मियाँ नसीरुद्दीन सिर हिलाते समय कैसे दिखे ? - miyaan naseeruddeen sir hilaate samay kaise dikhe ?

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उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन एक खानदानी नानबाई है। उसके पिता और दादा भी प्रसिद्ध नानबाई थे। मियाँ नसीरुद्दीन अनेक तरह की रोटियाँ बनाने कीकला जानता था। यह कला उसने कहीं और से नहीं सीखी थी अपितु अपने बुजुर्गों से प्राप्त की थी। वे मसीहाई अंदाज़ से रोटियाँ पकाने की कलाके विषय में बताते हैं। उन्हें अपनी कला के आधार पर ही नानबाइयों का मसीहा कहा जाता है।


2. लेखिका मियाँ नसीरुद्दीन के पास क्यों गई थीं?

उत्तर- लेखिका कृष्णा सोबती मियाँ नसीरुद्दीन के पास अनेक तरह की रोटियाँ बनाने की कला, उनके खानदान और व्यक्तित्व से संबंधित प्रश्न पूछने के लिए गई थीं।

3. बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों खत्म होने लगी?

उत्तर- बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी इसलिए खत्म होने लगी क्योंकि वह अपने बुजुर्गों की शान में कुछ ज़्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर कह रहा था और नाम बताने पर समय का पता चलता और उसकी पोल खुल सकती थी ।

4. मियाँ नसीरुद्दीन के चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून न छेड़ने का फ़ैसला किया- इस कथन के पहले और बाद के प्रसंगका उल्लेख करते हुए इसे स्पष्ट कीजिए

उत्तर- लेखिका द्वारा जब यह पूछा जाता है कि मियाँ नसीरुद्दीन के पिता किस बादशाह के यहाँ काम करते थे तो वह झल्ला जाता है और अपने कारीगरों को डाँटते हुए काम करने के लिए कहता है। जब यह पूछा जाता है कि ये कारीगर आपके शिष्य हैं तो आवेश में आकर कहता है कि ये काम की पूरी-पूरी मज़दूरी लेते हैं। उसके चेहरे पर छाई उदासीनता और झुंझलाहट की लकीरों को देखकर उसका गुस्सा और आवेश साफ़ दिखाई दे रहा था। लेखिका उसके बच्चों के विषय में जानना चाहती थी किंतु उसके चेहरे पर किसी दबे हुए अंधड़ के आसार देख यह मज़मून नछेड़ने का फ़ैसला किया गया।

5- पाठ में मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र लेखिका ने कैसे खींचा है ?

उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन का शब्दचित्र खींचते हुए लेखिका ने बताया कि उसका चेहरा समय की मार झेलते हुए पक गया है। आँखों से चालाकी केसाथ भोलेपन का भाव भी झलकता है और उसके माथे पर खींची लकीरें उसके निपुण कारीगर होने के संकेत देती हैं।


मियाँ नसीरूद्दीन पाठ के आस-पास


1. मियाँ नसीरुद्दीन की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगीं?

उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन की निम्नलिखित बातें हमें अच्छी लगीं - 


क- वह आगंतुक का सत्कार करता है।
ख- वह स्पष्टवादी है।
ग- उसने किसी भी कला को सीखने के लिए उसकी जानकारी को महत्त्व दिया है।
घ- वह अनेक तरह की रोटियाँ बनाने की कला जानता है।

2. तालीम की तालीम ही बड़ी चीज होती है- यहाँ लेखक ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग क्यों किया है? क्या आप दूसरी बार आए तालीम शब्द की जगह कोई अन्य शब्द रख सकते हैं? लिखिए।

उत्तर- यहाँ लेखिका ने तालीम शब्द का दो बार प्रयोग किया है- पहला कला के लिए और दूसरा कला को सिखाने के लिए।

3. मियाँ नसीरुद्दीन तीसरी पीढ़ी के हैं जिसने अपने खानदानी व्यवसाय को अपनाया। वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय कोन हीं अपना रहे हैं। ऐसा क्यों?

