भोलानाथ के पिता भोलानाथ को पूजा-पाठ में शामिल करते, उसे गंगा तट पर ले जाते तथा लौटते हुए पेड़ की डाल पर झुलाते। उनका ऐसा करना किन-किन मूल्यों को उभारने में सहायक है? Show भोलानाथ के पिता उसको अपने साथ पूजा पर बैठाते। पूजा के बाद आटे की गोलियाँ लिए हुए गंगातट जाते। मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाते, वहाँ से लौटते हुए उसे पेड़ की झुकी डाल पर झुलाते। उनके इस कार्यव्यवहार से भोलानाथ में कई मानवीय मूल्यों का उदय एवं विकास होगा। ये मानवीय मूल्य हैं-
Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A) Is there an error in this question or solution? भोलेनाथ के पिता के पूजा के कितने अंग थे?Answer: भोलानाथ के पिता जी के पूजा के पाँच अंग थे।
भोलानाथ के वपिा की प जा के कौन कौन से अंग थे?भोलानाथ के बाबू जी रोज़ प्रातःकाल उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नहाकर पूजा करने बैठ जाते। वे रामायण का पाठ करते। पूजा-पाठ करने के बाद वे राम-नाम लिखने लगते । अपनी 'रामनामा बही' पर हज़ार राम-नाम लिखकर वे उसे पाठ करने की पोथी के साथ बाँधकर रख देते ।
भोलेनाथ के पिता आटे में कितनी गोलियां गंगा जी में प्रवाहित करते थे?➲ भोलानाथ के पिता आटे की 500 गोलियां गंगाजी में प्रवाहित करते थे।
भोलानाथ के पिताजी पूजा के समय उनके मस्तक पर किसका तिलक लगाते थे?भोलेनाथ के मस्तक पर या फिर शिवलिंग पर लगाया जाने वाला त्रिपुंड यानी कि आड़ी रेखाएं, इन्हें शैव परंपरा का तिलक कहा जाता है।
|