गर्भवती महिला को क्या पढ़ना चाहिए? - garbhavatee mahila ko kya padhana chaahie?

दावा: भारत सरकार ने गर्भवती महिलाओं को सलाह दी है कि वो गर्भावस्था के दौरान व्यायाम न करें, अंडे न खाएं, अपनी चाहतें और काम वासना छोड़ दें और अपने कमरे में ख़ूबसूरत तस्वीरें लगाएं.

हक़ीक़त: इनमें से कुछ सलाह अच्छी हैं, कुछ ख़राब और कुछ बिलकुल ही बकवास.

भारत की पारंपरिक और वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने वाले आयुष मंत्रालय ने पिछले हफ़्ते 16 पन्ने का एक बुकलेट जारी किया.

बुकलेट का विषय मां और बच्चे की देखभाल से जुड़ा था. ये तीन साल पुराना है लेकिन बुधवार को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के ठीक पहले जारी किए जाने के बाद से ही सुर्ख़ियों में है.

आयुष मंत्रालय के तहत आनी वाली एजेंसी सेंट्रल काउंसिल फॉर योग एंड नैचरोपैथी ने इसे तैयार किया है.

बुकलेट में महिलाओं को सलाह दी गई है कि गर्भावस्था के दौरान कौन से योग करने चाहिए और कौन से नहीं. क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, क्या पढ़ना चाहिए, साथ में क्या रखना चाहिए और किस तरह की तस्वीरें देखनी चाहिए और भी बहुत कुछ.

भारत में डॉक्टरों का कहना है कि इस अडवाइजरी में कुछ अच्छी बातें हैं लेकिन इनपर पूरी तरह से अमल करना अक्लमंदी नहीं कहा जाएगा.

उदाहरण के लिए खानपान पर दी गई सलाह को लेते हैं.

बुकलेट में स्तनपान कराने वाली और गर्भवती महिलाओं को अंकुरित अनाज, मसूर की दाल, फल, पत्तीदार सब्जियां, जैसे- पालक, ड्राई फ्रूट्स, जूस और अनाज खाने की सलाह दी गई है. डॉक्टरों का कहना है कि ये सारी बातें बहुत अच्छी हैं.

इस लिस्ट में उन चीजों का भी जिक्र है, जिनसे बचने की सलाह दी गई है. जैसे-चाय, कॉफी, चीनी, मसाले, मैदा, तली-भुनी चीजें, अंडे और नॉनवेज खाना.

आलोचकों का कहना है कि ये सलाह भारत की हिंदू राष्ट्रवादी भाजपा सरकार की शाकाहार को बढ़ावा देने की नीति का हिस्सा है.

उनका कहना है कि भारत में मातृ मृत्यु दर दुनिया में सबसे ज़्यादा है और यहां गर्भावस्था में कुपोषण और एनीमिया (शरीर में लोहे की कमी) की समस्या के मद्देनजर ये एक ख़तरनाक सलाह है.

इस आलोचना के बाद आयुष मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया. इसमें कहा गया कि नॉनवेज आहार छोड़ने की सलाह इसलिए दी गई क्योंकि योग और प्राकृतिक चिकित्सा मांसाहार का पक्ष नहीं लेता.

उन्होंने मीडिया पर ये आरोप भी लगाया कि अंडा और मांस पर सलाह को जानबूझ कर उठाया जा रहा है जबकि लिस्ट में वर्णित सेहत के लिए नुकसानदेह दूसरी चीज़ों का जिक्र नहीं किया जा रहा है.

लेकिन केवल मीडिया ही नहीं बल्कि डॉक्टर भी इस एडवाइजरी पर सवाल उठा रहे हैं.

दिल्ली में पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञा सोनिया नाइक कहती हैं, "एक डॉक्टर के तौर पर मैं इस सलाह में कोई मेरिट नहीं देखती कि गर्भवती महिलाओं को अंडा या मांस नहीं खाना चाहिए क्योंकि ये प्रोटीन का सबसे आसान और सस्ता स्रोत है. मेरी सलाह यही है कि जिसे जो पसंद हो, उसे वो खाता रहना चाहिए."

आयुष मंत्रालय की ये सलाह खुद भारत सरकार के दूसरे विभाग स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह से मेल नहीं खाती.

