सीटी स्कैन से क्या पता चलता है - seetee skain se kya pata chalata hai

शहर छोटा हो या बड़ा, सीटी स्कैन सेंटरों पर जबरदस्त भीड़ दिख रही है। लोग कोरोना से इतना डर गए हैं कि वे थोड़े भी लक्षण सामने आने पर सीधे सीटी स्कैन कराने दौड़ पड़ते हैं। इससे सीटी स्कैन करने वाले सेंटरों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। पिछले हफ्ते केंद्र सरकार को कहना पड़ा कि सीटी स्कैन कराना अच्छा नहीं है। कोरोना इन्फेक्शन की पुष्टि के लिए सीधे सीटी स्कैन न कराएं।

एम्स-दिल्ली के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने पिछले हफ्ते प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें कहा कि सीटी स्कैन सेंटरों पर भीड़ लग रही है, जिसकी जरूरत ही नहीं है। उन्होंने चेताया भी कि सीटी स्कैन अच्छा नहीं है। एक सीटी स्कैन 250-300 X-रे के बराबर रेडिएशन छोड़ता है। हर मरीज को इसे कराने की जरूरत नहीं है। हालांकि, इंडियन रेडियोलॉजी एंड इमेजिंग एसोसिएशन (IRIA) ने गुलेरिया के दावों का खंडन किया। एसोसिएशन का कहना है कि सीटी स्कैन में जितना कम हो सके, उतने कम रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है। इससे कैंसर या अन्य बीमारियां होने का खतरा बहुत कम रहता है। हमने इस मुद्दे को समझने के लिए डॉ. अनिल बल्लानी, एमडी, कंसल्टंट फिजिशियन/कार्डियोलॉजिस्ट, पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल एंड मेडिकल रिसर्च सेंटर, खार फेसिलिटी, से बात की। उनसे समझने की कोशिश की कि सीटी स्कैन कराने की जरूरत किसे है और इससे क्या पता चलता है?

वहीं सीटी स्कोर से ये पता चलता है कि इंफेक्शन ने फेफड़ों को कितना नुकसान किया है. इस नम्बर को CO-RADS कहा जाता है. यदि CO-RADS का आंकड़ा 1 है तो सब नॉर्मल है, वहीं ये 2 से 4 है तो हल्का फुल्का इन्फेक्शन है लेकिन यदि ये 5 या 6 है तो पेशेंट को कोविड पॉजिटिव माना जाता है.

इसका मतलब यह है कि चेस्ट सीटी स्कैन से छाती में कुछ असामान्य स्थितियों का पता चल सकता है, जो कोविड का नतीजा हो सकती हैं, लेकिन ये अपने आप में कोविड का पता लगाने के लिए काफी नहीं हैं जैसे कि स्वैब टेस्ट के मामले में है, जो कि एक खास संक्रमण का पता लगाने के लिए तैयार किए गए हैं.

  • सीटी स्कैन भी गलत निगेटिव रिपोर्ट बता सकता है

जैसा कि डॉ. सुमित रे पहले बता चुके हैं, कोई भी टेस्ट गलतियों से परे नहीं है.

खासतौर से यह देखते हुए कि सभी कोविड मरीजों के फेफड़े और छाती में असामान्यता नहीं होगी, और सीटी स्कैन में उनके उभर कर सामने नहीं आने से भी कोविड से इनकार नहीं किया जाता है.

असल में कोविड के ज्यादातर मरीजों में छाती में कोई असामान्यता नहीं होगी.

इस वजह से, कोविड मरीजों के मामले में जब तक निश्चित सबूत नहीं मिल जाते, इससे जुड़े लक्षणों को देखते हुए इलाज करने की सलाह की जाती है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि टेस्ट के नतीजे क्या कहते हैं, जब तक निश्चित एविडेंस स्थापित नहीं हो जाते.

