SHABDKOSH AppsShabdkosh Premium Show
विज्ञापन-मुक्त अनुभव और भी बहुत कुछ। अधिक जानें और देखेंउपयोग करें हमारा हिन्दी अंग्रेजी अनुवादक स्वाधीनता संग्राम का अंग्रेजी मतलबस्वाधीनता संग्राम का अंग्रेजी अर्थ, स्वाधीनता संग्राम की परिभाषा, स्वाधीनता संग्राम का अनुवाद और अर्थ, स्वाधीनता संग्राम के लिए अंग्रेजी शब्द। स्वाधीनता संग्राम के उच्चारण सीखें और बोलने का अभ्यास करें। स्वाधीनता संग्राम का अर्थ क्या है? स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी मतलब, स्वाधीनता संग्राम का मीनिंग, स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी अर्थ, स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी अनुवाद, svaadheenataa sangraama का हिन्दी मीनिंग, svaadheenataa sangraama का हिन्दी अर्थ. "स्वाधीनता संग्राम" के बारे मेंस्वाधीनता संग्राम का अर्थ अंग्रेजी में, स्वाधीनता संग्राम का इंगलिश अर्थ, स्वाधीनता संग्राम का उच्चारण और उदाहरण वाक्य। स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी मीनिंग, स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी अर्थ, स्वाधीनता संग्राम का हिन्दी अनुवाद, svaadheenataa sangraama का हिन्दी मीनिंग, svaadheenataa sangraama का हिन्दी अर्थ। Our Apps are nice too! Dictionary. Translation. Vocabulary. Vocabulary & QuizzesTry our vocabulary lists and quizzes. Explanation:- देश के क्रांतिकारी बहादुरशाह जफर, तात्या टोपे, कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मीबाई आदि ने बड़े सुनियोजित ढंग से क्रांति की तिथि 10 मई ‘रोटी और खिलता हुआ कमल’ को प्रतीक मानकर पूरे अखंड भारत में गुप्त ढंग से सूचना भेज रखी थी। रोटी का अर्थ रहा हम सभी भारतीय अपनी रोटी मिल बांटकर खाएंगे तथा खिलते कमल का अर्थ है कि हम सभी मिलकर देश को कमल के समान खिलते देखना चाहेंगे। यह क्रांति की शुरूआत मेरठ से हुई थी। स्वतंत्रता की चेतना मनुष्य में हमेशा मौजूद रहेगी। न वह कभी मरी है न मरेगी। स्वतंत्रता प्राप्त करने के ढंग से भले ही भिन्न हों, चाहे वह शसक्त क्रान्ति द्वारा हो या महात्मा गाँधी द्वारा अपनाए गए असहयोग आन्दोलन द्वारा, वह हमेशा जीवित रहेगी। भारत का स्वाधीनता संग्राम मनुष्य की इस स्वतंत्र चेतना का जीता जागता सबूत है। इस पुस्तक में प्रस्तुत है 1857 के प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर 1947 तक की स्वाधीनता और बटवारे के तूफान की रोमांचक गाथा। भारत का स्वाधीनता संग्राम जब 1857 का स्वतंत्रता संग्राम विफल हो गया तो अंग्रेजों की जकड़ और भी मजबूत हो गयी और दिन प्रतिदिन उनके अत्याचार बढ़ने लगे। राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम की रोमांचक गाथाभारत में बहुत से क्रांतिकारी इतिहास की किताबों में सिर्फ एक नाम बनकर रह गए हैं। मगर फांसी के सत्तर साल बाद भी भगत सिंह की याद राष्ट्र में ताजी है। शहीदे आजम भगत सिंह का जीवन इतिहास के सर्वश्रेष्ठ विपरीत लक्षणों में से एक है। वे उस समय में जिए जब आजादी की पुकार भारत को झकझोर रही थी। मुकद्दमें के दौरान भगत सिंह और उनके साथियों ने ‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’, गीत गाया जिसने हर भारतीय के दिल में जलती हुई आजादी की चाह को एक आवाज दी। भगत सिंह एक सच्चे क्रांतिकारी थे जिन्होंने सबसे पहले इन्कलाब जिन्दाबाद का नारा दिया, जो कि बाद में भारत की आजादी की लड़ाई में उद्घोष बन गया।
क्रांति की वेदी पर उन्होंने अपनी जवानी को फूल की तरह चढ़ा दिया। भारत का स्वाधीनता संग्राम पृष्ठभूमि भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में हिन्द
