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नींद अच्छी सेहत के लिए बहुत मायने रखती है। संतुलित नींद लेने से दिमाग और शरीर स्वस्थ रहता है। किस पॉजिशन में सो रहे हैं, ये भी मायने रखता है। सोने की पॉजिशन से भी शरीर पर फर्क पड़ता है। प्रेग्नेंसी में जब बच्चा गर्भ में होता है तब कैसे उठे, कैसे बैठे, कितनी देर तक खड़े रहें, मायने रखता है और इसमें सोने की पॉजिशन और कितनी नींद लेना जरूरी है, ये भी शामिल हैं। प्रेग्नेंसी महिलाओं के लिए बदलाव का दौर होता हैं। गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास मां की एक्टिविटी पर निर्भर करता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में खुद का ख्याल रखना जरूरी है। प्रेग्नेंट महिलाओं को ठीक तरह से सोने में दिक्कत आती हैं। बच्चे के कारण किस पॉजिशन में सोएं और कितनी नींद लें, ये जानना बहुत जरूरी है।
प्रेग्नेंसी में सोने से जुड़ी कैसी मुश्किलें आती हैं — Pregnancy Me Sone Se Judi Kaisi Problem Aati Hainजो महिलाएं पहली बार गर्भवती हैं, उनके मन में सवाल होता हैं कि किस तरह से सोएं ताकि बच्चे पर गलत असर न पड़े। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को थकान, जी-मिचलाना, बेचैनी और शरीर में दर्द जैसी तकलीफें होती हैं। उन्हें ठीक तरह से सोने में भी परेशानी आती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान रात में बार-बार यूरिन आने जैसा लगता है, सांस लेने में दिक्कत आती है। इस कारण दिमाग एक्टिव रहता है और प्रेग्नेंट महिला को नींद नहीं आती है। डॉक्टर प्रेग्नेंट महिलाओं को पेट के बल सोने को मना करते हैं ताकि भ्रूण पर किसी तरह का दबाव न आएं। करवट लेने पर भी गर्भवती महिला को अजीब सा लगता है। जिन महिलाओं को पेट के बल सोने की आदत होती हैं, प्रेग्नेंसी में उन्हें सही तरह से सोने में भी दिक्कत आती हैं। (इसे भी पढ़ें: प्रेगनेंसी में 25 सावधानियां बरतें) प्रेग्नेंसी में कितनी देर सोना चाहिए — Pregnancy Me Kitni Der Sona Chahiyeप्रेग्नेंसी में सोने की पॉजिशन तो मायने रखती है लेकिन कितनी देर सोएं, इस बारे में भी जानना जरूरी है। सामान्य अवस्था में ज्यादा देर सोना या कम सोना सेहत को प्रभावित करता है, वैसे ही प्रेग्नेंसी में कम या ज्यादा सोने से बच्चे के विकास पर असर पड़ता है। सामान्य तौर पर 7 घंटे की नींद लेना पर्याप्त होता है। लेकिन प्रेग्नेंट महिलाओं को सात घंटे से थोड़ा ज्यादा सोना चाहिए और जरूरत लगें तो दिन में भी थोड़ी देर सोना चाहिए। कम नींद से प्रेग्नेंसी पर क्या असर पड़ता है — Kam Neend Se Pregnancy Par Kya Asar Padta Haiअगर कोई प्रेग्नेंट महिला पर्याप्त नींद नहीं लेती है तो बच्चे पर इसका असर पड़ता है। प्रेग्नेंसी में बच्चे को पर्याप्त रूप से पोषक तत्वों की जरूरत होती हैं। बच्चा मां के जरिए ही ऑक्सीजन की पूर्ति करता है। अगर प्रेग्नेंसी में नींद पूरी न हो तो प्लेसेंटा तक ठीक तरह से ब्लड सप्लाय नहीं होता। इससे बच्चे की ह्रदय गति कम हो जाती है। साथ ही साथ खून की कमी भी हो जाती है। जब प्रेग्नेंट महिला सो रही होती है तब बच्चे को ब्लड और ऑक्सीजन का सप्लाय अच्छे से हो पाता है, अगर प्रेग्नेंट महिला कम नींद लें तो हार्मोन बनना भी कम हो जाते हैं। आगे पढ़ें: महिलाओं को नॉर्मल डिलीवरी के लिए क्या करना चाहिए प्रेग्नेंसी में नींद की प्रॉब्लम और सॉल्यूशन — Pregnancy Me Neend Ki Problem Aur Solutionप्रेग्नेंसी के हर फेज में अलग अलग प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है। नींद की समस्या भी हर तिमाही में अलग कारणों से होती है। पहली तिमाहीबार-बार यूरिन आनापहली तिमाही में ब्लड फ्लो बढ़ जाता है, इसे फिल्टर करने के लिए किडनी को मेहनत करनी पड़ती है। इस कारण बार बार यूरिन करने के लिए उठना पड़ता है। प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के बढ़ने से भी ऐसा होता है। यूटेरस का आकार बढ़ने से ब्लैडर पर दबाव पड़ता है, इस कारण भी बार बार यूरिन आता है और नींद में खलल पैदा हो जाती है। शारीरिक दर्दप्रेग्नेंट