शून्य की खोज भारत में कब और कैसे हुई?शून्य, कुछ भी नहीं या कुछ नहीं होने की अवधारणा का प्रतीक है. आजकल शून्य का प्रयोग एक सांख्यिकीय प्रतीक और एक अवधारणा दोनों के रूप में जटिल समीकरणों को सुलझाने में तथा गणना करने में किया जाता है. इसके साथ ही शून्य कंप्यूटर का मूल आधार भी है. यह आलेख भारत में शून्य के आविष्कार से संबंधित है अर्थात इस आलेख में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत में शून्य का अविष्कार कैसे और कब हुआ था. Show
When and why Zero invented in India? यह कहना गलत नहीं होगा कि गणित में शून्य की अवधारणा का आविष्कार क्रांतिकारी था. शून्य कुछ भी नहीं या कुछ नहीं होने की अवधारणा का प्रतीक है. यह एक आम व्यक्ति को गणित में सक्षम होने की क्षमता पैदा करता है. इससे पहले, गणितज्ञों को सरल अंकगणितीय गणना करने के लिए संघर्ष
करना पड़ता था. आजकल शून्य का प्रयोग एक सांख्यिकीय प्रतीक और एक अवधारणा दोनों के रूप में जटिल समीकरणों को सुलझाने में तथा गणना करने में किया जाता है. इसके साथ ही शून्य कंप्यूटर का मूल आधार भी है. Source: www.media2.intoday.in 5 ऐसे तथ्य जो आप गणितीय
चिन्ह अनन्त (∞) के बारे में नहीं जानते हैं क्या आपको पता है शून्य कब एक अवधारणा बन गया? शून्य भारत में संख्या पद्धति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. यहां तक कि पहले गणितीय समीकरणों को कविता के रूप में गाया जाता था. आकाश और अंतरिक्ष जैसे शब्द “कुछ भी नहीं” अर्थात शून्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. एक भारतीय विद्वान पिंगला ने द्विआधारी संख्या का इस्तेमाल किया और वह पहले थे जिन्होंने जीरो के लिए संस्कृत शब्द 'शून्य' का इस्तेमाल किया था.
शोरूम में घड़ी हमेशा 10 बजकर 10 मिनट का समय ही क्यों दिखाती है? खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर शून्य का आविष्कार किसने किया था और कब?628 ईस्वी में ब्रह्मगुप्त नामक विद्वान और गणितज्ञ ने पहली बार शून्य और उसके सिद्धांतों को परिभाषित किया और इसके लिए एक प्रतीक विकसित किया जो कि संख्याओं के नीचे दिए गए एक डॉट के रूप में था. उन्होंने गणितीय संक्रियाओं अर्थात जोड़ (addition) और घटाव (subtraction) के लिए शून्य के प्रयोग से संबंधित नियम भी लिखे हैं.
गणित में शून्य का जनक कौन है?आर्यभट्ट को लोग शून्य का जनक इसलिए मानते हैं, क्योंकि उन्होंने अपने ग्रंथ आर्यभटीय के गणितपाद 2 में एक से अरब तक की संख्याएं बताकर लिखा है।
शून्य की खोज कहाँ हुई थी?शुन्य एक संसकृति शब्द है। भारत के एक मंदिर के दिवारो पे मिला था। शून्य का अविष्कारक कौन है ; यह अभी तक पूर्ण रूप से स्पष्ट नही हो पाया है। भारतीय लोगों का मानना है कि शून्य की खोज भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट ने की थी, वहीं कुछ अमेरिकी गणितज्ञ यह मानते है कि एक अमेरिकी गणितज्ञ आमिर एक्जेल ने कंबोडिया में शून्य की खोज की थी।
जीरो की शुरुआत कब हुई?Zero को भारत में शून्य कहा जाता था जो की एक संस्कृत शब्द हैं. जीरो का कॉन्सेप्ट और इसकी परिभाषा सबसे पहले 628 ईसवी में भारतीय गणितज्ञ ब्रह्मगुप्त ने दी. इसके बाद यह भारत में विकसित होता रहा. बाद में 8वी शताब्दी में शून्य अरबो जी सभ्यता में पहुचा जहा से इसे आज का रूप '0' मिला.
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