शिक्षण की वाद-विवाद
विधि के विषय में आप क्या जानते हैं? इसके गुण व दोषों की व्याख्या कीजिए। वाद-विवाद विधि (Discussion Method)नवीन शैक्षिक विचारधारा के प्रवर्त्तक विद्वानों का कथन है कि छात्र को मात्र श्रोता मानना अनुचित है। सीखने की प्रक्रिया में छात्र का सक्रिय रहना आवश्यक है। बालक को सक्रिय बनाये रखने हेतु वाद-विवाद पद्धति अति आवश्यक है। वाद-विवाद पद्धति में शिक्षक स्वयं या छात्रों की सहायता से किसी प्रकरण या समस्या का निश्चय किया जाता है। तत्पश्चात् छात्र आपस में करने के लिए स्वयं विषय सामग्री का संकलन करते हैं। वाद-विवाद पद्धति में छात्रों को अपने विचारों, भावों तथा अनुभवों को व्यक्त करने की स्वतन्त्रता रहती है। वाद-विवाद व्यक्तिगत या सामूहिक दोनों ही हो सकता है। वाद-विवाद विधि में शिक्षक छात्रों को पथ-प्रदर्शन करता है। जब छात्र वाद-विवाद करते समय संवेगात्मक से प्रभावित होकर विषयान्तर हो जाते हैं तो शिक्षक अपने अध्ययन के आधार पर छात्रों को नियन्त्रित करने का प्रयास करता है। जेम्स एम. ली. ने वाद-विवाद की परिभाषा इस प्रकार की है- “वाद-विवाद एक शैक्षिक सामूहिक क्रिया है जिसमें शिक्षक तथा छात्र सहयोगी रूप से किसी समस्या या प्रकरण पर बातचीत करते हैं।” जब वाद-विवाद प्रारम्भ हो जाये तो शिक्षक का कर्त्तव्य है कि वह आवश्यकता के अनुरूप कठिन बातों की व्याख्या करता रहे। वाद-विवाद को अधिक उपयोगी बनाने के लिए आवश्यक है कि वह सम्पूर्ण कक्षा को कई भागों में विभाजित कर दे तथा प्रत्येक वर्ग के कार्य संचालन हेतु एक-एक नेता चुन दे। प्रत्येक वर्ग के नेता का यह कर्त्तव्य होगा कि वह सर्वप्रथम अपने वर्ग का प्रतिवेदन प्रस्तुत करे। शिक्षक इन्हीं प्रतिवेदनों के आधार पर वाद-विवाद कराता है। नागरिकशास्त्र के अन्तर्गत नागरिकों की विभिन्न समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे निर्धनता, स्त्रियों की हीन दशा तथा सुरक्षा समस्या वाद-विवाद प्रतियोगिता के द्वारा छात्र तार्किक ढंग से इन समस्याओं के समाधान हेतु विचार प्रस्तुत करते हैं अगर कहीं कोई संदेह उत्पन्न होता है तो शिक्षक निराकरण कर देता है। वाद-विवाद विधि के गुण (Qualities of Discussion Method)
वाद-विवाद विधि के दोष (Demerits of Discussion Method)
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Disclaimer Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: You may also likeAbout the authorइस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद.. वाद विवाद विधि से आप क्या समझते हैं इसके गुण एवं दोषों की विस्तार से समझाएँ?वाद-विवाद विधि (Discussion Method)
वाद-विवाद पद्धति में शिक्षक स्वयं या छात्रों की सहायता से किसी प्रकरण या समस्या का निश्चय किया जाता है। तत्पश्चात् छात्र आपस में करने के लिए स्वयं विषय सामग्री का संकलन करते हैं। वाद-विवाद पद्धति में छात्रों को अपने विचारों, भावों तथा अनुभवों को व्यक्त करने की स्वतन्त्रता रहती है।
वाद विवाद क्या है इसकी विशेषताएं लिखिए?वाद-विवाद या बहस , किसी विषय पर चर्चा की एक औपचारिक विधि है। वाद-विवाद में दो परस्पर विपरीत विचारों के समर्थक अपना-अपना तर्क रखते हैं और दूसरे के कथनों का खण्डन करने का प्रयत्न करते हैं। वाद-विवाद सार्वजनिक बैठकों में हो सकता है, शैक्षणिक संस्थानों में हो सकता है, विधायी सभाओं (जैसे संसद) में हो सकता है।
वाद विवाद से क्या अभिप्राय है?विधि शब्द की स्वीकृत परिभाषा है किसी अधिनियम में दिया गया वह अनिवार्य निदेश जिसे विधिवत् रूप से गठित विधान मण्डल द्वारा वाद विवाद करने के पश्चात् विहित तरीके से पारित किया गया हो और जिसे यथास्थिति श्री राज्यपाल अथवा महामहिम राष्ट्रपति द्वारा अनुमति प्रदान की गयी हो और जिसे मानने के लिए प्रत्येक नागरिक बाध्य हो।
वाद विवाद करने से क्या लाभ है?सामान्य रूप से वाद-विवाद में दो पक्ष होते हैं, और हमेशा दोनों पक्ष सुनने योग्य होते हैं। फिर से जाँचने का अधिकार महत्वपूर्ण है, किसी भी कानून व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण स्थान के साथ।
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