औरत के लिए हमारी भाषिक परंपरा में सर्वाधिक प्रचलित तीन शब्द हैं- स्त्री, नारी और महिला। इनमें भी हमारी बोलचाल में ‘स्त्री’ और ‘महिला’ शब्द सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं। संस्कृत में तो ये तीनों शब्द व्युत्पन्न (यौगिक) हैं, पर हिंदी में ‘नारी’ यौगिक शब्द (नर+ई) है, शेष रूढ़ हैं। इन शब्दों को ले कर हमारे शब्दशास्त्रियों ने जो माथापच्ची की है, उसमें उन के पुरुषवादी पूर्वग्रह और पितृसत्तात्मक रुझान साफ झलकते हैं। Show स्त्री- यास्क ने अपने ‘निरुक्त’ में ‘स्त्यै’ धातु से इसकी व्युत्पत्ति की है, जिस का अर्थ लगाया गया है- लज्जा से सिकुड़ना। यास्कीय व्युत्पत्ति पर दुगार्चार्य ने लिखा है- ‘लज्जार्थस्य लज्जन्तेपि हि ता:’। इस का भावार्थ है कि लज्जा से अभिभूत होने से औरत का एक पर्याय स्त्री है। यहां आपत्ति की बात यह है कि लजाना या शरमाना स्त्रियों का जन्मजात गुण तो है नहीं। अगर पुरुषवर्चस्वी सभ्यता में खास तरह के सामाजिकीकरण के तहत लड़कियों पर लज्जा का भाव आरोपित न किया जाए, तो वे भी लड़कों की तरह (कम से कम अपने जायज हकों के लिए) सामने वालों की आंखों में आंखें डाल कर बात करने में समर्थ हो जाती हैं, न कि छुईमुई गुड़िया बनी रहती हैं। सच तो यह है कि ऐसी व्युत्पत्तियां सभ्यताजनित स्थितियों को स्वाभाविकता प्रदान करने की दिशा में खड़ी हैं। लोकप्रिय खबरें Surya Gochar 2023: 14 जनवरी तक इन 4 राशियों के लोगों को मिल सकता है भाग्य का साथ, कारोबार और करियर में मिल सकती है तरक्की! Madhya Pradesh: 55 फीट गहरे बोरवेल में 65 घंटे से फंसा 8 साल का बच्चा, मां बोली- नेता या अधिकारी की औलाद होती तब भी इतना समय लगता Cauliflower Side Effect: इन 5 बीमारियों में गोभी का सेवन बॉडी पर ज़हर की तरह असर करता है, जानिए इसके साइड इफेक्ट Gujarat, Himachal Pradesh Vidhan Sabha Chunav Result 2022 Live Updates: हिमाचल के सीएम पर शिमला में नहीं हो सका फैसला, गुजरात में भूपेंद्र पटेल के नाम पर आज लगेगी मुहर स्त्री शब्द से ही विकसित हुआ है लोक-भाषाओं में आया ‘त्रिया’ या ‘तिरिया’ शब्द। (‘तुम्ह तिरिया मति हीन तुम्हारी’- ‘पद्मावत’)। यह संभवत: ‘स्त्रियश्चरित्रम् पुरुषस्य भाग्यम् देवो न जानाति कुतो मनुष्य:’ आदि प्रयोगों में आए ‘स्त्रिय’ का विकास है। इसी से बना समस्त पद ‘तिरियाचरित्तर’ समाज में खूब चलता है । इस में स्त्री के व्यक्तित्व का स्वीकार तो है, पर बेहद नकारात्मक रूप में। मसलन, स्त्री झगड़ालू, बकवादी, बेवफा, विवाहेतर संबंध रखने वाली, रहस्यमयी, अविश्वसनीय आदि होती है। इन्हीं दुगुर्णों व तज्जनित लक्षणों को समेकित रूप में ‘तिरियाचरित्तर’ कहा जाता रहा है, जो स्त्रियों की सामूहिक बदनामी और अपमान का सूचक है। सच तो यह है कि पितृसत्ता के प्रत्यक्ष दमनों और छल-छद्मों से भरी विषम परिस्थितियों में घिरी स्त्रियों की स्थिति दांतों के बीच जीभ की सी रहती है। उसमें अपने अस्तित्व-रक्षा के लिए भी