भूकम्पीयतरंगे Show सामान्यतः भूकम्पीय तरंगों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है- 1- भूगर्भीयतरंगे - 'P' तरंगें तथा 'S' तरंगे 2- धरातलीयतरंगे - 'L' तरंगे Pतरंगें
S तरंगें
L तरंगें
अनुदैध्र्य तरंगे-इसमें कणों का कंपन/दोलन तरंग की दिशा के समानांतर होता है, जैसे-ध्वनि तरंगें। अनुप्रस्थतरंगे-इसमें कणों का कंपन या दोलन तरंग की दिशा के लम्बवत होता है, जैसे-प्रकाश तरंगें। भूकम्पीयतरंगोंकासंचरण
भूकम्पीयतरंगोंकाछायाक्षेत्र
तीन प्रकार की भूकंपीय तरंगे कौन सी है?पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंग उत्पन्न होती है जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती है। भूकंपीय तरंग P, S तथा L प्रकार की होती है, जिनमें P तरंग ठोस, तरल एवं गैस तीनों माध्यम में गमन करती है, वहीं S तरंग केवल ठोस पदार्थों के माध्यम में ही गमन कर सकती है।
भूगर्भिक तरंगे कितने प्रकार की होती है?बुनियादी तौर पर भूकंपीय तरंगें दो प्रकार की हैं - भूगर्भिक तरंगें (Body waves) व धरातलीय तरंगें (Surface waves)। भूगर्भिक तरंगें उद्गम केंद्र से ऊर्जा के मुक्त होने के दौरान पैदा होती हैं और पृथ्वी के अंदरूनी भाग से होकर सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं। इसलिए इन्हें भूगर्भिक तरंगें कहा जाता है।
भूकंपीय तरंगें क्या हैं और उनके प्रकार क्या हैं?भूकंपीय तरंगें तीन प्रकार की होती हैं (i) P तरंगें या प्राथमिक तरंगें, (ii) S तरंगें या द्वितीयक तरंगें और (iii) L तरंगें या सतही तरंगें। ये संपीडन तरंगें हैं जो चट्टान के कणों के अनुदैर्ध्य दिशा में कंपन करने के कारण बनती हैं। P तरंगों की गति सबसे तेज होती है इसलिये वे पहले भूकंपीय स्टेशन पर पहुँचती हैं।
भूकंप तरंगे कौन सी है?भूकंप के समय उठने वाले कंपन से निकलनेवाली तरंगों को ही भूकंपीय तरंग (Seismic Wave) कहा जाता है। 1 सकेण्ड में 8 किमी. तक दूरी तय करने वाली तरंगे प्राथमिक तथा धीमी गति से चलने वाली तरंगे द्वितीय तरंगे कहलाती है। पृथ्वी के तल पर पहुंचने पर ये तरंगे तल-तरंगों में बदल जाती हैं।
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