  • सीटी स्कैन सिर्फ खास हालात में ही किया जाना चाहिए

जैसा कि पहले कहा गया है, सीटी स्कैन इस बात की तह तक जाने में बहुत मददगार हो सकते हैं कि किसी मरीज की हालत क्यों बिगड़ती जा रही है, और मरीज के खास लक्षणों को ध्यान में रखते हुए इसे केवल गंभीर मामलों में ही किया जाना चाहिए.

सीटी स्कैन (CT Scan) में किसी प्रकार का कोई दर्द नहीं होता। अब नई तकनीक के माध्यम से यह कुछ ही मिनट में पूरा हो जाता है। सीटी स्कैन की पूरी प्रक्रिया 30 मिनट में पूरी हो जाती है।

इस प्रक्रिया के दौरान आपको हॉस्पिटल गाउन पहनने और किसी भी प्रकार की ज्वैलरी उतारने के लिए कहा जा सकता है। ज्वैलरी या किसी धातु की वजह से सीटी स्कैन (CT Scan) के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं।

इसके बाद डॉक्टर आपको पीठ के बल लेटने को कहते हैं। एक स्लाइड्र के माध्यम से आपका शरीर स्कैन (Scan) के अंदर जाता है। इसके बाद डॉक्टर कंट्रोल रूप से स्कैनिंग देखते हैं।

स्कैनिंग के दौरान स्लाइडर कुछ ऊपर की उठता है। इसके बाद एक्स-रे (X-ray) मशीन आपको शरीर के आसपास घूमती है। हर रोटेशन में एक्स-रे (X-ray) मशीन दर्जनों इमेज तैयार कर लेती है। इस दौरान मशीन के काम करने की आवाज साफ सुनाई देती है। स्कैनिंग के दौरान स्लाइडर कई बार एडजस्ट होता है। कई बार इसमें कुछ ज्यादा समय लग सकता है।

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स्कैनिंग के दौरान मरीज को हमेशा बिना हिले लेटे रहना चाहिए। हिलने-डुलने पर स्कैनर में धुंधली तस्वीरें आती हैं, जो किसी काम की नहीं होतीं। कई बार डॉक्टर आपको सांस रोके रहने के लिए भी कह सकता है, जिससे सीने का हिलना-डुलना ना हो। बच्चों के मामले में डॉक्टर दवाई देकर कुछ देर के लिए उन्हें शांत कर देते हैं।

हम समझते हैं कि बड़ी मशीनें और  कॉम्प्लिकेटेड टेस्ट्स आपके लिए घबराहट की वजह बन सकते हैं। यदि आपके डॉक्टर ने आपके लिए एक सलाह दी है या आप यह समझना चाहते हैं कि स्कैन क्या है और कैसे होता है, तो हम आपकी मदद कर सकते हैं।

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सीटी स्कैन या कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी स्कैन (Computerised Tomography Scan)

शरीर के हार्ड  टिशूज (hard tissues) को देखने (visualize) के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला डायग्नोस्टिक इंटरवेंशन है। यह रेडियोलॉजिकल विशेषज्ञों द्वारा संचालित एक रेडियोलॉजिकल इमेजिंग तकनीक है जो शरीर की एक्स-रे  इमेजेज की एक श्रृंखला (series) का संयोजन (combination) प्रदान करती है जिसे आगे कंप्यूटर की सहायता से प्राप्त किये उपकरणों द्वारा संसाधित (create) किया जाता है ताकि शरीर में हड्डियों और कोमल टिशूज की क्रॉस-सेक्शनल इमेजेज बनाई जा सकें। यह बहुत व्यापक मूल्यांकन (comprehensive evaluation) है जो हैल्थ केयर (healthcare) प्रोफेशनल्स को रोग का एक्यूरेट डायग्नोज़ (acute diagnosis) करने में मदद करता है।

