वित्त विधेयक क्या होता है in Hindi? - vitt vidheyak kya hota hai in hindi?

वित्त विधेयक देश के वित्त पर केंद्रित एक पारित कानून है, जैसे कर, सरकारी व्यय, सरकारी उधार, राजस्व आदि। केंद्रीय बजट जो इन पहलुओं से संबंधित है, संसद में वित्त विधेयक के रूप में पारित किया जाता है। वित्तीय वर्ष के लिए भारत सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को निष्पादित करने के लिए संसद में प्रत्येक वर्ष इसे पारित किया जाता है। इसमें उन विधेयकों को भी शामिल किया गया है जो किसी भी अवधि में पारित किए जा रहे पूरक वित्तीय प्रस्तावों को शामिल करते हैं।

आप इन अपडेट्स को करेंट अफेयर्स टूड़े मोबाइल एप्प में भी पढ़ सकते हैं।

« पिछला प्रश्नअगला प्रश्न »
अन्य रोचक प्रश्न
  • अमेरिका के इंडियाना में सांता क्लॉज लैंड एम्यूजमेंट पार्क को कब शुरू किया गया था?
  • ‘टर्ब्युलेंस एंड ट्राइंफ : द मोदी इयर्स’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?
  • अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने किस अमेरिकी इंजीनियर के नाम पर अपने मुख्यालय का नाम बदलने का निर्णय लिया है? 
  • हाल ही में सुर्ख़ियों में रही Ecowrap किस संस्था की शोध रिपोर्ट है?
  • 2019 में किस माह को ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ के रूप में मनाया जाएगा?

Advertisement

संसद में मुख्य रूप से चार प्रकार के विधेयक पेश किए जाते हैं जिसकी चर्चा आगे की गई है; उसमें से धन विधेयक और वित्त विधेयक काफी महत्वपूर्ण विधेयक है।

इस लेख में हम धन विधेयक और वित्त विधेयक (Money bill and Finance bill) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे, एवं इन दोनों के बीच के अंतर को समझेंगे,

तो अच्छी तरह से समझने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें साथ ही अन्य विधेयकों को भी पढ़ें –

संसद में कानून बनाने की पूरी प्रक्रिया
संविधान संशोधन की पूरी प्रक्रिया
वित्त विधेयक क्या होता है in Hindi? - vitt vidheyak kya hota hai in hindi?
Read in EnglishYT1FBgYT2

विषय सूची

  • विधेयकों के प्रकार
  • धन विधेयक और वित्त विधेयक (Money bill and Finance bill)
    • धन विधेयक (Money Bill)
    • क्या-क्या धन विधेयक नही है?
    • धन विधेयक से संबन्धित प्रावधान
    • वित्त विधेयक (Finance bill)
    • वित्त विधेयक(।)
    • वित्त विधेयक(॥)
  • मनी बिल और फ़ाइनेंस बिल प्रैक्टिस क्विज यूपीएससी
  • अन्य महत्वपूर्ण लेख

विधेयकों के प्रकार

मोटे तौर पर चार प्रकार के विधेयक (bill) होते हैं – संविधान संशोधन विधेयक (Constitution Amendment Bill), साधारण विधेयक (Ordinary bill), धन विधेयक (Money Bill) और वित्त विधेयक (Finance bill)।

इसमें संविधान संशोधन विधेयक, संविधान के प्रावधान को बदलने या उसमें संशोधन से संबन्धित होता है। साधारण विधेयक की बात करें तो ये ऐसे विधेयक होते हैं जो ना ही संविधान संशोधन विधेयक होते है और न ही धन और वित्त विधेयक। यानी कि ये सामान्य क़ानूनों से संबन्धित होते हैं, हालांकि वित्त विधेयक साधारण विधेयक के गुण भी प्रदर्शित करते हैं कैसे करते हैं इसे हम आगे देखने वाले हैं।

धन विधेयक और वित्त विधेयक (Money bill and Finance bill)

धन विधेयक की बात करें या वित्त विधेयक की दोनों किसी न किसी प्रकार से पैसों से ही संबन्धित है। फिर भी कुछ प्रावधानों की वजह से इन दोनों में अंतर आ जाती है। संविधान में भी इन दोनों को अलग-अलग अनुच्छेदों में वर्णित किया गया है। धन विधेयक को अनुच्छेद 110 में वर्णित किया गया है और वित्त विधेयक को अनुच्छेद 117 में। जितने भी धन विधेयक होते हैं वे सभी वित्त विधेयक होते हैं पर सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते हैं।

