टीबी रोग से कौन सा अंग प्रभावित होता है? - teebee rog se kaun sa ang prabhaavit hota hai?

टीबी हमारे शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है. आमतौर पर इससे प्रभावित अंगो में किडनी भी एक है. इसके लक्षण बुखार, वजन घटना, पेशाब में खून आना, भूख कम लगना और पेशाब में जलन हो सकते हैं. इस प्रकार की TB बहुत कम लोगों में होती है

टीबी रोग से कौन सा अंग प्रभावित होता है? - teebee rog se kaun sa ang prabhaavit hota hai?

फेफड़ों की टीबी

Image Credit source: फाइल फोटो

ट्यूबरक्यूलोसिस (Tuberculosis) से पूरे विश्व में बीमार पड़ने वाले लोगों में 27 प्रतिशत भारत से आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में 35-50 करोड़ से अधिक लोग TB से पीड़ित हैं और 26 लाख से ज्यादा लोग हर साल TB की गिरफ्त में आते हैं. कोरोना (Corona) से पहले टीबी से मरने वाले लोगों का प्रतिशत 1-2 फीसदी था, जो अब बढ़कर 5-7 फीसदी हो गया है. यह एक ऐसी बीमारी है, जो शरीर के कई हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि टीबी किन अंगों को नुकसान पहुंचाती है. इसके लक्षण क्या है और बचाव कैसे किया जा सकता है.

मुंबई के मसिना हॉस्पिटल में छाती और सांस रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संकेत जैन ने TV 9 को बताया कि टीबी कई प्रकार की होती है. इनमें Cardiac TB यानी दिल में टीबी की बीमारी भी शामिल है, हालांकि ये बहुत कम लोगों में होती है, लेकिन इससे सावधान रहने की जरूरत है. डॉक्टर जैन के मुताबिक, “अध्ययनों के अनुसार, टीबी के सभी मरीजों में केवल एक परसेंट ही Cardiac TB से पीड़ित होते हैं. यह फेफड़ों के बाहर होने वाले माइकोबैक्टीरियल (mycobacterial) रोग का एक रूप है. आमतौर पर विकासशील देशों में लोग इस प्रकार के TB से संक्रमित होते हैं. जहां लोगों में HIV/AIDS जैसी बीमारियों या IV Drug के इस्तेमाल के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कम हो जाती है. Cardiac TB से दिल के आसपास सूजन (कंस्ट्रक्टिव पेरिकार्डाइटिस) हो जाती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द जैसे लक्षणों से लेकर हार्ट फेल होने की संभावना भी होती है.”

इसका इलाज क्या है?

पेरिकार्डियल इफ्यूजन (Pericardial infusion) के ज्यादातर मामलों को CARDIAC TB माना जाता है. पेरिकार्डियल इफ्यूजन वाले मरीजों को शुरुआती दौर में empirical anti-tuberculosis दवाएं दी जाती हैं. “अल्ट्रासोनोग्राफी की मदद से फ्लूड एस्पीरेट उसे एडेनोसाइन डेमिनेज (ADA), रूटीन और माइक्रोस्कोपी, TB gene expert और AFB कल्चर जैसी जांचों के लिए भेजा जाता है. दुर्भाग्य से, पेरिकार्डियल टीबी के मामलों में मृत्यु दर बहुत अधिक है. इसका मुख्य कारण यह है कि इस बीमारी का पता लगाना बहुत मुश्किल है और यह हृदय के काम करने की क्षमता पर सीधा प्रभाव डालती है. आमतौर पर मध्यम आयु वर्ग के लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं. अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है.”

डॉ जैन ने कहा कि महाधमनी (aorta) और मायोकार्डियम (myocardium) की TB बहुत ही कम देखने को मिलती है. उन्होंने बताया कि “पेरीकार्डियल संक्रमण आमतौर पर पास के Mediastinal lymph node से या फेफड़ों, किडनी या हड्डियों के Lymph Hematogenesis के रास्ते से होती है.”

फेफड़ों और हृदय के अलावा शरीर के किन अंगों पर टीबी का प्रभाव पड़ता है?

TB शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है. इनमें इन टीबी के मामले भी सामने आते हैं

1. फेफड़ों को कवर करने वाली लाइनिंग (Pleural TB) 2. सेंट्रल नर्वस सिस्टम (TB meningitis) 3. हड्डियों और जोड़ों (Musculoskeletal TB) 4. लिम्फ नोड्स 5. पेट (लिवर, स्प्लीन, इंटेस्टाइन) 6. किडनी और ब्लैडर (Urogenital TB) 7. रक्त 8. त्वचा

TB के इन प्रकारों को एक्स्ट्रा पल्मोनरी यानी फेफेड़ों के बाहर की TB कहा जाता है और ये संक्रामक नहीं होते हैं. एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी का मुख्य कारण कमजोर इम्यून सिस्टम है जो विशेष रूप से HIV, डायबिटीज, कैंसर, कम वजन, क्रोनिक किडनी रोग, IV ड्रग के दुरुपयोग और धूम्रपान करने वालों लोगों में होता है.

