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मैस्टाइटिस क्या है?मैस्टाइटिस आपके स्तन ऊत्तकों में होने वाली सूजन व असहजता है। यह सूजन बहुत जल्दी इनफेक्शन का रूप ले सकती है, जिसका मतलब है कि सूजे हुए ऊत्तकों में जीवाणु (बैक्टीरिया) विकसित होने लगते हैं। हो सकता है अपने स्तनों के क्षेत्र में आप निम्नांकित समस्याएं महसूस करें:
आपको गांठ भी महसूस हो सकती है, जो कि स्तन में दूध इकट्ठा होने की वजह से होती है। इसे अक्सर अवरुद्ध नलिका (ब्लॉक्ड डक्ट) कहा जाता है, हालांकि वास्तव में यह कोई रुकावट होने की वजह से नहीं होता। यहां आपका बैक-अप यानि अतिरिक्त दूध रिसकर आपके स्तन ऊत्तकों में आ गया है, जिससे इनमें सूजन हो गई है। स्तन में गांठ वाला क्षेत्र आपको शायद पत्ती के आकार का (वेज शेप) का लगेगा क्योंकि आसपास की नलिका, छोटी नलिकाएं और एल्वियोली सभी में सूजन होगी। आपको फ्लू के लक्षण भी महसूस हो सकते हैं, जैसे कि:
आमतौर पर स्तनपान करवाने वाली 10 में से एक माँ को मैस्टाइटिस होता है। बोतल से दूध पिलाने वाली कुछ माँओं को भी मैस्टाइटिस हो जाता है। आपके स्तनों के माप का इससे कोई लेना-देना नहीं है। इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि बड़े या छोटे स्तनों वाली महिलाओं को मैस्टाइटिस होने की संभावना ज्यादा या कम रहती है। मैस्टाइटिस होना काफी पीड़ादायी है, मगर सही उपाय या विकल्पों से इसे जल्द ही ठीक किया जा सकता है। यह आमतौर पर एक स्तन में ही होता है, मगर एक बार में दोनों स्तनों में होना भी संभव है। दुर्भाग्यवश, आपको मैस्टाइटिस एक से ज्यादा बार भी हो सकता है। स्तनपान करवाने वाली माँओं में मैस्टाइटिस होने के क्या कारण हैं?मैस्टाइटिस अधिकांशत: स्तन में दूध के बढ़ जाने पर होता है क्योंकि दूध जितनी जल्दी बन रहा है उतनी शीघ्रता से निकाला नहीं जा रहा है (मिल्क स्टेसिस)।मिल्क स्टेसिस की स्थिति तब होती है जब स्तनपान के दौरान शिशु स्तनों से पर्याप्त दूध नहीं ले पा रहा हो। ऐसा शिशु द्वारा स्तन सही ढंग से मुंह में न ले पाने (लैचिंग) की वजह से हो सकता है। यदि शिशु एक स्तन में सही ढंग से लैच नहीं कर रहा, तो इससे निप्पल में दर्द हो सकता है और आपके लिए उस स्तन से दूध पिलाना मुश्किल हो सकता है। इससे अतिपूरित स्तन, मिल्क स्टेसिस और फिर मैस्टाइटिस हो सकता है। यदि आपका शिशु किसी एक स्तन से दूध पीना ज्यादा पसंद करता है, तो जिस स्तन से वह कम बार दूध पीता है उसमें मैस्टाइटिस होने का खतरा ज्यादा होता है। मिल्क स्टेसिस और फिर मैस्टाइटिस होने के निम्न कारण हो सकते हैं:
पहली बार माँ बनी महिलाओं में मैस्टाइटिस होने की संभावना अधिक होती है, हालांकि पहले भी स्तनपान करवा चुकी माँओं को भी यह हो सकता है। मैस्टाइटिस स्तनपान के किसी भी दौर में हो सकता है। हालांकि, यह पहले तीन माह में अधिक आम है, विशेषतौर पर दूसरे या तीसरे सप्ताह में, जब आप स्तनपान की आदि होने का प्रयास कर रही होती हैं। मैस्टाइटिस को पैसिफायर या सूदर या फिर बोतल इस्तेमाल करने वाले शिशुओं से भी जोड़ा गया है। इन चीजों के इस्तेमाल की वजह से शिशु स्तनों पर ज्यादा समय नहीं लगा रहता और साथ ही ये स्तनों को मुंह में लेने के तरीके को भी प्रभावित करते है। यदि आपके शिशु को टंग टाई है, तो भी उसे स्तनों को सही ढंग से मुंह में लेने में दिक्कत हो सकती है। मैस्टाइटिस का उपचार कैसे किया जा सकता है?प्रभावित स्तन से भी शिशु को स्तनपान कराती रहें। हालांकि, ऐसा करने में आपको बहुत दर्द हो सकता है, मगर यदि आप उस स्तन से दूध पिलाना बंद कर देंगी तो मैस्टाइटिस और अधिक बिगड़ सकता है।यदि आपकी तबियत ठीक न लगे या शिशु को स्तनपान करवाने से भी सूजन व असहजता में कोई फर्क न पड़े तो डॉक्टर से मिलें। यदि कुछ दिनों से आपको मैस्टाइटिस और इसमें इनफेक्शन हो गया है तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवाएं दे सकते हैं, जिनका सेवन स्तनपान के दौरान सुरक्षित हो। यहां कुछ घरेलू तरीके भी बताए गए हैं जिनका इस्तेमाल आप एंटीबायोटिक लेने या न लेने पर भी कर सकती हैं:
