डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ ********************************************************************** महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष हिन्दी साहित्यकाश का कविकुल कुमुद कलाधर कविवरेण्य महाकवि गोस्वामी संत तुलसीदास जाज्वल्यमान भास्कर हैं। वे न केवल एक महान् सन्त और भक्ति सागर स्वरूप थे,अपितु वे लोकमंगल के जन-मन सुखदायक
समाज सुधारक,दार्शनिक,क्रान्तिकारी प्रचेता और ४० काव्य ग्रन्थों के महान् युगान्तकारी कालजयी रचनाकार हैं। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन कवियों में पुरोधा,गौरव शिखर और श्रीराम भक्ति सम्प्रदाय के प्रवर्तक महाकवि माने जाते हैं। वे चतुर्वेदों,आरण्यक,ब्राह्मण ग्रन्थों,वेदांगों,वेदान्तशास्त्रों,रामायण,महाभारत,समस्त नीति धर्मशास्त्रों,काव्यशास्त्रों के महान् अध्येता और प्राकृतिक देवी-देवताओं के मध्य मानवीय तारतम्यता और समन्वयवाद को अपने साहित्य सागर में कूट-कूट कर पिरोया है। वस्तुतः गोस्वामी संत महाकवि तुलसीदास हिन्दी साहित्य ही नहीं ,अपितु समस्त भारत वर्ष के मानसपटल में भक्ति और प्रेमसंचारक चिन्तक नायक सर्वोच्च कवि हैं। रामभक्ति की जो अविरल मोक्षदायिनी पावन धारा जन मन में उन्होंने प्रवाहित की है,उसमें अवगाहन कर समस्त सनातनधर्मी सहृदय भक्तों को समरसता के एक चारुतम एकता के सूत्र में आज तक बाँधती रही है। वस्तुतः महाकवि तुलसीदास जी हिन्दी साहित्य के सूर्य हैं,जिनके अरुणिम काव्य प्रकाश के बिना हिन्दी साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती है।
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