महिला का शरीर बच्चे को संभालने के लिए खुद को तैयार करने लगता है, जिससे मसल्स और हड्डियों में दर्द होना शुरू हो जाता है। शरीर में अलग-अलग जगहों पर दर्द, सूजन और ऐंठन होती है जिससे रात को नींद खराब होती है। उल्टी आनाप्रेग्नेंसी में उल्टी जैसा महसूस होना सामान्य है, इस कारण रात में जागना पड़ता है या नींद टूट जाती है। सॉल्यूशनपहली तिमाही में दिए गए कारणों से नींद न आएं तो सोने को लेकर नियम बना सकते है। अगर रात में ठीक से नींद नहीं आ रही है तो दिन में थोड़ी देर के लिए सो सकती है। इससे एनर्जी मिलती है। दिन में दो घंटे के लिए सोना ठीक रहेगा। अगर वर्किंग लेडी है तो ऑफिस में आरामदायक जगह चुन कर आधे घंटे के लिए नींद ले सकती है। लिक्विड संतुलित मात्रा में लेती रहें ताकि बॉडी हाइड्रेट रह सकें। तली-भुनी चीजें न खाएं। सुबह कुछ देर वॉक करें। प्रेग्नेंसी के दौरान healthy रहने के लिए डॉक्टर की सलाह से व्यायाम करें ताकि नींद में खलबली न हो। दूसरी तिमाहीदूसरी तिमाही में निम्न कारणों से नींद न आने की शिकायत हो सकती है। यूटेरस का आकार बढ़ने से पेट में दबाव पड़ता है, जिससे सीने में जलन होने लगती है। ऐसे में अगर लेटते हैं तो तकलीफ और बढ़ जाती है। कुछ महिलाओं को पिंडलियों में ऐंठन महसूस होती हैं, जिससे नींद न आने की दिक्कत हो सकती है। हार्मोन बदलने के कारण भ्रम और अजीब सपने आते है। सॉल्यूशनऐसा होने पर समय पर खाना खाएं और जल्दी-जल्दी खाने के बजाय आराम से खाना खाएं ताकि खाना हजम हो जाएं और सीने में जलन न हो। रात के खाने और सोने दोनों में 2 से 3 घंटे का अंतराल रखें। पैरों को आराम दें, ज्यादा देर खड़े न रहे। तीसरी तिमाहीप्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में वजन बढ़ने से पीठ दर्द होने लगता है, जिससे रात को सोने में दिक्कत आती है। बार-बार यूरिन आने से और सांस लेने में दिक्कत होने से भी नींद नहीं आती है। सॉल्यूशनपीठ में दर्द होने पर करवट लेकर सोना चाहिए। दोनों घुटनों के बीच तकिया रख हल्के हाथों से पीठ की मालिश करने से फायदा होता है। सांस लेने में दिक्कत हो तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें। प्रेग्नेंसी में कैसे सोना चाहिए — Pregnancy Me Kaise Sona Chahiyeप्रेग्नेंसी एक बेहद ही ख़ास और कोमल पल होता है। इस दौरान आपको अपने जीवनशैली पर खास ध्यान देने कि जरूरत होती है। आप क्या खाती हैं, क्या पीती हैं, दिन भर में कौन कौन से व्यायाम करती हैं, कितने बजे सोती हैं, कितने बजे जगती हैं और इन सबसे खास, सोते समय किस पोजीशन में सोती हैं। गर्भावस्था के दौरान आपको सोते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपके गर्भ में पल रहे शिशु पर किसी तरह का कोई बुरा प्रभाव न पड़े। नीचे हम इसी के बारे में आपको विस्तार से समझा रहे हैं। प्रेग्नेंसी कि पहली तिमाही यानी कि पहले तीन महीने तक आप पीठ के बल सो सकती हैं। इससे आपको किसी तरह कि कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि इस दौरान आपका शिशु विकास करना शुरू करता है। लेकिन प्रेग्नेंसी कि दूसरी तिमाही में आपको पीठ के बल नहीं सोना चाहिए। क्योंकि इस समय पीठ के बल सोने से गर्भाशय का पूरा भार आपकी पीठ पर चला जाता है जिसके कारण आपको काफी परेशानियां हो सकती हैं। पीठ शरीर के नीचले हिस्से से दिल तक खून पहुंचाती है, इसलिए पीठ के बल सोने से आपको अपच, गैस, कब्ज, बवासीर, ब्लड सर्कुलेशन, पीठ दर्द, सिर दर्द और दम घुंटने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इतना ही नहीं, जब आपके शरीर के ब्लड वेसेल्स में खून कि कमी होती है तो गर्भ में पल रहे शिशु के भी कुछ खास अंगों में खून कि कमी हो जाती है जो आपके साथ साथ आपके शिशु के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसे भी पढ़ें: इन तरीकों से जाने आपके गर्भ में लड़का है या लड़की प्रेग्नेंसी में पीठ के बल सोने से दायीं तरफ सोना ज्यादा बेहतर है। लेकिन यह भी उतना सुरक्षित नहीं माना जाता है जितना कि बायीं तरफ सोना। क्योंकि दायीं तरफ सोने से आपके जिगर पर प्रेशर पड़ सकता है। जिसकी वजह से आपको परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है। प्रेग्नेंसी में बायीं तरफ होकर सोने कि कोशिश करनी चाहिए लेकिन अगर आप इस पोजीशन में सोए सोए थक जाती हैं तो फिर कुछ समय के लिए आप दायीं ओर करवट लेकर सो सकती हैं। विशेषज्ञ का मानना है कि प्रेग्नेंसी में बायीं तरफ सोना सबसे बेहतर होता है। क्योंकि यह आपके साथ साथ आपके गर्भ में पल रहे शिशु को भी स्वस्थ और सुरक्षित रखने में मदद करता है। बायीं तरफ करवट करके सोने से आपके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बहुत सही तरह से होता है जिसके कारण आप अपच, गैस, पीठ दर्द, सांस लेने में परेशानी होना आदि जैसी ढेरों समस्याओं से दूर रहती हैं। इसके अलावा, आपके शिशु को पोषक तत्व और ऑक्सीजन भी भरपूर मात्रा में मिलती है। जिसकी वजह से आपके शरीर पर कम दबाव पड़ता है और आपकी प्रेग्नेंसी स्वस्थ रहती है। बायीं तरफ सोते समय आप चाहें तो अपने घुटनों को मोड़ भी सकती हैं। इस पोजीशन में आपको काफी तकलीफ हो सकती है लेकिन यह पोजीशन आपके और शिशु के लिए फायदेमंद माना जाता है। आप चाहें तो अपने दोनों टांगों के बीच में एक मुलायम तकिया भी रख सकती हैं। ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा। कुल मिलाकर, आपको सोते समय अपने साथ साथ अपने गर्भ में पल रहे नन्हे शिशु की सुरक्षा और स्वस्थ का भी ख्याल रखना है। प्रेग्नेंसी में कैसे नहीं सोना चाहिए — Pregnancy Me Kaise Nahi Sona Chahiyeप्रेग्नेंसी में पहली तिमाही में पीठ के बल लेट सकते है लेकिन ज्यादा लंबे समय तक पीठ के बल लेटना ठीक नहीं है। ज्यादा देर पीठ के बल लेटने से यूटेरस से पीठ की मसल्स, रीढ़ की हड्डी पर दबाव आता है, जिससे बच्चे तक ठीक से ब्लड सर्कुलेशन नहीं हो पाता। पीठ के बल लेटने से मसल्स में दर्द और सूजन हो सकती है। इसके अलावा पेट के बल तो हरगिज नहीं लेटना है। प्रेग्नेंसी के दौरान अच्छी नींद आने के लिए क्या करें — Pregnancy Ke Dauraan Achhi Neend Aane Ke Liye Kya Kareप्रेग्नेंसी में अच्छी नींद नहीं आ रही है तो दिए गए कुछ टिप्स को अपना सकती है;
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है| अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर लें और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय लें| प्रेगनेंसी में कितनी देर तक बैठना चाहिए?एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि जो महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान ज्यादा देर तक झुककर बैठती हैं, वे गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान पहुंचा रही होती हैं। वॉरविक मेडिकल स्कूल शोधकर्ताओँ ने पाया कि दिन में 6 घंटे से ज्यादा झुककर बैठने से गर्भवती महिलाओं के वजन में गैर-जरूरी इजाफा होने लगता है।
प्रेगनेंसी में ज्यादा देर बैठे रहने से क्या होता है?प्रेगनेंसी के आखिरी महीनों में खासतौर पर देर तक खड़े रहने की वजह से प्रेगनेंसी मेें कमर दर्द और पैरों में दर्द हो सकता है। इससे भ्रूण में भी रक्त का प्रवाह कम हो सकता है जिससे भ्रूण में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की उपलब्धता में कमी आती है और शिशु का विकास प्रभावित होता है।
गर्भवती महिला को कैसे बैठना चाहिए?कैसे बैठें: सही अवस्था
एकदम सीधा बैठना या फिर थोड़ा सा पीछे की तरफ झुकाव देकर बैठने की मुद्रा अच्छी है। आपके स्तन एकदम सामने या हल्के से ऊपर की तरफ होने चाहिए। वे आपके पेट से लगे हुए नहीं होने चाहिए। आपकी टांगें भी एक-दूसरे से जुड़ी न हों, ताकि बढ़े हुए पेट को जगह मिल सके।
प्रेगनेंसी में तेज चलने से क्या होता है?गर्भावस्था में जरुरी व्यायाम करने का यह एक आदर्श तरीका है। तेज चलना आपके दिल और फेफड़ों के लिए अच्छा है और इससे आपके घुटनों और टखनों पर जोर नहीं पड़ता। यह एक ऐसा व्यायाम है जिसे आप आसानी से अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकती हैं। इसलिए आप इसे गर्भावस्था के बाद भी जारी रख सकती हैं।
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