पर्यावरण की सुरक्षा एवं पर्यावरण में सुधार करने के उद्देश्य से पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (Environment
(Protection Act-EPA), 1986 को अधिनियमित किया गया था। पृष्ठभूमि: EPA का अधिनियमन जून, 1972 (स्टॉकहोम सम्मेलन) में स्टॉकहोम में आयोजित "मानव पर्यावरण पर संयुक्त
राष्ट्र सम्मेलन" को देश में प्रभावी बनाने हेतु किया गया। ज्ञातव्य है कि भारत ने 'मानव पर्यावरण में सुधार के लिये उचित कदम उठाने हेतु आयोजित' इस सम्मेलन में भाग लिया था। संवैधानिक प्रावधान:
अधिनियम का विस्तार क्षेत्र: यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर राज्य सहित पूरे भारत में लागू है। ईपीए अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ
अधिनियम की कमियाँ
राष्ट्रीय पर्यावरण अपीलीय प्राधिकरण (National Environment Appellate Authority- NEAA) और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT)
EPA के तहत जारी महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ
पर्यावरण संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जिसका भारत एक हस्ताक्षरकर्त्ता है:
× पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु कौन से संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं?संवैधानिक प्रावधान:
EPA को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत अधिनियमित किया गया था, जो अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को प्रभावी करने के लिये कानून बनाने का प्रावधान करता है। संविधान का अनुच्छेद 48A निर्दिष्ट करता है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 6 के अधिन भी ध्वनि प्रदूषकों सहित वायु तथा जल प्रदूषकों की अधिकता को रोकने के लिए कानून बनाने का प्रावधान है। इसका प्रयोग करते हुए ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण ) अधिनियम, 2000 पारित किया गया है।
पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार के द्वारा क्या क्या कदम उठाये गये है विस्तार से लिखिए?वनरोपण के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी)
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) के माध्यम से एनटीपीसी और अन्य सदस्यों की विद्युत परियोजनाओं, वन रोपण के लिए उचित भूमि की पहचान करना, जिसे राज्य वन विभागों/जिला विकास प्राधिकरणों आदि के साथ समन्वित किया जाएगा।
भारत सरकार द्वारा पर्यावरण के परिरक्षण संरक्षण अधिनियम कब पारित किया गया था?पर्यावरण संरक्षण अधिनियम भारत की संसद द्वारा 1986 में पारित किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत। यह 19 नवंबर 1986 को लागू हुआ। इस अधिनियम का उद्देश्य मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के निर्णयों को लागू करना था।
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