MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्था Show
MP Board Class 11th Chemistry Solutions Chapter 7 साम्यावस्थासाम्यावस्था (Equilibrium) NCERT अभ्यास प्रश्नप्रश्न 1. उत्तर: प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. उत्तर: प्रश्न 5. 2. ∆n = 1, क्योंकि, ठोस पर विचार नहीं किया गया। प्रश्न 6. प्रश्न 7. स्थिर ताप पर शुद्ध द्रव या ठोस का घनत्व व अणुभार स्थिर होता है, इसलिये उनकी मोलर सान्द्रता स्थिर होती है, जो साम्य स्थिरांक में शामिल होता है। प्रश्न 8. Kc= 2.0 × 10-37 का मान अत्यधिक कम है अर्थात् अभिकारक की कम मात्रा क्रिया करती है। अतः x अत्यधिक कम होता है और उसे उपेक्षित कर देते हैं। [N2] = 0.0482 मोल लीटर’-1, [O2] = 0.0933 मोल लीटर-1, [N2O] = 0.1x हल करने पर, यह देता है, x = 6.6 × 10-20. [N2O] = 0.1 × 6.6 × 10-20 = 6.6 × 10-21 मोल लीटर-1 प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न
12. Qc < Kc इसलिये अभिक्रिया प्रतीप दिशा में चलेगी। प्रश्न 13. इस व्यंजक के लिये संबंधित संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए। उत्तर: साम्य स्थिरांक के व्यंजक के अनुसार अभिक्रिया होगी – 4NO(g) + 6H2O(g) ⇄ 4NH3(g) + 502(g). प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. [I2] [Cl2] = 0.167 M तथा [ICI] = 0.78 – 2 × 0.167 = 0.446 M. प्रश्न 17. उपर्युक्त समीकरण में मान रखकर हम C2H6 का साम्यावस्था दाब की गणना करते हैं – प्रश्न 18. क्योंकि, Qc का मान Kc से कम है, अतः साम्यावस्था नहीं आई है तथा अभिक्रिया अग्र दिशा में चलेगी। प्रश्न 19. प्रश्न 20. क्योंकि, Qp>Kp इसलिये क्रिया प्रतीप दिशा में चलेगी। प्रश्न 21. अतः उस समय पर अभिक्रिया साम्य स्थिति में नहीं है क्योंकि Qc का मान Kc के बराबर नहीं है। (Kc>Qc) चूँकि Qc का मान साम्य स्थिरांक, K. से कम है अतः साम्यावस्था प्राप्त करने हेतु अभिक्रिया अग्र दिशा में अग्रसर होगी। प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26.
उत्तर:
प्रश्न 27. प्रश्न 28. निम्न ऊष्माशोषी क्रिया से प्राकृतिक गैस के आंशिक ऑक्सीकरण से डाइहाइड्रोजन गैस मिलती है – CH4(g) + H2O(g) ⇄ CO(g) + 3H2(g)
उत्तर: (b) ∆n(g) = 4 – 2 = 2 ∆n(g) > O
प्रश्न 29.
उत्तर:
प्रश्न 30. प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34. आयनिक साम्यावस्था (Ionic Equilibrium) NCERT अभ्यास प्रश्नप्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. संयुग्मी क्षारक: प्रश्न 6.