वे जो कुछ करती हैं या सहज ढंग से सांस भी लेती हैं, तो मर्दवादी भाषा में उसे ‘तिरिया-चरित्तर’ कह दिया जाता है। नारी- वैदिक शब्द नहीं है। हां, ‘नृ’ / ‘नर’ का प्रयोग ‘वेद’ में मिलता है, जिसका अर्थ वीर, नेता आदि है। ‘नृ’ शब्द तब स्त्री-पुरुष सब को समेट कर मानव-मात्र का वाचक था। उसी से पुंल्लिंग ‘नर’ (नृ+अच्) बना, जिस में ई प्रत्यय जोड़ कर ‘नारी’ शब्द सिद्ध किया गया। इस प्रकार की व्युत्पत्ति से साफ जाहिर होता है कि नर के समक्ष नारी गौण या हीन है।महिला- यह ‘मह्’ धातु (आदर, पूजा करना) से व्युत्पन्न माना गया। इसका अर्थ हुआ आदरणीया या पूज्या। लेकिन, आप्टे-कोश में इसके अर्थ में स्त्री के साथ, मदमत्त या विलासिनी स्त्री भी दिया गया है। ‘महिला’ शब्द मूलत: स्त्री की महिमा या समाज में उस की बुलंद हैसियत को रेखांकित करने वाला शब्द लगता है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह उस युग या देशकाल की छाया है, जिस में मातृसत्तात्मक व्यवस्था या मातृवंशी- मातृप्रधान समाज अस्तित्व में रहा होगा। तब स्त्री की सामाजिक और आर्थिक सत्ता मजबूत थी और वही समाज का नेतृत्व करती थी। समाज की वंश-परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए वह अपनी पसंद से पुरुषों का वरण करती थी और संतान पर अधिकार उसी का रहता था। तब समाज में पिता जैसा पद महत्त्व नहीं रखता था। बाद में पितृसत्ता के उभार से स्त्री का वह स्वातंत्र्य और महत्त्व आदर की वस्तु नहीं रह गया और उसकी निंदा होने लगी। उसी दौर में ‘महिला’ के अर्थ में विलासिनी-मदमत्त स्त्री के भाव जोड़े गए होंगे। जैसे-जैसे पितृसत्तात्मक समाज आकार लेता गया, स्त्री दोयम दर्जे की होती गई। उसकी मुख्य पहचान पुरुष की वंश-परंपरा को जारी रखने वाली मशीन और पुरुष के कार्य में सहायक और उसके मनोरंजन तथा भोग का सामान बनने वाली हो कर रह गई। इसका प्रभाव उसके लिए वाचक शब्दों के विकास और उनके लिए निर्धारित की गई व्युत्पत्तियों पर भी पड़ा। १ नारी में कौन सा प्रत्यय?डीन् प्रत्यय के उदाहरण:
नृ + डीन् = नारी नर + डीन् = नारी
नारी कौन सा शब्द है?Naaree Shabd
नारी शब्द (Lady, Women): ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्द , इस प्रकार के सभी ईकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के शब्द रूप (Shabd Roop) इसी प्रकार बनाते है।
कुमारी में कौन सा स्त्री प्रत्यय लगा है?स्त्रीलिंङ्ग शब्द निर्माण के लिए ही 'ङीप्' प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है। उत्तर- (i) देवी, (ii) तरुणी, (iii) कुमारी, (iv) त्रिलोकी, (v) किशोरी, (vi) मनोहारिणी, (vii) मालिनी, (viii) तपस्विनी, (ix) भवती, (x) श्रीमती, (xi) गच्छन्ती, (xii) पचन्ती, (xiii) नृत्यन्ती, (xiv) पश्यन्ती, (xv) वदन्ती ।
देवी में कौन सा स्त्री प्रत्यय है?डीप् प्रत्यय: की परिभाषा
भवत् + ई = भवती, श्रीमती, बुद्धिमती आदि।
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