भोलेनाथ के पिता जी की पूजा में कौन कौन से अंग थे? - bholenaath ke pita jee kee pooja mein kaun kaun se ang the?

भोलानाथ के पिता भोलानाथ को पूजा-पाठ में शामिल करते, उसे गंगा तट पर ले जाते तथा लौटते हुए पेड़ की डाल पर झुलाते। उनका ऐसा करना किन-किन मूल्यों को उभारने में सहायक है?

भोलानाथ के पिता उसको अपने साथ पूजा पर बैठाते। पूजा के बाद आटे की गोलियाँ लिए हुए गंगातट जाते। मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाते, वहाँ से लौटते हुए उसे पेड़ की झुकी डाल पर झुलाते। उनके इस कार्यव्यवहार से भोलानाथ में कई मानवीय मूल्यों का उदय एवं विकास होगा। ये मानवीय मूल्य हैं-

  1. भोलानाथ द्वारा अपने पिता के साथ पूजा-पाठ में शामिल होने से उसमें धार्मिक भावना का उदय होगा।
  2. प्रकृति से लगाव उत्पन्न होने के लिए प्रकृति का सान्निध्य आवश्यक है। भोलानाथ को अपने पिता के साथ प्रकृति के निकट आने का अवसर मिलता है। ऐसे में उसमें प्रकृति से लगाव की भावना उत्पन्न होगी।
  3. मछलियों को निकट से देखने एवं उन्हें आटे की गोलियाँ खिलाने से भोलानाथ में जीव-जन्तुओं के प्रति लगाव एवं दया भाव उत्पन्न होगा।
  4. नदियों के निकट जाने से भोलानाथ के मन में नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने की भावना का उदय एवं विकास होगा।
  5. वृक्षों से निकटता होने तथा उनकी शाखाओं पर झूला झूलने से भोलानाथ में पेड़ों के संरक्षण की भावना विकसित होगी।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)

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भोलेनाथ के पिता के पूजा के कितने अंग थे?

Answer: भोलानाथ के पिता जी के पूजा के पाँच अंग थे

भोलानाथ के वपिा की प जा के कौन कौन से अंग थे?

भोलानाथ के बाबू जी रोज़ प्रातःकाल उठकर अपने दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर नहाकर पूजा करने बैठ जाते। वे रामायण का पाठ करते। पूजा-पाठ करने के बाद वे राम-नाम लिखने लगते । अपनी 'रामनामा बही' पर हज़ार राम-नाम लिखकर वे उसे पाठ करने की पोथी के साथ बाँधकर रख देते ।

भोलेनाथ के पिता आटे में कितनी गोलियां गंगा जी में प्रवाहित करते थे?

भोलानाथ के पिता आटे की 500 गोलियां गंगाजी में प्रवाहित करते थे

भोलानाथ के पिताजी पूजा के समय उनके मस्तक पर किसका तिलक लगाते थे?

भोलेनाथ के मस्तक पर या फिर शिवलिंग पर लगाया जाने वाला त्रिपुंड यानी क‍ि आड़ी रेखाएं, इन्‍हें शैव परंपरा का तिलक कहा जाता है।