चर्चा में क्यों?हाल ही में केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से आगामी पाँच वर्ष की अवधि के लिये करों के वितरण पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 41 प्रतिशत तक बनाए रखने से संबंधित 15वें वित्त आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। Show
15वाँ वित्त आयोग
प्रमुख बिंदुवर्टिकल हिस्सेदारी (केंद्र और राज्यों के बीच कर की हिस्सेदारी)
हाॅरिजेंटल हिस्सेदारी (राज्यों के बीच कर का विभाजन)
राज्यों के लिये राजस्व घाटा अनुदान
राज्यों के लिये प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन एवं अनुदान
राजस्व में केंद्र की हिस्सेदारी
स्थानीय सरकारों को अनुदान
चुनौती
हाॅरिजेंटल वितरण मापदंडजनसंख्या
क्षेत्रफल
वन और पारिस्थितिकी
आय-अंतर
जनसांख्यिकीय प्रदर्शन
कर संग्रह के प्रयास:
स्रोत: पी.आई.बी.पंद्रहवें वित्त आयोग की मुख्य सिफारिश क्या थी?15वें वित्त आयोग ने 2022-23 से 2025-26 तक कुल 4,800 करोड़ रुपये (प्रत्येक वर्ष 1,200 करोड़ रुपये) के अनुदान की सिफारिश की है। इसका उद्देश्य राज्यों को शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। बढ़ावा देने की सिफारिश की है।
भारत के 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों ने राज्यों को अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार करने में कैसे सक्षम बनाया है?यह संघ और राज्यों के वित्त साधनों की स्थिति की समीक्षा करने, और एक स्थिर और स्थायी राजकोषीय परिवेश बनाए रखने के लिए सुझाव देने हेतु, भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक पांच वर्ष की समाप्ति पर गठित किया जाता है। यह विभाज्य पूल से केन्द्र और राज्यों के बीच करों के अंतरण के संबंध में भी सिफारिश करता है।
14वें वित्त आयोग की मुख्य सिफारिशें क्या है?14वें वित्त आयोग ने अनुशंसा दी है कि केंद्र सरकार अपने कर राजस्व का 42% हिस्सा राज्यों में बांटे, जो कि 13 वें वित्त आयोग की तुलना में 10% ज्यादा है. अतः केंद्र सरकार की तरफ से पांच साल (2015-20) की अवधि के दौरान राज्यों को कुल 39.48 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किये जायेंगे.
15वें वित्त आयोग का गठन कब हुआ था?15वें वित्त आयोग का गठन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 नवंबर, 2017 को 15वें वित्त आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान की। 15वें वित्त आयोग का कार्यकाल 2020-25 तक होगा। अभी तक 14 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है। 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2019-20 तक के लिये वैध हैं।
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