महासागर पर, अरब प्रायद्वीप (सऊदी अरेबिया) और हिन्द-चीन प्रायद्वीप के मध्य में बसा हुआ है। उत्तर में विशालकाय हिमालय पर्वत है और दक्षिण की तीनों दिशाओं में विशालकाय समुद्र है। सन् 1526 में मुगलों ने हिन्दुस्तान पर हमला किया तब के आर्यावर्त के अन्दर छोटी बड़ी सैकड़ों रियासतें थी। इन पर हमला करके बाबर ने मुगलों की सलतनत कायम कर ली। हुमायूं और अकबर ने हिन्दुस्तान में मुगल सल्तनत की स्थापना में सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण योगदान किया। अकबर ने दीन-ए-इलाही नाम का नया धर्म चलाया। जिसकी वजह से सारे भारत को एकता की डोर में बांधने का प्रयास किया गया था पर अकबर के बाद जहांगीर व शाहजहाँ अमोद-प्रमोद में मग्न रहने लगे। औरंगजेब मुगलकाल का सबसे निरंकुश शासक था। जिसने मुगल साम्राज्य को और मजबूत किया। और इस्लाम धर्म को अधिक विस्तार से फैलाया। सन् 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गयी। उसके बाद उसके उत्तराधिकारी ज्यादा वीर नहीं थे। इसी दौरान नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली ने हिन्दुस्तान पर हमला कर दिया। इन लोगों ने लाखों रुपयों की सम्पत्ति लूट ली और हजारों आदमियों को मार डाला। इसी समय यूरोप से भी कुछ लोग भारत में आये। ये लोग यहाँ पर व्यापार करने के नाम पर आये थे। इनमें पुर्तगाल, हालैंड, फ्रांस और इंगलैंड के लोग थे। इन विदेशी व्यापारियों में जोर-शोर से लड़ाईयां होने लगीं। सन् 1600 में इंगलैंड में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई। इसका उद्देश्य भारत में व्यापार करना था। इंग्लैंड की ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1756 में कलकत्ता में नील की कोठियां प्रारंभ कर ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापार की नींव रखी। इसके बाद अंग्रेज भारत की रियासतों में खुले आम अपना हस्तक्षेप करने लगे। सिराजुदौल्ला के बाद मीर कासिम ने बंगाल में अंग्रेजों से लोहा लिया और हार गया। इसी तरह दक्षिण भारत के मैसूर के राजा हैदरअली और उसके पुत्र टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों से टक्कर ली और बुरी तरह हारे। हैदराबाद के नवाब, मुगल सम्राट, अवध के नवाब, इन सभी ने अलग-अलग अंग्रेजों से टक्कर ली। परन्तु कोई भी उनसे जीत न सका। मराठा और सिखों ने भी अंग्रेजों से टक्कर ली और बुरी तरह मुंह खाई। अंग्रेज सैनिक संख्या में तो कम थे, पर बहुत चतुर और वीर थे। उनके पास आधुनिक हथियार थे। जबकि देशी राजा एक तो अलग-अलग रियासतों में बंटे हुए थे, इसके अलावा उनके पास न तो पर्याप्त सेनायें थीं न हथियार ही थे। पर उसके बाद जो गर्वनर आया उसका नाम लार्ड डलहौजी था। जिसने सबसे पहले कम्पनी द्वारा स्थापित शासन के लिए कई नये कानून बनाये। जिसमें सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कानून था-राजाओं के उत्तराधिकार कानून में महत्वपूर्ण परिवर्तन। अब तक जिन राजाओं के कोई संतान नहीं होती थी वह अपने राज्य के उत्तराधिकारी के रूप में किसी बच्चे को गोद ले लेते थे। लार्ड डलहौजी ने इस उत्तराधिकार कानून में सबसे बड़ा परिवर्तन यह किया कि राजाओं के निसंतान रहने की अवस्था में उनके द्वारा गोद ली गयी संतान राजा के उत्तराधिकारी का दर्जा प्राप्त नहीं कर सकेगी। ऐसे राज्य को अंग्रेजी शासन में शामिल कर लिया जायेगा। लार्ड डलहौजी ने इस कानून के अलावा कई राजाओं की पदवी छीन ली, उनकी पेंशन बंद कर दी। कई जमीदारों की जमीदारियां छीन ली गयीं। मुगल बादशाहों की तस्वीरों वाले सिक्के समाप्त कर अंग्रेजों की तस्वीर वाले नये सिक्के प्रचलन में लाये गये। सेना में बड़े और महत्वपूर्ण पदों पर अंग्रेज अफसरों की नियुक्ति रियासतों को जबरदस्ती करनी पड़ी। अंग्रेज अधिकारियों को अधिक वेतन देना पड़ता। भारतीयों की अंग्रेजों के सामने कोई इज्जत नहीं रही। इसके बाद अंग्रेजों ने भारतीय जनता के सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी पूरी तरह से हस्तक्षेप करना आरम्भ कर दिया। अंग्रेजी शिक्षा, ईसाई धर्म का प्रचार होने लगा। लार्ड डलहौजी ने हिन्दुस्तान में रेल सेवा आरंभ की। उस समय हिन्दू समुद्र के पार जाना अच्छा नहीं समझते थे इसके बावजूद देशी रियासतों के हिन्दू और मुसलमान सैनिकों को हिन्दुस्तान से बाहर लड़ने को भेजा गया। अंग्रेजों ने भारत की खनिज संपत्ति को भी बाहर भेजने प्रारंभ किया। इसके अलावा खेती के क्षेत्रो की अपेक्षा करके नये उद्योग-धंधों की स्थापना होने लगी। भारत में चल रहे देशी प्राचीन देशी उद्योगों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया। यहाँ की वस्तुओं को कम कीमत में खरीदा जाता और भारत के कच्चे माल से बनी वस्तुओं को अधिक दाम में बेचा जाता। जैसे हमारे देश की कपास कम दामों में खरीद कर इंगलैंड भेजी जाती जहाँ उसी कपास से मिलों में कपड़ा तैयार होता जो भारत के बाजारों में महंगे दामों पर बेचा जाता। इस तरह भारत की गरीबी इतनी बढ़ गयी कि वह पूरी तरह से कंगाल हो गया। यहाँ के लोग धीरे-धीरे बेकार होने लगे। तभी पड़े अकाल ने और रही सही कसर पूरी कर दी। हमारे देश के लोग भूखे मर रहे थे और अंग्रेज मजे उड़ा रहे थे। ईस्ट इंडिया कंपनी ने व्यापार कर अपनी तिजोरियां पूरी तरह से भर ली थी। व्यापार की बजाय उन्होंने हिन्दुस्तान में अपना राज्य ही कायम कर लिया था। पर अन्याय का यह सिलसिला ज्यादा समय नहीं चलने वाला था। जनता के मन में इस अनाचार के खिलाफ चेतना जाग रही थी। अत्याचार के सामने तो पशु भी मौन नहीं रहते फिर हम तो इंसान थे। भले ही नासमझ थे, पर अपनी आजादी का मूल्य हम सब जानते थे। इस कारण अंग्रेजी शासन का पूरी तरह से प्रतिरोध होने लगा। सन् 1857 के प्रमुख विद्रोह होने के पूर्व से ही हर साल कोई न कोई विद्रोह होने लगा। इन विद्रोहों को मुख्यत: तीन भागों में बाँटा जा सकता है, नागरिक के विद्रोह, आदिवासियों के उपद्रव और किसान आंदोलन व विद्रोह। भारत में ब्रिटिश शासन की जड़े जमने के साथ-साथ ही भारतीय जनता में गंभीर असंतोष और आक्रोश की क्रिया जन्म ले रही थी। इसका प्रभाव फिरंगी सेना में मौजूद भारतीय सिपाहियों पर भी पड़ा। यह असंतोष बेदखल किये सरदारों, उनके उत्तराधिकारियों व उनके संबंधियों, जमीदारों, भूतपूर्व सैनिकों, अहलकारों व भारतीय रियासतों की कृपा पर पलने वाले किसानों, कारीगरों द्वारा इन विद्रोहों में हिस्सा लेने से उत्पन्न हुआ। ये ही इस असंतोष के आधार थे। स्वाधीनता संग्राम से क्या तात्पर्य है?किसी देश या प्रदेश की स्वाधीनता या स्वायत्ता के लिये उसके विरोधियों (प्रायः शासक) से युद्ध करने को स्वतंत्रता संग्राम कहते है। उदाहरणार्थ सुभाष चन्द्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया । हिन्दी के महान लेेखक फणीश्वर नाथ रेणु 1942 में स्वत्त्रता संग्राम में कूद पड़े।
देश को आजाद कराने में कौन कौन थे?Independence Day 2022: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के 7 महानायक जिन्होंने आजादी दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई. मंगल पांडे Source: www.thefamouspeople.com. ... . भगत सिंह Source: www.hindi.sabrangindia.in.com. ... . महात्मा गांधी Source: www.khabar.ndtv.com. ... . पंडित जवाहरलाल नेहरू ... . चंद्रशेखर आजाद ... . सुभाष चंद्र बोस ... . बाल गंगाधर तिलक. भारत का स्वतंत्रता संग्राम के लेखक कौन है?१८५७ का स्वातंत्र्य समर (मूल मराठी नाम : १८५७चे स्वातंत्र्यसमर) एक प्रसिद्ध इतिहास ग्रन्थ है जिसके लेखक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर थे।
भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कब हुआ था?10 मई 1857 – 1 नवंबर 1858१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम / अवधिnull
|