शब्द – बोलते समय हमारे मुँह से ध्वनियाँ निकलती हैं। इन ध्वनियों के छोटे से छोटे टुकड़े को वर्ण कहा जाता है। इन्हीं वर्गों के सार्थक मेल से शब्द बनते हैं। वर्णों का सार्थक एवं व्यवस्थित मेल शब्द कहलाता है। You can also download NCERT Solution Class 10 Science to help you to revise complete
syllabus and score more marks in your examinations. उदाहरण – आ + ग् + अ + म् + अ + न् + अ = आगमन शब्द की विशेषताएँ शब्द एवं पद – शब्द कोश में रहते हैं तथा एक निश्चित अर्थ का बोध कराते हैं; जैसे-लड़का, आम, खा। पद-शब्दों के साथ जब विभक्ति चिह्नों या परसर्गों का प्रयोग करके तथा व्याकरणिक नियमों में बाँधकर वाक्य में प्रयोग किया जाता है, तब वही शब्द पद बन जाते हैं; जैसे – लड़के ने आम खाया। लड़के आम खाएँगे। शब्द एवं पद में अंतर पद में दो प्रकार के शब्दों का प्रयोग किया जाता है – 1. कोशीय शब्द-वे शब्द जो शब्दकोश में मिलते हैं और जिनका अर्थ कोश में प्राप्त हो जाए; जैसे-बाल, क्षेत्र, कृषक, पुष्प, शशि, रवि आदि। जैसे-वृद्धा से अब चला नहीं जाता। पदबंध- जब कई पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का कार्य करते हैं तो उसे पदबंध कहते हैं; जैसे – (क) सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाने वाले गांधी जी का नाम विश्व प्रसिद्ध है। इन वाक्यों के रेखांकित अंश क्रमशः संज्ञा, विशेषण और सर्वनाम पदबंध हैं। शब्दों के भेद – हिंदी में जिन शब्दों का प्रयोग हो रहा है उनके स्रोत भिन्न-भिन्न हैं।
संस्कृत, उर्दू, अंग्रेज़ी आदि से आये शब्दों के कारण रूप बदल गया है। 1. उत्पत्ति के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण – (क) तत्सम शब्द-जो शब्द अपरिवर्तित रूप में संस्कृत भाषा से लिए गए हैं या जिन्हें संस्कृत के मूल शब्दों से संस्कृत के ही तत्सम शब्द दो शब्दों से बना है, ‘तत्’ और ‘सम’ जिसका अर्थ है उसके अनुसार अर्थात् संस्कृत के अनुसार। तत्सम शब्दों के कुछ उदाहरण-प्रौद्योगिकी, आकाशवाणी, आयुक्त, स्वप्न, कूप, उलूक, चूर्ण, चौर, यथावत, कर्म, कच्छप, कृषक, कोकिल, अक्षि, तैल, तीर्थ, चैत्र, तपस्वी, तृण, त्रयोदश, कन्दुक, उच्च, दश, दीपक, धूलि, नासिका आदि। (ख) तद्भव शब्द-जो शब्द संस्कृत भाषा से उत्पन्न तो हुए हैं, पर उन्हें ज्यों का त्यों हिंदी में प्रयोग नहीं किया जाता है। इनके रूप में परिवर्तन
आ जाता है। इनको तद्भव शब्द कहते हैं। तद्भव शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है; जैसे – ‘तद्’ और ‘भव’। जिसका अर्थ है-उसी से उत्पन्न। (ग) देशज शब्द-वे शब्द जिनका स्रोत संस्कृत नहीं है किंतु वे भारत में ग्राम्य क्षेत्रों अथवा जनजातियों में बोली जाने वाली तथा संस्कृत से भिन्न भाषा परिवारों के हैं। देशज शब्द कहलाते हैं। ये शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण हिंदी में प्रयुक्त होते हैं। देशज शब्दों के कुछ उदाहरण-कपास, अंगोछा, खिड़की, ठेठ, टाँग, झोला, रोटी, लकड़ी, लागू, खटिया, डिबिया, तेंतुआ, थैला, पड़ोसी, खोट, पगिया, घरौंदा, चूड़ी, जूता, दाल, ठेस, ठक-ठक, झाड़ आदि। (घ) आगत या विदेशी शब्द-विदेशी भाषाओं से संपर्क के कारण अनेक शब्द हिंदी में प्रयोग होने लगे हैं। ये शब्द ही आगत या विदेशी शब्द कहलाते हैं। हिंदी में प्रयुक्त विदेशी शब्द निम्नलिखित हैं –