Lok Sabha: Role, Structure, FunctionsHindiEnglishRajya Sabha: Constitution, PowersHindiEnglishParliamentary MotionHindiEnglish

धन विधेयक (Money Bill)

किस प्रकार के विधेयक को धन विधेयक माना जाएगा ये संविधान के अनुच्छेद 110 में परिभाषित की गई है। इस अनुच्छेद के अनुसार कोई विधेयक तभी धन विधेयक माना जाएगा, जब उसमें निम्न वर्णित प्रावधानों में से एक या अधिक प्रावधान परिलक्षित होंगे।

1. उस अमुक विधेयक में, किसी कर का अधिरोपन (Imposition), उत्सादन (Cancellation), परिहार (Avoidance), परिवर्तन या विनियमन (Regulation) होता हो। इसका सीधा सा मतलब ये है कि जब किसी में विधेयक में टैक्स लगाने, बढ़ाने, कम करने या उस टैक्स को खत्म करने से संबन्धित प्रावधान हो तो उसे धन विधेयक कहा जाएगा।

2. अगर किसी विधेयक में, केंद्र सरकार द्वारा उधार लिए गए धन के विनियमन (Regulation) या अपने ऊपर ली गई किसी वित्तीय बाध्यताओं से संबन्धित कोई प्रावधान हो तो उसे धन विधेयक कहा जाएगा।

3. अगर किसी विधेयक में, भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि में से धन जमा करने या उसमें से धन निकालने से संबन्धित प्रावधान हो तो…………..

4. ऐसा विधेयक जो, भारत की संचित निधि से धन के विनियोग से संबन्धित हो। [संचित निधि यानी कि भारत का राजकोष और विनियोग का मतलब होता है किसी विशेष उपयोग के लिए आधिकारिक रूप से आवंटित धन की राशि।]

5. ऐसा विधेयक जो, भारत की संचित निधि पर भारित किसी व्यय की उद्घोषणा या इस प्रकार के किसी व्यय की राशि में वृद्धि से संबन्धित हो।

6. ऐसा विधेयक जो, भारत की संचित निधि या लोक लेखा में किसी प्रकार के धन की प्राप्ति या अभिरक्षा या इनसे व्यय या इनका केंद्र या राज्य की निधियों का लेखा परीक्षण से संबन्धित हो।

[लोक लेखा भी संचित निधि की तरह एक निधि है, पर इसमें कुछ भिन्नताएँ है, निधियों को जानने के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें। – विभिन्न प्रकार की निधियाँ]

7. उपरोक्त विनिर्दिष्ट (Specified) किसी विषय का आनुषंगिक (ancillary) कोई विषय। यानी कि अभी जो ऊपर 6 प्रावधानों को पढ़ें है उसका अगर कोई आनुषंगिक विषय भी होगा तब भी वे धन विधेयक माने जाएंगे।

क्या-क्या धन विधेयक नही है?

निम्न कारणों के आधार पर किसी विधेयक को धन विधेयक नहीं माना जाता है :-
1. जुर्मानों या अन्य धनीय शास्तियों (Monetary penalties) का अधिरूपन (Imposition)
2. अनुज्ञप्तियों (Licenses) के लिए फ़ीसों या की गई सेवाओं के लिए फ़ीसों की मांग
3. किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपन, उत्सादन (Cancellation), परिहार (Avoidance), परिवर्तन या विनियमन का उपबंध।

धन विधेयक से संबन्धित प्रावधान

◼ किस विधेयक को धन विधेयक कहना है और किस विधेयक को नहीं ये फैसला लोकसभा अध्यक्ष लेता है इस मामले में लोकसभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम निर्णय होता है। उसके निर्णय को किसी न्यायालय, संसद या राष्ट्रपति द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती है।

◼ धन विधेयक केवल लोकसभा में केवल राष्ट्रपति की सिफ़ारिश से ही प्रस्तुत किया जा सकता है। इस प्रकार के प्रत्येक विधेयक को सरकारी विधेयक माना जाता है तथा इसे केवल मंत्री ही प्रस्तुत कर सकता है।

