चर्चा में क्यों?हाल ही में राज्यसभा ने सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन विधेयक, 2019 (The Public Premises (Eviction of Unauthorised Occupants) Amendment Bill, 2019) पारित किया है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पूर्व ही यह विधेयक लोकसभा द्वारा भी पारित हो चुका है। प्रमुख बिंदु
विधेयक के प्रावधान:
स्रोत: PRSप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) अधिनियम 1971 (पीपीई एक्ट, 1971) की धारा 2 और धारा 3 में संशोधन को अपनी मंजूरी दे दी है। अधिनियम की धारा 2 में एक नए खंड में ‘आवासीय सुविधा अधिवास’ की परिभाषा को शामिल किया गया है जबकि ‘आवासीय सुविधा अधिवास’ से निष्कासन के लिए धारा 3 की उपधारा 3ए के नीचे नई उपधारा 3बी का प्रावधान शामिल किया गया है। यह संशोधन एक निश्चित कार्यकाल या तय की गई समयावधि के लिए आवंटित आवासीय परिसरों में अनधिकृत रूप से रहने वालों को निष्कासित करने के लिए संपदा अधिकारियों को संक्षिप्त कार्यवाही करने में सक्षम बनाता है। ऐसे लोगों के आवास नहीं खाली करने के कारण नए पदाधिकारियों के लिए आवास की अनुपलब्धता बनी रहती है। इस प्रकार, अब संपदा अधिकारी उन मामलों में जांच कर सकता है, जिन मामले की परिस्थितियों को वह उचित समझता है। उसे अधिनियम की धारा 4, 5 और 7 के अनुसार निर्धारित विस्तृत प्रक्रियाओं का पालन नहीं करना होगा। संपदा अधिकारी नई धारा में प्रस्तावित प्रक्रिया का पालन करते हुए तुरंत ऐसे व्यक्तियों के निष्कासन का आदेश भी दे सकता है। यदि कोई व्यक्ति निष्कासन के आदेश का अनुपालन न करे अथवा उसे मानने से इनकार कर दे तो संपदा अधिकारी उन्हें परिसर से बेदखल कर कब्जा भी ले सकता है। इसके लिए वह जरूरत के आधार पर बल का प्रयोग भी कर सकता है। इस संशोधन से सरकारी आवासों में अनधिकृत रूप से रह रहे लोगों का सुगम और त्वरित निष्कासन सुलभ होगा। इन संशोधनों के परिणामस्वरूप भारत सरकार अब यह सुनिश्चित कर सकती है कि अनधिकृत निवासियों को सरकारी आवासों से तेजी और सुगम तरीके से बेदखल किया जाए और खाली कराए गए आवास पात्र सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध हों ताकि प्रतीक्षा अवधि को कम किया जा सके। इन संशोधनों से सरकारी आवासों में अनधिकृत रूप से रहने वालों के सुगम और त्वरित निष्कासन की सुविधा मिलेगी और सरकारी आवास की उपलब्धता बढ़ने से प्रतीक्षा सूची वाले व्यक्तियों को लाभ होगा। सरकारी आवास समय पर खाली न करने से नए पदाधिकारियों के लिए आवासों की अनुपलब्धता बढ़ जाती है। इसका लाभ पाने वालों में केंद्र सरकार के कार्यालयों में काम करने वाले वे कर्मचारी शामिल हैं, जो सामान्य पूल आवासीय व्यवस्था (जीपीआरए) के पात्र हैं और अपनी बारी की परिपक्वता की प्रतीक्षा कर रहे हैं। पृष्ठभूमि भारत सरकार को सरकारी आवासों में अवैध तरीके से रहने वालों को पीपीई एक्ट, 1971 के प्रावधानों के अनुसार निकालना होता है। हालांकि निष्कासन की यह प्रक्रिया सामान्यतौर पर लंबा समय लेती है और इसकी वजह से नए पदाधिकारियों के लिए सरकारी आवासों की उपलब्धता घट जाती है।
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