उत्तर:
प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. HCOOH – Ka = 1.8 x 10-4 HF – Ka = 6.8 × 10-4 प्रश्न 10. 0.01 M सोडियम फीनोलेट की उपस्थिति में आयनन की कोटि की गणना इस प्रकार की जा सकती है C6H5O– Na+ → C6H5O– + Na+ [C6H5O–] = 0.01 = Cα सोडियम फीनोलेट प्रबल विद्युत् अपघट्य है। इसलिए इसके फीनोलेट आयन, फीनॉल के फीनोलेट आयन सान्द्रण को कम करता है। प्रश्न 11. 0.1 M HCl की उपस्थिति में [H+] का सान्द्रण 0.1 M है, क्योंकि HCl, H2S से प्रबल अम्ल है। H2S का कुल वियोजन स्थिरांक है – Ka=Ka1×Ka2 = 9.1 × 10-8 × 1.2 × 10-13 = 1.092 × 10-20 0.1M HCl की उपस्थिति में प्रश्न 12. प्रश्न 13. [H+ ] [A– ] = 7.08 × 10-5 M pKa = – log Ka = – log 5 × 10-7 = 6.3. प्रश्न 14. 1. 0.003 M HCl हल: 2. [OH–] = [NaOH] = 0.005 M 3. [H+] = [HBr] = 0.002 M 4. [OH–] = [KOH] = 0.002 M प्रश्न 15. Ti(OH)(aq) → Ti+ + OH–(aq) [OH– ] = 4.9 × 10-3M, POH = -log(OH–) = – log(4.9 × 10-3 M) = 2.309 pH = 14 -2.309 = 11.691. Ca(OH)2 → Ca2+ + 2OH–(aq) [OH–] = 2 x 8.1 × 1-3 = 0.0162 M POH = – log[OH– ] = -log(1.62 × 10-2‘) = 1.79 pH = 14 – 1.79 = 12.21. NaOH → Na+(aq) + OH–(aq) [OH–] = 0.0375 M, POH = -log[OH–] = – log [3.75 × 10-2] = 1.426 pH = 14 – 1.426 = 12.574. (d) M1V1 (तनुकरण से पहले) = M2V2 (तनुकरण के बाद) प्रश्न 16. प्रश्न 17. = 1:59 × 10-6 pKb= – log (1.59 × 10-6) = 6 – 0.1987 = 5.8. प्रश्न
18. = 6.53 × 10-7 pOH = – log [OH– ] = – log (6.53 × 10-7) = 6.19 ∴ pH = 14 – 6.19 = 7.81 [OH– ] = Cα या 6.53 × 10-7 = 0.001 × α या α = 6.53 × 10-4 संयुग्मित अम्ल के लिए, प्रश्न 19. (a) 0.01 M HCl की उपस्थिति में, (b) 0.1 M HCl की उपस्थिति में HCl → H+ + Cl– [H+] = 0.1 M या 1.82 – 10-5 = latex]\frac { 0.05α × 0.1 }{ 0.01 }[/latex] α = 1.82 × 10-4 प्रश्न 20. हल: प्रबल क्षार NaOH की उपस्थिति में डाइमेथिल ऐमीन का आयनन समायन प्रभाव के कारण घट जाता है। यदि डाइमेथिल एमीन का वियोजन x हो, तो या 0.54% = वियोजित। प्रश्न 21.
हल:
प्रश्न
22. काली कॉफी (Black Coffee) [H+] = Antilog [-pH] टमाटर का रस (Tomato Juice) [H+] = Antilog [-pH] नीबू का रस
(Lemon Juice) [H+] = Anti log [-pH] – अण्डे की सफेदी (White Egg) [H+] = Anti log [-pH] प्रश्न 23. प्रश्न 24. Sr(OH)2 → Sr+2 + 2OH– [Sr+2 ] = 0.1581, [OH– ] = 2 × 0.1581 = 0.3162 pOH = – log [0.3162] = 0.5 pH = 14 – pOH = 14 – 0.5 = 13.5 प्रश्न 25. HCl उपस्थिति में प्रोपेनोइक अम्ल का वियोजन कम होता है। मानलो x मोल वियोजित होता है। जहाँ x बहुत कम (0.05 – x) है इसलिये इसे 0.05 लेने पर और 0.1 – x = 0.1 Kα x×0.010.05 =132 × 10-5 या x = 6.60 × 10-5 या 0.132% वियोजित हुआ। प्रश्न 26. Cα = Anti log [- pH]. या 0.1 × α = Anti log [-2.34] α = 0.0457 प्रश्न 27. = 1.06 × 10-8 अब pH = – log [H+ ] = – log (1.06 × 10-8 ) = 7.97 प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. pH = – log (1.16 × 10-2) = 1.94 0.1 M सोडियम लवण का pH = ये दुर्बल अम्ल का प्रबल क्षार का लवण है। = 1.16 × 10-8 या pH = -log[H+] = -log[1.16 × 10-8] = 7.94. प्रश्न 31. प्रश्न 32. OH– के मोलों की संख्या अर्थात् nOH = 2 × 0.002 = 0.004 तथा nH+ = 0.0025 उदासीनीकरण के बाद बचे OH– आयन = 0.004 – 0.0025 = 0.0015 =0.0428 pOH = -log[OH–] = -log[4.28 × 10-2] = 1.368 pH = 14 – 1.368 = 12.64. OH मोलों की संख्या nH+ = 2 × Ca(OH)2 के मोलों की संख्या H+, OH– दोनों बराबर हैं। अतः विलयन उदासीन होगा। (c) H के मोलों की संख्या, nH+ = 2 × H2SO4 के मोलों की संख्या OH– के मोलों की संख्या, nOH– = KOH के मोलों की संख्या उदासीनीकरण के बाद बचे H* मोलों की संख्या = 2 × 10-3 – 1 × 10-3 = 1 × 10-3 मोललता या [H+] का सान्द्रण – pH = -log (5 × 10-2) = 1.301. प्रश्न 33. [Ag+] = 2 × 6.5 × 10-5 = 13 × 10-5M [Cro2-4] = s = 6.5 × 10-5M. [Fe+3] = s = 1.38 × 10-10 M [OH–] = 3 × 1. 38 × 10-10= 4.14 × 10-10 M. प्रश्न 34. प्रश्न 35. चूँकि आयनिक गुणनफल का मान Ksp से कम है। अतः अवक्षेपण प्रारंभ नहीं होगा। प्रश्न 36. बफर में विलेयता [H+], बफर = Anti log [-3.19] [C6H5COOH) = 10 × [C6H5COO”] मानलो, बफर विलयन में सिल्वर बेन्जोएट की घुलनशीलता = × mol L-1 है। अधिकतर C6H5COO– , C6H5COOH में बदल जाते हैं। [Ag+] = × = C6H5COOH + C6H5COO– = 10C6H5COO– + C6H5COO– = 11C6H5COO– प्रश्न 37. प्रश्न 38. प्रश्न 39. मिश्रित होने के पश्चात् धातु आयनों का सान्द्रण होगा – इन धातु सल्फाइडों का आयनिक गुणनफल – साम्यावस्था अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नसाम्यावस्था वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न
4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न
7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 2.
उत्तर: प्रश्न 3. उत्तर:
प्रश्न 4.
उत्तर:
साम्यावस्था अति लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. जहाँ α = वियोजन की मात्रा, K = वियोजन स्थिरांक। v = तनुता (विलयन का लीटर में आयतन जिसमें एक ग्राम तुल्यांक विद्युत अपघट्य विलेय है)। c = एक लीटर विलयन में विलेय के ग्राम तुल्यांक की संख्या। प्रश्न 7. प्रश्न 8.
प्रश्न 9. क्षारीय बफर: प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15.
प्रश्न 16.
प्रश्न 17.
उत्तर: प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21.
प्रश्न 22.
प्रश्न 23. प्रश्न 24. साम्यावस्था लघु उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. Na2CO3 से प्राप्त Na+ आयन जल के OH– आयनों के साथ संयोग कर प्रबल विद्युत् अपघट्य NaOH बनाने के कारण जल में आयनों के रूप में रहता है जबकि CO3-2, आयन जल के H* आयन के साथ संयोग कर दुर्बल अम्ल H2CO3, बनाता है जो दुर्बल विद्युत् अपघट्य होने के कारण आंशिक रूप से आयनित रहता है। साम्यावस्था बनाये रखने के लिये H2O आयनित होने लगता है जिससे OH– आयनों का सान्द्रण बढ़ने लगता है। इसलिये सोडियम कार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है। प्रश्न 2. हेनरी का नियम: उदाहरण: प्रश्न 3. उदाहरण: प्रश्न 4.
प्रश्न 5. विषमांगी साम्यावस्था: प्रश्न 6.
उत्तर:
प्रश्न 7.
उत्तर:
प्रश्न 8. साम्यावस्था पर Q = Kc प्रश्न 9. जैसे – NaCl, NaOH, H2SO4. इत्यादि, दूसरी तरफ वे यौगिक जो पूर्णतः आयनित नहीं होते, दुर्बल वैद्युत अपघट्य कहलाते हैं। जैसे –
NH4OH, CH3COOH इत्यादि । दुर्बल वैद्युत अपघट्यों को जब H2O में विलेय कर विलयन बनाया जाता है तो विलयन में आयनों तथा अनआयनित अणुओं के मध्य एक साम्यावस्था स्थापित हो जाती है जिसे आयनन साम्यावस्था कहते हैं। प्रश्न 10. साम्यावस्था की विशेषताएँ:
प्रश्न 11.