◼ लोकसभा में पारित होने के उपरांत इसे राज्यसभा के विचारार्थ भेजा जाता है। राज्यसभा धन विधेयक को अस्वीकृत या संशोधित नहीं कर सकती है। यह केवल सिफ़ारिश कर सकती है। वो भी लोकसभा के लिए यह आवश्यक नहीं होता है कि वह राज्यसभा की सिफ़ारिशों को स्वीकार ही करें। इसके साथ ही 14 दिन के भीतर उसे इस पर स्वीकृति देनी होती है अन्यथा वह राज्यसभा द्वारा पारित समझा जाता है।

◼ इस प्रकार देखा जा सकता है कि धन विधेयक के संबंध में राज्यसभा की शक्ति काफी सीमित है। दूसरी ओर साधारण विधेयकों के मामले में दोनों सदनों को समान शक्ति प्रदान की गई है।

अंततः जब धन विधेयक को राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है तो वह या तो इस पर अपनी स्वीकृति दे सकता है या फिर इसे रोककर रख सकता है लेकिन वह किसी भी दशा में इसे पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेज सकता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि लोकसभा में प्रस्तुत करने से पहले राष्ट्रपति की सहमति ली जाती है यदि वे सहमति दे देते हैं इसका मतलब है कि राष्ट्रपति इससे सहमत है।

वित्त विधेयक (Finance bill)

सामान्यतः राजस्व या व्यय से संबंधित वित्तीय मामलों वाले विधेयक वित्त विधेयक कहलाते हैं। इस विधेयक में आने वाले वित्तीय वर्ष में किसी नए प्रकार के कर लगाने या मौजूदा कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार के जितने भी वित्तीय प्रस्ताव होते है उसे एक विधेयक में सम्मिलित किया जाता है। यह विधेयक साधारणतया प्रत्येक वर्ष बजट पेश किए जाने के तुरंत पश्चात लोकसभा में पेश किया जाता है। इस पर धन विधेयक की सभी शर्तें लागू होती है तथा इसमें संशोधन प्रस्तावित किए जा सकते है।

वित्त विधेयक को तीन भागों में बांटा जा सकता है :- धन विधेयक, वित्त विधेयक (।) और वित्त विधेयक (॥)

सभी धन विधेयक, वित्त विधेयक होते हैं लेकिन सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते हैं। केवल वही वित्त विधेयक धन विधेयक होते हैं, जिनका उल्लेख अनुच्छेद 110 में किया गया है। दूसरी बात ये कि कौन सा विधेयक धन विधेयक होगा और कौन नहीं ये लोकसभा अध्यक्ष तय करते हैं।

वित्त विधेयक(।)

वित्त विधेयक(।) की चर्चा अनुच्छेद 117 (1) में की गई है। वित्त विधेयक(।) में अनुच्छेद 110 (यानी कि धन विधेयक) के तहत जो मुख्य 6 प्रावधानों की चर्चा की गई है, वो सब तो आता ही है साथ ही साथ कोई अन्य विषय जो अनुच्छेद 110 में नहीं लिखा हुआ है वो भी आता है, जैसे कि विशिष्ट ऋण से संबन्धित कोई प्रावधान।

चूंकि वित्त विधेयक(।) में अनुच्छेद 110 (धन विधेयक) के सारे प्रावधान आते हैं इसीलिए इसे पहले राष्ट्रपति से स्वीकृति लेने की जरूरत पड़ती है। और उसके बाद इसे लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है। लेकिन अनुच्छेद 110 में वर्णित 6 मामलों के इत्तर जितने भी मामले होते हैं, उन मामलों में वित्त विधेयक (I) एक साधारण विधेयक की तरह हो जाता है यानी कि अब इसे राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति की जरूरत नहीं रहती और अब जब ये राज्यसभा में जाएगा तो राज्यसभा इसे रोक के रख सकती है या फिर चाहे तो पारित कर सकती है।

यदि इस प्रकार के विधेयक में दोनों सदनों के बीच कोई गतिरोध होता है तो राष्ट्रपति दोनों सदनों के गतिरोध को समाप्त करने के लिए संयुक्त बैठक बुला सकता है। जबकि धन विधेयक में संयुक्त बैठक बुलाने का कोई प्रावधान नहीं है।

