स्टील का रेट कब कम होगा - steel ka ret kab kam hoga

नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश का आम बजट (Budget 2022) लोकसभा में पेश किया. अपने बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने इंफ्रास्ट्रक्चर में और तेजी लाने का संकेत दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि स्टील की मौजूदा उच्च कीमत को देखते हुए डंपिंग रोधी और सीवीडी को खत्म किया जाता है. पिछले कुछ सालों से देश में स्टील और रॉड या सरिया की कीमत में 117 फीसदी तक इजाफा हुआ है. इससे मकान बनाना काफी महंगा हो गया था. सरकार के इस कदम से आम आदमी को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचने की उम्मीद है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा, पिछले वर्ष इस्पात स्क्रैप को दी गई सीमा शुल्क छूट और एक वर्ष के लिए बढ़ाई जा रही है. उन्होंने कहा कि स्टील उत्पादों की भारी कीमत को देखते हुए स्टेनलेस स्टील और कोटेड स्टील उत्पादों, मिश्रित इस्पात की छड़ों और हाई-स्पीड स्टील पर डम्पिंग रोधी शुल्क को समाप्त किया जाता है. बता दें कि कोरोना काल में मार्च 2020 से अप्रैल 2021 तक कंपनियों में सरिया आदि का उत्पादन धीमा हो गया था लेकिन इसके बाद उत्पादन में तेजी आई तो स्टील और लोहे की छड़ की कीमत में और इजाफा हो गया. अप्रैल 2021 में 45 रुपये किलो सामान्य श्रेणी की सरिया बिक रही थी, वह अक्टूबर 2020 तक 65 रुपये हो गई.

छह साल में 117 प्रतिशत बढ़ी स्टील की कीमत
9 दिसंबर 2021 को इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह ने लोकसभा में दिए अपने बयान में कहा था कि पिछले छह सालों के दौरान इंफ्रस्ट्रक्चर में इस्तेमाल होने वाले स्टील उत्पाद, सरिया, प्लेट्स, टीएमटी सरिया की कीमतों में 117 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया था कि 10 एमएम वाली स्टील प्लेट की कीमत नवंबर 2016 में 32244 रुपये प्रति टन थी जो नवंबर 2021 में बढ़कर 96852 रुपये प्रति टन हो गई. वहीं 10 एमएम वाले टीएमटी सरिया की कीमत में भी 102 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. टीएमटी सरिया की कीमत नवंबर 2016 में 28438 रुपये थी जो नवंबर 2021 में 57,314 रुपये प्रति टन हो गई. अन्य उत्पादों जैसे वायर रॉड्स और जीपी शीट्स की खुदरा कीमतें भी इस साल नवंबर में लगातार बढ़कर 55,338 रुपये प्रति टन से 85,237 रुपये प्रति टन हो गई हैं.

एंटी-डंपिंग शुल्क खत्म करने से कैसे कम होगी सरिया की कीमत
जब किसी देश में कोई उत्पाद बहुत सस्ता बनने लगता है तब वह उस उत्पाद को दूसरे देश में डंप करने लगता है. यह अपरेक्षाकृत सस्ता होता है लेकिन उस देश के निर्माताओं को इससे घाटा लगता है. क्योंकि वह उत्पाद घरेलू कीमत से कम पर बेचता है. इसलिए सरकार घरेलू कीमत को संरक्षित करने के लिए एंटी-डंपिंग शुल्क लगाता है जिससे वह वस्तु महंगा हो जाती है. दरअसल, एंटी-डंपिंग शुल्क डंपिंग को रोकने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था में समानता स्थापित करने हेतु लगाया जाता है. यह आयात पर अधिरोपित एक तरह से सीमा शुल्क है, जो सामान्य मूल्य से काफी कम कीमतों पर माल की डंपिंग के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करती है, जबकि ‘काउंटर वेलिंग ड्यूटी’ (सीवीडी) ऐसी वस्तुओं पर अधिरोपित की जाती है, जिन्हें मूल या निर्यात करने वाले देश में सरकारी सब्सिडी प्राप्त हुई है. यानी मान लीजिए कि चीन में स्टील की कंपनियों को चीन की सरकार सब्सिडी देती है जिससे स्टील सस्ता हो जाता है और सस्ती कीमत पर इसे भारत में बेचता है. इस स्थिति में भारत सरकार घरेलू कीमत को संरक्षित करने के लिए सीवीडी लगाएगी. सरकार द्वारा इस दोनों तरह के शुल्क को खत्म किए जाने की बाद उम्मीद है कि कंपनियां सरिया की कीमत में कमी करेगी.

सरकार कीमत कम करने के लिए कई कदम उठा रही थी
लोकसभा में इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह ने हालांकि कहा था कि स्टील की कीमत को कम करने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है. 2021-22 के बजट में सरकार ने इन उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी को घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया था. इसके अलावा स्टील स्क्रैप पर 31 मार्च 2022 तक कस्टम ड्यूटी में छूट दे दी थी. वर्तमान बजट में निर्मला सीतारमण ने छूट की इस अवधि को एक साल के लिए और बढ़ा दिया है. इसके अलावा कुछ स्टील के उत्पादों पर लगने वाला एंटी डंपिंग शुल्क काउंटरवेलिंग शुल्क को भी समाप्त कर दिया गया है.

