ब्रिटिश शासन काल में महिला शिक्षा नीति की विवेचना कीजिए - british shaasan kaal mein mahila shiksha neeti kee vivechana keejie

Published in Journal

Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education [JASRAE] (Vol:9/ Issue: 17)
DOI: 10.29070/JASRAE
Authors:
Rupa Kumari*, Viveka Nand Shukla,
Subjects:
Multidisciplinary Academic Research

Year: Jan, 2015
Volume: 9 / Issue: 17
Pages: 1 - 3 (3)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/283041
Published On: Jan, 2015

 ब्रिटिश काल में महिला शिक्षा - Women's Education in British Era

ब्रिटिश काल में स्त्री शिक्षा के लिए विशेष प्रयास किये गये। ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल तक स्त्री शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि वह व्यापार करने आई थी परन्तु इसके बाद स्त्री शिक्षा पर ध्यान दिया गया। कंपनी के शासन के समय स्त्री शिक्षा का प्रसार मिशनरियों तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा किया गया। सर्व प्रथम वुड के घोषणा पत्र में स्त्री शिक्षा की बात कही गई जिसके परिणाम स्वरूप कई प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय बलिका शिक्षा हेतु खोले गये। हन्टर शिक्षा आयोग ने स्त्री शिक्षा पर विशेष जोर दिया। स्त्री शिक्षा के महत्व को बतलाते हुए आयोग ने सिफारिश की कि मानव संसाधनों के पूर्ण विकास के लिए परिवार के सुधार के लिए शिशु काल में बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए, स्त्रियों की शिक्षा. पुरुषों की शिक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है।

उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में स्त्री शिक्षा के विकास में गति आई। सांस्कृतिक आन्दोलनों के परिणाम स्वरूप जनता में जागृति उत्पन्न हुई और 1902 तक स्त्री शिक्षा ने एक आन्दोलन का रूप ग्रहण कर लिया। धर्म एवं सामाजिक सुधारकों ने भी स्त्री शिक्षा के विकास में रुचि दिखाई। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने स्त्री शिक्षा के लिए विशेष प्रयास किये। श्री राजाराम मोहन राय ने स्त्रियों की निरक्षरता को दूर करने का बीड़ा उठाया। महर्षि दयानंद ने आर्य समाज के सभी कार्यक्रमों में स्त्रियों को विशेष स्थान दिया तथा कन्या गुरुकल की स्थापना की स्त्री शिक्षा के लिए श्रीमती एनी बेसेन्ट की भूमिका भी सराहनीय थी। उन्होंने 1904 में सेन्ट्रल हिन्दु गर्ल्स कॉलेज की स्थापना की। 1916 में महर्षि कर्वे और भण्डारकर के प्रयासों से पूना में एन.डी.टी महिला महाविद्यालय की स्थापना की। इसी वर्ष दिल्ली में महिलाओं के लिए लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई। इस प्रकार स्त्री शिक्षा में समाज सुधार आन्दोलनों की मुख्य भूमिका रही। सन 1917 से सन 1947 तक स्त्री शिक्षा का विकास अत्यन्त तीव्र गति से हुआ। इसी समय भारतीय नारी संगठन एवं राष्ट्रीय महिला परिषद की स्थापना हुई। सन 1927 में प्रथम अखिल भारतीय नारी सम्मेलन हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारत में लगभग 3000 नारी शिक्षा संस्थान थे जिसमें करीब लाख स्त्रियां अध्ययन कर रही थी।


