC CURRENT ) इन्हें भी पढ़ें:-
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Post navigationविद्युत धारा का चुंबकीय प्रभावविद्युत धारावाही सुचालक अपने चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है जिसे बल की चुंबकीय रेखाओं या चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है। धारावाही प्रत्यक्ष सुचालक में चुंबकीय क्षेत्र उसके चारो तरफ संक्रेंदिक वृत्तों के रूप में होता है। प्रत्यक्ष सुचालक के माध्यम से विद्युत धारा की दिशा के संबंध में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को ‘दक्षिणहस्त नियम’, जिसे ‘मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू नियम’ भी कहते हैं, का उपयोग कर दर्शाया जा सकता है।
विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव उन प्रमुख सिद्धांतों में से एक है जो विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में बुनियादी सिद्धांत के रूप में कार्य करता है। विद्युत धारावाही सुचालक (Current Carrying Conductor) के चारों तरफ के चुंबकीय क्षेत्र को चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के उपयोग द्वारा दर्शाया जा सकता है, जो उसके चारों ओर संकेंद्रित वृत्त (Concentric Circles) के रूप में होते हैं। विद्युत धारावाही सुचालक के माध्यम से एक चुंबकीय क्षेत्र की दिशा विद्युत प्रवाह की दिशा द्वारा निर्धारित होता है। फ्लेमिंग कादक्षिणहस्तनियम ‘दक्षिणहस्त नियम’ (The Right Hand Thumb Rule) जिसे ‘मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू रूल’ (Maxwell’s Corkscrew Rule) भी कहते हैं, का प्रयोग प्रत्यक्ष सुचालक (Straight Conductor) के माध्यम से विद्युत धारा प्रवाह की दिशा के संबंध में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा निर्धारित करने के लिए किया जाता है। जैसे ही विद्युत धारा की दिशा बदलती है, चुंबकीय क्षेत्र की दिशा भी उलट जाती है। लंबवत निलंबित विद्युत धारावाही सुचालक (Vertically Suspended Current Carrying Conductor) में विद्युत धारा की दिशा अगर दक्षिण से उत्तर है, तो उसका चुंबकीय क्षेत्र वामावर्त दिशा में होगा। अगर विद्युत धारा का प्रवाह उत्तर से दक्षिण की ओर है, तो चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिणावर्त होगी। अगर विद्युत धारा सुचालक को अंगूठे को सीधा रखते हुए दाएँ हाथ से पकड़ा जाए और अगर विद्युत धारा की दिशा अंगूठे की दिशा में हो, तो अन्य उँगलियों को मुड़ने की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बताएगी। चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण कुंडली (Coil) के घुमावों की संख्या के समानुपातिक होता है। अगर कुंडली में ‘n’ घुमाव हैं, तो कुंडल के एकल मोड की स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण चुंबकीय क्षेत्र का 'n’ गुना होगा। मैक्सवेल के दक्षिणहस्त नियम’केअनुप्रयोग अगर सुचालक गोलाकार लूप में है तो लूप चुंबक की तरह व्यवहार करता है। विद्युत धारावाही गोलाकार सुचालक में, केंद्रीय क्षेत्र के मुकाबले सुचालक की परिधि के पास चुंबकीय क्षेत्र अधिक मजबूत होता है। विद्युत धारावाही गोलाकार आकार का लूप सुचालक जैसा कि मैरी एम्पीयर ने सुझाव दिया है, विद्युत धारावाही सुचालक के आसपास जब चुंबक रखा जाता है तो वह बल को अपनी तरफ खींचता है। इसी तरह चुंबक भी विद्युत धारावाही सुचालक पर समान और विपरीत बल लगाता है। विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा में परिवर्तन के साथ सुचालक पर लगने वाले बल की दिशा बदल जाती है। यह देखा गया है कि जब विद्युत धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र से समकोण पर हो तो