डाक्टर (physicians)  इसका सबसे अधिक उपयोग कैंसर स्क्रीनिंग, स्टेजिंग और फॉलो-अप के लिए करते हैं। बायोप्सी (biopsy) और सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान सहायता करने के लिए सीटी स्कैन का उपयोग भी लोकप्रिय(popular) है।

सीटी स्कैन के प्रकार (Types of CT Scan)

  • उच्च-रिज़ॉल्यूशन सीटी स्कैन(High-resolution CT scan): इस स्कैन में अधिक रिज़ॉल्यूशन होता है और इमेजिंग में उच्च स्तर की एक्यूरेसी मिलती है। ज्यादातर यह फेफड़ों (lungs) के रोग डायग्नोज़ करने में प्रयोग किया जाता है।
  • हैलिकल या स्पाइरल सीटी स्कैन(Helical or spiral CT scan): इस प्रकार का स्कैन हृदय और हृदय संबंधी रोग डायग्नोज़ करने के लिए सुझाया जाता है। इस प्रकार के स्कैन में, एक्स-रे बीम विभिन्न कोणों (angles) से ओरगन (organ) को घेरता (encircles) है और डिटेल्ड इमेजेज प्रदान (provide) करता है। इस स्कैन का उपयोग करके कोरोनरी आर्टरीज के अंदर कैल्शियम के निर्माण (calcium deposition) का अनुमान लगाया जा सकता है।
  • अल्ट्राफास्ट सीटी स्कैन (इलेक्ट्रॉन बीम सीटी स्कैन)(Ultrafast CT scan (electron beam CT scan)): इस प्रकार का सीटी स्कैन, तेजी से चलती इमेजेज को प्रोडूसस करता है, एक “मूवी” के रूप में देखने (visualising) में मदद करता है। यह हृदय चैम्बर्स और वाल्वों (chambers and valves) का अध्ययन करने में मदद करता है। इस स्कैन का उपयोग हृदय की स्थिति की जांच के लिए भी किया जाता है। यह सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली स्कैनिंग है।
  • कंप्यूटेड टोमोग्राफिक एंजियोग्राफी स्कैन (आमतौर पर सीटीए स्कैन के रूप में जाना जाता है)(Computed Tomographic Angiography scan (commonly known as CTA scan)): एंजियोग्राफी जिसे टेक्निकली आर्टेरियोग्राफी भी कहा जाता है, रक्त वाहिकाओं (blood vessels) की डिटेल्ड इमेजेज प्रदान करती है।
  • संयुक्त पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी और सीटी (पीईटी/सीटी स्कैन)(Combined positron emission tomography and CT (PET/CT scan)): यह सीटी और पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी तकनीकों का एक कॉम्बिनेशन है और इसे आमतौर पर पीईटी/सीटी के रूप में जाना जाता है। यह कंबाइंड टेक्नोलॉजी एक इलेबोरेट एनाटोमी (elaborate anatomy) प्रदान करती है और सैल फंक्शन और मेटाबोलिज्म को भी निर्धारित करती है जो कैंसर के डायग्नोसिस और उपचार के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपकरण (instrumental tool) है। इस कपल्ड  टेक्नोलॉजी (coupled technology) का उपयोग मिर्गी(epilepsy) जैसी स्थितियों की जांच के लिए भी किया जाता है।

सीटी स्कैन पर विचार करने से पहले याद रखने योग्य बातें (Points to remember before you are considering a CT scan)

विकिरण के लिए एक्सपोजर (Exposure to Radiation)