2. बनावट या रचना के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण – (क) रूढ़ शब्द-जिन शब्दों के सार्थक खंड न किए जा सकें तथा जो शब्द लंबे समय से किसी विशेष अर्थ के लिए प्रयोग हो रहे हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। रूढ़ शब्द के कुछ उदाहरण-ऊपर (ऊ + प + र), नीचे (नी + चे), पैर (पै + र), कच्चा (क + च् + चा), कमल (क + म + ल), फूल (फू + ल), वृक्ष (वृ + क्ष), रथ (र + थ), पत्ता (प + त् + ता) आदि। (ख) यौगिक शब्द-दो या दो से अधिक शब्दों या शब्दांशों द्वारा निर्मित शब्दों को यौगिक शब्द कहते हैं। यौगिक शब्दों के कुछ रसोईघर = रसोई + घर (ग) योगरूढ़ शब्द-जो
यौगिक शब्द किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं। चिड़ियाघर = चिड़िया + घर = शाब्दिक अर्थ = पक्षियों का घर। 3. प्रयोग के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण – (क) सामान्य शब्द-जिन शब्दों का प्रयोग दिन-प्रतिदिन के कार्य-व्यवहार में होता है, उन्हें सामान्य शब्द कहते हैं। उदाहरण-रोटी, पुस्तक, कलम, साइकिल, शिशु, मेज़, लड़का आदि। (ख) अर्ध तकनीकी शब्द-जो शब्द दिन-प्रतिदिन के कार्य-व्यवहार में भी प्रयोग में लाए
जाते हैं तथा किसी विशेष उद्देश्य के लिए ही इनका प्रयोग किया जाता है, उन्हें अर्ध तकनीकी शब्द कहते हैं। (ग) तकनीकी शब्द-किसी क्षेत्र विशेष में प्रयोग की जाने वाली शब्दावली के शब्दों को तकनीकी शब्द कहते हैं। 4. अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण (क) निरर्थक शब्द-जो शब्द अर्थहीन होते हैं, निरर्थक शब्द कहलाते हैं। ये शब्द सार्थक शब्दों के पीछे लग उनका अर्थ-विस्तार करते हैं।
(ख) सार्थक
शब्द-जिन शब्दों का कुछ न कुछ अर्थ होता है, उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं। (i) एकार्थी शब्द-जिन शब्दों का केवल एक निश्चित अर्थ होता है, वे एकार्थी शब्द कहलाते हैं। (ii) अनेकार्थी शब्द-जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। (iii) समानार्थी या पर्यायवाची शब्द-जो शब्द एक समान (लगभग एक सा ही) अर्थ का बोध कराते हैं, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं। पर्याय का अर्थ है दूसरा अर्थात् उसी प्रयोजन या वस्तु के लिए दूसरा शब्द। इनका अर्थ लगभग एक समान होता है पर पूर्ण रूप से समान नहीं। उदाहरण – कमल – शतदल, वारिज, जलज, नीरज, पंकज, अंबुज। (iv) विपरीतार्थक शब्द-हिंदी भाषा के प्रचलित शब्दों के विपरीत अर्थ देने वाले शब्दों को विपरीतार्थक शब्द कहते हैं। उदाहरण – कटु – मधुर पद-भेद वाक्यों में प्रयुक्त शब्दों अर्थात् पदों को पाँच भेदों में बाँटा जाता है
1. संज्ञा–जिन शब्दों से किसी प्राणी, व्यक्ति, स्थान, वस्तु अथवा भाव के नाम का बोध होता है, उन्हें संज्ञा कहते हैं। (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा-जिन संज्ञा शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान एवं वस्तु का बोध हो, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। (ख) जातिवाचक संज्ञा-जो संज्ञा शब्द किसी एक ही जाति के प्राणियों, वस्तुओं एवं स्थानों का बोध करवाते हैं, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
(ग) भाववाचक संज्ञा – जो संज्ञा शब्द, गुण, कर्म, दशा, अवस्था आदि भावों का बोध करवाते हैं, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं। 2. सर्वनाम-जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त किए जाते हैं, वे सर्वनाम कहलाते हैं। सर्वनाम के निम्नलिखित छह भेद माने जाते हैं – (क) पुरुषवाचक सर्वनाम (क) पुरुषवाचक सर्वनाम-वक्ता स्वयं अपने लिए, श्रोता के लिए अथवा किसी अन्य व्यक्ति के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग करता है, उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
