NCERT Solutions for Class 11th: पाठ 4 - विदाई-संभाषण आरोह भाग-1 हिंदी (Vidai Sambhashan)अभ्यास पृष्ठ संख्या:51 उत्तर शिवशंभु की दो गायों के माध्यम से लेखक यह समझाना चाहते हैं कि जिस देश के पशुओं के बिछड़ते समय
ऐसी मनोदशा होती है, वहाँ मनुष्यों की कैसी दशा हो सकती, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है| कहानी में दो गायें होती हैं जिनमें से एक बलवान और दूसरी कमजोर थी| वह कभी-कभी अपने सींगों की टक्कर से दूसरी कमजोर गाय को गिरा देती थी| एक दिन बलवान गाय पुरोहित को दे दी गई| उसके जाने के बाद कमजोर गाय दिन भर भूखी रही| उसी प्रकार लॉर्ड कर्जन ने अपने शासन-काल में भले ही भारतवासियों का शोषण किया हो लेकिन उनके जाने का दुःख सबको है| लॉर्ड कर्जन ने बंगाल-विभाजन का निर्णय लेकर भारत की एकता को खंडित करने की योजना बनाई| भारतवासियों ने लॉर्ड कर्जन की इस जिद के आगे बहुत विनती की, ताकि यह विभाजन न हो| लेकिन कर्जन ने इसे अनसुना कर दिया और आखिरकार बंगाल-विभाजन होकर रहा| इसी ऐतिहासिक घटना की ओर लेखक ने संकेत किया है| पृष्ठ संख्या: 52 उत्तर लॉर्ड कर्जन एक फौजी अफसर को अपने इच्छित पद पर नियुक्त करना चाहा, पर ब्रिटिश सरकार ने इसे स्वीकार नहीं किया| इसी गुस्से के कारण उन्होंने पद से इस्तीफ़ा दे दिया और वह स्वीकार भी हो गया| 4. बिचारिये तो, क्या शान आपकी इस देश में थी और अब क्या हो गई! कितने ऊँचे होकर आप कितने नीचे गिरे!- आशय स्पष्ट कीजिए| लॉर्ड कर्जन भारत के तत्कालीन वायसराय थे| उन्होंने अपने शासन-काल में हर तरह की सुविधाओं का आनंद
उठाया था| देश के अमीर तथा संपन्न कहे जाने वाले वर्ग उनके कहे अनुसार चलते थे| वायसराय के पद पर रहते हुए भी उन्होंने जनता की हितों पर कभी ध्यान नहीं दिया और यही उनके पतन का कारण बना| ब्रिटिश सरकार ने उनके इस्तीफे को मंजूरी दी और उन्हें भारत से जाना पड़ा| यहाँ तीसरी शक्ति ईश्वर को कहा गया है| उसकी शक्ति के आगे न लॉर्ड कर्जन का जोर चल सकता है और न ही भारतवासियों का| उन्हीं के इच्छानुसार दुनिया का संचालन होता है| पाठ के आस-पास उत्तर पाठ का यह अंश शिवशंभु के चिट्ठे से लिया गया है| लेखक बालमुकुंद गुप्त ने शिवशंभु नाम का उपयोग लॉर्ड कर्जन तथा अंग्रेजों के शासन काल पोल खोलने के लिए किया है| लेखक ने इस पात्र
के जरिये अंग्रेजी शासकों के कुशासन पर व्यंग्य किया है| शिवशंभु एक काल्पनिक पात्र है जिसके माध्यम से लेखक उनकी तानाशाही को सामने लाने का प्रयास किया है| लेखक ने लॉर्ड कर्जन की तुलना नादिर से की है| लेखक के अनुसार नादिर ने जब दिल्ली पर आक्रमण किया था तब उसने वहाँ की पीड़ित जनता की गुहार पर कत्लेआम को उसी समय रोक दिया| लेकिन, लॉर्ड कर्जन ने तो भारतवासियों के बंगाल-विच्छेद न करने की विनती को स्वीकारना तो दूर उसे सुनना तक जरूरी नहीं समझा| इसलिए यहाँ लेखक का कहना उचित है कि ‘नादिर से बढ़कर लॉर्ड कर्जन की जिद्द है’| 3. क्या आँख बंद करके मनमाने हुक्म चलाना और किसी की कुछ न सुनने का नाम ही शासन है?- इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए शासन क्या है? इस पर चर्चा कीजिए| लॉर्ड कर्जन ने अपने शासन-काल में प्रजा के हितों को ध्यान में नहीं रखा बल्कि उसने मनमाने हुक्म चलाकर शासन किया था| इस दृष्टिकोण से शासन उसे कहते हैं जिसमें प्रजा की मर्जी के विरूद्ध शासक के जिद्द के अनुसार कानून बनाया जाता हो| जनता के अनुरोध या प्रार्थना सुनने के लिए उन्हें अपने पास भी फटकने न दिया जाता हो| 4. इस पाठ में आए आलिफ़ लैला, अलहदीन, अबुल हसन और बग़दाद के खलीफा के बारे में सूचना एकत्रित कर कक्षा में चर्चा कीजिए| उत्तर छात्र स्वयं करें| यहाँ शब्द का प्रयोग लॉर्ड कर्जन के भारत से जाने के लिए किया गया है| 2. पाठ में से कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं, जिनमें भाषा का विशिष्ट प्रयोग (भारतेंदु युगीन हिंदी) हुआ है| उन्हें सामान्य हिंदी में लिखिए| ► पहले भी इस देश में जो प्रधान शासक आए, उन्हें अंत में जाना पड़ा| ► आप किसलिए आए थे और क्या कर के जा रहे हैं? ग. उनका रखाया एक आदमी नौकर न रखा| ► उनके रखवाने से एक आदमी नौकर भी न रखा गया| घ. पर अशीर्वाद करता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर लाभ करे| ► परन्तु मैं आशीर्वाद देता हूँ कि तू फिर उठे और अपने प्राचीन गौरव और यश को फिर से प्राप्त करे| Class 11 की आरोह NCERT Solutions की सूची में वापिस जाएँ |