सीटी स्कैन एक्स-रे के समान है, जिसमें रोगी हार्मफुल आयनीज़िंग रेडिएशन(harmful ionizing radiation) के संपर्क में आता है। लेकिन विकिरण की मात्रा बेसिक एक्स-रे के संपर्क से कहीं अधिक है क्योंकि सीटी स्पष्ट अंतर्दृष्टि (clear insights) प्रदान करने के लिए कई डिटेल्ड इमेजेज लेती है। विभिन्न अध्ययनों ने दर्शाया है कि सीटी स्कैन में उपयोग किए जाने वाले आयनकारी विकिरण (ionizing radiation) की बहुत कम डोसेस  के परिणामस्वरूप दीर्घकालिक प्रभाव (resulted in long-term) होते हैं, और उच्च डोसेस  के संपर्क में आने से कैंसर के संभावित जोखिम (risk) में काफी वृद्धि हो सकती है।

सीटी स्कैन की इन संभावित कमियों को नजर अंदाज कर दिया जाता है क्योंकि ऐसे फैक्टर्स  हैं जो समय पर बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसलिए, रेडियोलॉजिस्ट अध्ययन के लिए आवश्यक  डिटेल्ड रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए विकिरण (radiation) की ऑप्टिमम डोसेस  का उपयोग करते हैं। टेक्नोलॉजिकल  एडवांसेज भी नई सीटी स्कैन मशीनों को विकसित (develop) करने में सहायता कर रही है जिनके लिए कम मात्रा में विकिरण की आवश्यकता होती है।

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गर्भवती और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाएं (Pregnant and Breastfeeding Women)

सीटी स्कैन द्वारा उपयोग किया जाने वाला आयनकारी विकिरण अजन्मे भ्रूण (unborn foetus) के लिए हानिकारक साबित नहीं होता है, लेकिन गर्भवती रोगियों के लिए सीटी स्कैन नहीं करने की सलाह दी जाती है।इसीलिए  रेडियोलॉजिस्ट टेस्ट करने से पहले पुष्टि करता है कि महिला रोगी गर्भवती है या नहीं।

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के मामले में, विकिरण के लिए उपयोग किए जाने वाले बेरियम (barium) का ब्लडस्ट्रीम  में प्रवेश करना नियत ( postulated)नहीं  है और इसके ब्रेस्टमिल्क का हिस्सा होने की संभावना भी नहीं है। जबकि यह देखा गया है कि 1% से भी कम आयोडीन-आधारित सलूशन ब्रेस्टमिल्क में प्रवेश कर सकता है। इस अमाउंट से शिशु (baby) को कोई हानिकारक प्रभाव होने की संभावना नहीं है लेकिन फिर भी रेडियोलॉजिस्ट माताओं को सीटी टेस्ट के बाद 24 से 48 घंटे तक ब्रेस्टफीडिंग कराने से बचने की सलाह देते हैं।

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बच्चों में विचार (Considerations in Children)

बच्चों पर सीटी स्कैन के साइड इफेक्ट्स का मूल्यांकन किया जाता है और विभिन्न दिशानिर्देश (guidelines) निर्धारित किए जाते हैं। इन दिशानिर्देशों में शामिल हैं,

  • बच्चों के मामले में सीटी स्कैन तभी किया जाता है जब कोई अन्य विकल्प न हो
  • अल्ट्रासाउंड और एमआरआई तकनीक अधिक प्रिफर्ड (prefered) की जाती हैं
  • बच्चे के वजन के आधार पर विकिरण स्तर को ऑप्टीमाइज़्ड किया जाता है
  • स्कैन एरिया का आकार संकुचित (narrowed) है
  • यदि उच्च रिज़ॉल्यूशन इमेजेज की आवश्यकता नहीं है, तो स्कैन रिज़ॉल्यूशन पर भी काम किया जाता है

कंट्रास्ट मटेरियल  से एलर्जी (Allergies to contrast material)