उदाहरण – वह, वे, यह, ये, उसका, उसे, उन्हें आदि। (ख) निश्चयवाचक सर्वनाम – जिस सर्वनाम से पास या दूर स्थित वस्तुओं या प्राणियों का बोध हो, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
उपर्युक्त वाक्यों में यह, वे, वह, ये निश्चयवाचक सर्वनाम हैं। (ग) अनिश्चयवाचक सर्वनाम-जिन
सर्वनामों से निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध ना हों, उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं।
(घ) संबंधवाचक सर्वनाम-जो सर्वनाम शब्द किसी अन्य (प्रायः अपने उपवाक्य से पूर्व) उपवाक्य में प्रयुक्त संज्ञा व सर्वनाम से संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।
(ङ) प्रश्नवाचक सर्वनाम-जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए जाता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।
(च) निजवाचक सर्वनाम-जो शब्द वाक्य में कर्ता के साथ आकर अपनेपन का बोध कराते हैं, उन्हें निजवाचक सर्वनाम
3. विशेषण – जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं। (क) धरती गोल है। विशेष्य-विशेषण जिन संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताते हैं, उस संज्ञा या सर्वनाम को विशेष्य कहते हैं। प्रविशेषण-विशेषणों की विशेषता बताने वाले विशेषण को प्रविशेषण कहते हैं। (क) वह बहुत चालाक है। मुख्य रूप से विशेषण के चार भेद होते हैं – (क) गुणवाचक विशेषण (क) गुणवाचक विशेषण-जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण-दोष (भाव, रंग, आकार, प्रकार, स्वाद, गंध, देश काल, स्पर्श एवं दशा आदि) का बोध करवाते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
(ख) संख्यावाचक विशेषण-जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की संख्या-संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें संख्यावाचक
संख्यावाचक विशेषण के दो उपभेद हैं –
(ग) परिमाणवाचक विशेषण-जिन विशेषण शब्दों से उनके विशेष्य की माप-तौल (मात्रा) का बोध हो, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
परिमाणवाचक विशेषण के दो उपभेद हैं –
(घ) संकेतवाचक विशेषण-जब सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्दों से पहले लगकर विशेषण शब्दों का कार्य करते हैं या उसकी ओर संकेत करते हैं, तो उन्हें संकेतवाचक अथवा सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
4. क्रिया-जिन शब्दों से किसी कार्य के करने या होने का
अथवा किसी वस्तु या व्यक्ति की अवस्था या स्थिति का बोध होता है, उन्हें क्रिया कहते हैं। (क) श्याम लिख रहा है। कर्म के आधार पर
क्रिया के दो भेद हैं – (क) अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं में कर्म की अपेक्षा नहीं रहती, वे अकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं।
(ख) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं में कर्म की अपेक्षा रहती है, उन्हें सकर्मक क्रियाएँ कहते हैं।
सकर्मक क्रिया के दो उपभेद हैं – 1. एककर्मक क्रिया-जो सकर्मक क्रियाएँ केवल एक कर्म के साथ प्रयुक्त होती हैं, उन्हें एककर्मक क्रिया कहते हैं। 2. द्विकर्मक क्रिया-जिस वाक्य में क्रिया के साथ दो कर्म प्रयुक्त होते हैं, उन्हें द्विकर्मक क्रिया कहते हैं। रचना अथवा बनावट के आधार पर क्रिया के भेद –
(ख) संयुक्त क्रिया-जब दो या दो से अधिक क्रिया शब्द मिलकर पूर्ण क्रिया का बोध कराएँ, तो वह क्रिया संयुक्त क्रिया कहलाती है।
