तीन प्रकार की भूकंपीय तरंगें कौन सी हैं? - teen prakaar kee bhookampeey tarangen kaun see hain?

भूकम्पीयतरंगे

सामान्यतः भूकम्पीय तरंगों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है-

    1- भूगर्भीयतरंगे - 'P' तरंगें तथा 'S' तरंगे

    2- धरातलीयतरंगे - 'L' तरंगे

Pतरंगें

  • भूकम्प के समय सबसे पहले P तरंगों की उत्पत्ति होती है जो अपने उद्गम स्थल से चारों तरफ गमन करती हैं। पृथ्वी की सतह पर सबसे पहले 'P' तरंगों का ही अनुभव होता है। इन्हें 'प्राथमिक तरंगे' भी कहते हैं।
  • ये ध्वनि तरंगों के समान 'अनुदैध्र्य तरंगे' होती हैं। अतः ये तरंगें ठोस, तरल एवं गैस तीनों माध्यमों में गमन कर सकती हैं लेकिन इनका वेग ठोस, तरल एवं गैस में क्रमशः कम होता जाता है। 
  • इनकी गति सबसे तेज तथा तीव्रता सबसे कम (S एवं L से) होती है।

S  तरंगें

  • P तरंगों के पश्चात S तरंगें पृथ्वी की सतह पर पहुंचती हैं। यही कारण है कि इन्हें 'द्वितीयक तरंगें' अथवा 'गौण तरंगें' भी कहते हैं।
  • ये प्रकाश तरंगों के समान 'अनुप्रस्थ तरंगें' होती हैं।
  • इनकी गति P से कम एवं L से अधिक होती है।
  • इनकी तीव्रता P से अधिक एवं L से कम होती है।
  • ये केवल 'ठोस माध्यम' में गमन करती हैं।

L तरंगें

  • इन्हें 'लव वेव'  भी कहते हैं। इनका नामकरण वैज्ञानिक 'एडवर्ड हफ लव' के नाम पर किया गया है।
  • इनकी गति सबसे (P एवं S से) कम होती है, अतः L तरंगें पृथ्वी की सतह पर P तथा S के पश्चात प्रकट होती हैं।
  • इनकी तीव्रता P एवं S से अधिक होती है तथा ये सर्वाधिक विनाशकारी होती हैं।

अनुदैध्र्य तरंगे-इसमें कणों का कंपन/दोलन तरंग की दिशा के समानांतर होता है, जैसे-ध्वनि तरंगें।

अनुप्रस्थतरंगे-इसमें कणों का कंपन या दोलन तरंग की दिशा के लम्बवत होता है, जैसे-प्रकाश तरंगें।

भूकम्पीयतरंगोंकासंचरण

  • भूकम्पशास्त्र के अध्ययनानुसार, भूकम्प की उत्पत्ति P, S एवं L तरंग के रूप में होती है। भूकम्पीय तरंगों के संचरण में सबसे पहले P फिर S एवं अंत में L तरंगों का गमन होता है।
  • भूकम्पीय तरंगों की गति का पदार्थ के घनत्व से सीधा संबंध होता है। अतः पृथ्वी की आन्तरिक परतों का घनत्व सतह की अपेक्षा अधिक होने के कारण भूकम्पीय तरंगों की गति में वृद्धि होती है।
  • पृथ्वी की आंतरिक परतों में गुटेनबर्ग असांतत्य (2900 किमी. की गहराई) तक P एवं S तरंगों की गति में वृद्धि होती है, इसके बाद S तरंगें विलुप्त हो जाती हैं तथा P तरंगों की गति में अचानक कमी आती है, क्योंकि 'बाह्य कोर' का पदार्थ तरल अवस्था में हैं और तरंगें केवल ठोस माध्यम में गमन करती हैं।
  • बाह्य कोर में P तरंगों का 'परावर्तन' एवं 'आवर्तन' होता है, लेकिन आंतरिक कोर में पहुंचते ही P तरंगों की गति में पुनः वृद्धि होने लगती है, क्योंकि अत्यधिक दाब के कारण आंतरिक कोर का पदार्थ ठोस अवस्था में हैं। वहीं, L तरंगें केवल सतह पर ही गति करती है, इसलिये यह सबसे अधिक विनाशकारी होती हैं।