हेल्थ मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर लिखा है, "अगर मां को आयरन की कमी हो तब भी भ्रूण मां से आयरन लेता है. इसलिए मांस, कलेजी, अंडा, हरा मटर, मसूर की दाल, हरी पत्तीदार सब्जियां खाने के लिए मां को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए."

कई लोगों को ये सलाह कड़वी गोली की तरह लग सकती है लेकिन इस बुकलेट के आगे के कुछ पैराग्राफ़ आपको अजीबोगरीब भी लग सकते हैं.

बुकलेट में कहा गया है, "गर्भवती महिलाओं को काम वासना, गुस्सा, घृणा जैसी भावनाओं से खुद दूर रखना चाहिए. बुरे लोगों के साथ नहीं रहना चाहिए, हमेशा सज्जनों के साथ और शांत माहौल में रहना चाहिए."

हालांकि आयुष मंत्रालय ने जोर देकर कहा है कि उसने 'भारत में गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण के बाद सेक्स से बचने की सलाह' नहीं दी है लेकिन जानकार कहते हैं कि 'चाहत' और 'काम वासना' से 'खुद को अलग रखने की सलाह' का यही मतलब होता है.

वैसे स्वास्थ्य मंत्रालय इस मुद्दे पर खामोश है. डॉक्टरों का कहना है कि गर्भावस्था में सेक्स करने से कोई नुकसान नहीं होता है.

वीडियो कैप्शन,

बचाई जा सकेगी मां की जान

डॉक्टर नाइक कहती हैं, "वास्तव में कुछ हार्मोंस के कारण कुछ गर्भवती महिलाओं में सेक्स की चाहत बढ़ जाती है और जब तक हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का मामला न हो, हम उन्हें सेक्स से दूर रहने की सलाह नहीं देते हैं."

बुकलेट में एक सलाह ऐसी भी है जिसे लेकर आम तौर पर हर कोई सहमत दिखता है.

वह है योग के फ़ायदे. पारंपरिक तौर पर ये माना जाता रहा है कि गर्भवती महिलाओं को ज़्यादा आराम करना चाहिए लेकिन अब डॉक्टर रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ तरह के व्यायाम की सलाह देते हैं.

पोएट और राइटर नेटली डाइस द्वारा लिखी गई किताब ‘व्हाट टू डू व्हेन यू आर हैविंग टू’ में जुड़वा बच्चे (What to do when you are having twins baby) की जानकारी मिलने पर अपने आपको कैसे तनाव और चिंता से दूर रखें। इस किताब में ये बताया गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान अधिकतर कपल्स किसी न किसी बात को लेकर परेशान हो जाते हैं ऐसे में कैसे परेशानी से दूर रहा जाय। गर्भावस्था के दौरान ऐसी कई तरह की एक्टिविटी होती है जिन्हें नजरंदाज करने की जरुरत पड़ती है जैसे नकारात्मक विचारधारा से दूर रहना चाहिए या नेगिटिव सोच नहीं रखनी चाहिए। यही नहीं गर्भवती महिला को गर्भावस्था के तिमाही के अनुसार खाने और वर्कआउट (Workout) की सलाह दी जाती है।

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी के पहले ट्राइमेस्टर में व्यायाम करें या नहीं?

5. आयुर्वेदिक गर्भ संस्कार (Ayurvedic Garbh sanskar)

आयुर्वेदिक डॉक्टर बालाजी तांबे द्वारा लिखित गर्भावस्था की किताब ‘आयुर्वेदिक गर्भ संस्कार’ (What to Do When You’re Having Two) हैं। इस किताब में आयुर्वेदिक और नैचुरल तरीके से गर्भावस्था के दौरान कैसे ख्याल रखा जाए ये बताया गया है।

6. प्रेग्नेंसी ब्लूज (Pregnancy Blues)

शैला कुलकर्णी मिश्री द्वारा लिखी गई बुक ‘प्रेग्नेंसी ब्लूज’ (Pregnancy Blues) में गर्भावस्था के दौरान होने वाले डिप्रेशन (Depression) चर्चा की गई है। कैसे प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला अपने आपकी खुश रख सकती हैं ये बताया गया है। इसलिए गर्भावस्था में किताबें पढ़ना चाहती हैं, तो प्रेग्नेंसी ब्लूज पढ़ सकती हैं।

7. फिट प्रेग्नेंसी (Fit pregnancy)