किडनी की टीबी क्या है?

फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में पल्मोनोलॉजी एंड स्लीप मेडिसिन के वरिष्ठ सलाहकार डॉ रवि शेखर झा के अनुसार, टीबी हमारे शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है. डॉ झा ने कहा कि “आमतौर पर प्रभावित अंगो में किडनी भी एक है. इसके लक्षण बुखार, वजन घटना, पेशाब में खून आना, भूख कम लगना और पेशाब में जलन हो सकते हैं. इस प्रकार की TB बहुत कम लोगों में होती है, लेकिन यह खतरनाक हो सकती है क्योंकि इससे किडनी फेल होने का खतरा होता है.”

उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में आसपास के अंगों में इन्फेक्शन हो जाता है. “इसे Genitourinary TB के नाम से जाना जाता है. Genitourinary TB देश में बांझपन (infertility) के सबसे आम कारणों में से एक है. आमतौर पर, किडनी TB के लक्षणों को नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि वे हल्के होते हैं. लेकिन इससे किडनी प्रभावित हो सकता है, मरीज लंबे समय तक किडनी संबंधी बीमारियों से पीड़ित रह सकता है और उसे जीवन भर डायलिसिस में भी रहना पड़ सकता है.

इसका इलाज क्या है?

टीबी के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाइयां किडनी को भी प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए जरूरी है कि सावधानी के साथ उचित दवा और उचित खुराक दी जाए. डॉ झा ने कहा कि” पेशाब करने पर लंबे समय तक जलन, पेशाब में खून आना, लंबे समय तक बुखार जैसे हल्के लक्षण दिखने पर भी व्यक्ति को इलाज के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए.”

TB में जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट का महत्व

दवाइयों से बेअसर हो चुकी TB की पहचान में लगने वाले समय को कम करने के लिए और TB की 18 विभिन्न दवाओं की पूरी Resistance profiling के लिए एडवांस्ड जीनोमिक टेस्ट किया जाता है. SRL डायग्नोस्टिक्स के सीईओ आनंद के. ने बताया जीनोम सिक्वेंसिंग टेस्ट डॉक्टर को कुछ दिनों के भीतर ही सही डायग्नोसिस तक पहुंचा देता है जिससे वह रोगी के लिए उचित दवा का चुनाव कर सकते हैं.

आनंद के ने समझाया कि “इस परीक्षण में चमड़ों से संबंधित जांच और बीमारी की निगरानी के क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता है. रैपिड डायग्नोस्टिक्स टेक्नॉलोजी के सही उपयोग से TB का पता लगाने और उसके नियंत्रण में मदद मिल सकती है. इस टेस्ट में दवा प्रतिरोध मार्करों (18 दवाओं का), स्ट्रेन टाइपिंग, मिश्रित संक्रमण और सह-संक्रमण का पता लगाने के लिए व्यापक जीनोमिक विश्लेषण शामिल है. यह लंबे समय से चली आ रही दवा संवेदनशीलता परीक्षण के समय और लागत की सीमाओं को दूर कर सकता है क्योंकि यह एक ही बार में किसी भी टीबी की दवा के प्रतिरोध से जुड़े सभी म्यूटेशन्स का तेजी से पता लगा लेता है.”

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टीवी में शरीर का कौन सा अंग प्रभावित होता है?

यदि तपेदिक संक्रमण सक्रिय हो जाता है, यह आम तौर पर फेफड़ों (90% मामलों में) को प्रभावित करता है।

टीवी के मरीज को क्या क्या तकलीफ होती है?

सक्रिय टीबी में बैक्टीरिया सक्रिय होता है और इस प्रकार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। रोग के सामान्य लक्षण 3 महीने से अधिक समय तक खांसी, थकान, बुखार, ठंड लगना, रात में पसीना आना, सीने में दर्द, सांस लेने में समस्या, भूख न लगना है।

टीवी कितने प्रकार के होते हैं?

टीबी क्या है और कितने प्रकार का होता है? टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु से होता है। इसके दो प्रकार हैं। पहला, पल्मोनरी टीबी (फेफड़े संक्रमित होते) व दूसरा, एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (फेफड़ों के बजाय शरीर के अन्य अंगों पर असर व उसी अनुसार लक्षण)।

टीवी की बीमारी कितने दिन में ठीक हो जाती है?

टीबी के ज्यादातर मामले एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक हो जाते हैं लेकिन इसमें बहुत वक्त लग जाता है. आमतौर पर इसकी दवा 6 से 9 महीने तक चलती है.