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दूध एक अपारदर्शी श्वेत द्रव है जो मादाओं के स्तन ग्रंथियों द्वारा बनाया जता है। नवजात शिशु तब तक दूध पर निर्भर रहता है जब तक वह अन्य पदार्थों का सेवन करने में अक्षम होता है। साधारणतया दूध में ८५ प्रतिशत जल होता है और शेष भाग में ठोस तत्व अर्थात खनिज व वसा होता है। गाय-भैंस के अतिरिक्त हाट-बाजार में विभिन्न कंपनियों का पैक्ड दूध भी उपलब्ध होता है। दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -२) युक्त होता है, इनके अतिरिक्त इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसको छोड़ इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।[2] विभिन्न स्रोत[संपादित करें]गाय का दूध[संपादित करें]गाय के दूध में प्रति ग्राम ३.१४ मिली ग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। आयुर्वेद के अनुसार गाय के ताजा दूध को ही उत्तम माना जाता है। गाय का दूध पतला होता हे जो शरीर में सरलता से पच जाता है। जो लोग थोड़ा खाया करते हे उनकेे लिए गााय का दूध बढ़िया रहता है। सर्वोच्च प्रति-व्यक्ति गाय दुग्ध उपयोक्ता (२००६)[3]
भैंस का दूध[संपादित करें]
पैक्ड दूध[संपादित करें]इस तरह का दूध मदर डेयरी, अमूल, पराग, आँचल जैसी कंपनियां सप्लाई करती हैं। इसमें विटामिन ए, लौह और कैल्शियम ऊपर से भी मिलाया जाता है। इसमें भी कई तरह के जैसे फुल क्रीम, टोंड, डबल टोंड और फ्लेवर्ड मिल्क मिलते हैं। फुल क्रीम में पूर्ण मलाई होती है, अतः वसा सबसे अधिक होता है। इन सभी की अपनी उपयोगिता है, पर चिकित्सकों की राय अनुसार बच्चों के लिए फुल क्रीम दूध बेहतर है तो बड़ों के लिए कम फैट वाला दूध। दूध का मूल्यवर्धन[संपादित करें]दूध एक पूर्ण, स्वच्छ, स्तन ग्रन्थियों का झारण है। पौष्टिकता की दृष्टि से दूध एक मात्र सम्पूर्ण आहार है जो हमको प्रकृति की देन है। हमारे शरीर को लगभग तीस से अधिक तत्वों की आवश्यकता होती है। कोई भी अकेला पेय या ठोस भोज्य पदार्थ प्रकृति में उपलब्ध नहीं है जिससे इन सबको प्राप्त किया जा सके। परन्तु दूध से लगभग सभी पोषक तत्व प्राप्त हो जाते हैं। इसलिए बच्चों के लिए सन्तुलित व पूर्ण भोजन का स्तर दिया गया है। दूध में मौजूद संघटक हैं पानी, ठोस पदार्थ, वसा, लैक्टोज, प्रोटीन, खनिज वसाविहिन ठोस। अगर हम दूध में मौजूद पानी की बात करें तो सबसे ज्यादा पानी गधी के दूध में 91.5% होता है, घोड़ी में 90.1%, मनुष्य में 87.4%, गाय में 87.2%, ऊंटनी में 86.5%, बकरी में 86.9% होता है। दूध की उत्पादन का लक्ष्य 12वें पंचवर्षीय प्लान (2010-2017) में बढ़कर 26.95 लाख मैट्रिक टन करने की है जबकि 2010-11 में हमारी दूध की मांग या जरूरत 33.69 लाख मैट्रिक टन थी। यह आंकड़े यह दर्शाते हैं कि हमारी पूर्ति माँग से काफी कम है जिसके लिए हमें नस्ल सुधार से लेकर जानवरों के लिए चारा, दाना, पानी और प्रबंधन पर बहुत ज्यादा मेहनत की जरूरत है। दूध सम्पूर्ण आहार के साथ-साथ जल्दी खराब हो जाने वाली पेय है। इसलिए दूध के स्वरूप को बदल कर हम ज्यादा दिनों तक रख सकते हैं साथ ही साथ दूध के मूल्यवर्धन द्वारा ज्यादा आमदनी बना सकते हैं। दूध से उत्पादित पदार्थों के पहले हमें यह जानकारी हासिल करना जरूरी है कि दूध की मांग किस रूप में ज्यादा है। दूध के प्रकार[संपादित