उत्तर:
प्रश्न 12. भौतिक साम्य की विशेषताएँ:
प्रश्न 13. द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार, जहाँ Ksp एक स्थिरांक है जिसे विलेयता गुणनफल कहते हैं। प्रश्न
14. अर्थात् किसी अल्प विलेय द्विअंगी वैद्युत अपघट्य की विलेयता उसके विलेयता गुणनफल के वर्गमूल के बराबर होती है। प्रश्न 15. अत: AgCl के संतृप्त विलयन में Ag+ तथा Cr– आयनों की सान्द्रता का गुणनफल, विलेयता गुणनफल होगा। प्रश्न 16. उदाहरण: लुईस क्षार: उदाहरण: प्रश्न 17. उदाहरण: संयुग्मी क्षार: उदाहरण: प्रश्न 18. pH = – log[H3O+] = -log 1.643 × 10-7 = 7 + (-0.2156) = 6.7844. प्रश्न 19. प्रश्न 20. किन्तु HCl प्रबल वैद्युत अपघट्य है जिसके सम आयन प्रभाव के कारण H2S का आयनन कम हो जाता है। जिसके फलस्वरूप सल्फाइड आयनों का सान्द्रण घट जाता है। जिसके कारण चतुर्थ समूह के धातु सल्फाइडों का आयनिक गुणनफल उनके विलेयता गुणनफल से अधिक नहीं हो पाता इसलिये वे अवक्षेपित नहीं होते हैं, परन्तु सल्फाइड आयनों का सान्द्रण द्वितीय समूह के सल्फाइडों के अवक्षेपण के लिये पर्याप्त रहता है क्योंकि इनका विलेयता गुणनफल कम होता है। प्रश्न 21. चूँकि विलयनों के समान आयतन मिलाए गए हैं। अतः प्रत्येक विलयन की मोलर सान्द्रता आधी रह जाती है जिसके कारण मूल विलयन में [FeSO4.] = [Na2S] = 2 × 2.51 × 10-9M = 5.02 × 10-9M अतः विलयन की उच्चतम मोलरता = 2.5 × 10-‘M है। प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न
27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30. प्रश्न 31. तृतीय समूह के अवक्षेपण में यदि केवल NH4OH का उपयोग किया जाये तो OH– आयनों का सान्द्रण इतना अधिक होगा कि तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइड के साथ IV, V, VI समूह के हाइड्रॉक्साइड का भी अवक्षेपण हो जायेगा। लेकिन यदि तृतीय समूह के परीक्षण में NH4OH से पहले NH4CI मिलाते हैं तो समआयन प्रभाव के कारण दुर्बल वैद्युत अपघट्य NH4OH का वियोजन, कम हो जाता है जिसमें कम OH– आयन प्राप्त होते हैं और ये OH– आयन केवल तृतीय समूह के हाइड्रॉक्साइड को ही अवक्षेपित करते हैं। प्रश्न 32. ली-शातेलिये सिद्धान्त के अनुसार ताप में वृद्धि करने पर अभिक्रिया उस दिशा में विस्थापित होती है जिस दिशा में अभिक्रिया ऊष्माशोषी होती हैं। नाइट्रिक ऑक्साइड का संश्लेषण ऊष्माशोषी अभिक्रिया है जबकि अमोनिया का संश्लेषण ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है। इसलिये ताप में वृद्धि करने से नाइट्रिक ऑक्साइड के संश्लेषण में अभिक्रिया अग्र दिशा की ओर विस्थापित होती है जिससे NO के बनने की दर बढ़ जाती है जबकि NH3 संश्लेषण में ताप वृद्धि करने से अभिक्रिया प्रतीप दिशा में विस्थापित होती है जिससे NH3 के बनने की दर कम हो जाती है। इसलिये NO का संश्लेषण NH3 की तुलना में उच्च ताप पर कराया जाता है। प्रश्न 33. उपर्युक्त उदाहरण में HCl प्रोटॉन दाता है इसलिये यह अम्ल है जबकि H2O प्रोटॉन ग्राही है इसलिये H2O क्षार है। अम्ल जब प्रोटॉन दान करता है तो बचा हुआ समूह क्षार की तरह कार्य करता है इसे उस अम्ल का संयुग्मी क्षार कहते हैं। इसी प्रकार जब क्षार एक प्रोटॉन ग्रहण करता है तो बनने वाला समूह अम्ल की तरह कार्य करता है इसे उस क्षार का संयुग्मी अम्ल कहते हैं तथा संयुग्मी अम्ल-क्षार