बल का परिमाण सबसे अधिक होता है। अगर विद्युत धारा विद्युत सर्किट में दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित हो रही हो और सुचालक तार पर चुंबकीय कंपास रखा जाए, तो कंपास की सूई पश्चिम दिशा में विक्षेपित होगी। यह ‘स्नो नियम’ (SNOW Rule) के नाम से जाना जाता है जो चुंबकीय क्षेत्र की दिशा की भविष्यवाणी करने में मदद करता है। फ्लेमिंग कावामहस्त नियम फ्लेमिंग के ‘वामहस्त नियम’ के अनुसार यदि बायें हाथ की प्रथम तीन उँगलियों को एक–दूसरे के लम्बवत फैलाया जाए तो तर्जनी उँगली चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बताती है। मध्यमा उँगली विद्युत धारा की दिशा बताती है। अँगूठा बाहरी चुंबकीय क्षेत्र में रखे धारावाही सुचालक पर लगने वाले बल की दिशा बताता है। फ्लेमिंग का वामहस्त नियम (मोटर नियम) बिजली का मोटर बिजली का मोटर या इलेक्ट्रिक मोटर बिजली के चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग कर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है। बिजली के मोटर में, एक चुंबकीय क्षेत्र के दो ध्रुवों के बीच एक आयताकार कुंडल निलंबित (Suspended) किया जाता है। कुंडली पर बिजली की आपूर्ति एक कम्यूटेटर ( बिजली की धारा का क्रम बदलने वाला यंत्र) से जुड़ी होती है जो एक सर्किट के माध्यम से विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा को बदल देता है। जब बिजली के मोटर के कुंडलियों में विद्युत धारा की आपूर्ति की जाती है, चुंबकीय क्षेत्र की वजह से यह अपना मार्ग से विक्षेपित हो जाती है। जैसे ही यह अपना आधा रास्ता तय कर लेती है, कम्यूटेटर की तरह काम करने वाला स्पिल्ट रिंग विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा को पलट देता है। विद्युत धारा की दिशा में परिवर्तन कुंडली पर काम करने वाले बल की दिशा को बदल देता है। बलों की दिशा में परिवर्तन कुंडली को धक्का देता है और वह एक और बार आधा मुड़ जाता है। इस प्रकार, कुंडली एक धुरी पर अपना एक घूर्णन पूरा करती है। इस प्रक्रिया का लगातार होना मोटर को चालू रखता Image Courtesy: http://3.bp.blogspot.com खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर कौन विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव का उपयोग है?हमने यह पढ़ा है कि जब कोई विद्युत धारावाही चालक किसी चुंबकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा जाता है कि चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत हो तो वह चालक एक बल का अनुभव करता है। इस बल के कारण वह चालक गति करने लगता है।
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव का क्या अर्थ है?विद्युत धारावाही सुचालक अपने चारों तरफ चुंबकीय क्षेत्र पैदा करता है जिसे बल की चुंबकीय रेखाओं या चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है। धारावाही प्रत्यक्ष सुचालक में चुंबकीय क्षेत्र उसके चारो तरफ संक्रेंदिक वृत्तों के रूप में होता है।
विद्युत चुंबक के उपयोग क्या है?(i) इसे विद्युत उपकरणों में प्रयुक्त किया जाता है। बिजली की घंटी, पंखों, रेडियो, कंप्यूटरों आदि में इनका प्रयोग किया जाता है। (ii) विद्युत मोटरों और जनरेटरों के निर्माण में यह प्रयुक्त होते हैं। (iii) इस्पात की छड़ों को चुंबक बनाने के लिए इनका प्रयोग होता है।
विद्युत धारा के प्रभाव कौन कौन से हैं?प्रवहमान विद्युत् धारा के मुख्यतः निम्नलिखित प्रभाव हैं- चुम्बकीय प्रभाव, ऊष्मीय प्रभाव, रासायनिक प्रभाव एवं प्रकाशीय प्रभाव। जब भी किसी चालक से विद्युत् धारा का प्रवाह होता है, तो चालक के चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
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