सरकार खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए क्या क्या सुविधाएं प्रदान करती है? - sarakaar khelon ko protsaahan dene ke lie kya kya suvidhaen pradaan karatee hai?

जरूरी है सकारात्मक सोच
खेलों को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत संरचना का विकास, खेल नीति का क्रियान्वयन, अनुभवी खिलाड़ियों से परामर्श लेना और स्कूली स्तर पर खेलों के प्रति सकारात्मक सोच विकसित जरूरी है। खेल के कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता विकसित की जाए।
-धर्मचंद भगत कुचामन सिटी, नागौर
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कोच उपलब्ध कराए जाएं
हमारे देश में क्रिकेट और हॉकी के अलावा बैडमिंटन, कबड्डी, खो-खो इत्यादि खेल भी खेले जाते हैं लेकिन कबड्डी, खो-खो,फुटबॉल, बास्केटबॉल जैसे खेलों के प्रशिक्षण के लिए कोच उपलब्ध न होने के कारण ये खेल पीछे रह गए हैं। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में तो खेलों के प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन उचित प्रशिक्षण, साधन और सुविधापूर्ण प्रशिक्षण केन्द्रों के अभाव में हम खेलों में पिछड़ रहे हैं। अत: सभी खेलों के लिए प्रशिक्षित कोच होने चाहिए। क्रिकेट -हॉकी के साथ-साथ कबड्डी, कुश्ती, खो-खो, बैडमिंटन, फुटबॉल जैसे खेलों के लिए भी प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाएं। लड़कों के साथ -साथ लड़कियों को भी खेलने का अवसर प्रदान किया जाए। इससे सभी खेलों को बढ़ावा मिलेगा।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर
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अतिरिक्त अंक दिए जाएं
स्कूली शिक्षा के साथ, खेलकूद की गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है। विभिन्न परीक्षाओं में प्रतिभावान खिलाडिय़ों को अतिरिक्त अंक दे कर खेलों के प्रति आकर्षण पैदा किया जा सकता है। भविष्य निर्माण के लिए शिक्षित होना जरूरी है। इसी प्रकार स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के लिए खेलना भी जरूरी है, यह बाल्यकाल से बच्चों को बताया जाना चाहिए। स्कूल-कालेज स्तर पर नवीन और आधुनिक खेल सुविधाओं में वृद्धि कर खेलों को बढ़ावा दिया जा सकता है। खिलाडिय़ों की प्रतिभा के निखार के लिए कुशल और अनुभवी मार्गदर्शकों (कोच) की सेवाएं ली जाएं।
-नरेश कानूनगो, देवास,मध्यप्रदेश.
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खेलों को राजनीति से दूर रखा जाए
प्राय: यह देखा गया है कि खिलाडिय़ों को पर्याप्त सुविधाएं व प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है, जिसके कारण वे अपने लक्ष्य की प्राप्ति में किनारे पहुंच कर भी पीछे रह जाते हंै। भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। उन्हें पर्याप्त सुविधाएं व प्रशिक्षण मिलना चाहिए। इसके साथ ही साथ स्कूली जीवन से ही सरकार को खेलों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए , ताकि खिलाड़ी विश्व स्तर पर कीर्तिमान कायम कर सकें। इसी के साथ खेलों को राजनीति से दूर रखा जाए।
-सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
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प्राथमिक स्कूलों में हो एक खेल विषय
खेलों में रुचि बढ़ाने के लिए खेलों का एक विषय प्राथमिक स्कूल से ही शिक्षा पाठ्यक्रम में रखा जाए। विद्यार्थी इनडोर या आउटडोर खेल विषय में उत्तीर्ण हुए बिना अगली कक्षा में न जा पाए।
-मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई
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जागरूकता फैलाई जाए
जिस प्रकार व्यक्ति के जीवन में पढ़ाई का महत्व होता है, उसी प्रकार खेलों के माध्यम से व्यक्ति का शारीरिक विकास के साथ साथ मानसिक एवं बौद्धिक विकास भी होता है। खेल के माध्यम से व्यक्ति के नीरस जीवन में उत्साह का संचार होता है। सरकार को खेलों के प्रति जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
-नितिन सादेले, करैरा, शिवपुरी
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जीवनशैली का हिस्सा बनें खेल
खेलों को बढ़ावा देने के लिए सर्वप्रथम आधारभूत ढांचे पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, जिसमें खेल मैदान , खेल सामग्री, युवा खेल प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल है। ग्रामीण स्तर पर ही विशेष खेल सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ खेल प्रतिभाओं की खोज के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित करवानी चाहिए, बजट में खेलों के लिए विशेष प्रावधान करते हुए अधिक धनराशि आवंटित की जानी चाहिए। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों को विशेष प्रोत्साहन दिए जाने की व्यवस्था होनी चाहिए, अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षकों के द्वारा खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध करवानी चाहिए। साथ ही खेल को जीवनशैली का हिस्सा बनाने के प्रयास होने चाहिए। इसके लिए जन जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
-रवि शर्मा, गंगापुर सिटी
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मुख्यधारा से जोडऩे का माध्यम
खेलों से शारीरिक और मानसिक विकास तो होता ही है, खेल लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा में भी जोड़ते हैं। खेल शिक्षा पद्धति का आवश्यक हिस्सा होने चाहिए। किसी भी शिक्षण संस्थान को खेल मैदान के बिना मान्यता नहीं देना चाहिए।
-चन्द्र प्रकाश मीना, सवाई माधोपुर