युग्म में केवल एक प्रोटॉन का अंतर होता है। साम्यावस्था दीर्घ उत्तरीय प्रश्न प्रश्न 1. जहाँ Kcअभिक्रिया का साम्य स्थिरांक है। आण्विक सान्द्रण के स्थान पर आंशिक दाब का प्रयोग करने पर आदर्श गैस समीकरण के अनुसार, समीकरण (1) के अनुसार, प्रश्न 2. प्रश्न 3. (2) HI का संश्लेषण-माना कि प्रारंभ में H2 व I2 के क्रमश: a तथा b मोल लेकर अभिक्रिया प्रारंभ करते हैं। साम्यावस्था पर दोनों के x मोल संयोग करते हैं। यदि पात्र का आयतन v लीटर हो, तो। प्रश्न 4. दुर्बल वैद्युत अपघट्य में आयनन की मात्रा अत्यंत कम होती है। अतः ४ का मान नगण्य होगा अतः (1 – α) = 1 रखने पर, ओस्टवाल्ड के तनुता नियमानुसार दुर्बल वैद्युत अपघट्य के वियोजन की मात्रा उसकी तनुता के वर्गमूल के समानुपाती तथा उसकी सान्द्रता के वर्गमूल के व्युत्क्रमानुपाती होती है। प्रश्न 5. (a) AG° = -RT in K (b)
CO(g) + 3H2(g) ⇄ CH4(g) + H2O(g). दाब घटाने पर आयतन घटता है। दाब दोगुना करने पर आयतन आधा रह जाता है परन्तु मोलर सान्द्रताएँ दोगुनी हो जाती हैं तब अत: Q, K. की अपेक्षा कम है अत: Q साम्यावस्था को पुनः प्राप्त करने के लिए वृद्धि करने का प्रयास करेगा जिसके कारण अभिक्रिया अग्र दिशा में अग्रसर होगी। प्रश्न 6. आयनन को प्रभावित करने वाले कारक – (2) सान्द्रता: (3) विलायक की प्रकृति: (4) ताप: प्रश्न 7. ब्रॉन्स्टेड-लॉरी
अवधारणा के अनुसार अम्ल वह पदार्थ है जो विलयन में किसी अन्य यौगिक या पदार्थ को प्रोटॉन दान करते हैं। अम्ल की प्रबलता: जहाँ Kα अम्ल का आयनन स्थिरांक है जिसे अम्लीयता स्थिरांक कहते हैं। Kα का मान जितना अधिक होगा। अम्ल उतना प्रबल होगा। क्षारक: NH3 + H2O ⇄ NH4+ + OH– लुईस परिकल्पना के अनुसार क्षारक वह पदार्थ है जो इलेक्ट्रॉन युग्म दान कर सकता है। क्षार
की प्रबलता: यहाँ पर Kb क्षार का आयनन स्थिरांक है जिसे क्षारीयता स्थिरांक कहते हैं। इसका मान जितना अधिक होगा क्षार उतना प्रबल क्षार होगा। प्रश्न 8.
हल: (b) 1. दाब में वृद्धि के कारण साम्य उस दिशा में अग्रसर होगा, जहाँ दाब में कमी होती है (अर्थात् गैसीय मोलों की संख्या कम हो)। यह प्रतीप अभिक्रिया है। दाब में परिवर्तन के फलस्वरूप Kp समान रहेगा। 2. चूँकि ∆H = धनात्मक (ऊष्माशोषी होती है) अतः अभिक्रिया ऊष्मा के अवशोषण द्वारा सम्पन्न होगी। इसी कारण ताप में वृद्धि के कारण साम्य उस दिशा में विस्थापित होगा जिस ओर ऊष्मा अवशोषित होती हो (अर्थात् अग्र दिशा)। इसके कारण Kp के मान में वृद्धि होती है। 3. कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि उत्प्रेरक दोनों दिशाओं की दर पर समान प्रभाव डालता है। प्रश्न 9. (a) N2 + 3H2 ⇄ 2NH3; ∆H = – 93.6KJ ताप: (b) N2 +O2 ⇄ 2NO; ∆H = + 180.7KJ
प्रश्न 10. सान्द्रण का प्रभाव: ताप: दाब का प्रभाव: प्रश्न 11. (2) जल के वाष्पीकरण पर ताप तथा दाब का प्रभाव – (3) जल में विलेयता पर ताप का प्रभाव – प्रश्न 12. अग्रगामी अभिक्रिया H2(g) + I2(g) → 2HI2(g) प्रारंभ में अभिकारक की सान्द्रता अधिक होती है अतः अग्रगामी क्रिया की दर अधिक होगी। समय के साथ अग्रगामी क्रिया की दर घटती
जाती है और प्रतीप दिशा में उत्पादों की सान्द्रता बढ़ती जाती है। परिणामस्वरूप प्रतीप दिशा में अभिक्रिया दर बढ़ती है। एक अवस्था में दोनों दिशाओं में अभिक्रिया दर समान हो जायेगी अर्थात् HI का वियोजन, HI के विरचन (बनने) के बराबर हो र जायेगा। यह अवस्था उत्क्रमणीय अभिक्रिया की साम्यावस्था कहलाती है। प्रश्न
