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संधि किसे कहते है उसके प्रकार उदाहरण सहित'संधि' संस्कृत शब्द है संधि का अर्थ होता है जोड़ना या मेल । जब दो शब्द या वर्ण या पद, जब एक दूसरे के निकट आते हैं तब उच्चारण की सुविधा के लिए पहले शब्द के अंतिम तथा दूसरे शब्द के प्रारंभिक अक्षर एक दूसरे से मिल जाते हैं तो उनमें होने वाले परिवर्तन या विकार को संधि कहते हैं। जैसे उदाहरण के रूप में - पुस्तक + आलय = पुस्तकालय पुस्तकालय दो शब्द पुस्तक और आलय से मिलकर बना है पहला शब्द पुस्तक का अंतिम वर्ण 'क' है और 'क' वर्ण (क् + अ) से मिलकर बना है इसलिए पुस्तक का अंतिम वर्ण 'अ' है दूसरा शब्द (आलय) का पहला वर्ण 'आ' है । जब अ + आ मिलता तो 'आ' बनता है और 'आ' की मात्रा लगती है इसलिए पुस्तक्(अ) + (आ)लय = पुस्तकालय । नोट: संधि निरर्थक वर्णों को मिलाकर सार्थक रूप देती है। संधि में शब्द का रूप छोटा हो जाता है। संधि में समास नहीं होता किंतु समास में संधि होती है। संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित समझाएं।(sandhi kise kahte hai)"दो वर्णों के मिलने से उनमें जो परिवर्तन होता है उसे संधि कहते है।" उदाहरण - 1. विद्या + आलय = विद्यालय 2. रमा + ईश = रमेश 3. भानु + उदय = भानूदय 4. देव + आलय = देवालय नोट: स्वर वर्ण के एक ऐसा परिवार है जो एक समान लगता है या एक परिवार के लगते है वे है -
मैं इस परिवार के बारे में इसलिए बता रहा हूं कि जब हम संधि के भेद पढ़ेगें तो इन परिवार का बहुत बड़ा योगदान होगा । संधि-विच्छेद किसे कहते हैं उदाहरण देकर समझाइए। (sandhi vichchhed kise kahte hai)संधि का अर्थ होता है 'जोड़ना'और विच्छेद का अर्थ होता है 'अलग करना'। जब किसी संधि बने शब्द को तोड़कर दो भाग किया है और तोड़े हुए दोनों शब्द अपने शब्दों का अलग अलग सही अर्थ देते हैं इस विधि को ही संधि विच्छेद कहते हैं । इसमें पहले से बने संधि शब्द को अलग अलग किया जाता है जब अलग अलग करते हैं तो वह पहले वाले मूल रूप में आ जाते हैं जैसे उदाहरण के रूप में देखें- देवालय = देव + आलय सुरेश = सुर + ईश परोपकार = पर + उपकार नदीश = नदी + ईश संधि के कितने भेद होते हैं? (Sandhi ke prakar)संधि के तीन भेद होते हैं -
1. स्वर संधि (svar sandhi):जब दो स्वरों के आपस में मिलने पर जो विकार या परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में ग्यारह स्वर है- अ,आ,इ,ई,उ,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ,ऋ इन 11 स्वरों के आपस में मिलने से ही स्वर संधि का निर्माण होता है। स्वर संधि को पांच भागों में बांटा गया है - १. दीर्घ संधि २. गुण संधि ३. वृध्दि संधि ४. यंण् संधि ५. अयादि संधि १.दीर्घ संधि (dirgh sandhi):अ,आ,इ,ई,उ,ऊ, में से कोई भी स्वर अपने सजातीय वर्ग के हृस्व या दीर्घ स्वर के निकट आते हैं तब दोनों स्वरो के बदले उसी वर्ग का दीर्घ स्वर हो जाता है दीर्घ संधि में पहला, दूसरा और तीसरा सजातीय परिवार आता है जैसे:-
२. गुण संधि (gun sandhi):-यदि'अ' और'आ' के बाद 'इ' या'ई' आए तो दोनों के मिलने से 'ए' हो जाता है। यदि 'अ' और 'आ' के बाद'उ' या'ऊ' आए तो दोनों के मिलने से'ओ' हो जाता है 'अ' के बाद 'ऋ' आये तो क्रमशः 'अर्' हो जाता है। इन तीनों बिंदु जहां दिखाई दे वहां गुण संधि होता है; जैसे-
गुण संधि के और उदाहरण(gun sandhi ke udhaharan)-
३.वृध्दि संधि(vriddhi sandhi):-इस संधि में 'अ' या 'आ' के बाद 'ए' या 'ऐ'आए तो उसके स्थान पर 'ऐ' हो जाता है । यदि 'अ' या 'आ' के बाद 'ओ' या 'औ' आए तो उसके स्थान पर 'औ' हो जाता है। अगर ये दोनों बिंदु दिखाई दे तो वहां वृद्धि संधि होता है जैसे-
४. यण् संधि (yan sandhi):-यदि हृस्व या दीर्घ स्वर इकार, ईकार, व ऋकार के आगे कोई विजातीय स्वर आए तो 'इ, ई' के बदले 'य्' हो जाता है। उ, ऊ के बदले 'व्' हो जाता है। ऋ के बदले 'र्' जाता है। वहां यण् संधि होता है। जैसे:
५. अयादि संधि (ayadi sandhi):ए,ऐ,ओ,औ के आगे जब कोई भी भिन्न स्वर आए तो इनके स्थान पर क्रमश: अय्,आय्,अव्, तथा आव होता है; जैसे --
2. व्यंजन संधि (vyanjan sandhi):- व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने से जो बदलाव होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं; जैसे-
व्यंजन संधि के नियम (vyanjan sandhi ke niyam):-१. यदि क्, च्, ट्, त् य् के बाद किसी वर्ग का तृतीय या चतुर्थ वर्ण आए य,र, ल्, व् या कोई स्वर आये, तो क्, य्, ट्, त्, ष् के स्थान पर अपनी ही वर्ग का तृतीय वर्ग (क्रमशः ग, ज्, ड्, द् ब) हो जाता है जैसे-
२. यदि 'म्' के बाद कोई स्पर्श व्यंजन वर्ण आई तो 'म' का अनुस्वार या बाद वाले वर्ण के वर्ग का पंचम वर्ण हो जाता है; जैसे-
३. यदि किसी स्वर के बाद 'छ' का प्रयोग हो तो 'छ' के पहले 'च्' का प्रयोग होता है। जैसे:-
४. ऋ, र, ष, से परे 'न' का 'ण' हो जाता है किंतु बाद में 'च' वर्ग, 'ट' वर्ग, 'त' वर्ग , शब्द और 'स' होने पर 'न' का 'ण' नहीं होता। जैसे:-
५.'त' वर्ग को छोड़कर शेष वर्गों के पहले दो व्यंजनों से पूर्व 'स्' आने पर 'स्' के स्थान पर 'श' और 'ष्' होता है जैसे-
६. सभी वर्गों के अंतिम तीन व्यंजनों में से किसी के पूर्व 'स्' आने पर 'स' के स्थान पर 'र्' हो जाता है । जैसे
७. यदि 'त्' के पश्चात 'ल' होने पर 'त' का 'ल्' हो जाता है जैसे
3. विसर्ग संधि (visarg sandhi):विसर्ग के बाद किसी स्वर आत्मा अथवा व्यंजन के आने से विसर्ग मैं जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं। इससे संबंधित नियम (visarg sandhi ke niyam) निम्नलिखित हैं- १. यदि विसर्ग के बाद 'च' या 'छ' हो तो विसर्ग का श्, ट, ठ, हो तो 'ष्' और 'त' या 'थ' हो तो 'स्' हो जाता है-
२. कुछ शब्दों में विसर्ग का लोप हो जाता है तथा वह 'स' में बदल जाता है जैसे:-
३. यदि विसर्ग के पहले 'अ' आए और उसके बाद वर्ग का तृतीय, चतुर्थ या पंचम वर्ण 'आ' जाये य, र, ल, व, ह, रहे तो विसर्ग 'उ' का हो जाता है और या पूर्ववतर्ती 'अ' से मिलकर गुण संधि द्वारा 'ओ' हो जाता है।
४. यदि विसर्ग के पूर्व 'अ' और 'आ' को छोड़कर कोई दूसरा स्वर आए तथा विसर्ग के बाद कोई दूसरा स्वर हो या किसी वर्ण का तीसरा चौथा और पांचवा वर्ण हो य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग के स्थान पर 'र्' हो जाता है-
इन्हें भी पढ़िए
संधि कितने प्रकार की होती है ?`?दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में परस्पर स्वरो या वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार को सन्धि कहते हैं। जैसे - सम् + तोष = संतोष ; देव + इंद्र = देवेंद्र ; भानु + उदय = भानूदय।
संधि क्या है और उसके भेद?पास-पास स्थित पदों के समीप विद्यमान वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। संधि के तीन भेद होते हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि। जब दो शब्द मिलते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनि और दूसरे शब्द की पहली ध्वनि आपस में मिलकर जो परिवर्तन लाती हैं उसे संधि कहते हैं।
स्वर संधि के कितने भेद हैं class 8?स्वर संधि के भेद
हिंदी में स्वर दो प्रकार के होते हैं- ह्रस्व, जैसे- अ, इ, उ, ऋ और दीर्घ जैसे आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ परस्पर निकट आ जाएँ तो दोनों के मेल से दीर्घ “आ”, “ई”, “ऊ” हो जाते हैं। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
संधि के कितने नियम होते हैं?व्यंजन संधि के नियम व्यंजन संधि के 12 नियम है जो निम्नानुसार है। नियम 1. किसी वर्ग के पहले वर्ण क्, च्, ट्, त्, प् का मेल किसी वर्ग के तीसरे अथवा चौथे वर्ण या य्, र्, ल्, व्, ह या किसी स्वर से हो जाए तो क् को ग् च् को ज्, ट् को ड् और प् को ब् हो जाता है।
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