करें](क) सम्पूर्ण दूध- स्वस्थ पशु से प्राप्त किया गया दूध जिसके संघटन में ठोस परिवर्त्तन न किया गया हो, पूर्ण दूध कहलाता है। इस प्रकार के दूध को गाय, बकरी, भैंस की दूध कहलाती है। पूर्ण दूध में वसा तथा वसाविहीन ठोस की न्यूनतम मात्रा गाय में 3.5% तथा 8.5% और भैंस में 6% तथा 9%, क्रमशः रखी गई है। (ख) स्टेण्डर्ड दूध- यह दूध जिसमें वसा तथा वसाविहीन ठोस की मात्रा दूध से क्रीम निकल कर दूध में न्यूनतम वसा 4.5% तथा वसाविहीन ठोस 8.5% रखी जाती है। (ग) टोण्ड दूध- पूर्ण दूध में पानी तथा सप्रेश दूध पाऊडर को मिलाकर टोण्ड दूध प्राप्त किया जाता है जिसकी वसा 3% तथा वसाविहीन ठोस की मात्रा 8.5% निर्धारित की गयी है। (घ) डबल टोण्ड दूध- इस दूध में वसा 1.5% तथा वसाविहीन ठोस 9% निर्धारित रहती है। (ड.) रिक्न्सटिट्यूटेड दूध- जब दूध के पाऊडर को पानी में घोल कर दूध तैयार किया जाता है जिसमें 1 भाग दूध पाऊडर तथा 7 से 8 भाग पानी मिलाते हैं तो उसमें रिकन्सटिट्यूटेड दूध कहते हैं। (च) रिकम्बाइण्ड दूध- यह दूध जो बटर आयल, सप्रेस दूध पाऊडर तथा पानी की निश्चित मात्राओं को मिलाकर तैयार किया जाता है उसे रिकम्बाइण्ड दूध कहते हैं। जिसमें वसा की मात्रा 3% तथा वसाविहीन ठोस की मात्रा 8.5% निर्धारित की गई है। (छ) फिल्ड दूध- जब पूर्ण दूध में से दुग्ध वसा को निकाल कर उसके स्थान पर वनस्पति वसा को मिलाया जाता है उसे फिल्ड दूध कहते हैं। दूध का समांगीकरण (homogenization)[संपादित करें]इस प्रक्रिया में यांत्रिक विधि द्वारा दूध की वसा गोलिकाओं तथा दूध के सीरम को एक समान आकार वाले छोटे-छोटे कणों में विभाजित किया जाता है ताकि दूध और वसा एक में समाहित रह सके तथा अलग-अलग न हों। इस प्रक्रिया का उपयोग फ्लेवर्ड दूध बनाने के लिए उपयोगी होता है जैसे सोया मिल्क, स्ट्रोबेरी फ्लेबर्ड मिल्क, मिल्क सेक, आइस्क्रीम मिक्स इत्यादि। इससे यह फायदा होता है कि दूध आसानी से पचाया जा सकता है। बच्चे एवं उम्रदराज लोगों के लिए भी समान्यरूप से सुपाच्य है तथा इस प्रकार के दूध से वसा तथा क्रिम अलग करना सम्भव नहीं होता है। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद दही एवं आइस्क्रीम मूलायम हो जाता है। इन प्रक्रिया में फायदा है तो साथ में नुकसान भी है जैसे कि दूध को गर्म करने पर कुछ प्रोटीन फट जाते हैं, दूध में जलने की गंध आती है, विटामिन बी एवं सी खत्म हो जाती है तथा इस प्रकार के दूध के रख रखाव में अति सावधानी बरतनी पड़ती है।[6] होमोजिनाइजन प्रक्रिया दूध की प्राप्ति ↓दूध को 5 डिग्री सेल्सियस ठंढा करना ↓दूध को एक जगह इक्ट्ठा करना ↓दूध का स्टैण्डड्राईजेशन ↓दूध को छानना ↓दूध का होमोजिनाइजेशन 60 डिग्री सेल्सियस तथा 2500 पौंड प्रति वर्ग इंच के दवाब से निकालना ↓दूध का निरोगन 72 डिग्री सेल्सियस पर (15 सेकेण्ड पर) ↓दूध को भरना तथा पैकेट या बोतल में बंद करना ↓दूध को ठंढ़ा करना (5 डिग्री सेल्सियस तक) ↓दूध का सुरक्षित रखना (5 डिग्री सेल्सियस ताप पर)दूध से बने पदार्थ[संपादित करें]संघनित पूर्ण दूध पदार्थ खीर, खोआ, रबड़ी, कुल्फी, आईस्क्रीमपूर्ण दूध जमाकर बनने वाले पदार्थ दूध से मथकर बना पदार्थ मक्खन, घी, लस्सी, मट्ठादुग्ध से बने विभिन्न उत्पाद खोआ - दूध से जल को तीव्र गति से वाष्पित करने को हम खोआ कहते हैं। इसमें ताप को तेज रखकर ऊबाला जाता