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Saria Rate Today: अपना घर (Dream Home) बनाने का सपना पूरा करने का सही समय आ गया है. सरकार के प्रयासों और कुछ सीजनल फैक्टर्स के कारण भवन निर्माण सामग्रियों (Building Materials) की कीमतें रिकॉर्ड कम हुई हैं. खासकर सबसे खर्चीले सरिये (Saria) की बात करें तो इसका भाव रोज ही गिरता जा रहा है. अभी यह साल है कि महज दो महीने पहले रिकॉर्ड बना रहा सरिया अभी आधा रह गया है. इसके अलावा सीमेंट (Cement) से लेकर ईंट (Bricks) तक की कीमतें गिरी हुई हैं.

कंस्ट्रक्शन में सरिया ही सबसे खर्चीला

आप चाहे घर बना (Home Construction) रहे हों या कोई और कंस्ट्रक्शन करने जा रहे हों, मजबूती के लिए सरिया (Iron Rod) सबसे जरूरी चीज है. घरों की छत, बीम और कॉलम आदि बनाने में सरिये का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. यहां तक नींव यानी बेस को भी सरिये से ही मजबूती मिलती है. इस सरिये का भाव महज दो महीने पहले यानी मार्च 2022 में आसमान छू रहा था. मार्च में कुछ जगहों पर सरिये का भाव 85 हजार रुपये टन तक पहुंच गया था. अभी यह कम होकर कई जगहों पर 45 हजार रुपये टन के पास आ गया है.

सरकार ने बढ़ाई स्टील पर एक्सपोर्ट ड्यूटी

सरकार ने हाल ही में स्टील पर एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) बढ़ा दी है. इसके कारण घरेलू बाजार में स्टील के उत्पादों (Steel Products) के दाम तेजी से गिरे हैं. सरिया की कीमतों में आई कमी की भी मुख्य वजह यही है. इसी साल मार्च में एक समय सरिया का खुदरा भाव 85 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच गया था, जो अभी कम होकर 45-50 हजार रुपये प्रति टन तक गिर गया है. सिर्फ लोकल ही नहीं बल्कि ब्रांडेड सरिये का भाव भी पिछले कुछ महीने में काफी कम हुआ है. अभी ब्रांडेड सरिया का भाव भी कम होकर 80-85 हजार रुपये प्रति टन पर आ गया है. मार्च 2022 में ब्रांडेड सरिये का रेट 01 लाख रुपये प्रति टन के पास पहुंच गया था. इस चार्ट में देखिए सरिये का औसत भाव कैसे कम हुआ है...

सरिया की औसत खुदरा कीमत (रुपये प्रति टन):

  • नवंबर 2021 : 70000
  • दिसंबर 2021 : 75000
  • जनवरी 2022 : 78000
  • फरवरी 2022 : 82000
  • मार्च 2022 : 83000
  • अप्रैल 2022 : 78000
  • मई 2022 (शुरुआत) : 71000
  • मई 2022 (अंतिम सप्ताह): 62-63000
  • जून 2022 (शुरुआत): 48-50000

अब इस चार्ट में देखिए कि भारत के प्रमुख शहरों में अभी सरिये का क्या रेट चल रहा है. यह रेट 04 जून 2022 को अपडेट हुआ है. आयरनमार्ट (ayronmart) वेबसाइट सरिये की कीमतों की घट-बढ़ पर नजर रखती है और साप्ताहिक आधार पर कीमतों को अपडेट करती है. कीमतें रुपये प्रति टन में हैं.

  • दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल): 45,300
  • कोलकाता (पश्चिम बंगाल): 45,800
  • रायगढ़ (छत्तीसगढ़): 48,700
  • राउरकेला (ओडिशा): 50,000
  • नागपुर (महाराष्ट्र): 51,000
  • हैदराबाद (तेलंगाना): 52,000
  • जयपुर (राजस्थान): 52,200
  • भावनगर (गुजरात): 52,700
  • मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश): 52,900
  • गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश): 53,000
  • इंदौर (मध्य प्रदेश): 53,500
  • गोवा: 53,800
  • जालना (महाराष्ट्र): 54,000
  • मंडी गोविंदगढ़ (पंजाब): 54,300
  • चेन्नई (तमिलनाडु): 55,000
  • दिल्ली: 55,000
  • मुंबई (महाराष्ट्र): 55,200
  • कानपुर (उत्तर प्रदेश): 57,000

कीमतें गिरा रहे ये फैक्टर्स

सरकार ने आसमान छूती महंगाई (Inflation) को कम करने के लिए डीजल और पेट्रोल पर टैक्स (Diesel Petrol Duty Cut) भी घटाया है. इसके बाद घरेलू बाजार में स्टील की कीमतें नियंत्रित करने के लिए इसके निर्यात पर टैक्स बढ़ाया है. इनके अलावा भी कुछ फैक्टर अनुकूल हैं. बारिश का मौसम शुरू होते ही निर्माण कार्यों में कमी आने लगती है, जिससे बिल्डिंग मटीरियल्स की डिमांड खुद ही कम होने लगती है. रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) के बुरे हालात भी इस समय सहयोग कर रहे हैं. इन कारणों से ईंट, सीमेंट, सरिया यानी छड़, रेत जैसी चीजों की डिमांड निचले स्तर पर है.