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खेल का विस्तृत आधार

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‘‘सभी के लिए खेल’’ के क्रियान्वयन के लिए सभी आयु वर्ग के निवासियों में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से खेंलों के प्रति रूझान एवं भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु कार्य योजना तैयार की जायेगी, जिससे कि राज्य में खेल संस्कृति का विकास हो सकें। खेल संस्कृति के विकास से ‘‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा निवास करती है’’ कहावत चरितार्थ हो सकेगी।

जीवन में खेलों की प्रमुख भूमिका पर विचार करते हुए तथा युवा पीढ़ी मे ंराष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना भरने के लिए, खेलों को विस्तृत आधार प्रदान करने का उद्देश्य अर्थात् खेलों को सार्वभौमिक अथवा उनमें अधिक संख्या में सहभागिता का अत्याधिक महत्व है। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि शैक्षिक संस्थाओं, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रां में स्थित स्कूल तथा काॅलेज, पंचायती राज संस्थायें, स्थानीय निकाय, सरकारी तंत्र, खेल संघ और औद्योगिक उपक्रम तथा नेहरू युवा केन्द्र संगठन (एन.वाई.के.एस.) सहित समग्र देश में फैले हुए विभिन्न युवा और खेल क्लब भी इस कार्यक्रम के साथ पूर्णरूपेण सम्बद्व रहें। खेलों में महिलाओं की सहभागिता को बढ़ावा देने तथा उन्हें प्रोत्साहित करने के प्रयास किये जायेंगे। खेल विभाग तथा विभिन्न खेल संघ राज्य में खेलों के त्वरित विकास हेतु एक ‘‘क्लब संस्कृति’’ का संवर्धन करने का प्रयास करेंगें। ग्रामीण क्षेत्रों मे ंउपलब्ध प्रतिभा और क्षमता का पता लगाने के लिए वहाॅ पर खेलों के विकास को प्राथमिकता प्रदान की जायेगी। प्रदेश के सुविधा विहीन तथा दूरस्थ भागों, जिन पर विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत अत्यधिक विशेष ध्यान दिया जाता है, में एक उपयुक्त प्रतिभागी ढंाचे के माध्यम से प्रतिभा का पता लगाने और अपेक्षित अवस्थापना का विकास करने हेतु ग्राम पंचायतों / ग्राम सभाओं तथा साथ ही साथ ग्रामीण युवाओं एवं खेल क्लबों को गतिशील बनाया जायेगा। आदिवासी क्षेत्रों में खेल क्षमताओं का पता लगाने के लए भी प्रयास किये जायेगे। ऐसी उपलब्ध प्रतिभा का विास किया जायेगा तथा सक्रिय रूप से समर्थन दिया जायेगा। खेलों का संवर्धन के लिए, भौगोलिक रूप से सुविधा विहीन क्षेत्रों को आंतरिक समर्थन प्रदान किया जायेगा।

खेल के विस्तृत आधार हेतु शासकीय एवं अद्र्वशासकीय विभागों में अवस्थापना सुविधाओं का सृजन एवं खेल कार्यक्रमों को नियमित आयोजित करने से राज्य मंे खेलों का विकास एवं खिलाडि़यों को प्रोत्साहन मिलेगा।