ध्वनि का संचालन कैसे होता है? - dhvani ka sanchaalan kaise hota hai?

ध्वनि

ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जिसके कारण हमारे कानों में सुनने का स्पंदन पैदा होता है।

ध्वनि का उत्पादन: जब हम किसी वस्तु में कंपन पैदा करते हैं तो उस कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। जैसे, जब आप किसी टेबल को पीटते हैं या किसी सतह को खुरचते या रगड़ते हैं, किसी चीज पर फूँकते हैं तो उन चीजों में कंपन होता है और फिर ध्वनि निकलती है। मनुष्य के वाकयंत्र के वाकतंतुओं में कंपन होने के कारण आवाज निकलती है।


पदार्थ मिश्रण परमाणु अणु परमाणु संरचना कोशिका ऊतक जीवों में विविधता गति गति के नियम गुरुत्वाकर्षण कार्य और ऊर्जा ध्वनि स्वास्थ्य रोग प्राकृतिक संपदा खाद्य संसाधन

ध्वनि का संचरण

जब किसी वस्तु से ध्वनि निकलती है तो उस वस्तु के आसपास के माध्यम के कणों में कंपन शुरु होता है। सबसे पहले नजदीक वाले कणों में कंपन होता है। उसके बाद आगे के कणों पर बल लगने से उनमें कंपन शुरु हो जाता है। इस प्रकार एक कण से दूसरे कण से होते हुए ध्वनि आगे बढ़ती जाती है। ध्वनि का संचरण हमेशा किसी न किसी माध्यम से होकर होता है; जैसे ठोस, द्रव या गैस। माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ गति करता है न कि माध्यम के कण।

तरंग: यह एक विक्षोभ है जो माध्यम से होकर गति करता है। दूसरे शब्दों में, ध्वनि का गमन तरंग के रूप में होता है। इसलिए इसे ध्वनि तरंग भी कहते हैं। ध्वनि तरंगों का संचरण माध्यम के कणों की गति के कारण होता है इसलिए ध्वनि को यांत्रिक तरंग कहते हैं।

संपीड़न और विरलन: जब किसी वस्तु से ध्वनि उत्पन्न होती है तो कंपन से लगे बल के कारण उसके निकट की वायु के कण एक दूसरे के नजदीक आ जाते हैं। कणों की ऐसी स्थिति को संपीड़न कहते हैं। उसके बाद आगे के कणों का संपीड़न होता है और पहले वाले कण एक दूसरे से दूर चले जाते हैं। इस तरह से पहले वाले कणों का विरलन होता है। संपीड़न और विरलन के क्षेत्र एक के बाद एक पैदा होते रहते हैं। संपीड़न और विरलण की ऋंखला बन जाती है जिससे होकर ध्वनि तरंगे आगे बढ़ती हैं।

ध्वनि का संचालन कैसे होता है? - dhvani ka sanchaalan kaise hota hai?

संपीड़न वाले क्षेत्र में दाब अधिक होता है इसलिए घनत्व अधिक होता है। विरलन वाले क्षेत्र में दाब कम होता है इसलिए घनत्व कम होता है। हम कह सकते हैं कि ध्वनि का संचरण माध्यम के घनत्व में परिवर्तन के कारण होता है।

ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की जरूरत होती है

किसी भी यांत्रिक तरंग के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। इसलिए ध्वनि के संचरण के लिए भी माध्यम की जरूरत होती है। माध्यम के बिना ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता है, यानि निर्वात में ध्वनि का संचरण नहीं हो सकता है।

इसे समझने के लिए एक प्रयोग कर सकते हैं। एक बेल जार, एक विद्युत घंटी और एक निर्वात (वैक्युम) पंप लीजिए। घंटी को बेल जार के भीतर लगाइए। जब आप घंटी बजाएँगे तो आपको उसकी आवाज सुनाई देगी। अब वैक्युम पंप की मदद से बेल जार के भीतर की हवा निकाल दीजिए। इससे बेल जार के भीतर वैक्युम बन जाएगा। अब जब आप घंटी बजाएँगे तो आपको उसकी अवाज नहीं सुनाई देगी। इससे साबित होता है कि ध्वनि के संचरण के लिए माध्यम की जरूरत होती है।

अनुदैर्घ्य तरंग और अनुप्रस्थ तरंग

ध्वनि का संचालन कैसे होता है? - dhvani ka sanchaalan kaise hota hai?

जब तरंग के संचरण की दिशा माध्यम के कणों के कंपन की दिशा के समांतर होती है तो तरंग को अनुदैर्घ्य तरंग कहते हैं। लेकिन जब तरंग के संचरण की दिशा माध्यम के कणों के कंपन की दिशा के लंबवत होती है तो तरंग को अनुप्रस्थ तरंग कहते हैं।

ध्वनि का संचालन कैसे होता है? - dhvani ka sanchaalan kaise hota hai?

इसे समझने के लिए एक स्लिंकी लीजिए। स्लिंकी के एक छोर को किसी कील या हुक से बांध दीजिए। अब स्लिंकी के दूसरे छोर को सीधा खींचकर ढ़ील दे दीजिए। आप देखेंगे की स्लिंकी में संपीड़न और विरलन के क्षेत्र बन रहे हैं। ऐसे में उत्पन्न होने वाली तरंग अनुदैर्घ्य तरंग है। ध्वनि अनुदैर्घ्य तरंग होती है।

अब स्लिंकी को ऊपर नीचे हिलाइए। इससे स्लिंकी में उत्पन्न होने वाला तरंग अनुप्रस्थ तरंग है, क्योंकि स्लिंकी में होने वाला कंपन ऊपर नीचे है जबकि तरंग का संचरण स्लिंकी के एक छोर से दूसरे छोर तक हो रहा है। जब आप पानी से भरे तालाब में पत्थर फेंकते हैं तो उससे पानी ऊपर नीचे की ओर हिलता है। लेकिन पानी में उठने वाली तरंग वृत्त के आकार में केंद्र से परिधि की ओर जाती हैं। यानि तरंग के संचरण की दिशा कणों के कंपन की दिशा के लंबवत है।