है तथा दूध को हर वक्त चलाते रहना होता है। दूध गर्म करने का बर्त्तन का मुँह चौड़ा होना चाहिए। अंतिम वक्त में तापक्रम कम रखना चाहिए नहीं तो खोआ जलने की संभावना अधिक होती है। अगर इसे पैक करके बाजार में बेचना हो तो नमी अवरोधक बटर पेपर में पैकिंग करना चाहिए। कपड़े से छान कर इसका पानी बाहर कर देते हैं तथा ठोस श्रीखंड तैयार हो जाता है। इसमें पीसी हुई चीनी (45%) मिला देते हैं तथा 5 डिग्री सेल्सियस पर ठंढ़ा करने को रखते हैं। मक्खन बनाना - मक्खन एक दूध पदार्थ है, जो क्रीम को मथने से प्राप्त होता है। जिसमें वसा 80% तथा जल 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। घी बनाना- जब हम दही से मक्खन बनाते हैं और उस मक्खन को कड़ाही में गर्म करते हैं तो मक्खन पीघल जाता है। पिघलने के बाद मक्खन तरल में परिवर्तित हो जाती है। अब पतली मखमली कपड़े से छान कर हम घी निकाल लेते हैं। लस्सी बनाना- दही में पानी तथा मक्खन मिलाकर मथनी से मथ लेते हैं इसके पश्चात उसमें चीनी मिला देते हैं और अपनी पसंद के अनुरूप उसमें सूखे मेवे डाल कर लस्सी बनाते हैं। रबड़ी बनाना- यह एक मीठा संघनित पूर्ण दूध पदार्थ है। इसको बनाने के लिए चौड़े मुँह वाले बर्त्तन में गर्म करना चाहिए। उबलते हुए दूध के ऊपर पत्तली परत जम जाती है जिसको इक्ट्ठा करके रखते हैं और यह प्रक्रिया चलती रहती है जब तक दूध बर्त्तन में गाढ़ा नहीं हो जाए। जब बर्त्तन में दूध की मात्रा 1/6 तब बच जाए तब तक यह क्रिया चलती रहती है। अब सारे जमे हुए क्रीम को इक्ट्ठा करके उसमें चीनी मिला देते हैं। आइस्क्रीम- दूध को गाढ़ा करके उसमें कस्टर्ड पाऊडर, चीनी, काजु, किसमिस, बदाम तथा छोहाड़ा भी मिला सकते हैं। इस तैयार मिश्रण को फ्रीज में 4-5 डिग्री सेल्सियस पर जमने के लिए अपनी मनचाही बर्त्तन में छोड़ देते हैं। इस प्रकार आइस्क्रीम तैयार हो जाती है दूध की आवश्यकता[संपादित करें]इंटरनेशनल डेयरी जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ मायने में किए गए एक शोध से यह बात साबित हो चुकी है कि जो लोग रोजाना कम से कम एक ग्लास दूध पीते हैं, वे उन लोगों की तुलना में हमेशा मानसिक और बौद्धिक तौर पर बेहतर स्थिति में होते हैं, जो दूध का सेवन नहीं करते। सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
दूध में सबसे ज्यादा क्या पाया जाता है?दूध प्रोटीन, कैल्शियम और राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -२) युक्त होता है, इनके अतिरिक्त इसमें विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज और वसा तथा ऊर्जा भी होती है। इसको छोड़ इसमें कई एंजाइम और कुछ जीवित रक्त कोशिकाएं भी हो सकती हैं।
दूध में किसकी मात्रा होती है?दूध में सभी प्रमुख खनिज पदार्थ जैसे कैल्सियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, क्लोराइड, पोटैशियम एवं सल्फर शरीर की आवश्यकता के अनुसार अच्छी मात्रा में पाए जाते है।
दूध में कौन सा प्रोटीन पाया जाता है नाम बताइए?बीटा केसीन जो कि केसीन प्रोटीन का एक हिस्सा है उसे भी दो प्रकार से दूध में पाया जाता है जिनका नाम ए1 एवं ए2 है। ये दोनों प्रकार का प्रोटीन गाय के दूध से प्राप्त होता है जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी है।
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