तीसरे दिन की सुबह अतिथि ने क्या कहा? - teesare din kee subah atithi ne kya kaha?

कैलेंडर की तारीखें किस तरह फड़फड़ा रही है?


कैलेंडर की तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से पंछी के पंखों की तरह फड़फड़ा रही है।

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निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में लिखिए-
अतिथि कितने दिनों से लेखक के घर पर रह रहा है?


अतिथि लेखक के घर पर पिछले चार दिनों से रह रहा था और अभी तक जाने का नाम नहीं ले रहा था।

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दोपहर के भोजन को कौन-सी गरिमा प्रदान की गई?


दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई अर्थात दोपहर के भोजन को लंच जैसा शानदार बनाया गया।

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 पति-पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?


पति ने स्नेह से भीगी मुस्कुराहट से मेहमान को गले लगाकर उसका स्वागत किया। रात के भोजन में दो प्रकार की सब्जियों और रायते के अलावा मीठी चीजों का भी प्रबन्ध किया गया था। उनके आने पर पत्नी ने उनका स्वागत सादर प्रणाम करके किया था।

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तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा?


तीसरे दिन सुबह अतिथि ने लॉण्ड्री में कपड़े देने को कहा क्योंकि वह उससे कपड़े धुलवाना चाहता था।

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तीसरे ने की सुबह अतिथि ने लेखक को क्या कहा?

उत्तर: दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की गई। Question 5: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा? उत्तर: तीसरे दिन सुबह अतिथि ने कहा कि वह धोबी को कपड़े देना चाहता है।

तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा 1?

तीसरे दिन सुबह अतिथि ने क्या कहा? अतिथि ने तीसरे दिन कहा कि वह अपने कपड़े धोबी को देना चाहता है। प्रश्न 6.

लेखक को अतिथि से क्या उम्मीद थी?

लेखक अतिथि से उम्मीद करता है कि सूर्य की किरणें जब चूमेगी और अतिथि घर लौटने का सम्मानपूर्ण निर्णय ले लेगा । लेखक अपने मन ही अतिथि से कहता है कि लेखक जानता है कि अतिथि देवता होता है, पर आखिर लेखक भी मनुष्य ही है। लेखक कोई अतिथि की तरह देवता नहीं है। लेखक कहता है कि एक देवता और एक मनुष्य अधिक देर साथ नहीं रहते।

पति और पत्नी ने मेहमान का स्वागत कैसे किया?

पति ने स्नेह से भीगी मुस्कुराहट से मेहमान को गले लगाकर उसका स्वागत किया। रात के भोजन में दो प्रकार की सब्जियों और रायते के अलावा मीठी चीजों का भी प्रबन्ध किया गया था। उनके आने पर पत्नी ने उनका स्वागत सादर प्रणाम करके किया था।