British Kaal Me Mahilaon Ki Sthiti

Pradeep Chawla on 12-05-2019

महिलाओं के पुनरोत्थान का काल ब्रिटिश काल से शुरू होता है। ब्रिटिश शासन की अवधि में हमारे समाज की सामाजिक व आर्थिक संरचनाओं में अनेक परिवर्तन किए गए। ब्रिटिश शासन के 200 वर्षों की अवधि में स्त्रियों के जीवन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अनेक सुधार आये। औद्योगीकरण, शिक्षा का विस्तार, सामाजिक आन्दोलन व महिला संगठनों का उदय व सामाजिक विधानों ने स्त्रियों की दशा में बड़ी सीमा तक सुधार की ठोस शुरूआत की।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व तक स्त्रियों की निम्न दशा के प्रमुख कारण अशिक्षा, आर्थिक निर्भरता, धार्मिक निषेध, जाति बन्धन, स्त्री नेतृत्व का अभाव तथा पुरूषों का उनके प्रति अनुचित दृष्टिकोण आदि थे। मेटसन ने हिन्दू संस्कृति में स्त्रियों की एकान्तता तथा उनके निम्न स्तर के लिए पांच कारकों को उत्तरदायी ठहराया है, यह है- हिन्दू धर्म, जाति व्यवस्था, संयुक्त परिवार, इस्लामी शासन तथा ब्रिटिश उपनिवेशवाद। हिन्दूवाद के आदर्शों के अनुसार पुरूष स्त्रियों से श्रेष्ठ होते हैं और स्त्रियों व पुरूषों को भिन्न-भिन्न भूमिकाएीं निभानी चाहिए। स्त्रियों से माता व गृहणी की भूमिकाओं की और पुरूषों से राजनीतिक व आर्थिक भूमिकाओं की आशा की जाती है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से सरकार द्वारा उनकी आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक स्थिति में सुधार लाने तथा उन्हे विकास की मुख्य धारा में समाहित करने हेतु अनेक कल्याणकारी योजनाओं और विकासात्मक कार्यक्रमों का संचालन किया गया है। महिलाओं को विकास की अखिल धारा में प्रवाहित करने, शिक्षा के समुचित अवसर उपलब्ध कराकर उन्हे अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति सजग करते हुए उनकी सोंच में मूलभूत परिवर्तन लाने, आर्थिक गतिविधियों में उनकी अभिरूचि उत्पन्न कर उन्हे आर्थिक-सामाजिक दृष्टि से आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बन की ओर अग्रसारित करने जैसे अहम उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पिछले कुछ दशकों में विशेष प्रयास किये गए हैं।

सम्बन्धित प्रश्न



Comments Kiran on 18-07-2021

ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति

Kushal on 01-07-2021

Enginiyar kitne prkar ke hote he

Laxman singh on 28-06-2021

ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति कैसी

Sakshi on 27-06-2021

British mrasasan Kal me mahilaon ki sthiti Kya thi

Sonu namdev on 25-06-2021

British kal me mahilaaon ki sthiti par prakaash daliye

सवाल पूछे on 24-06-2021

ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए

Pushpa on 03-06-2021

British kaal me mahilao ki shiksha kaisi thi?

Malti modkat on 28-02-2021

बि्टीश काळी महीलांना सामाजिक दर्जा कसा होता

महिला ससकतीकरण पर निबँद on 14-10-2019

महिला ससकतीकरण पर निबँद



ब्रिटिश काल में महिलाओं की स्थिति क्या थी?

ब्रिटिश काल में आर्थिक क्षेत्र में सबसे अधिक महिला निर्योग्यता देखने कोमिलती है। महिलाओं को न केवल संयुक्त परिवार की सम्पत्ति में से हिस्सा देने सेवंचित किया गया। अपितु अपने पिता की संपत्ति में से भी उसे कोई हिस्सा नहीं दियाजाता था। पिता की संपत्ति पर उसका कोई अधिकार नहीं था।

भारत में ब्रिटिश काल के दौरान शिक्षा का विकास कैसे हुआ?

19वीं शताब्दी में भारत “अंग्रेजी शिक्षा” का अर्थ “आधुनिक शिक्षा” था। अधिकांश ने पब्लिक स्कूलों के समान पाठ्यक्रम पढ़ाया। उस समय ब्रिटेन अंग्रेजी के माध्यम से शिक्षा के माध्यम के रूप में, विशेष रूप से मिशनरियों द्वारा प्रायोजित। कुछ ने दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी के साथ स्थानीय भाषाओं के माध्यम से पाठ्यक्रम पढ़ाया।

ब्रिटिश सरकार द्वारा महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए क्या प्रयास किए गए?

ब्रिटिश शासन के 200 वर्षों की अवधि में स्त्रियों के जीवन में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अनेक सुधार आये। औद्योगीकरण, शिक्षा का विस्तार, सामाजिक आन्दोलन व महिला संगठनों का उदय व सामाजिक विधानों ने स्त्रियों की दशा में बड़ी सीमा तक सुधार की ठोस शुरूआत की।

ब्रिटिश काल में राजस्थान में महिला शिक्षा के लिए क्या प्रयास किए गए?

प्रोटेस्टेण्ड मिशनरियों द्वारा स्त्रियों के शिक्षा के लिए 86 आवासीय विद्यालय खोले गए। सकता है। इस काल में विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर बना - (i) वुड का घोषणा पत्र । अनुदान देने की सिफारिश की गई, जिसमे स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन मिला और अनेक स्थानों पर बालिकाओं के लिए विद्यालय खोले गए