रेडियोलॉजिस्ट कंट्रास्ट मटेरियल के इन्टेक का सुझाव देगा जो विशेष अंग या शरीर के अंग (organ or body part) की बेहतर जांच के लिए एक विशेष डाई है। यह कंट्रास्ट मटेरियल एक्स-रे को रोकती है और वाइट इमेजेज प्रोड्यूस करती है जो अन्य भागों के बेहतर दृश्य (better visualisation) में मदद करती है। रेडियोलॉजिस्ट सीटी स्कैन प्रक्रिया शुरू होने से पहले या तो इंजेक्शन लगाता है, मौखिक रूप (orally) से दवा या एनीमा के रूप में देता है।कंट्रास्ट मटेरियल के लिए कोई एलर्जिक रिएक्शंस एक एडवर्स  रिएक्शन  है लेकिन किसी भी दवा या एलर्जी की रिएक्शन रेडियोलॉजिस्ट को सूचित (informed) की जानी चाहिए। हल्के रिएक्शन में दाने या खुजली शामिल हैं। बहुत ही दुर्लभ उदाहरणों (rare instances) में कोई भी एलर्जी रिएक्शन गंभीर और घातक भी हो सकती है।

भारत में कीमत (cost in india)

विभिन्न सीटी स्कैन हैं और मशीन के प्रकार, कंट्रास्ट मटेरियल और अध्ययन किए जाने वाले ऑर्गन  के आधार पर भारत में कीमत 5000 से 15000 रुपये तक है।

निष्कर्ष (conclusion)

सीटी स्कैन एक पावरफुल डायग्नोसिस उपकरण है जो रोग का एक्यूरेट डायग्नोसिस में मदद करता है और उचित उपचार रिकमेंड करता है।1970 के दशक की शुरुआत में इस तकनीक ने जबरदस्त प्रगति की है। प्रौद्योगिकी में कई प्रगति के परिणामस्वरूप इसकी विश्वसनीय इमेजेस गुणवत्ता (image quality) में वृद्धि हुई है और क्लीनिकल मेडिसिन में इसका व्यापक उपयोग हुआ है। पहले की प्रवृत्तियों से पता चलता है कि सीटी स्कैन ने फिसिशन्स को रोग की सटीक भविष्यवाणियां प्रदान करने में सक्षम बनाया। लगभग 200 मिलीसेकंड के न्यूनतम रोटेशन समय के साथ उच्च गुणवत्ता वाला रिज़ॉल्यूशन, हाल की मशीनों में 80 मिलीसेकंड तक में स्कैन समय पर उपलब्ध हो जाता है|

पेट के सीटी स्कैन से क्या पता चलता है?

पीईटी-सीटी स्कैन पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी को संदर्भित करता है - कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन हृदय रोग, मस्तिष्क विकार और कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाता है।

MRI और सीटी स्कैन में क्या अंतर होता है?

जैसे कि सबसे बड़ा अंतर यह है कि एमआरआई (Magnetic resonance imaging Or MRI) रेडियो तरंगों का उपयोग करते हैं और सीटी (Computed Tomography Scan) स्कैन है जिसमें, एक्स-रे का उपयोग करते हैं।

सिर का सीटी स्कैन क्यों किया जाता है?

क्यों किया जाता है सीटी स्कैन? जब किसी बीमारी की जांच करते हुए और उसके बारे में डिटेल में जानकारी जुटाते हुए डॉक्टर्स को बॉडी के सॉफ्ट टिश्यूज, ब्लड वेसल्स या बोन्स की डिटेल स्टडी चाहिए होती है, तब सीटी स्कैन की जरूरत पड़ती है.

सीटी स्कैन कितने प्रकार का होता है?

सीटी स्कैन के प्रकार (Types of CT Scan).
उच्च-रिज़ॉल्यूशन सीटी स्कैन(High-resolution CT scan): इस स्कैन में अधिक रिज़ॉल्यूशन होता है और इमेजिंग में उच्च स्तर की एक्यूरेसी मिलती है। ... .
हैलिकल या स्पाइरल सीटी स्कैन(Helical or spiral CT scan): इस प्रकार का स्कैन हृदय और हृदय संबंधी रोग डायग्नोज़ करने के लिए सुझाया जाता है।.