लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Sun, 27 Feb 2022 12:55 PM IST Show भारत धर्म और आध्यात्म से जुड़ा देश है। जहां एक से बढ़कर एक प्रसिद्ध और भक्तों का आस्था को बढ़ाने वाले मंदिर हैं। इन मंदिरों में साल भर भक्तों का जमावड़ा रहता है। दूर दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। कई परिवार छुट्टी और यात्रा के उद्देश्य से किसी धार्मिक स्थल पर जाना चाहते हैं। ऐसे में उनके पास कई विकल्प हैं। पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक देश में 12 ज्योतिर्लिंग हैं। भगवान शिव के ये शिवालय व मंदिरों पूरे देश में फैले हुए हैं, जिसका अपना अपना महत्व है। मान्यता है कि इन सभी शिवालयों में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग में ज्योति के रूप में मौजूद हैं। इसीलिए इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। अगर आप इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहते हैं तो पहली यात्रा महाराष्ट्र से करें। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ज्योतिर्लिंग हैं।इस महाशिवरात्रि महाराष्ट्र में तीन ज्योतिर्लिंग हैं। चलिए करते हैं महाराष्ट्र के ज्योतिर्लिंग के दर्शन । 12 ज्योतिर्लिंग कहां कहां हैं सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेश महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र घृणेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र रामेश्वर ज्योतिर्लिंग,तमिलनाडु त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र महाराष्ट्र के नासिक जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यहीं पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम हुआ। ये मंदिर गोदावरी नदी के किनारे काले पत्थरों से बना है। मान्यता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी के आह्वान पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया। तब से वह यहीं बसे हुए हैं। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र नासिक के 120 मील की दूरी पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यहां भीमा नदी बहती है, जो सह्याद्रि पर्वत के पास है। यहां का शिवलिंग काफी मोटा है, इसलिए इसका नाम मोटेश्वर महादेव भी है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र महाराष्ट्र के संभाजीनगर में पास दौलताबाद में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर भी कहते हैं। नासिक के घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 171 किलोमीटर है।
यह हैं महाराष्ट्र और अन्य जगहों के ज्योर्तिलिंग मंदिर, श्रद्धालुओं का यहां लगता है तांता
पुणे. भगवान शंकर के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़ा दिन और पर्व होता है। प्राचीन काल से ऋषिओं ने देवताएं यहां कि असुरों ने भी देवों के देव महादेव से तपश्चर्या के बल पर कई वरदान प्राप्त किए हैं। भारत में 12 प्रमुख ज्योर्तिंलिंग मंदिर हैं, जिसमें से पांच महाराष्ट्र में हैं, आज हम आपको महाशिवरात्रि के मौके पर महाराष्ट्र और अन्य जगहों के ज्योर्तिलिंग मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। -धारणा है कि, जीवन के सारे दुख, अडचनें और सभी पाप, आर्थिक समस्या दूर
करने के लिए महाशिवरात्रि के दिन भोले की भक्तिभाव से उपासना की जाती है। -महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 30 किलोमीटर पर स्थित एलोरा में यह मंदिर बना है। शिवपुराण, पद्मपुराण में इस ज्योर्तिलिंग मंदिर का उल्लेख किया गया है। भीमाशंकर -बारह ज्योर्तिंलिंग में से एक भीमाशंकर पुणे से 120 किलोमीटर दूरी घने जंगलों में बना है। यह हेमाडपंथी मंदिर 1200 साल पुराना है। -महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में औंढा में यह ज्योर्तिंलिंग मंदिर है। यहां पर विशेषता है कि, यहां महादेव की पिंडी के -सामने नंदी की मूर्ति नहीं जो हमें अन्य ज्योर्तिंलिंग और शिव मंदिरों में देखने को मिलती है। नंदी का मंदिर अलग से बना है। परली वैद्यनाथ देश के बारह ज्योर्तिंलिंग मंदिरों में से पांचवा मंदिर परली के वैजनाथ का है। परली को दक्षिण काशी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर यादव कालीन है। त्र्यंबकेश्वर नासिक जिले के त्र्यंबक में भारत के प्रमुख 12 ज्योर्तिलिंग मंदिरों में एक मंदिर त्र्यंबकेश्वर का भी है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि, यहां पर शिवलिंग में ब्रह्मा विष्णु और महेश की प्रतिमा देखने को मिलती है। ब्रह्मगिरी पर्वत के परिरसर में यह मंदिर बना है। यहां हर साल देश भर से लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। -गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था। -आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित यह ज्योर्तिलिंग मंदिर है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। -मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में महाकालेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता है कि, ये एकमात्र दक्षिणमुखी
ज्योतिर्लिंग है। -मध्यप्रदेश के इंदौर के पास यह मंदिर नर्मदा नदी के तट पर बना है। -केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। -विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है। -यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारिका बना है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। आगे की स्लाइड्स में देखें महाराष्ट्र और अन्य जगहों के ज्योर्तिंलिंग मंदिरों की तस्वीरें....... महाराष्ट्र में कितने ज्योतिर्लिंग है उनके नाम?महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा ज्योतिर्लिंग हैं। इस महाशिवरात्रि महाराष्ट्र में तीन ज्योतिर्लिंग हैं। चलिए करते हैं महाराष्ट्र के ज्योतिर्लिंग के दर्शन । महाराष्ट्र के नासिक जिले से 30 किलोमीटर की दूरी पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है।
महाराष्ट्र के 5 ज्योतिर्लिंग कौन कौन से हैं?यह हैं महाराष्ट्र और अन्य जगहों के ज्योर्तिलिंग मंदिर, श्रद्धालुओं का यहां लगता है तांता. पुणे. भगवान शंकर के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि सबसे बड़ा दिन और पर्व होता है। ... . घृष्णेश्वर. भीमाशंकर. औंढा नागनाथ. परली वैद्यनाथ. त्र्यंबकेश्वर. सोमनाथ. मल्लिकार्जुन. 12 ज्योतिर्लिंग कौन कौन से राज्य में है?सोमनाथ ज्योतिर्लिंग वेरावल, सोमनाथ गुजरात. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम आंध्र प्रदेश. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन मध्य प्रदेश. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग खंडवा मध्य प्रदेश. बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग देवघर झारखंड. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग खेड़ तालुका, पुणे ... . रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग रामेश्वरम ... . नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारका. पुणे के पास कौन सा ज्योतिर्लिंग है?अगर आप महाराष्ट्र की यात्रा के लिए जा रहे हैं तो यहां मौजूद भगवान शिव के तीन ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से ना चूकें. भीमशंकर शिव मंदिर के नाम से विख्यात ये मंदिर पुणे के करीब शिराधन गांव में स्थित है. इसे मोटेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
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