यदि आपको सुधार न लगे तो डॉक्टर से मिलने को टाले न। यदि मैस्टाइटिस ठीक न हो तो यह स्तन फोड़े का रूप ले सकता है। यह स्तन के अंदर मवाद इकट्ठी होने की स्थिति है और मैस्टाइटिस से ग्रस्त कुछ महिलाओं को होती है। यदि आपको स्तन फोड़ा है तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता की जरुरत होगी और कई बार मवाद या पस निकालने के लिए आॅपरेशन भी करना पड़ता है। फोड़ा लाल और छूने पर गर्म महसूस हो सकता है इसमें सूजन हो सकती है और आपको तेज बुखार भी हो सकता है। यदि आपका शिशु सही ढंग से स्तनपान नहीं कर रहा या उचित ढंग से लैच नहीं कर पा रहा तो डॉक्टर से मदद लें। वे आपको किसी स्तनपान सलाहकार या नवजात फीडिंग स्पेशलिस्ट के पास जाने को कह सकती हैं। मदद के लिए आप हमारी स्तनपान संस्थाओं की सूची भी देख सकती हैं। मैस्टाइटिस कितने समय तक रहता है?यदि इसका पता जल्दी चल जाए, तो मैस्टाइटिस का उपचार आसान और जल्द है और आपको आराम आने में ज्यादा समय भी नहीं लगेगा। यदि आप एंटीबायोटिक का कोर्स शुरु करती हैं, तो सुनिश्चित करें कि यह कोर्स पूरा करें।यदि आपके स्तन में दर्द रहे और एंटीबायोटिक दवाएं लेने के कुछ दिन बाद भी आपको बुखार रहे तो दोबारा डॉक्टर को दिखाएं। ऐसा किस तरह के बैक्टीरिया की वजह से हो रहा है, यह जानने के लिए हो सकता है आपको टेस्ट करवाने की जरुरत हो। इस तरह आपको सही दवा देना आसान रहेगा। यदि मुझे मैस्टाइटिस है, तो क्या स्तनपान करवाना बंद कर देना चाहिए?नहीं, यह जरुरी है कि मैस्टाइटिस होने पर आप स्तनपान करवाना जारी रखें। दूध का प्रवाह बना रहे तो बेहतर है इससे आपको ठीक होने में मदद मिलेगी। हालांकि कई बार ऐसा करने में बहुत दर्द महसूस होगा, मगर आपको शिशु को जितनी बार वह चाहे उतनी ज्यादा बार स्तनपान करवाना होगा।यदि आपको स्तनपान करवाने में बहुत ही ज्यादा दर्द हो, तो हर बार स्तनपान करवाने से पहले स्तनों पर कई मिनटों तक गर्म सिकाई करें। इससे लेटडाउन रिफ्लेक्स होने में मदद मिलेगी और स्तनपान करवाना आपके लिए सहनीय होगा। यदि प्रभावित स्तन से शिशु पूरा दूध खत्म न करें या स्तनपान करवाने में बहुत दर्द हो तो आप ब्रेस्ट पंप से दूध एक्सप्रेस कर सकती हैं। यह दूध आप उसे पलड़ाई, कटोरी या बोतल से पिला सकती हैं। क्या स्तनपान करने पर शिशु पर मैस्टाइटिस का असर होगा?हालांकि आप अस्वस्थ व असहज महसूस कर सकती हैं, मगर मैस्टाइटिस से आपके शिशु पर असर नहीं होगा। शिशु के लिए आपके प्रभावित स्तन से दूध पीना एकदम सुरक्षित है, मगर उसे दूध सामान्य की तुलना में अधिक नमकीन लग सकता है।यदि आपको रोगजनक मैस्टाइटिस हो और शिशु दूध में मौजूद बैक्टीरिया भी गटक ले तो भी ये उसके पेट में मौजूद एसिड की वजह से मर जाएंगे। Click here to see the English version of this article! हमारे लेख पढ़ें:
ReferencesMangesi L, Zakarija-Grkovic I. 2016. Treatments for breast engorgement during lactation. Cochrane Database Syst Rev 28: CD006946. www.ncbi.nlm.nih.govNHS. 2016. Mastitis.NHS Choices, Health A-Z. www.nhs.uk NICE. 2015. Mastitis and breast abscess. National Institute for Health and Care Excellence, Clinical Knowledge Summaries. cks.nice.org.uk Walker M. 2016. Breastfeeding management for the clinician: using the evidence. 4th ed. Burlington, Massachussetts: Jones and Bartlett Publishers. Show references Hide references दूध में गांठ पड़ जाए तो क्या करना चाहिए?स्तनों में बदलाव नजर आने पर डॉक्टर को तुरंत दिखाना जरूरी है। स्तन में गांठ का पता चलना चिंता का कारण हो सकता है, मगर स्तन की ज्यादातर गांठें कैंसर-मुक्त होती हैं और इन्हें इलाज की जरूरत नहीं होती है।
गांठ कैसे खत्म करें?अगर शरीर में बहुत अधिक गांठे है तो शिला सिंदूर 4 ग्राम, प्रभाल पिष्टी 10 ग्राम के साथ मोती और गिलोय मिलाकर सात पूड़िया बना लें। इसे सुबह-शाम खिलाएं। इससे 99 प्रतिशत तक गांठ से निजात मिल जाता है। एक से 3 माह में लाभ मिल जाता है।
क्या दूध में गांठ हो जाती है?मैस्टाइटिस क्या है? आपको गांठ भी महसूस हो सकती है, जो कि स्तन में दूध इकट्ठा होने की वजह से होती है। इसे अक्सर अवरुद्ध नलिका (ब्लॉक्ड डक्ट) कहा जाता है, हालांकि वास्तव में यह कोई रुकावट होने की वजह से नहीं होता। यहां आपका बैक-अप यानि अतिरिक्त दूध रिसकर आपके स्तन ऊत्तकों में आ गया है, जिससे इनमें सूजन हो गई है।
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