यह दंतुरित मुसकाननागार्जुनयह दंतुरित मुसकान Show इस कविता में कवि एक ऐसे बच्चे की सुंदरता का बखान करता है जिसके अभी एक-दो दाँत ही निकले हैं; अर्थात बच्चा छ: से आठ महीने का है। जब ऐसा बच्चा अपनी मुसकान बिखेरता है तो इससे मुर्दे में भी जान आ जाती है। बच्चे के गाल धूल से सने हुए ऐसे लग रहे हैं जैसे तालाब को छोड़कर कमल का फूल उस झोंपड़ी में खिल गया हो। कवि को लगता है कि बच्चे के स्पर्श को पाकर ही सख्त पत्थर भी पिघलकर पानी बन गया है। Chapter List
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल कवि को ऐसा लगता है कि उस बच्चे के निश्छल चेहरे में वह जादू है कि उसको छू लेने से बाँस या बबूल से भी शेफालिका के फूल झरने लगते हैं। बच्चा कवि को पहचान नहीं पा रहा है और उसे अपलक देख रहा है। कवि उस बच्चे से कहता है कि यदि वह बच्चा इस तरह अपलक देखते-देखते थक गया हो तो उसकी सुविधा के लिए कवि उससे आँखें फेर लेगा। क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार? कवि को इस बात का जरा भी अफसोस नहीं है कि बच्चे से पहली बार में उसकी जान पहचान नहीं हो पाई है। लेकिन वह इस बात के लिए उस बच्चे और उसकी माँ का शुक्रिया अदा करना चाहता है कि उनके कारण ही कवि को भी उस बच्चे के सौंदर्य का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। कवि तो उस बच्चे के लिए एक अजनबी है, परदेसी है इसलिए वह खूब समझता है कि उससे उस बच्चे की कोई जान पहचान नहीं है। उँगलियाँ माँ की कराती रही हैं मधुपर्क बच्चा अपनी माँ की उँगली चूस रहा है तो ऐसा लगता है कि उसकी माँ उसे अमृत का पान करा रही है। इस बीच वह बच्चा कनखियों से कवि को देखता है। जब दोनों की आँखें आमने सामने होती हैं तो कवि को उस बच्चे की सुंदर मुसकान की सुंदरता के दर्शन हो जाते हैं। अभ्यासप्रश्न 1: बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? उत्तर: कवि उस बच्चे की दंतुरित मुसकान से अंदर तक आह्लादित हो जाता है। उसे लगता है उस मुसकान ने कवि में एक नए जीवन का संचार कर दिया है। उसे लगता है कि वह उस बच्चे की सुंदरता को देखकर धन्य हो गया है। प्रश्न 2: बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? उत्तर: बच्चे की मुसकान हमेशा निश्छल होती है। बड़ों की मुसकान में कई अर्थ छिपे हो सकते हैं। कभी-कभी यह मुसकान कुटिल हो सकती है, तो कभी किसी उम्मीद से भरी हो सकती है। ऐसा बहुत कम होता है कि किसी वयस्क की मुसकान उतनी निश्छल हो जितनी कि किसी बच्चे की। प्रश्न 3: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? उत्तर: कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को व्यक्त करने के लिए प्राणदायी, कमल के फूल, इत्यादि बिंबों का प्रयोग किया है। प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए:
इन पंक्तियों में कौन सा रस है तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान मृतक में भी डाल देगी जान?उस शिशु की मुस्कान बड़ी मनमोहक होती है। उसकी मुसकान में मृतक में भी जान डालने की शक्ति है। कवि के कहने का आशय यह है कि उस प्रकार के शिशु की मुस्कान में वह शक्ति छिपी है जो किसी भी प्रकार के मनुष्य को सरस बना सकती है।
दंतुरित मुसकान कविता में कौन सा रस है?'दंतुरित मुसकान' कविता में कौन-सा रस है ? वात्सल्य रस है।
दंतुरित मुसकान किसकी मुसकान के लिए प्रयोग हुआ है?यह दंतुरित मुसकान कविता में छोटे बच्चे की मनोहारी मुसकान देखकर कवि के मन में जो भाव उमड़ते हैं उन्हें कविता में अनेक बिंबों के माध्यम से प्रकट किया गया है। कवि का मानना है कि इस सुंदरता में ही जीवन का संदेश है। इस सुंदरता की व्याप्ति ऐसी है कि कठोर से कठोर मन भी पिघल जाए।
1 बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?`?बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है? Solution : बच्चे की दंतुरित मुस्कान से कवि अत्यंत ही प्रभावित होता है, वह बच्चे की इस <br> मनहारी मुस्कान पर इतना मोहित होता है कि वह उसकी तुलना कमल से भी करता है <br> और यह भी कहता है की इस मुस्कान से पत्थर हृदय इंसान भी पानी की तरह पिघल जाये।
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