नमिता जैन द्वारा लिखी गई किताब फिट प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला को किस तरह का आहार लेना चाहिए ये बताया गया है। प्रेग्नेंसी फूड रेसिपी (Pregnancy food recepie) से गर्भवती महिला अपना गर्भ में पल रहे शिशु दोनों का ख्याल रखने में सक्षम हो सकती हैं। वैसे गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान आहार का विशेष ख्याल रखने की भी जरूरत होती है। गर्भवती महिला को अपने डायट (Diet) में अलग-अलग तरह की सब्जियां, फल, बीन्स, नट्स (Nuts), कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स, साबुत अनाज और लाइट प्रोटीन को डायट अवश्य शामिल करना चाहिए। ध्यान रखें की सिर्फ कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सोडा, तले हुए खाद्य पदार्थ और हाइली रिफाइंड ग्रेन्स तथा एक्स्ट्रा शुगर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करना चाहिए। गर्भावस्था के पहली तिमाही के दौरान गर्भवती महिला को कैलोरी की जरूरत नहीं बढ़ती हैं। अगर आपके गर्भ में जुड़वा बच्चे पल रहे हैं तब कैलोरी की ज्यादा आवश्यकता हो सकती है।

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी पीरियड: ये वक्त है एंजॉय करने का

गर्भावस्था में किताबें पढ़ने से आप अपने आपको व्यस्त रखने का सही विकल्प माना जाता है। इस दौरान अलग-अलग तरह की किताबों को पढ़ने से गर्भावस्था से जुड़ी जानकारी मिलती है। इन जानकारियों से गर्भवती महिला गर्भावस्था के दौरान और डिलिवरी के बाद भी अपना और शिशु का ख्याल ठीक तरह से रखने की जानकारी जुटा सकती हैं। वैसे इन ऊपर बताई गईं किताबों के अलावा अन्य पसंदीदा किताबों का चयन कर सकती हैं।

इन किताबों के अलावा और भी हिंदी और इंग्लिश गर्भावस्था में किताबें उपलब्ध हैं। वैसे अगर आप गर्भावस्था में किताबें पढ़ना चाहती हैं, तो आप अपने परिवार के सदस्यों से पूछ सकती हैं। वही अगर आप प्रेग्नेंसी से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

प्रेगनेंसी में कौन सी किताबें पढ़नी चाहिए?

प्रेगनेंसी के दौरान इन 5 किताबों को जरूर पढ़ें.
क्या करें जब मां बने? ... .
गर्भावस्था ... .
पासपोर्ट तो हेल्दी प्रेगनेंसी ... .
प्रेगनेंसी ब्लूज ... .
आयुर्वेदिक गर्भ संस्कार.

गर्भवती महिला को सुबह उठकर क्या करना चाहिए?

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं खाली पेट प्रोटीन से भरपूर चीजों का सेवन कर सकती हैं. इससे ना केवल शिशु का शारीरिक विकास हो सकता है बल्कि मानसिक विकास होने में भी मदद मिल सकती है. प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को डेरी उत्पाद चीजें जैसे दूध, दही, छाछ आदि का सेवन जरूर करना चाहिए.

प्रेगनेंट लेडी को क्या क्या ध्यान रखना चाहिए?

आज हम आपको 25 सबसे जरूरी बातों के बारे में बताएंगे जिनके बारे में आपको सावधान रहना चाहिए।.
01: अधिक मात्रा में पानी पीएं.
02: ज्यादा फाइबर वाली चीजों का सेवन करें.
03: हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं.
04: डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें.
05: फल और उनके रस का सेवन करें.
06: सूखा मेवा खाएं.
07: अंडे खाएं.
08: साबूत अनाज का सेवन करें.

प्रेगनेंसी में खुश रहने के लिए क्या करें?

आप चाहें तो इन आदतों को डिलीवरी के बाद भी जारी रख सकती हैं..
मां की छुअन जब आप अकेले बैठी हों तो अपने पेट पर हल्के हाथों से मसाज करें. ... .
संगीत सुनना संगीत सुनना एक थेरेपी है. ... .
सकारात्मक माहौल गर्भावस्था में महिला के आस-पास का माहौल सकारात्मक होना बेहद जरूरी है. ... .
सुबह के वक्त लें सूरज की धूप ... .
अच्छी डाइट लेना भी है जरूरी.