सब्सक्राइब करे youtube चैनल Show अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय व्यापार के पतन का क्या कारण था , भारत में कुटीर उद्योग के पतन के कारण पर निबंध लघु कुटीर उद्योग के हास पर विभिन्न इतिहासकारों के मतों की समीक्षा करें ? प्रश्न : 18वीं 19वीं शताब्दी में भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य के पतन के कारणों का परीक्षण करते हुए, उसके सामाजिक प्रभावों का उल्लेख करें। भारत में कुटीर उद्योग तथा हस्तशिल्प कला के विनाश के क्या कारण थे वर्णन कीजिए?पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव
अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त भारतीयों की रुचि और स्वभाव में परिवर्तन हुआ। उन्होंने विदेशी वस्तुओं का उपयोग अपनी प्रतिष्ठा के अनुकूल समझा। विदेशी वस्तुओं का उपयोग करने में वे गौरव अनुभव करने लगे। इस प्रकार भारतीय वस्तुओं की माँग घटने लगी तथा कुटीर एवं लघु उद्योगों का पतन प्रारम्भ हो गया।
भारतीय हस्तशिल्प उद्योगों के पतन के क्या कारण थे?1) अंग्रेजी शासन के चलते देशी रजवाड़े समाप्त हो गये जो इस उद्योग के सबसे बड़े खरीददार एवं संरक्षक थे। ( 2 ) कम्पनी का स्वार्थ व्यापार में था । इंग्लैण्ड में भारतीय सामान पर अत्यधिक कर लगाया गया जिससे लाभ की राशि में कमी न हो । कम्पनी ने बुनकरों और दूसरे कारीगरों को कम खर्च में माल देने के लिए बाध्य किया ।
कुटीर उद्योग के पतन के क्या कारण थे?अंग्रेजों के भारत आगमन के पश्चात् देश में कुटीर उद्योगों तेजी से नष्ट हुए एवं परम्परागत कारीगरों ने अन्य व्यवसाय अपना लिया। किन्तु स्वदेशी आन्दोलन के प्रभाव से पुनः कुटीर उद्योगों को बल मिला और वर्तमान में तो कुटीर उद्योग आधुनिक तकनीकी के समानान्तर भूमिका निभा रहे हैं।
भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों की प्रमुख समस्या क्या है?कुटीर उद्योगों में इस्तेमाल होने वाला अधिकतर कच्चा माल कृषि क्षेत्र से आता है अतः किसानों के लिये अतिरिक्त आय की व्यवस्था कर यह भारत की कृषि-अर्थव्यवस्था को बल प्रदान करता है। इनमें कम पूंजी लगाकर अधिक उत्पादन किया जा सकता है और बड़ी मात्रा में अकुशल बेरोज़गारों को रोज़गार मुहैया कराया जा सकता है।
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