दोनों सदनों से पास होने के बाद जब विधेयक राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है, तो वह या तो विधेयक को अपनी स्वीकृति दे सकता है या उसे रोक सकता है या फिर पुनर्विचार के लिए सदन को वापस कर सकता है। जबकि धन विधेयक में राष्ट्रपति पुनर्विचार के लिए नहीं भेज सकता है।

वित्त विधेयक(॥)

वित्त विधेयक(॥) की चर्चा अनुच्छेद 117 (3) में की गई है। यह इस मायने में खास है कि इसमें अनुच्छेद 110 का कोई भी प्रावधान सम्मिलित नहीं होता है। तो फिर इसमें क्या सम्मिलित होता है? अनुच्छेद 117(3) के अनुसार, जिस विधेयक को अधिनियमित और प्रवर्तित किए जाने पर भारत के संचित निधि से धन व्यय करना पड़े। लेकिन फिर से याद रखिए कि ऐसा कोई मामला नहीं होता, जिसका उल्लेख अनुच्छेद 110 में होता है।

इसे साधारण विधेयक की तरह प्रयोग किया जाता है तथा इसके लिए भी वही प्रक्रिया अपनायी जाती है, जो साधारण विधेयक के लिए अपनायी जाती है। यानी कि इस विधेयक को पहले लोकसभा में पारित करने की भी बाध्यता नहीं होती है इसे जिस सदन में चाहे पेश किया जा सकता है। और राज्यसभा इसे संशोधित भी कर सकती है, रोककर भी रख सकती है या फिर पारित कर सकती है।

इसकी दूसरी ख़ासियत ये है कि वित्त विधेयक(॥) को सदन में प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की स्वीकृति की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन संसद के किसी भी सदन द्वारा इसे तब तक पारित नहीं किया जा सकता, जब तक कि राष्ट्रपति सदन को ऐसा करने की अनुशंसा (Recommendation) न दे दे।

यदि इस प्रकार के विधेयक में दोनों सदनों के बीच कोई गतिरोध होता है तो राष्ट्रपति दोनों सदनों के गतिरोध को समाप्त करने के लिए संयुक्त बैठक बुला सकता है।

जब दोनों सदनों से पास होकर जब विधेयक राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है, तो वह या तो विधेयक को अपनी स्वीकृति दे सकता है या उसे रोक सकता है या फिर पुनर्विचार के लिए सदन को वापस कर सकता है।

तो यही था धन विधेयक और वित्त विधेयक (Money bill and Finance bill), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। संसद से संबन्धित अन्य लेखों को नीचे से पढ़ें।

वित्त विधेयक क्या है समझाइए?

वित्त विधेयक, जो कि सरकार द्वारा प्रस्तावित कराधान उपायों से संबंधित है, को बजट पेश किए जाने के तुरन्त बाद पुरःस्थापित किया जाता है। इसके साथ एक ज्ञापन प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें विधेयक के उपबंधों और देश के वित्त पर इनके प्रभावों को स्पष्ट किया जाता है।

वित्त विधेयक कितने प्रकार के होते हैं?

वित्त विधेयक मुख्यतः 3 प्रकार होते हैं:.
धन विधेयक - अनुच्छेद 110..
वित्त विधेयक (I) - अनुच्छेद 117 (1).
वित्त विधेयक (II) - अनुच्छेद 117 (2).

धन विधेयक और वित्त विधेयक क्या है?

उन्हें संविधान के अनुच्छेद 117 (1) के अंतर्गत वित्तीय विधेयकों की श्रेणी में रखा जाता है। धन विधेयकों की तरह उन्हें राष्ट्रपति की सिफारिश पर केवल लोक सभा में पुर: स्थापित किया जा सकता है । तथापि, धन संबंधी अन्य प्रतिबंध इस श्रेणी के विधेयकों पर लागू नहीं होते।

विधेयक का क्या अर्थ होता है?

विधेयक किसी विधायी प्रस्ताव का प्रारूप होता है। अधिनियम बनने से पूर्व विधेयक को कई प्रक्रमों से गुजरना पड़ता है। विधान संबंधी प्रक्रिया विधेयक के संसद की किसी भी सभा - लोक सभा अथवा राज्य सभा में पुरःस्थापित किये जाने से आरम्भ होती हैं। विधेयक किसी मंत्री या किसी गैर-सरकारी सदस्य द्वारा पुरःस्थापित किया जा सकता है।