उत्तर- वर्तमान समय में प्रायः लोग अपने पारंपरिक व्यवसाय को नहीं अपना रहे हैं क्योंकि पहले किसी भी काम को सीधे-साधे ढंग से करने की मानसिकता होती थी। उनके द्वारा अपनाए गए ज़्यादातर कामों को आज निम्न स्तर का समझा जाता है। दूसरे यह की साधारण ढंग से किए गए काम में लाभ होने की संभावना भी कम हो जाती है।

4. मियाँ, कहीं अखबारनवीस तो नहीं हो? यह तो खोजियों की खुराफ़ात है- अखबार की भूमिका को देखते हुए इस पर टिप्पणी करें।

उत्तर- मियाँ नसीरुद्दीन का यह कहना कि अखबारनवीस खोजियों की खुराफात है - बिल्कुल ठीक है। इस वाक्य के दो अर्थ हैं- नकारात्मक और सकारात्मक । नकारात्मक अर्थ यह है कि अखबारनवीस अपना अखबार चलाने के लिए व्यर्थ की बातों को भी तूल देते हैं वे खोज - खोजकर नई-नई बातें लोगों के सामने लाते हैं। जिससे लोगों में सनसनी पैदा हो, हड़कंप पैदा हो और उनका अखबार चल निकले। सकारात्मक अर्थ यह है किअखबारनवीस नई सूचनाओं को खोजकर संसार के सामने लाते हैं तथा प्रगति का पथ प्रशस्त करते हैं। उनके कारण ज्ञान का विस्तार होता है।

मियाँ नसीरूद्दीन भाषा की बात



1- तीन चार वाक्यों में अनुकूल प्रसंग तैयार कर नीचे दिए गए वाक्यों का इस्तेमाल करें|

(क) पंचहज़ारी अंदाज़ से सिर हिलाया
(ख) आँखों के कंचे हम पर फेर दिए ।
(ग) आ बैठे उन्हीं के ठीये पर।

उत्तर- जब हमने नेताजी से उनके मंत्री बनने के विषय में पूछा तो उन्होंने पंचहज़ारी अंदाज़ से सिर हिलाते हुए और आँखों के कंचे हम पर फेरते हुए कहा कि इसके विषय में हमने अपने बुजुर्गों से सीखा है और उन्हीं के ठीये पर आकर बैठ गए हैं।

2- बिटर-बिटर देखना- यहाँ देखने के एक खास तरीके को प्रकट किया गया है? देखने संबंधी इस प्रकार के चार क्रिया -विशेषणों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए ।

उत्तर
क- वह टकटकी लगाकर देखता रहा
ख- क्या टुकुर-टुकुर देख रहे हो?
ग- बच्चा अपलक खिलौने को निहारता रहा ।
घ- वह घूर घूरकर देखता रहा ।

3. नीचे दिए वाक्यों में अर्थ पर बल देने के लिए शब्द-क्रम परिवर्तित किया गया है। सामान्यतः इन वाक्यों को किस क्रम में लिखा जाता है? लिखें। मियां नसीरुद्दीन सिर हिलाते समय कैसे दिखे?

उनकी पेशानी पर मँजे हुए कारीगर के तेवर हैं । वे बड़े सधे अंदाज में बातों का जवाब देते हैं । कभी-कभी पंचहजारी अंदाज में सिर हिलाते हैं 1 वे कभी दूसरे आदमी के सामने आँखों के कंचे फेरते हैं, कभी आँखें तरेरते हैं । बीड़ी के कश खींचने में वे माहिर हैं ।

मियाँ नसीरुद्दीन की कौन सी विशेषताएं आपको प्रभावित करती है?

मियाँ नसीरुद्दीन को नानबाइयों का मसीहा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह अपने मसीहाई अंदाज से रोटी पकाने की कला का बखान करता है तथा इसमें वह अपनी खानदानी महारत बताता है । नानबाई रोटी बनाने की कला में माहिर है । अन्य नानबाई रोटियाँ तो पकाते हैं, पर मियाँ नसीरुद्दीन अपने पेशे को कला मानता है

मियाँ ने पढ़ाई के कितने तरीके बताए हैं?

उत्तर- मियाँ ने पढ़ाई के दो तरीके बताएँ हैं-पहला किताबी, दूसरा व्यावहारिक। पहले तरीके में उस्ताद चेले को एक-एक शब्द का उच्चारण करवाकर पढ़ाता है। दूसरे तरीके में काम करते हुए सिखाया जाता है। इसमें छोटे काम पहले करवाए जाते हैं, फिर बड़े काम सिखाए जाते हैं

मियाँ नसीरुद्दीन को नान भाइयों का मसीहा क्यों कहा जाता है?

उन्हें छप्पन तरह की रोटियाँ बनानी आती हैं। अन्य नानबाईयों के लिए यह काम उनकी जीविका का साधन है और मियाँ नसीरुद्धीन के लिए यह एक कला है, जिसे पकाने में उन्हें आनंद आता है। उसकी मसीहाई अंदाज़ और सर्वश्रेष्ठता के कारण ही उसे नानबाइयों का मसीहा कहा जाता है।