13. बफर विलयन में अम्ल की अल्प मात्रा मिलाने पर अम्ल से प्राप्त H आयन CH3COO– आयन से संयुक्त होकर
CH3COOH बनाता है जो दुर्बल वैद्युत अपघट्य है जिसके कारण HCl जैसे प्रबल वैद्युत अपघट्य मिलाने पर भी विलयन के H* आयन सान्द्रण में वृद्धि नहीं हो पाती इसलिये pH में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। प्रश्न 14. बफर विलयन का महत्व:
प्रश्न 15. Kw, एक स्थिरांक है जिसे जल का आयनिक गुणनफल कहते हैं। 298K ताप पर Kw = 1 × 10-14 समीकरण (1) में मान रखने पर, 10-14 = [H3O+][OH–] दोनों तरफ log10 लेने पर, दोनों तरफ (-) का गुणा करने पर, प्रश्न 16. माना कि मिश्रण में अम्ल और लवण के आण्विक सान्द्रण क्रमशः C1 और C2 है। लवण के भी A– आयन की उपस्थिति के कारण विलयन में अम्ल का वियोजन कम हो जायेगा। दोनों पक्षों का 10 आधार पर log लेने पर, यह समीकरण हेन्डर्सन समीकरण कहलाता है। प्रश्न 17. शेष बची हुई
हाइड्रोजन का आयतन ज्ञात कर लेते हैं तथा साम्यावस्था पर HI व I2 का सान्द्रण भी प्राप्त कर लेते हैं इस प्रकार प्रत्येक बल्ब में H2, I2 व HI की मात्रा ज्ञात कर लेते हैं तथा इन मानों की सहायता से प्रत्येक बल्ब के लिये K के मान की गणना करते हैं। यदि सभी बल्ब में K का मान लगभग समान रहता है जिससे द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम की पुष्टि होती है। प्रश्न 18. MP Board Class 11th Chemistry Solutionsसाम्य स्थिरांक से आप क्या समझते हो इसे प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए?चाहे अभिक्रिया अभिकारकों से आरम्भ की जाए अथवा उत्पादों से- दोनों में वही साम्यावस्था प्राप्त होती है। किसी अभिक्रिया की साम्यावस्था का अभिलक्षण उसका साम्य स्थिरांक होता है, जिसकी चर्चा बाद में की जाएगी। उदाहरण के लिए: N,O (g) —— 2NO, (g) इस अभिक्रिया में वही साम्य स्थापित होता है चाहे हम N, O से आरम्भ करें अथवा NO, से।
साम्य स्थिरांक से आप क्या समझते हैं इसके लिए व्यंजक की व्युत्पत्ति कीजिए?स्थिर ताप पर किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया की अग्र तथा विपरीत अभिक्रिया के वेग स्थिरांक के अनुपात को साम्य स्थिरांक (equilibrium constant in Hindi) कहते हैं। इसे Kc द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। किसी सामान्य उत्क्रमणीय अभिक्रिया पर विचार करते हैं। यहां अभिकारको तथा उत्पादों के बीच साम्य स्थापित है।
तापीय साम्यावस्था से क्या अभिप्राय है?तापीय साम्य (Thermal equilibrium), वह अवस्था जब कोई वस्तु अपने आसपास के वातावरण से न ऊष्मा लेती है न उसको ऊष्मा देती है, अर्थात् वे समान ताप पर होती हैं।
साम्यावस्था क्या है उदाहरण सहित समझाइए?साम्यावस्था Kya Hai
किसी के सन्दर्भ में रासायनिक साम्य (chemical equilibrium) उस अवस्था को कहते हैं जिसमें समय के साथ अभिकारकों एवं उत्पादों के सांद्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता। प्रायः यह अवस्था तब आती है जब अग्र क्रिया (forward reaction) की गति पश्चक्रिया (reverse reaction) की गति के समान हो जाती है।
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