भूकम्पीयतरंगोंकाछायाक्षेत्र

  • पृथ्वी पर एक ऐसा क्षेत्र जहां पर भूकम्पलेखी द्वारा भूकम्पीय तरंगों का अभिलेखन नहीं हो पाता, उसे भूकम्पीय तरंगों का 'छाया क्षेत्र' कहते हैं अर्थात इस क्षेत्र में भूकम्पीय तरंगों का संचरण नहीं होता है।
  • भूकम्प के अधिकेन्द्र से 1050 के भीतर सभी स्थानों पर P एवं S दोनों तरंगें गति करती हैं, जबकि 1050 से 1450 के बीच दोनों तरंगों का अभाव होता है इसलिए यह क्षेत्र दोनों तरंगों (P एवं S) के लिए 'छाया क्षेत्र' होता है।
  • 1450 के बाद P तरंगें पुनः प्रकट हो जाती हैं, जबकि S तरंगें यहां भी लुप्त ही रहती हैं। इस प्रकार 1050 से 1450 के बीच पृथ्वी के चारों तरफ P तरंगों के छाया क्षेत्र की एक पट्टी पाई जाती है, जिसे 'भूकम्पीय तरंगों का छायाक्षेत्र' कहते हैं।
  • भूकम्पीय छाया क्षेत्र बनने का प्रमुख कारण 'P' तथा 'S' तरंगों की प्रवृत्ति है क्योंकि यह सिद्ध हो चुका है कि पृथ्वी का आंतरिक भाग तरल तथा ठोस अवस्था में है। अतः P तरंगों की गति तरल भागों में धीमी हो जाती है, वहीं S तरंगें तरल भाग में लुप्त हो जाती हैं।
  • S तरंगों का छाया क्षेत्र, P तरंगों के छाया क्षेत्र से अधिक होता है।

तीन प्रकार की भूकंपीय तरंगें कौन सी हैं? - teen prakaar kee bhookampeey tarangen kaun see hain?

तीन प्रकार की भूकंपीय तरंगे कौन सी है?

पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंग उत्पन्न होती है जो सभी दिशाओं में फैलकर भूकंप लाती है। भूकंपीय तरंग P, S तथा L प्रकार की होती है, जिनमें P तरंग ठोस, तरल एवं गैस तीनों माध्यम में गमन करती है, वहीं S तरंग केवल ठोस पदार्थों के माध्यम में ही गमन कर सकती है।

भूगर्भिक तरंगे कितने प्रकार की होती है?

बुनियादी तौर पर भूकंपीय तरंगें दो प्रकार की हैं - भूगर्भिक तरंगें (Body waves) व धरातलीय तरंगें (Surface waves)। भूगर्भिक तरंगें उद्गम केंद्र से ऊर्जा के मुक्त होने के दौरान पैदा होती हैं और पृथ्वी के अंदरूनी भाग से होकर सभी दिशाओं में आगे बढ़ती हैं। इसलिए इन्हें भूगर्भिक तरंगें कहा जाता है

भूकंपीय तरंगें क्या हैं और उनके प्रकार क्या हैं?

भूकंपीय तरंगें तीन प्रकार की होती हैं (i) P तरंगें या प्राथमिक तरंगें, (ii) S तरंगें या द्वितीयक तरंगें और (iii) L तरंगें या सतही तरंगें। ये संपीडन तरंगें हैं जो चट्टान के कणों के अनुदैर्ध्य दिशा में कंपन करने के कारण बनती हैं। P तरंगों की गति सबसे तेज होती है इसलिये वे पहले भूकंपीय स्टेशन पर पहुँचती हैं

भूकंप तरंगे कौन सी है?

भूकंप के समय उठने वाले कंपन से निकलनेवाली तरंगों को ही भूकंपीय तरंग (Seismic Wave) कहा जाता है। 1 सकेण्ड में 8 किमी. तक दूरी तय करने वाली तरंगे प्राथमिक तथा धीमी गति से चलने वाली तरंगे द्वितीय तरंगे कहलाती है। पृथ्वी के तल पर पहुंचने पर ये तरंगे तल-तरंगों में बदल जाती हैं।