(ग) प्रेरणार्थक क्रिया-जिन क्रियाओं द्वारा कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य को कार्य करने के लिए
प्रेरित करे, उन्हें प्रेरणार्थक क्रियाएँ कहते हैं।
इस क्रिया में दो कर्ता होते हैं। (घ) नामधातु क्रिया-जो क्रियाएँ संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण शब्दों से बनाई जाती हैं, उन्हें नामधातु क्रियाएँ कहते हैं।
(ङ) पूर्वकालिक क्रिया-वाक्य में मुख्य क्रिया से पूर्व प्रयुक्त संपन्न होने वाली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं।
(च) मुख्य क्रिया-जो क्रियाएँ वाक्य में मुख्य कार्य करने का बोध कराती हैं, उन्हें मुख्य क्रिया कहते हैं। उदाहरण –
5. अव्यय-अव्यय वे शब्द हैं जिन पर विकारक तत्वों अर्थात् लिंग, वचन एवं कारक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
अव्यय के पाँच भेद हैं – (क) क्रियाविशेषण (क) क्रियाविशेषण-जो अव्यय क्रिया की विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं।
क्रियाविशेषण के चार भेद होते हैं –
(ii) स्थानवाचक क्रियाविशेषण-जो शब्द क्रिया के घटित होने के स्थान का बोध कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
(iii) कालवाचक क्रियाविशेषण-जो शब्द क्रिया के घटित होने अथवा करने का समय (काल) का बोध कराते हैं, उन्हें कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
(iv) परिमाणवाचक क्रियाविशेषण-जो शब्द क्रिया के परिमाण (मात्रा) का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
(ख) संबंधबोधक-संबंधबोधक वे अव्यय या अविकारी शब्द हैं जो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य के अन्य शब्दों के साथ बताते हैं।
(ग) समुच्चयबोधक-जो अव्यय शब्द दो शब्दों, दो वाक्यों को जोड़ने का कार्य
करते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक कहते हैं।
(घ) विस्मयादिबोधक-जो अव्यय आश्चर्य, घृणा, हर्ष, लज्जा, ग्लानि, पीड़ा, दुख आदि मनोभावों का बोध कराते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक कहते
हैं।
(ङ) निपात-जो अव्यय वाक्य में किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ पर विशेष प्रकार का बल देते हैं, उन्हें निपात शब्द कहते हैं।
आओ देखें कितना सीखा प्रश्नः 1. प्रश्नः 2. प्रश्नः 3. (क) तत्सम शब्द प्रश्न 4. प्रश्नः 5. प्रश्नः 6. प्रश्नः 7. तक – मरीज से बोला तक नहीं जाता है। NCERT Solutions for Class 10 Hindiजब कोई शब्द व्याकरण के नियमों में बंधकर वाक्य में प्रयुक्त होता है तो वह क्या कहलाता है?शब्द स्वतंत्र होते हैं परंतु यही शब्द व्याकरण के नियमों में बाँधकर जब वाक्य में प्रयोग किए जाते हैं तब वे पद बन जाते हैं।
शब्द जब व्याकरण के नियमों से बंध जाते तो क्या कहलाते हैं?जब कोई शब्द स्वतंत्र न रहकर व्याकरण के नियमों में बँध जाता है, तब वह शब्द 'पद' बन जाता है। इस प्रकार वाक्य में प्रयुक्त शब्द ही 'पद'है। कारक, वचन, लिंग, पुरुष इत्यादि में बँधकर शब्द 'पद'बन जाता है।
जब शब्द वाक्य में प्रयुक्त होता है तो क्या कहलाता है?(b) 'शब्द' जब वाक्य में प्रयुक्त होता है तो 'पद' कहलाता है ।
पद और पदबंध में क्या अंतर है?Answer: पद- वाक्य से अलग रहने पर 'शब्द' और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द 'पद' कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में- वाक्य में प्रयुक्त शब्द पद कहलाता है। पदबंध- जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं।
|