ध्वनि तरंग के अभिलक्षण

ध्वनि तरंग के तीन अभिलक्षण होते हैं: आवृत्ति, आयाम और गति

तरंग दैर्घ्य: दो क्रमागत संपीड़नों या विरलनों के बीच की दूरी को तरंग दैर्घ्य कहते हैं। तरंग दैर्घ्य को ग्रीक भाषा के अक्षर लैम्ब्डा (λ) से दिखाते हैं। इसका SI मात्रक मी (m) है। जब तरंग को वक्र से दिखाया जाता है वक्र के सबसे ऊपरी बिंदु को शिखर और सबसे निचले बिंदु को गर्त कहते हैं। दो क्रमागत शिखरों या गर्तों के बीच की दूरी को तरंग दैर्घ्य कहते हैं।

आवृत्ति: जब कोई घटना बार बार होती है तो उसमें आवृत्ति होती है यानि बारंबारता होती है। इकाई समय में होने वाले कंपन या दोलनों की संख्या को तरंग की आवृत्ति कहते हैं। जब तरंग एक संपीड़न से एक विरलन होते हुए अगले संपीड़न तक पहुँचती है तो एक दोलन होता है। दूसरे शब्दों में, जब तरंग एक शिखर से गर्त तक जाती है और फिर शिखर तक पहुँचती है तो एक कंपन या दोलन पूरा होता है। इसे ग्रीक अक्षर न्यू (ν) से दिखाया जाता है। आवृत्ति का SI मात्रक हर्ट्ज (Hz) है।

आवर्त काल: दो क्रमागत संपीड़नों या विरलनों को एक बिंदु से गुजरने में लगने वाले समय को आवर्त काल कहते हैं। दूसरे शब्दों में, एक दोलन में लगे समय को आवर्त काल कहते हैं। इसे T अक्षर से दिखाया जाता है और इसका SI मात्रक सेकंड (s) है। आवृत्ति और आवर्त काल के संबंध को इस समीकरण द्वारा दिखाया जा सकता है।

`ν=1/T`

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तारत्व: किसी ध्वनि की आवृत्ति को हमारा मस्तिष्क किस प्रकार अनुभव करता है उसे तारत्व कहते हैं। अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि का तारत्व अधिक होता है जबकि कम आवृत्ति वाली ध्वनि का तारत्व कम होता है।

ध्वनि का संचालन कैसे होता है? - dhvani ka sanchaalan kaise hota hai?

आयाम: किसी माध्यम में मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विक्षोभ को आयाम कहते हैं। ध्वनि की प्रबलता उसके आयाम पर निर्भर करती है। यानि जब आयाम अधिक होता है तो ध्वनि जोर से सुनाई देती है। जब किसी ढ़ोल को जोर से पीटते हैं तो आयाम अधिक होने के कारण ढ़ोल की आवाज जोर से सुनाई देती है।

वेग: तरंग के किसी बिंदु द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी को वेग कहते हैं। यानि एक संपीड़न या एक विरलन द्वारा इकाई समय में तय की गई दूरी को वेग कहते हैं।

वेग = दूरी ÷ समय

या, v = `(λ)/T=λxx1/T`

चूँकि `λxx1/T=ν`

इसलिए `v=λν`

या, वेग = तरंग दैर्घ्य × आवृत्ति

किसी माध्यम में समान भौतिक परिस्थितियों में ध्वनि का वेग सभी आवृत्तियों के लिए लगभग समान होता है।

विभिन्न माध्यमों में ध्वनि की चाल: ठोस में ध्वनि की चाल सबसे अधिक रहती है, द्रव में उससे कम और गैस में सबसे कम होती है। तापमान बढ़ने के साथ ध्वनि की चाल बढ़ जाती है। वायु में ध्वनि की चाल 0°C पर 331 m s-1 और 22°C पर 344 m s-1 होती है।


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ध्वनि कैसे संचालित होती है?

ध्वनि का संचरण कैसे होता है हम जान चुके है की वस्तुओं में कम्पन से ध्वनि उत्पन्न होती है. जब कोई वस्तु कम्पन करती है तो अपने नजदीक के माध्यम के कणों को कंपमान कर देती है. नजदीक के कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित होकर पुनः अपने नजदीक के कण को विस्थापित कर देते है.

ध्वनि संचरण के लिए क्या आवश्यक है?

ध्वनि एक यांत्रिक तरंग है और इसके संचरण के लिए किसी माध्यम; जैसे-वायु, जल, स्टील आदि की आवश्यकता होती है। यह निर्वात में होकर नहीं चल सकती।

ध्वनि संचरण से आप क्या समझते हैं?

प्रश्न :- ध्वनि संचरण किसे कहते हैं उत्तर :- ध्वनि (Sound) एक स्थान से दूसरे स्थान तक तरंगों के माध्यम से पहुंचती है, इसे तरंग संचरण कहते हैं! ध्वनि संचरण के लिए किसी न किसी माध्यम जैसे – ठोस, द्रव और गैस का होना आवश्यक है! ध्वनि निर्वात में होकर नहीं चल सकती हैं!

ध्वनि कैसे उत्पन्न हाती है?

मानव वाक्-तंतुओं के कंपन द्वारा ध्वनि उत्पन्न करते हैं। ध्वनि किसी माध्यम (गैस, द्रव या ठोस ) में संचरित होती है। यह निर्वात में संचरित नहीं हो सकती।