जल चक्र का चित्र हिंदी में - jal chakr ka chitr hindee mein

जल चक्र का चित्र हिंदी में - jal chakr ka chitr hindee mein

जल चक्र पृथ्वी पर उपलब्ध जल के एक रूप से दूसरे में परिवर्तित होने और एक भण्डार से दूसरे भण्डार या एक स्थान से दूसरे स्थान को गति करने की चक्रीय प्रक्रिया है जिसमें कुल जल की मात्रा का क्षय नहीं होता बस रूप परिवर्तन और स्थान परिवर्तन होता है। अतः यह प्रकृति में जल संरक्षण के सिद्धांत की व्याख्या है।

इसके मुख्य चक्र में सर्वाधिक उपयोग में लाए जाने वाला जल रूप - पानी (द्रव) है जो वाष्प बनकर वायुमण्डल में जाता है फिर संघनित होकर बादल बनता है और फिर बादल बनकर ठोस (हिमपात) या द्रव रूप में वर्षा के रूप में बरसता है। हिम पिघलकर पुनः द्रव में परिवर्तित हो जाता है। इस तरह जल की कुल मात्रा स्थिर रहती है।

यह पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्यावरण रुपी पारिस्थितिक तंत्र में एक भूजैवरसायन चक्र (Geobiochemical cycle) का उदाहरण है। उन सभी घटनाओं का एक पूर्ण चक्र जिसमें होकर पानी, वायुमंडलीय जलवाष्प के रूप में आरंभ होकर द्रव्य या ठोस रूप में बरसता है और उसके पश्चात्त् वह भू-पृष्ठ के ऊपर या उसके भीतर बहने लगता है एवं अन्ततः वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन द्वारा पुनः वायुमंडलीय जल-वाष्प के रूप में बदल जाता है।

जल के समुद्र से वायुमण्डल में तथा फिर भूमि पर बहुत सी अवस्थाओं जैसे अवक्षेपण अंतरोधन अपवाह, अन्त: स्यन्दन अन्त: स्त्रवण भौमजल संचयन वाष्पन तथा वाष्पोत्सर्जन इत्यादि प्रक्रियाओं के बाद पुन: समुद्र में वापिस जाने का घटना चक्र।

जलीय परिसंचरण (circulation) द्वारा निर्मित एक चक्र जिसके अंतर्गत जल महासागर से वायुमंडल में, वायुमंडल से भूमि (भूतल) पर और भूमि से पुनः महासागर में पहुँच जाता है। महासागर से वाष्पीकरण द्वारा जलवाष्प के रूप में जल वायुमंडल में ऊपर उठता है जहाँ जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण (precipitation) द्वारा जलवर्षा अथवा हिमवर्षा के रूप में जल नीचे भूतल पर आता है और नदियों से होता हुआ पुनः महासागर में पहुँच जाता है। इस प्रकार एक जल-चक्र पूरा हो जाता है।

सागर से वायुमंडल तथा थल पर से होता हुआ वापस सागर तक जाने वाला जल का परिसंचरण चक्र। जल वापस सागर तक थल पर से बहता हुआ अथवा भूमिगत मार्गों से पहुंचता है। इस निरंतर चलते रहने वाले चक्र में जल अस्थायी रूप से जीवों में तथा ताजे पानी बर्फिली जमावटों अथवा भूमिगत भंडारों के रूप में जमा होता रहता है।

पृथ्वी पर जल का वितरण[संपादित करें]

  • धरातलीय
  • वायुमण्डलीय
  • समुद्री
  • भूगर्भिक

जल की अवस्थाएँ[संपादित करें]

  • हिम (ठोस)
  • द्रव (पानी)
  • वाष्प (गैस)
  • अतिशीतित जल (सुपरकुल्ड वाटर)

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • नाइट्रोजन चक्र
  • कार्बन चक्र

जल चक्र कैसे बनेगा?

महासागर से वाष्पीकरण द्वारा जलवाष्प के रूप में जल वायुमंडल में ऊपर उठता है जहाँ जलवाष्प के संघनन से बादल बनते हैं तथा वर्षण (precipitation) द्वारा जलवर्षा अथवा हिमवर्षा के रूप में जल नीचे भूतल पर आता है और नदियों से होता हुआ पुनः महासागर में पहुँच जाता है। इस प्रकार एक जल-चक्र पूरा हो जाता है।

जल चक्र क्या है class 5?

पृथ्वी का कुल 97% जल वायुमंडल और महासागरों में उपलब्ध है और शेष 3% हिमनदों या हिमखंडों के रूप में जमा हुआ है। यह जल लगातार पानी वाष्प और बर्फ के रूप में परिवर्तित होता रहता हैं। इस क्रिया को जल चक्र कहा जाता हैं। जल चक्र को water cycle in hindi भी कहा जाता हैं।

जल चक्र क्या है class 10th?

जल चक्र सूर्य की ऊर्जा से प्रेरित होता है। सूर्य समुद्र की सतह और अन्य सतह के पानी को गर्म करता है, तरल पदार्थ वाष्पीकरण और बर्फ को विशेष रूप से ठोस से गैस तक बदल देता है। ये सूर्य संचालित प्रक्रिया जल वाष्प की संरचना में वायुमंडल में मौजूद पानी को स्थानांतरित करती हैं।

जल चक्र कितने प्रकार के होते हैं?

जल चक्र में तीन अलग-अलग चरण से पानी जाता है। यह एक तरल (पानी), एक गैस (जल वाष्प) या एक ठोस (बर्फ) हो सकता है। ये तीन चरण विनिमेय हैं, क्योंकि पानी बर्फ में जम सकता है या जल वाष्प में वाष्पित हो सकता है, जल वाष्प पानी के रूप में संघनित हो सकता है, और बर्फ पानी में पिघल सकता है।